हाय मम्मी मेरी लुल्ली | Haay Mummy Meri Lulli
हाय मम्मी मेरी लुल्ली | Haay Mummy Meri Lulli
आज सुबह से सलोनी का मूड बिगड़ा हुआ था , क्या वजह थी वो खुद नहीं जानती थी | “कैसा बकवास दिन है” वो खुद को बोलती है | पूरे घर में ऐसी शांति थी कि घर की हर चीज़ से नीरसता झलक रही थी | तीन बेडरूम का घर काफी खुला डुला था | मगर उस उदासी और सन्नाटे में वो घर अपने असली अकार से कुछ जयादा ही बड़ा जान पड़ता था |
सलोनी का मन घर के किसी काम में नहीं लग रहा था | उसके सर में हल्का सा सरदर्द भी था | शायद रात को ना सो सकने की वजह से था | पिछले पूरे दिन वो घर की साफ़ सफाई में व्यस्त थी, उसे लगा था शायद रात को वो अच्छी नींद सो सकेगी मगर थकान और हलके बदन दर्द के बीच भी वो सोने में असफल रही थी और पूरी रात करवटें बदलते गुजरी थी |
सलोनी का पति सुभाष पिछले हफ्ते से दुसरे शहर में था | वो एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जूनियर इंजिनियर था | पगार अच्छी होने की वजह से वो किसी काम से इन्कार नहीं करता था , इसीलिए इस बार जब दुसरे शहर में चल रहे किसी प्रोजेक्ट के लिए कंपनी को एक इंजिनियर भेजना था तो सिर्फ वही राजी हुआ था बाकी सब बहाने बनाने लगे | उसकी मेहनत और काम के लिए इमानदारी को देखकर कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने उसे आश्वासन दिया था कि उसकी पगार में जल्द ही इज़ाफा किया जायेगा | प्रोजेक्ट मेनेजर के बारे में सुभाष जानता था वो अपनी बात का बहुत पक्का आदमी था इसीलिए उसे यकीन था कि उसकी पगार जल्द ही बढ़ जाएगी मगर एक तरफ यहाँ उसे पगार बढ़ने की इतनी ख़ुशी थी वहीँ उसे अपनी पत्नी की नाराज़गी की चिंता थी | जैसे उसने वादा किया था कि वो उसे कहीं घुमाने ले जाएगा, सच में सलोनी को मनाने में उसे इस बार बहुत मेहनत करनी पड़ी थी, उसे सलोनी को कई वादे करने पड़े थे और कई तरह के प्रलोभन देने पड़े थे तब जाकर कहीं उसका गुस्सा शान्त हुआ था | सलोनी ने अंत इस बात को सोचकर कि उसके पति की पगार बढ़ने जा रही है अपने मन को किसी तरह समझा बुझा लिया |
सलोनी अपने बेटे राहुल को नाश्ते के लिए आवाज़ देती है मगर कोई जवाब नहीं आता | दो तीन बार फिर से बुलाने से भी कोई जवाब नहीं मिलता तो सलोनी की खीझ में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है | वो रसोई से सीधे सीढियों का रुख करती है “एक तो इसने नाक में दम कर रखा है , ना अपनी पढाई करता है ना घर के किसी काम में मदद, सारा दिन बस खेल कूद और टीवी” सलोनी सीढियाँ चडती बडबड़ा रही थी |
सलोनी भडाक से दरवाज़ा खोलती है और सामने उसका बेटा गहरी नींद में सोए खर्राटे भर रहा होता है |
“सुबह के दस बजने को आए और इस साहब को देखो अभी तक पैर पसारे कैसे मज़े से सो रहे हैं”, सलोनी अपने बेटे की चादर पकड़कर जोर से खींच लेती है | राहुल को झटका सा लगता है | वो हडबडा कर उठ जाता है और सामने अपनी माँ को खड़े देखता है | अभी उसकी आँखें पूरी खुली नहीं थी शायद इसीलिए वो अपनी माँ के चेहरे पे छाया गुस्सा नहीं देख सका |
“क्या मम्मी....क्यों इतनी सुबह सुबह जगा रही हो, मुझे अभी सोना है” राहुल अपनी माँ से शिकायत भरे स्वर में बोला |
“इतनी सुबह सुबह? लाट साहब टाइम मालुम है आपको, दस बजने को आए हैं और आपको अभी भी सोना है, हाथ मुंह धोकर निचे आओ, मैं नाश्ता लगाती हूँ” सलोनी तीखे स्वर में बोली |
“मुझे नहीं नाश्ता वाश्ता करना आप जाईये और बस मुझे सोने दीजिए”, राहुल अपनी माँ के हाथ से चादर खींचने की कोशिश करता है | सलोनी उसका हाथ झटक देती है और आगे बढ़कर एक ज़ोरदार तमाचा राहुल के मुंह पर लगाती है | तमाचा लगते ही राहुल की आँखें जो अभी भी नींद से बोजिल थीं, खुल जाती हैं और उसे पहली बार एहसास होता है कि उसकी माँ का मूड कितना बिगड़ा हुआ है |
“इसी समय बेड से उठो और हाथ मुंह धोवो, दस मिनट में तुम निचे नाश्ते के टेबल पर होने चाहिए, आज से तुम मेरी इज़ाज़त के बिना ना खेलने जाओगे और ना ही टीवी देखोगे, तुम्हे हर रोज़ समझा समझा कर मेरा दिमाग ख़राब होने को आया और तुम्हारे कान पर जूं तक नहीं सरकती, अब तुम्हे जिस तरीके से बात समझ में आती है, मैं उसी तरीके से समझाउंगी”, सलोनी चिल्लाती हुई बोलती है |
राहुल सर झुकाए बेड पर बैठा था और एक हाथ से तमाचे से लाल हो चुके गाल को सहला रहा था |
“दस मिनट! याद रखना वर्ना .....” कहते हुए सलोनी पाँव पटकाते हुए उसके कमरे से निकल जाती है और अपने पीछे भडाक से दरवाज़ा बंद कर देती है |
सलोनी के जाते ही राहुल छलांग लगा कर उठ जाता है और कमरे से अटैच्ड बाथरूम में घुस जाता है | दांतों पर फुल स्पीड में ब्रश रगड़ते हुए उसे इस बात की हैरत हो रही थी कि क्या हो गया जो उसकी माँ का मूड आज सुबह सुबह इतना उखड़ा हुआ है | वो तमाचा लगने से इतना आहत नहीं था | जितना वो इस बात से दुखी था कि आज वो क्रिकेट खेलने नही जा पाएगा और XBOX का तो नाम भी लेना गुनाह होगा |
अपनी माँ के गुस्से से वो भली भांति वाकिफ था | सलोनी के गुस्से से तो खुद उसका पति भी डरता था | अब तो सारा दिन घर पर माँ के सामने बैठकर उन्ही किताबो में सर खपाना पड़ेगा जिनसे बड़ी मुश्किल से उसका पीछा छूटा था |
पिछले ऐसे वाकिया से वो जानता था कि अब उसे पहले जैसी आजादी मिलने में दो तीन दिन लग जायेंगे | मुंह पर पानी के छींटे मारता वो सोच रहा था कि किस तरह वो अपनी माँ को खुश कर सकता है | अगर वो किसी तरह खुश हो गई तो उसकी सजा आज ही ख़त्म हो सकती थी |
दस मिनट लगभग होने को थे | राहुल तौलिया उठाकर बेडरूम की और जाने लगा मगर फिर उसने पेशाब करने की सोची | उसे कुछ खास प्रेशर तो महसूस नहीं हो रहा था मगर फिर भी उसने सोचा कि पेशाब करके ही जाया जाए | ज़िप खोल उसने अपना सोया हुआ लंड बाहर निकाला | फिर अपनी घडी पर नज़र डाली | दस मिनट बीत चुके थे हालांकि वो जानता था कि उसकी माँ उसके थोड़े बहुत जयादा समय लगाने से कुछ नहीं कहेगी मगर फिर भी वो नहीं चाहता था कि वो किसी भी तरह माँ का गुस्सा ना बढ़ाए बल्कि उसे खुश करने की सोचे |
प्रेशर ना होने की वजह से उसे पन्द्रह बीस सेकंड लंड को हिलाना पड़ा तब जाकर धार निकली | अब तक बारह मिनट बीत चुके थे, वो पेंट की ज़िप पकडे पीछे को घुमा और भागते हुए ज़िपर को ऊपर खींचने लगा और यहीं उसने गलती कर दी | भागने से उसका लंड जो पेशाब करने के समय हिलाने से थोडा सा जाग गया था , झटका लगने से बहार आ गया और उधर उसने तेज़ी से ज़िपर ऊपर खींच दी | अगले ही पल उसका पाँव थम गया | उसका मुंह खुल गया और एक खामोश चीख उसके मुख से निकली | वो तीव्र दर्द से बिलबिला उठा था |
उसके लंड की बेहद नर्म त्वचा ज़िपर में फँस गई थी | कम से कम ज़िपर के पांच दांत त्वचा को अपने अंदर कस चुके थे | राहुल को एक तरफ इतना दर्द हो रहा था और उधर उसे अपनी माँ का डर सता रहा था | अब वहां उसकी मदद करने वाला भी कोई नहीं था | यह बात अलग थी कि अगर कोई होता भी तो भी वो मदद ना मांगता उसे कतई गंवारा ना होता कोई उसे इस हालत में देखे और उसकी खिल्ली उडाए | राहुल ने जैसे ही ज़िपर को वापस खोलने के लिए हाथ लगाया तो दर्द की एक बेहद तेज़ लहर उसके लंड से होकर उसके पूरे जिस्म में फ़ैल गई | ज़िपर को हिलाने मात्र से उसे लंड में असहनीय पीड़ा महसूस हो रही थी और उधर घड़ी की सुईओं की रफ़्तार जैसे दुगनी तिगुनी हो गयी थी | उसे जल्द ही इस मुसीबत से छुटकारा पाना था वर्ना वो जानता था कि उसकी माँ ऊपर आने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाएगी | उसने धीरे से दोनों हाथों की उँगलियाँ अपनी अध खुली ज़िपर के अन्दर विपरीत दिशाओं में डाली और फिर उसने दो तीन गहरी साँसे लेकर आँखें भींच ली और बिजली की फुर्ती से दोनों हाथों को विपरीत दिशाओं में झटका |
“आअअअअअहहहहहहहह! मम्ममममममममममी!" वो पीड़ा को सह नहीं पाया और चीख पड़ा | उसकी तो दर्द से सांस ही रुक गयी थी | सलोनी बेटे के कमरे से निचे आकर टेबल पर नाश्ता लगा रही थी | उसका मूड अब और बिगड़ चूका था और ऊपर से राहुल ऐसा ढीठ था कि थप्पड़ खाने के बाद भी नहीं सुधरा था | बीस मिनट हो चुके थे और वो अब तक नहीं आया था |
“दो तीन मिनट और ......अगर वो अभी भी निचे ना आया तो आज उसकी .....” उसकी सोच की लड़ी अचानक से टूट गई | जब राहुल की दर्द भरी चीख से पूरा घर गूँज उठा | पलक झपकते ही सलोनी राहुल के कमरे की तरफ दौड़ रही थी | उसकी जान पे बन आई थी “बेटा क्या हुआ, मैं आ रही हूँ, मैं आ रही हूँ......” सलोनी दौड़ते हुए चीख रही थी | वो पलक झपकते ही ऊपर अपने बेटे के कमरे में थी | सामने बाथरूम के डोर के बीच राहुल अपनी जाँघों के जोड़ पर हाथ रखे गहरी गहरी सांसे ले रहा था | उसका चेहरा ही बता रहा था कि वो कितनी पीड़ा में था |
“मम्मी मेरी लुल्ली............हुंह.......हुंह...” वो सुबकने लगा, आँखों से पानी की धाराएँ बहने लगी | “मम्मी मेरी लुल्ली पेंट की चैन में आ गई.........मम्मी बहुत दर्द हो रहा है..”