गांव के दो चुदक्कड़ हरामख़ोर | Gaon Ke Do Chudakkad Haramkhor
ये कहानी शुरु होती है,एक छोटे से गांव (बभनी) से। 40 से 50 घरों के इस छोटे से गाँव में, दो दोस्त रहते है।
अरे! माफ़ कीजीएगा, दो चुदक्कड़ हरामख़ोर दोस्त रहते है, और दोनो के नाम (मुन्ना) और (भानू) है।
'दोनो मस्त, मनमौजी होकर रहते और अपने ख़ेतों में काम करके,अपनी ज़ीदंगी बीताते।
अब दोनो की उम्र (19) साल हो गयी है, और इतने सालो में; इनका ना सीर्फ कद लबां हुआ; बल्की इनके तीसरे पैरों के कद भी, कुछ ज्यादा ही लबें और मोटे हो गये थे।
अब तो ये दोनो, सीर्फ एक चीच की खोज़ में हमेशा लगे रहते थे। और वो चीज थी "बुर" । तो चलीये जानते है, की आखीर ये दो चुदक्कड़ हरामख़ोर बुर के चक्कर में; क्या-क्या करते है। लेकीन उससे पहले, कहानी के मुख्य कीरदारो के परीचय देख लेते है-
कहानी के मुख्य कीरेदार --
1. हरीया (48)
हरीया एक बहुत ही मेहनती कीसान है। दीन भर अपने खेंतो पर काभ करता और दो वक्त की रोटी जुटाता।
2. लाजवंती (लाजो) - 43
लाजवतीं, हरीया की औरत है। 43 साल की उम्र में भी, लाजवंती का गदराया हुआ मासंल बदन; कीसी भी जवान मर्द के लंड में, आग लगा सकती थी। लाजवंती को प्यार से सब लाजो कहते थे। लाजो भी अपने मरद हरीया के साथ, खेंतो के काम में, हापना हाथ बटाती।
3. कंचन (21) -
21 साल की जवान और गोरी-चीट्टी कंचन, लाजवंती की बेटी है|
4. माला (40)
माला, एक वीधवा औरत है। ये लाजवंती की छोटी बहन है। माला, 28 साल की उम्र में ही वीधवा हो गयी थी। सास-ससुर के, ताने वो झेल ना पायी तो, लाजवतीं ने उसे अपने पास बुला लीया। 40 साल की माला, पती के मौत के बाद से, शारीरीक सुख से वंचीत थी।
5. मुन्ना (19)
मुन्ना, लाजवंती का बेटा है, और इनके बारे में तो, आप सब उपर पढ़ ही चुकें है। यानि कि पह्ला चुदक्कड़ हरामख़ोर
6. हीछंलाल (48)
हीछंलाल, एक बीमार आदमी। जो दीन-रात खाट पर लेटा रहता है। बीमारी के वजह से, ये खेतों पर भी नही जा पाता, इसीलीये खेती-कीसानी, इसकी औरत और बेटा संभालता है।
7. कजरी (43)
कजरी, लाजवंती के समान ही गदरायी बदन वाली एक मस्त औरत है। मरद के बीमार पड़ जाने पर, घर और खेती-कीसानी, इसे ही सभांलना पड़ता है।
8. सुगना (65)
सुगना, कजरी की सास....
9. भानू (19)
कजरी का बेटा, इनके बारे में भी, आप सब ने उपर पढ़ा है। यानि कि दूसरा चुदक्कड़ हरामख़ोर
10. छम्मो (38)
गांव की धोबन.....
11. चंदा (20)
छम्मो की बेटी.....
12. पप्पू (18)
छम्मो का बेटा......
कहानी में और भी कीरेदार है, जो आगे कहानी में नज़र आयेगें॥
तो चलीये शुरु करते हैं........
गर्मी के दीन थे, गर्म हवायें लू बन गयी थी। इतनी तेज गर्मी में; कोयी भी अपने घर से बाहर नही नीकल रहा था।
गांव तो मानो; पूरी तरह सुनसान पड़ा था। अगर कोयी बाहर नीकला भी था तो, कीसी पेड़ के छांव में बैठे; ताश के पत्ते खेत रहा होता।
घर में लेटी माला, अपनी साड़ी को कमर तक चढ़ाकर; खाट पर सोयी हुई थी। अचानक! उसकी नीदं खुली तो, वो अपने आप को; कमर के नीचे से पूरी तरह नंगी पायी।
बरामदें में लेटी हुई माला के बुर पर, जब बाहर की हव , घर के झरोखे में से होते हुए उसके बुर पड़ती तो, उसके बुर चीटीयां सी रेगनें लगती।
झरोखें में से आ रही हंवावों से; उसके बुर की घनी-धनी झांठो लहरा रही थी। माला ने एक बार सोचा की, वो अपनी साड़ी को नीचे कर ले, लेकीन झरोखे में से आ रही हल्की हंवायें; उसकी बुर को आनंद पहुचां रहे थे।
माला ने सोचा की, घर में सब सो रहे होगें; तो थोड़ी देर आज अपनी बुर को ठंढ़क पहुचां लूं। वैसे भी, लंड तो मीलने से रहा; तो क्यूं ना ईन हंवावों से ही अपनी बुर की गर्मी को शांत कर लूं।
यही सोचते हुए माला ने, अपनी टागें थोड़ी और खोल दी और झरोखे से आ रही हंवाओं का, अपनी आखां मूंदे, आनंद लेने लगी।
तभी, अचानक! मुन्ना कहीं से आ जाता है। वो जैसे ही, बरामदे में कदम रखता है; वो चौकं जाता है!!!
मुन्ना (चौकतें हुए) - बाप रे!
मुन्ना, इतनी जोर से चौकां की, उसके मुह से नीकली; बाप रे! की आवाज़, माला के कानो तक पहुचं गयी।
माला भी घबरा गयी! वो आवाज़ को पहेचान चुकी थी, की ये आवाज़; मुन्ना की ही है।
माला बहुत घबरा गयी थी। उसे कुछ, भी , समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे??
माला (सोचते हुऐ) - हाय भगवान! ये मुन्ना कहां से आ गया??
अब मैं क्या करुं?? अगर साड़ी नीचे खीसकायी तो, मुन्ना को लगेगा की, मै जाग रही हूं और मैने जान बुझ कर; अपनी साड़ी को कमर तक चढ़ायी है। फीर वो ना जाने मेरे बारे क्या सोचेगा?? इससे अच्छा होगा की, मैं ऐसे ही रहने दूं; ताकी उसे लगे की मैने जान बुझ कर नही कीया है।
लेकीन, हे भगवान! वो मेरी बुर देख रहा है, क्या करुं ??
कहीं मारे शर्म के; मै मर ना जाउं!!!
और इधर, मुन्ना की आँखे चौधीयाँ गयी थी। जीदंगी में पहली बार उसने बुर देखी थी और वो बुर देखते ही, अपने सोचने समझने की शक्ती खो चुका था।
मुन्ना(अपनी आखें फाड़े) - आह!! माला मौसी की बुर...कीतनी मस्त है। मन तो कर रहा है की, लंड नीकाल कर पूरा घुसा दूं इस रंडी के बुर में,
लेकीन, ऐसा कर नही सकता।