मैंने अपने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी, वो सिसक उठी और पागलों की तरह मेरे बालों को नोचने लगी। मैं अपनी ऊँगली उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत से निकाल कर अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। उसने मेरे सर को उसने अपनी चूत पर कस कर दबा लिया और अपने पैरों को मेरी गर्दन के चारों तरफ लपेट लिया और कुछ देर में वो झड़ गई !
दमा का दौरा | Dama ka Doura | Author Lalit
दमा का दौरा | Dama ka Doura :
मेरा नाम ललित है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं अपने ऑफिस से घर जा रहा था रास्ते में एक आदमी पड़ा हुआ था। मैं हिम्मत कर के उसके पास गया। उसको दमा का दौरा पड़ा था! वो अपनी जेब से कुछ निकलने की कोशिश कर रहा था! मैंने उसकी जेब से इन्हेलर निकलने में मदद की। इन्हेलर को मुँह में पम्प करने के कुछ देर बाद वो थोड़ा ठीक हुए और मुझे धन्यवाद कहा।
मैंने पूछा- अगर आपको कहीं जाना है तो मैं छोड़ दूँ, आपकी तबियत ठीक नहीं है, कहीं दोबारा से दौरा पड़ा तो कौन संभालेगा !
वो मेरी बात मान गए और मेरे साथ बाइक पर बैठ गए ! कुछ देर में मैं उनको लेकर उनके घर पर पहुंच गया। उन्होंने मुझे घर के अन्दर आने के लिए कहा, अपने परिवार वालों को सारी बात बताई। उनके परिवार वालों ने भी मुझे धन्यवाद कहा। फिर उन्होंने मुझे चाय पिलाई!
चाय उनकी बेटी ले कर आई थी। क्या बला की खूबसूरत थी, जो भी देख ले, बस देखता ही रह जाये ! फिगर 36 28 36 ! कसम से खुदा ने बहुत फुर्सत में बनाया होगा ! जैसे ही वो मेरी तरफ चाय बढ़ाने के लिए झुकी, मुझे उसके दो बड़े बड़े खरबूजों के दर्शन हुए! मन कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ ! पर मजबूर था !
अचानक उसके पापा के किसी दोस्त का फ़ोन आ गया, वो फ़ोन पर बात करने के लिए साथ वाले कमरे में चले गए। मुझे भी मौका मिल गया उनकी बेटी से बात करने का !
मैंने उससे पहले उसका नाम पूछा, उसने अपना नाम पूनम बताया, जैसा रूप-रंग वैसा नाम ! एकदम पूनम का चाँद !
बातों का सिलसिला चल निकला, मैंने उससे उसका मोबाइल नंबर माँगा तो उसने फ़ौरन अपना नंबर मुझे दे दिया और मैंने भी अपना नंबर उसको दे दिया। इतने में उसकी मम्मी ने अन्दर से उसको आवाज दी।
मैंने उसको कहा- मैं तुम्हें कल फ़ोन करूंगा !
फिर मैंने अंकल को कहा- अब मुझे चलना चाहिए, बहुत देर हो गई है। फिर मैं वहाँ से चला आया। सारे रास्ते मैं पूनम के बारे में सोचता रहा कि काश एक बार पूनम की चूत मिल जाये तो मैं निहाल हो जाऊंगा।
घर पर पहुंच कर खाना खाया और सोने चला गया। लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ ! मुझे तो हर तरफ सिर्फ वो ही नज़र आ रही थी। ख़ैर किसी तरह रात कटी, मैं सुबह जल्दी ऑफिस के लिए निकल गया। ऑफिस से मैंने उसको फ़ोन किया। जैसे ही मैंने हेल्लो कहा, उसने मेरी आवाज़ पहचान ली और कहा- मैं तुम्हारे फ़ोन का ही इंतजार कर रही थी, मुझे पता था कि तुम मुझे आज फ़ोन जरुर करोगे।
उसने कल जो मैंने उसके पापा की मदद की थी उसके लिए मेरा धन्यवाद किया और कहा कि वो अपने पापा से बहुत प्यार करती है।
फिर मैंने भी पूनम से कहा- पूनम, मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूँ अगर तुम मुझे गलत ना समझो तो कहूँ !
तो वो बोली- ललित जी, आप जो कहना चाहते हो, कह दो !
जैसे कि उसको पता था कि मैं क्या कहना चाहता हूँ !
मैंने कहा- मुझे तुमसे पहली नज़र में प्यार हो गया है, कल सारी रात मुझे नींद नहीं आई, सारी रात तुम्हारे बारे में ही सोचता रहा !
उसने मेरी सचाई की कदर करते हुए कहा- ललित, जो हाल तुम्हारा था रात को, वही मेरा था, मैं भी सारी रात सो नहीं सकी, बस तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी! मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है।
मेरे प्यार को जब उसने कबूल किया तो थोड़ी हिम्मत आई मुझमें, वरना उसको अपने प्यार का इज़हार करते वक़्त मेरी गांड फट रही थी। लेकिन अब कोई डर नही था, दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी ! अब तो रोज़ हम दोनों फ़ोन पर बातें करते और जब भी ऑफिस की छुट्टी होती तो मैं उससे मिलने उसको कॉलेज चला जाता ! कभी पिक्चर देखने तो कभी किसी रेस्टोरेंट जाने लगे ! रविवार के दिन हम दोनों ने कहीं बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाया।
तय वक्त पर मैं उसको अपनी बाइक पर ले कर लवर्स पार्क में (यानि बुद्धा गार्डन) पहुंचा और एक सुनसान से जगह पर, जहाँ कोई हमें तंग करने वाला नहीं था, बैठ कर बातें करने लगे ! बातों-बातों में मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई! धीरे धीरे मैंने उसकी जांघों पर अपना हाथ फेरना शुरू किया। उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई !
मैंने उससे पूछा- पूनम, क्या मैं तुम्हें चूम सकता हूँ ?