Notifications
Clear all

[Completed] रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar

5 Posts
1 Users
0 Likes
528 Views
Posts: 286
Topic starter
Reputable Member
Joined: 4 years ago

रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar

' हमारे सामने, रेंग साली कुतिया,' उन्होंने ने कहा, और मैंने वही किया। हाथों और घुटनों के बल, नंगे बदन, झुके सिर, स्तनों को लहराते, खुद को फर्श पर खींच कर लंबे बालों के साथ मैं उनके सामने रेंगने लगी। मैं रीडा खान, 25 वर्षीय, मायामी (Miami) U.S. से एक सफल युवा डिजाइनर और एक मुस्लिम लड़की, जिसे यकीन है अपनी क्षमता पर, किसी भी स्थिति से बहुत अच्छी तरह से निपट सकती हूँ।
जब तक उन्होंने रुकने को नहीं कहा, तब तक मैं उनके लिए सरेआम नंगी हो कर रेंगती रही।

उन्होंने मुझे वहां चार दिनों तक रखा। ये चार दिन मैंने कैसे काटे ये सिर्फ मै ही जानती हूँ, जैसे कोई जेहनुम में मुझे लेगाया हो और मुझे लगातार ज़लील किये जा रहा हो, में नहीं जानती किस गुनाह की सजा मुझे दी जा रही थी ।

रेंगने के बाद उन्होंने मुझे फर्श को चूम को कहा। पेट के बल, हाथों और पैरों को चौड़ा फलाये, किसी रंडी की तरह अपने होंठ से फर्श को चूमने लगी. अपनी जीभ बाहर करेके फर्श को चाट ने लगी, जैसे कोई लड़की अपने प्रमी के लिंग को चूमती है और वे सब लोग मुझे देख रहे थे, मेरी ज़लील होती जवानी का मज़ा ले रहे थे। वो लोग जैसे कहते में वही कर रही थी, सारी शर्म हाया भूल कर, भरी जवानी में सरेआम सबके सामने पूरी नंगी हो कर में फर्श पर इस तरह से आहें भर ने लगी जैसे की फर्श के साथ चुदा रही हूँ. वो लोग मुझे देख कर हँस रहे थे, मुझे गन्दी गालिया दे रहे थे, उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए जो भी हो सकता था वो सब करने के लिया मुझे मजबूर किया।

फिर मुझे लगने लगा कि वे मुझे अपनी उत्तेजना के लिए उपयोग करने के सारे तरीके आजमा चुके हैं, हर मुमकिन तरीके से मुझे ज़लील कर चुके हैं । चार दिनों तक वो सभी लोग मुझे लगातार चोदते रहे, हर उस चोदने के तरीके से जो उन्हें आता था या वो लोग जानते थे।

फिर जबकि उनके सरे तरीके ख़तम हो गये मुझे चोदने के और जब वो लोग मुझे हर मुमकिन व् नामुकिन तरीके से चोद चुके थे, तो उन्होंने मुझे ओर ज्यदा ज़लील करने लिए व् अपने मनोरंजन के तोर पर मेरी अन्दर की एक मुस्लिम लड़की को तोडना शुरू कर दिया। मुझे ज़लील होते हुए देखकर वो लोग अपनी योन शक्ति को जिन्दा रखते हुए बार बार मेरा बलात्कार कर रहे थे।

***

मैं अपनी छुटियाँ बिताने न्यू यार्क (New York) जा रही थी, अकेली अपने काम की सारी चिंता कुछ दिनों के लिए भूल कर थोडा आराम करना चाहती थी। मैं अपनी कार चला रही थी और किसी छोटे से शहर को पार करते ही मैंने पुलिस का सेरन siren सुना, वो लोग मुझे कार रोकने का इशारा कर रहे थे। मैंने जल्दी से कार सड़क के किनारे पार जा रोक दी।

एक पुलिस वाला मेरे पास आया और बोला,"आप स्पीड लिमिट से तेज जा रही थी"

मैं मना करते हुए कहा कि, "नहीं सर मैं तो ठीक स्पीड मैं चला रही थी"

तभी दूसरा पुलिस वाला भी आ गया और उसने कहा, "अपना ड्राइविंग लाइसेंसे दिखाइए" मैंने अपना ड्राइविंग लाइसेंसे उने दिया, लाइसेंसे

देखकर वो बोला," तो तुम मायामी (Miami)से हो, मुस्लिम! " ; उन लोगो की आवाज थोड़ी सकत हो गयी;

मैंने भी थोडा सकत होते हुए कहा,"हाँ ! मैं मायामी (Miami)से हूँ, मुस्लिम हूँ और मैं बिलकुल भी तेज गाडी नहीं चला रही थी"

पहेले पुलिस वाले ने कहा,"अपनी कार से बहार निकलो! "

मैंने कहा,"क्यों? मैंने क्या किया है"

तभी दूसरा बोला," चुपचाप कार से बहार निकलो, हमे ताकत आजमाने के लिए मजबूर मत कर"

"क्या मतलब है तुम्हारा", मैंने कहा

वो बोला," कहीं तुम्हारे पास ड्रग्स (drugs) तो नहीं है तभी बहार निकले से हिचकिचा रही हो"

मैंने कहा, "क्या बकवास कर रहे हो, मैं एक शरीफ़ लड़की हूँ"

उसने कहा, "कितनी शरीफ हो ये तो तलाशी के बाद पता चलेगा, इसकी गाडी की तलाशी लो"

मैंने कहा, "यह क्या कर रहे हो?"

तभी दूसरा बोला, "इसकी तलाशी भी लो!"

मैंने कहा कि तुम लोग एक लड़की तलाशी नहीं ले सकते।

हम दोनों तुम्हारी तलाशी लेंगे और वो लोग हँसे, फिर उन्होंने जबरजस्ती मुझे धक्का दे कर कार के साथ खड़ा कर दिया, मेरी टांगे चोडी करे खोल दी मेरे हाथ मेरे सर पर थे, वो लोग मेरे बदन को हर जगह छूने लगे; मेरे कंधे, मेरी पीठ, मेरी जांघ, मेरी कमर, मेरे कुल्हे, मेरी चूचियां यहाँ तक की मेरी चूत भी उनके हाथो से बच न पाई।

मैंने खुद को छुड़ाते हुए कहा, "बस बहुत हो गया, तुम लोग पुलिस वाले हो इसका ये मतलब नहीं है कि किसी भी शरीफ लड़की को सरेआम जलील कर सकते हो, मैं तुम्हारी सिकायत करूंगी तुमे छोडूगी नहीं "

तभी एक पुलिस वाला बोला,"ये लड़की एसे नहीं मानेगी इसको गिरफ्तार करते हैं, पुलिस कि ताकत देखना चाहती है"

मुझे कुछ ठीक सा नहीं लगा इसलिए मैंने माफ़ी मांगते हुए कहा कि,"देखो मैं कोई क़ानूनी मुसीबत नहीं चाहती, तुम मुझे बस जाने दो मैं आगे से गाडी धीरे चलाऊँगी"

लेकिन उन्होंने मरी बात न सुनते हुए कहा, "अब बहुत देर हो गयी तुजेह पुलिस की ताकत तो दिखनी पड़गी" और मुझे जबजस्ती हत्कड़ी पहना दी फिर मुझे पुलिस की गाडी में डाल का थाने ले जाने लगे।

मुझे पुलिस स्टेशन लाया गया; एक बड़ा कमरा, बहुत साफ नहीं है
एक मेज़, कुछ कुर्सियाँ, और किनारे के साथ कोठरियां थी
डेस्क के पीछे चीफ (chief), दो अन्य पुलिस वाले
व् दो कि जो मुझे लाया, यानि के कुल मिलकर सभी पांच लोग थे।
चीफ (chief) एक मोटा तगड़ा आदमी था और एक मोटी सिगार से धूम्रपान कर रहा था।
जैसे ही हम दरवाजे से अन्दर आय वो मुझे बद नज़र से देखने लगा

एक पुलिस वाला बोला," चीफ ! (chief) हमने सोचा कि तुम इस औरत को देखना चाहोगे, साली बहुत अकड़ रही है, हमने इसे तेज गाड़ी चलाते हुए पकड़ा, साली कुतिया मुसलमान है, केंताक्की से"

"हमें लगता है कि यह लड़की कुछ ड्रग्स(drugs) को ले जा रही है"

मैंने कहा, "'यह क्या बेहूदा मज़ाक है, मैं ड्रग्स(drugs) का उपयोग नहीं करती, नाही मैं तेजी से गाडी चला रही थी, और तुम मुझे इस तरह यहाँ लाने का कोई हक़ नहीं है, सही है! "

"चीफ, आप कृपया समझने की कोशिश करें और अपने लोगों से कहें कि मुझे जाने दें, ठीक है!"
उसने मुंह से सिगार बाहर निकाला, और मुझे एक पल के लिए देखा, फिर तो उसकी आँखे मेरे सारे जिस्म को ऊपर से नीचे तक धीरे धीरे देखने लगी, मुझे एसा लग रहा था जैसे मैंने उसके सामने बिलकुल नंगी खड़ी हूँ, भरी जवानी में नंगी, जितनी नंगी मैं पैदा हुई थी।
वो मेरे जिस्म को आँखे फाड़ फाड़ कर देख रहा था, मनो जैसे मन ही मन मेरे कपडे उतार रहा हो, मैं बहुत ही असहेज महेसूस कर रही थी, साथ ही अब मुझे कुछ डर सा भी लगने लगा था।
जिस तरह से वो लोग मुझे देख रहे थे, उन पुलिस वालों के चेहरे से...................
मुझे लगा रहा था कि वे मुझे परेशान कर सकते हैं।
या मुझे डराने की कोशिश कर रहे हैं, हाँ कुछ तो गड़बड़ थी, मैं एसा सोचा; "तो क्या हुआ अगर मैं एक जवान मुस्लिम लड़की हूँ, अकेली हूँ, लेकिन इससे ज्यदा ये लोग कुछ कर भी नहीं सकते, आखिर कानून नाम की चीज भी तो होती है"

चीफ ने कहा, "साली कुतिया सच में बहुत बोलती है, लेकिन दिखने में तो कमाल है"

मायामी (Miami) से है, यहाँ क्या करने आई है ?

मैंने कहा, "मैं यहाँ छुट्टी पर आई हूँ और आप मुझ से तमीज से बात करें, में कोई मुजरिम नहीं हूँ, चीफ!"

चीफ ने कहा, "मायामी (Miami) में आजकल भुत ही ज्यादा ड्रग्स (drugs) कारोबार होता है, क्यों ठीक कहे रहा हूँ न मैं"

तुम नशीली ड्रग्स (drugs) के व्यापार में हो लड़की! इसलिए यहाँ न्यू योर्क (New York) आई हो तुम।

मैंने हताश होते हुए कहा, "यह बिलकुल बकवास है! मैं किसी भी नशीले ड्रग्स (drugs) के बारे में कुछ भी नहीं जानती हूँ, मैं बस न्यू योर्क (New York) अपनी छुट्टी बिताने आई हूँ, आप के लोगो ने बिना वजह मुझे तेज गाड़ी चलाने के जुर्म में पकड़ लिया और यहाँ ले आये।

चीफ! सुनो, अगर तुम मुझे से कुछ भुगतान करवाना कहते हो तो ठीक है मुझे बतादो कितने पैसे देने होगें, मैं अभी सारा भुगतान दे देती हूँ ताकि में यहाँ से जा सकों, तुम लोग मुझे इस तरह से यहाँ नहीं रख सकते हैं, तुम्हें पता है, ये गैरकानूनी है, आप ये नहीं कर सकते।"
"बहुत कानून सिखा रही है साली! अभी बताता हूँ की मैं क्या कर सकता हूँ", चीफ बोला

चीफ खड़ा हो गया और बोला, "तुम लोग साले हमारे देश में आकर गंदगी फैलाते हो, हर चीज पर अपना ही राज़ समझने लगते हो तुम, तुमे तुम्हारी ओकात दिखाना मुझे बहुत अच्छे से आता है"

और क्योंकि तुम पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रही हो, तुमे इस बात की सजा मिलनी चाहिए, क्योंकि मैं एक पुलिस वाला हूँ इसलिए ये मेरा फर्ज है की तुमे तुम्हारे गुनाहों की सजा दों"

"तुमे देख कर ही पता लगता की तुम कोई न कोई गैरकानूनी काम करती हो, तुम ज़रूर कुछ छुपा रही हो, और मैं ये जान कर ही रहूँगा की वो क्या है"

फिर उसने अपने साथियों से कहा,"क्या तुम लोगों ने इस लड़की की कार की तलाशी ली"

"जी चीफ ! पर हमे कार में कुछ नहीं मिला, हमने रस्ते मैं इसके पर्स की भी तलाशी ली थी पर उसमे भी कुछ नहीं मिला", एक पुलिस वाले ने कहा

मैंने कहा, "ये गलत है, कानून के खिलाफ है"

"बेचारी! " चीफ़ ने कहा

फिर चीफ़ ने बदनीयती से मेरी तरफ देखते हुए कहा, "ठीक है! फिर तो बस एक ही जगह बचती है जहाँ तुम ड्रग्स छुपा सकती हो"

मैंने घबराते हुए बोली, "क्या मतलब है तुम्हारा"

चीफ़ ने शैतानियत से हँसते हुए कहा,"मतलब ! मतलब ये की तुम अपने जिस्म पे ड्रग्स (drugs) छुपा रही हो, तुम्हारे जैसी बाजारू रंडीयां अपने जवान खुबसूरत जिस्म का इस्तमाल करना खूब अच्छे से जानती हैं, क्यों मैंने ठीक कहा न"

"मुझे लगता है की हमे तुम्हारा इस खोबसूरत जवान जिस्म की तलाशी भी लेनी चाहिए"

मैं तो बस चकरा ही गयी, जैसे मेरे होश ही उड़ गए, मैं बोली, "देखो रुको अब बहुत हो गया, तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते, मैं एक इज्ज़तदार लड़की हूँ"

"मुहं बंद कर कुतिया", चीफ़ बोला "अब जल्दी से चुपचाप अपने बदन से एक - एक करके अपने सारे कपड़े उत्तारना शुरू कर, रंडी!"
मैं तो ये सुनते ही दंग रहे गयी, जैसे मेरे पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गई हो

"क्या ! क्या तुम - क्या कहा तुमने " मैं बोली

चीफ़ बोला, "ठीक सुना तूने, अभी के अभी हमारे सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जा, जितनी नंगी तू पैदा हुई थी"
या मेरे खुदा!, मैंने कहा," क्या तुम पागल हो गए हो, तुम ऐसा नहीं कर सकते एक लड़की के साथ, ये अमरीका है, ठीक ? बिना वारंट के तुम मेरी तलाशी नहीं ले सकते, मुझे यहाँ रख भी नहीं सकते ......."

चीफ मेरी तरफ आया और बोला,"वारंट ! कुतिया को वारंट चाहिए, अभी देता हूँ वारंट तुझे"

ये ले तेरा वारंट और उसने मेरे मुहं पर जोरदार थप्पड़ मारा दिया, थप्पड़ की मार से मैं ज़मीन पर जा गिरी, मैं दर्द के मारे साँस भी नहीं ले पा रही थी

मेरी तो सोचने समजने की ताकत ही जैसे ख़तम हो गयी थी, मैं सिर्फ ज़मीन पर पड़ी थी और मुस्किल से साँस लेने की कोशिश कर रही थी क्योंकि मेरे दिमाग को बहुत ही करार ज़टकालगा था।
सारे पुलिस वाले मुझे देख रहे थे

फिर चीफ बोला, "क्यों कैसे लगा वारंट, काफी था न तेरे लिए, मेरा ये खास वारंट, चल अब जल्दी से अपने कपडे उतार कर नंगी होना शुरू कर"

मैं दर्द से मरी जा रही थी और साथ ही गुस्से से पागल भी हो गई थी, मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, जैसे तैसे मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और लड़खड़ाते हुए खड़े होने की कोशिश करे लगी।

जब मैं खड़ी हुई तो मैंने देखा की सारे पुलिस वाले मुझे गूर रहे थे

मैंने कहा, "भाड़ में जाओ तुम, तुम सभी लोग भाड़ मैं जाओ; "मेरी आवाज़ मैं दर्द साफ़ झलक रहा था

मैंने फिर कहा,"मैं नहीं जानती की तुम लोग खुद को क्या समजते हो, लेकिन मैं तुमे छोडूंगी नहीं, तुमे कोई हक़ नहीं है मुझे इस तरह से ज़लील करने का, मैं तुम लोगों के खिलाफ शिकायत करूंगी, तुम सभी लोग पागल हो चुके हो, मैं तुम सभी को जेल जाते हुए देखूंगी"
चीफ़ ने अपना सर हिलाया और उसके बाद उसने मुझे फिर से एक जोरदार थप्पड़ मार दिया और मैं फिर से ज़मीन पर जा गिरी, अब की बार तो मुझे ऐसा लगा की मैं मर ही जाऊँगी, मैं दर्द से तड़पने लगी, मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा बहुत ही मुश्किल से मैं खुद को बेहोश होने से रोक पाई।

मुझे तो पता ही नहीं चला की मैं कितनी देर तक वहां ज़मीन पर पड़ी रही, धीरे धीरे मैं फिर से होश में आने लगी तभी मैंने देखा की चीफ मेरी तरफ आ रहा था

चीफ बोला, "चल उठ, जल्दी कर कुतिया, सारा दिन नहीं है मेरे पास"

To be Continued

Reply
4 Replies





Posts: 286
Topic starter
Reputable Member
Joined: 4 years ago

चीफ़ ने अपना सर हिलाया और उसके बाद उसने मुझे फिर से एक जोरदार थप्पड़ मार दिया और मैं फिर से ज़मीन पर जा गिरी, अब की बार तो मुझे ऐसा लगा की मैं मर ही जाऊँगी, मैं दर्द से तड़पने लगी, मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा बहुत ही मुश्किल से मैं खुद को बेहोश होने से रोक पाई।

मुझे तो पता ही नहीं चला की मैं कितनी देर तक वहां ज़मीन पर पड़ी रही, धीरे धीरे मैं फिर से होश में आने लगी तभी मैंने देखा की चीफ मेरी तरफ आ रहा था

चीफ बोला, "चल उठ, जल्दी कर कुतिया, सारा दिन नहीं है मेरे पास"

रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar | Update 2

गतांक से आगे................................

मैंने धीरे से उठने की कोशिश की, पहेले घुटनों के बल फिर दोनों हाथों का सहारा लेकर मैं खड़ी होने लगी, मेरे बदन दर्द से टूट रहा था, मेरे जिस्म में खड़े होने की ताकत भी नहीं थी।

तभी एक पुलिस वाला बोला, " चीफ अगर आप कहे तो मैं उठने में इसकी मदद कर देता हूँ"

फिर उसने मुझे मेरे बालो से पकड़ कर मुझे खींचकर उठाना शुरू किया, उसने मुझे बालों को इतना कसकर खींच रखा था की दर्द के कारण मैं चीखने लगी, मैं खुद को छुडवाने की कोशिश करने लगी और चिल्लाने लगी पर उसने मुझे नहीं छोड़ा, मजबूर होकर मुझे अपने पैरों की अँगुलियों पर खड़ा होना पड़ा, मेरा सारा बदन दर्द से कराहने लगा।

चीफ ठीक मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और बोला, "हम लोग ही कानून हूँ यहाँ पर और इस कुतिया को कानून की इज्ज़त करना सीखना होगा, मैं तुझे सिखाता हूँ की कानून की इज्ज़त कैसे करते हैं"

और फिर वो सभी लोग जोर-जोर से हंसने लगे वहीँ मैं दर्द के कारण अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी।
उसके बाद चीफ ने एकदम से अपने हाथ से मेरे स्तन को पकड़ लिया, मेरा मन करा की मैं उसके मुहं पर थूक दों या फिर उसे ऐसी जगह लात मारूं जहाँ उसे सबसे ज्यादा दर्द हो लेकिन मैं डर की वजह से ऐसा कुछ भी नहीं कर पाई।

उसने कहा," क्या बात है! "

फिर उसने मेरी चुच्ची को अपने हाथ से जोर से मसलने लगा, मेरी दर्द से जान ही निकल गई, मैं उसके सामने गिडगिडाने लगी।

उसने मुझसे कहा, "अब अगर तो चुपचाप वो करेगी जो मैं कहेता हूँ, तो तुझे ज्यादा तकलीफ नहीं झेलनी पड़ेगी, हमे तेरे साथ जबरजस्ती करने पर मजबूर मत कर, हम लोग सिर्फ कानून का काम कर रहे हैं और तुझे भी कानून का साथ देना चाहिए"

"मैं फिर से एक बार प्यार से बोल रहा हूँ, तू खुद अपने जिस्म से कपड़े उतारकर नंगी हो जा, नहीं तो!...

और उसने मेरी चुच्ची को फिर से मसलना शुरू कर दिया मैं और ज्यादा दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती थी
वो लोग जीत गए और मैंने रोते हुए कहा, " ठीक है! ठीक है! मैं अपने कपड़े उतार देती हूँ पर मुझे और मत मारो मैं कपड़े उतारती हूँ" और मैं रोने लगी।

फिर चीफ ने हँसते हुए मेरी चुच्ची को आखरी बार मसला और मेरी चुच्ची को छोड़ दिया फिर उसने दुसरे पुलिस वाले को भी मेरे बालों को छोड़ने को कहा

फिर चीफ़ जाकर अपने डेस्क पर बैठ गया और बाकि लोग भी मुझसे दूर हट गए, उन सभी की निगाहों में हवस दिखाई दे रही थी। मैंने देखा की वहां मोजूद पुलिस वालों में से एक पुलिस वाला मुझसे कम उम्र का था, शायद ये कुछ अटपटा सा लगे पर अब मैं उन लोगों के चहरे साफ़-साफ़ ठीक से देखने लगी थी, हालाँकि मैं दर्द और डर दोनों से ही घिरी थी और शायद अभी भी हकीकत पर यकीन नहीं कर पा रही थी या खुद को तस्हली देने की कोशिश कर रही थी।

तभी चीफ़ ने कहा, " चल साली कुतिया ! अब अपने कपडे उतारना शुरू कर, कब तक शर्माती रहेगी"

मुझे लग रहा था जैसे की मैं कोई बुरा ख्वाभ या सपना देख रही हूँ, लेकिन नहीं ये सब कुछ एक सच था, किसी बुरे ख्वाब से कई ज्यादा डरावना। ये मेरे साथ क्या हो रहा, अभी कल तक तो मैं एक खुशहाल जिन्दगी जी रही थी, अच्छी नौकरी व् अच्छी कमाई, मेरे अपना एक घर है और मेरे कई सारे अच्छे दोस्त भी हैं। एक लड़का जिससे मैं प्यार करती हूँ और वो भी मुझे दिलो जान से चाहता है, कुछ ही दिनों में हमारा निकाह होने वाले है, मैं इस दुनिया में अपनी ही एक जन्नत में रहेती थी, लेकिन मैं यहाँ कैसे आ गयी, सब कुछ कैसे बदल गया, मेरी जन्नत एक डरावने दर्दनाक जेहनूम में कैसे तब्दील हो गई। मैं तो बस कुछ दिन छुट्टियाँ बिताना चाहती थी पर यहाँ तो मैं दर्द से तड़प रही हूँ और ये लोग क्या कर रहे हैं मेरे साथ, जरा भी रहम, ईमान नहीं! जो इन्तजार कर रहे हैं की मैं अपने जिस्म से सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाऊं, इनकी हवस भारी आँखों के सामने अपनी जवानी और जवाँ जिस्म की सरेआम नंगी नुमाइश करों, खुद को एक बाजरू रंडी की तरह नीलाम करके इन लोगों की आँखे गरम करों नहीं! ये सब क्यों हो रहा है मेरे साथ, ये मेरे खुदा! मुझे बक्श दे

तभी चीफ़ गुस्से से बोला, "और कितना इन्जार करवाएगी, कुतिया, खुद नंगी होगी या सरेआम अपने कपड़े फाड़वा कर नंगी होना चाहती है"

"अपने जिस्म से कपड़े उतार"

मैं तो हिल भी नहीं पा रही थी, जैसे तैसे करके मैंने अपने हाथ उठाकर अपने स्वेटर को उत्तारना शुरू किया, मैं शर्म के कारण सर भी नहीं उठा पा रही थी, मेरे चहेरा शर्म से लाल हो गया था और डर व् गुस्से के कारण मेरी सांसे भी तेज हो गई, मैंने अपना स्वेटर उतार कर धीरे से जमीन पर रख दिया, मैं अपने हाथों से अपनी चोली छुपाने की कोशिश करने लगी, खुद को अभी से नंगी महेसूस कर रही थी, मैं जानती थी की यह लोग मेरे साथ और ज्यादा बुरा कर सकते हैं, आगाज तो मैं देख ही चुकी थी। मैं आंसू पोछते हुए धीरे से अपने जूते उतारने लगी ताकि अपनी पैंट उतार सकों सभी पुलिस वाले मुझे काफी उत्साह से देख रहे थी और मेरी नंगी होती जवानी का मजा लेने लगा, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था सिवाए उनके सामने नंगी होकर खुद को ज़लील करने के एलावा, मैं और मार खाना नहीं चाहती थी। मैंने अपने जूते उतार दिए, मुझे ऐसा लगने लगा जैसे समय भी रुक कर मुझे शर्मिंदा होते हुए देखना चाहता है, मेरी आँखों से आंसू रोके नहीं रुक रहे थे, मैं शर्म से गड़ी जा रही थी। फिर मैंने धीरे से अपनी पैंट का बटन खोला, उसके बाद हिम्मत करके जिप खोलनी शुरू की, चीफ़ और उसके लोग बड़ी ही एकाग्रता से मेरी तरफ देख रहे थे, फिर धीरे से मैंने अपनी पैंट खोल कर उतार दी और अपने स्वेटर के पास ही फैंक दी। अब मैं वहां मोजूद पांच मर्दों के सामने सिर्फ छोटी-छोटी सी चड्डी व् चोली में अधनंगी होकर खड़ी अपनी शर्मसार होती जवानी को अपने दोनों हाथों से छुपाने की कोशिश करते हुए शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी।

मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी की मुझे कभी सरेआम, इस तरह से अजनबियों के सामने भरी जवानी में लगभग नंगी होकर खड़ा होना पड़ेगा, लेकिन मैं खड़ी थी, अपना सर झुकाए उन लोगों के हवस भरी आँखों के सामने अपनी जवानी को नंगी करके खुद को ज़लील कर रही थी मैं, मेरा आत्मविश्वास तो जैसे मर ही चूका था।

फिर मैं खुद को और ज्यादा ज़लील होने से बचाने के कोशिश करने लगी, शायद ही उन्हें मेरे ऊपर कुछ तरस आ जाये, मैं वहां पर उन सभी मर्दों के सामने केवल छोटी छोटी सी पारदर्शी चड्डी और चोली पहने खड़ी थी अपनी शर्मिंदा होती नंगी जावनी को अनजान मर्दों की हवस भरी निगाहों से छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी, मेरी छोटी से पारदर्शी चोली मेरी नंगी होती जवानी से कसी हुई चुच्चियों को बहुत ही मुश्किल से छुपा पा रही थी वहीँ मेरी छोटी सी पारदर्शी चड्डी भी मेरी जवानी उभरी हुई चिकिनी चूत को सरेआम नंगी होने की शर्म से बचाने में कुछ ज्यदा कामियाब नहीं हो पा रही थी।
मुझे लगा क्योंकि मैं उन लोगों के सामने लगभग नंगी ही हो गई हूँ तो अब वो लोग देख सकते हैं की मैं कोई ड्रग्स नहीं छुपा रही हूँ और शायद वो लोग मुझे जाने दे हालाकि ये बहुत ही मुश्किल लग रहा था की वो लोग मुझे जाने देंगे फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत कर के जैसे ही बोलने की कोशिश की, वैसे ही चीफ़ ने चिल्लाते हुए मुझे चुप करा दिया।

और फिर चीफ़, "अपने जिस्म से सब कुछ उतार कर नंगी हो जा जितनी नंगी तू पैदा हुई थी"

मेरी तो आँखे ही भर आई, भरी जवानी में नंगी हो जाऊं जितनी नंगी मैं पैदा हुई थी, वो भी अंजाने मर्दों की हवस भरी निगाहों के सामने सरेआम मेरी आँखों से आंसू पानी की तरह बहने लगे।

मैंने धीरे से अपने कांपते हुए हाथों को अपनी पीठ पर अपनी चोली के हुक पर लगाया और धीरे से चुली का हुक खोल दिया फिर अपने हाथों को अपने दोनों कन्धों पर लाकर मैंने धीरे से अपनी चोली नीचे की तरफ उतारते हुए अपनी जवान कसी हुई चुच्चियाँ उन लोगो के सामने नंगी कर दी, जैसे ही मेरी नंगी चूचियां उन्हें दिखने लगी उन्होंने सीटियाँ बजाना शुरू कर दिया और मेरी ज़लील होती नंगी जवानी का मजा लेने लगे।

मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और अपने हाथों को अपनी पतली कमर के पास अपनी छोटी सी चड्डी में डाला और धीरे से खींचते हुए चड्डी को जांघो से घुटनों तक और फिर झुकते हुए मैंने अपने पैरों से पंजों तक लेजाकर अपनी चड्डी को उतार दिया और अपनी चिकिनी गुलाबी उभरी हुई जवान चूत भी उनकी हवस भरी आँखों के सामने नंगी कर दी साथ ही खुद को इस तरह से सरेआम पूरी नंगी होकर ज़लील करते हुए मैंने उनकी हवस की आग और भी ज्यादा भड़का दी।

अब में रीडा खान, 25 साल की जवान लड़की उन सभी अनजान मर्दों के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी थी, जितनी नंगी में पैदा हुई थी, और वो सभी लोग अपनी हवस भरी बड़ी बड़ी आँखों से मेरे सारे जिस्म को ऊपर से नीचे तक हर अंग को निहार कर गूर रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं हमेशा के लिए ही नंगी हो गई हूँ सारे जहान के सामने, सरेआम!
जैसे जैसे उनके लिए मैं अपनी जावनी की नंगी नुमाइश करती मेरी आँखे आंसू से भर जाती लेकिन मैं आंसू पोंछ कर खुद को संभल लेती क्योंकि मैं उन लोगो के सामने और नहीं रोना चाहती थी, मैं बस इंतज़ार कर रही थी की कब ये सब ख़त्म होगा. वो लोग मुझे भरी जवानी में पूरी नंगी कर के ज़लील तो कर चुके हैं, इससे ज्यादा और क्या कर सकते हैं शायद अब ये लोग मुझे जाने देंगे।

मैं वहां पर सरेआम नंगी होकर खड़ी रही अपने जवां जिस्म की शमिन्दा होते हुए भी बेशर्मी से नंगी नुमाइश करती रही, उन सभी मर्दों की बेदर्द हवस भरी आँखों के सामने मैं नंगी खड़ी रही।

फिर चीफ बोला, "पीछे मुड़ कुतिया!"

और मैं पीछे मुड़ गई, जिससे मेरी नंगी गोरी पीठ और गोल कसे हुए कूल्हों की नंगी नुमाइश भी हो गई फिर चीफ ने मुझे चलने का हुक्म दिया, मेरी शर्म अबतक हर हद पर कर चुकी थी, शायद ही मैं कभी इतना ज़लील हुई होंगी जितना मैं अब महेसूस कर रही थी। मैं नंगी होकर उन सभी के सामने पुलिस थाने में एक कोने से दुसरे कोने तक घुमने लगी, चलने लगी। हवा के झोके मेरे सारे बदन को चूम रहे थे हर अंग को छु रहे थे और मुझे नंगी होने का एसास कराने लगे थे लेकिन मैं बेबस थी, कुछ नहीं कर सकती थी।

मुझे एसास हो रहा था की चलते वकत मेरी नंगी चूचियां लहेरा रही हैं और मेरी दोनों गुलाबी निपल ठंडी हवा व् शर्म के कारण सकत होने लगी थी, वहां मजूद सभी मर्दों की गन्दी नज़र जो के मेरे जिस्म को हर तरफ से देख कर निहाल हो रही थीं कि कैसे जब मैं चलती हूँ तो मेरी दोनों नंगी गोरी कसी हुई चुतड अपने आप ही ठुमकने लगती हैं, साथ ही वो लोग देख रहे थे कि जब भी मैं चलती हूँ तो कैसे मेरी चिकनी नंगी गुलाबी चूत मेरी दोनों गोरी जांघो के बीच में अन्दर ही अन्दर खुद को रगड़ ने लगती है, वो सभी लोग मेरे हर अंग को देख रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन सभी की हवस भरी गन्दी आंखे मेरे नंगे जिस्म के हर अंग का बलात्कार कर रहीं हैं लेकिन फिर भी मैं उन लोगों के सामने सरेआम नंगी होकर सर झुकाए यहाँ से वहां तक सारे कमरे में घूमते हुए चलते हुए खुद को ज़लील करती रही, जब तक की चीफ़ ने मुझे रुकने का हुक्म नहीं दिया, मैं सिर्फ सर झुकाए अपनी जवानी की और अपने जवां जिस्म की नंगी नुमाइश करती रही।

फिर चीफ़ ने मुझे रुकने को कहा, मैंने अपने मन में सोंचा, "बस खुदा और नहीं, मुझे बक्श दे, मुझे इन जालिमो से बचा ले, ये मेरे खुदा! "

तभी एक पुलिस वाला बोला, "चीफ़ मजा आ गया! , हम सब तो गरम हो गए हैं, चलो इस कुतिया को चोदते हैं"
ये सुनकर मैं डर से कांपने लगी, चीफ़ और बाकी पुलिस वालों की आँखों की हवस पूरे चरम पे थी, वो लोग मुझे भोखे भेडियों की तरह देख ने लगे, जैसे भेड़िये अपने शिकार को देखते हैं, उन लोगों की उतेजना भरी भयानक आवाजें सुनकर ही मेरी सांसे थमी जा रही थी, और आखिरकार मैंने हिम्मत कर करके चीफ़ की आँखों में देखा. वो मुझे देख कर बड़े ही गंदे अंदाज़ में मुस्कुराया और मैं समझ गई की अब मेरा बलात्कार होने वाला है।

मैं अपना दिमाग ठंडा रख कर सोचने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन मुझे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था, खुद को बलात्कार से बचाने का मैं जानती थी की उन लोगों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफी है क्योंकि वो लोग हवस में पूरी तरह से अंधे हो चुके थे, अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं हैं, क्या मुझे अपनी इज्जत बचाने के लिए लड़ना चाहिए? क्या मुझे इन लोगों को मेरा बलात्कार करने से रुकना चाहिए? हाँ बिलकुल लेकिन ये हवस की आग में अंधे पांच-पांच मर्द और मैं अकेली लड़की, डरी हुई और पूरी नंगी; अगर मैं लड़ने की कोशिश करती हूँ तो इन्हें मुझपर काबू पाने में ज्यदा समय नहीं लगेगा और फिर ये लोग मुझे और भी ज्यादा मजे से चोदेंगे।

नहीं मैं इन लोगों से लड़ तो नहीं सकती तो क्या मुझे सचाई का सामना ही कर लेना चाहिए और जो हो रहा है उसे होने देना चाहिए, उन सभी लोगों को मेरे मेरे जिस्म से खेलने दों, क्या मुझे चुप चाप ये सब कबूल कर लेना चाहिए? हाँ यही ठीक होगा इस समय, ये लोग मेरे बलात्कार करना चाहते हैं, अपनी हवस की आग को मेरे खोबसूरत जवां जिस्म से ठंडा करना चाहते हैं और फिर ये लोग मुझे जाने देंगें।

मैं नए सिरे से अपनी जिन्दगी शुरू कर लुंगी, इस सब को एक बुरा सपना समझ कर भुलाने की कोशिश करुँगी क्योंकि इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं है लेकिन ये सब बहुत मुश्किल है कैसे कर पाऊँगी मैं............

तभी चीफ़ बोला, "क्यों रंडी! तूने सुना, तेरी इस नंगी जवानी और तेरे इस जिस्म ने मेरे लडको को गर्म कर दिया है, अब ये सब मिलकर तुझे चोदना चाहते हैं और मैं भी तुझे सबक सिखाना चाहता हूँ"

"अब तू सोच ले अगर खुद अपनी मर्ज़ी से एक बाजारू कुतिया की तरह चुदेगी तो तुझे भी मज़ा आएगा और बाद में हम तुझे जाने भी देंगे, लेकिन अगर तूने ऐसा नहीं किया, तो फिर हम लोग तेरा वो हाल करेंगे कि तुझे अपने पैदा होने पर भी अफ़सोस होगा"

"क्यों समझ गई कुतिया!"

मैंने बहुत ही मुश्किल से हिम्मत करते हुए अपने दिल पर पत्थर रख कर धीरे से अपना सर झुका कर हामीं भर दी, कि वो लोग मेरा बलात्कार कर लें, मैं और कर भी क्या सकती थी. मैंने खुद को समझाते हुए खुद से कहा कि मेरे जिस्म से खेल लेने के बाद ये लोग मुझे जाने देंगे, मुझे और कुछ नहीं चाहिए, बस मैं यहाँ से जाना चाहती हूँ।

To be Continued

Reply





Posts: 286
Topic starter
Reputable Member
Joined: 4 years ago

"अब तू सोच ले अगर खुद अपनी मर्ज़ी से एक बाजारू कुतिया की तरह चुदेगी तो तुझे भी मज़ा आएगा और बाद में हम तुझे जाने भी देंगे, लेकिन अगर तूने ऐसा नहीं किया, तो फिर हम लोग तेरा वो हाल करेंगे कि तुझे अपने पैदा होने पर भी अफ़सोस होगा"

"क्यों समझ गई कुतिया!"

मैंने बहुत ही मुश्किल से हिम्मत करते हुए अपने दिल पर पत्थर रख कर धीरे से अपना सर झुका कर हामीं भर दी, कि वो लोग मेरा बलात्कार कर लें, मैं और कर भी क्या सकती थी. मैंने खुद को समझाते हुए खुद से कहा कि मेरे जिस्म से खेल लेने के बाद ये लोग मुझे जाने देंगे, मुझे और कुछ नहीं चाहिए, बस मैं यहाँ से जाना चाहती हूँ।

रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar | Update 3

गतांक से आगे................................

चीफ़ मेरे पास आया और बोला, "आज हम लोग तुझे अमरीकी कानून की मर्दानगी से वाकिफ़ कराएंगे, तुम लोग साले हमारे देश मैं आके अपनी मर्जी करते हो, आज मैं तुझे ऐसा सबक सिखाऊँगा जो तो कभी नहीं भूलेगी, बाजारू कुतिया!"
"सबसे पहले तो हम तेरे मुहँ में अपना लिंग डाल कर तुजेह अपना वीर्य का स्वाद चखाएंगे, चल अब जल्दी से अपने घुटनों पर बैठ कर मेरा लिंग अपने मुहँ में डालकर चुसना शुरू कर"

मैं इसकेलिए तैयार नहीं थी, मुझे तो लगा था कि ये लोग बस मेरी चूत को चोदेंगे और मैं इसी के लिये ही खुद को हिम्मत कर के तैयार किया था, क्योंकि उन लोगों को मुझे चोदना तो हर हाल में ही था, पर मैं उन लोगों के लिंग मुहँ मैं लेना, नहीं मैं ये नहीं कर पाऊँगी

मैं कुछ सोच पाती या खुद को मजबूर कर पाती, उससे पहले ही चीफ़ जो फिर से गुस्से में आ गया था, एक दम से बोल पड़ा, "साली कुतिया !, बाजारू मुस्लिम रंडी !, मुझे लगा था कि अब तक तू अपनी औकात से वाकिफ़ हो गई होगी, लेकिन नहीं तुजेह अभी और सबक सिखाना पड़ेगा"

"तुजे अमरीकी पुलिस वालों कि इज्ज़त करना सिखाने के लिए मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा, मुस्लिम कुतिया!, मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तू हमारे लिंग अपने मुहँ में लेने भीख मांगेगी, रंडी! . जो हम कहेंगे वो तू बाजारू कुतिया कि तरह करने लगेगी, अपने ही मुहँ से कहेगी कि मुस्लिम औरतें सबसे ज्यादा गिरी हुई बाजारू औरतें होती हैं, तू हमसे भीख मांगेगी कि हम तेरा बलात्कार करें, भीख मांगेगी तू"

मुझे डर से कांपने लगी, मुझे लगा मैं उनसे माफ़ी मांग लूँ और उनके लिंग अपने मुहँ मैं लेकर खुद को एक गिरी हुई मुस्लिम बाजारू कुतिया साबित कर दूँ, लेकिन डर, गुस्से और शर्म के कारण मैं कुछ भी ठीक से बोल नहीं पा रही थी।

फिर चीफ़ अपने लोगों से बोला, "इस कुतिया को कोठरी में हथकड़ी डाल कर बांधो, चाबुक की मार नंगे जिस्म पर पड़ते ही रंडी की सारी अकड़ मूत के साथ चूत से ही निकल जाएगी, ले जाओ कुतिया को"

अब तो बस मेरे डर के मारे पसीने ही छुट गए, मैंने कहा,"रुको!, रुक जाओ! खुदा के लिए रुक जाओ........."

लेकिन उन लोगों ने मेरी एक न सुनी और मुझे बालों से घसीटते हुए कोठरी में ले गए, जहां उन्होंने मेरे हाथों में हथकड़ी डाल कर मेरे दोनों हाथ ऊपर की तरफ खींचकर बाँध दिए फिर एक एक हथकड़ी मेरे दोनों पैरों में डाल कर मेरी दोनों टांगें चोड़ी खोल कर बाँध दी। मेरा सारा जिस्म किसी कसी हुई तार की खिंच गया था, अब मेरी नंगी पीठ और नंगी चूतड़ चीफ़ के सामने थीं

चीफ़ बोला, "बहुत खूब लडकों! चलो अब इस कुतिया को सबक सिखाते हैं, चाबुक की मार पड़ते ही रंडी नंगी ही नाचने लगेगी"

मैं डर से काँप रही थी साथ ही मेरा सारा बदन खिचाव के दर्द से जूझ रहा था, तभी चीफ़ ने पास में रखा हुआ चाबुक उठा लिया, मैं अभी से ही कई गुना दर्द महेसूस करने लगी थी, मैंने टी.वी. और अखबार मैं देखा और सुना था कि किस तरह पुलिस वाले मुजरिम को चाबुक से मारते हैं, अब मैं सच में महेसूस भी करने वाली थी, मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और चाबुक की मार का इन्तजार करने लगी।

चीफ़ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, सारे कमरे मैं बिलकुल सन्नाटा छा गया, चीफ़ ने एक लम्बी सांस ली और फिर चाबुक को जोर से घुमाते हुए मेरी नंगी पीठ पर एक जोरदार वार किया पहले तो मुझे कुछ एसास नहीं हुआ लेकिन दुसरे ही पल मेरी नंगी पीठ चाबुक की मार से जलने लगी, मैंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, मैं रोने लगी, बांधे होने के कारण मैं ठीक से हिल भी नहीं सकती थी और चाबुक की मार पड़ते ही मैंने हिलने की कोशिश करते हुए खुद को और खिचाव के कारण और ज्यादा दर्द पहुचाने लगी, इतना दर्द जो की मेरी सोच से भी परे था

फिर चीफ़ बोला, "देखा लडकों, मैंने कहा था न कि ये रंडी नंगी ही नाचने लगेगी"
सभी लोग हंसने लगे

"क्यों कैसे लगा रहा है कुतिया, तेरी नंगी गोरी पीठ पर ये मार की लाल लकीर बहुत ही सुन्दर लग रही" और सभी लोग मज़े लेकर हंसने लगे

मैं दर्द से तड़प रही थी, चीफ़ ने कहा, "अब क्या बोलती है कुतिया हमारा लिंग अपने मुहं में लेगी या नहीं"
मैंने दर्द से बिलक रही थी, मुझ में और दर्द सहन करने की ताकत नहीं थी, हार तो मैं पहले चुकी थी इस लिए मैं उन लोगों के लिंग अपने मुहं में लेने को राज़ी हो गई, मैंने कहा, "हाँ चीफ़ मैं जो भी तुम कहोगे करुँगी, मुझे और मत मारो............."

चीफ़ हंसने लगा और फिर से एक लम्बी सांस लेते हुए उसने चाबुक को जोर से घुमाया और मेरी नंगी चूतड़ पर एक जोरदार वार किया, चाबुक की चोट की आवाज़ से ही उसकी मार के दर्द का एसास किया जा सकता था, मेरा सारा जिस्म फिर से दर्द की आग में जलने लगा, मुझे अपने नंगी चूतड़ों पर दर्दनाक चीस महसूस हो रही थी, मैं रो रो कर जोर से चिल्ल्ला रही थी और वो लोग मुझ पर हंस रहे थे, मैं और मार खाना नहीं चाहती थी।

मैंने फिर से रोते हुए कहा, "चीफ़ मुझे मत मरो! मैं वो सब करूंगी जो भी आप कहोगे, मैं सब के लिंग अपने मुहं में ले लुंगी! , चीफ़ मैं भीख मांगती हूँ!'

"आप सभी लोग मुझे एक बाजारू रंडी की तरह चोदो, हाँ! मुझे चोदो"

" मैं पुलिस वालों से चुदवाने के लिए मरी जा रही हूँ, मुझे चोदो खुदा के लिए मुझे चोदो"

" चीफ़ मैं एक बाजारू कुतिया हूँ सारी मुस्लिम औरतें सबसे गिरी हुई बाजारू रंडियां होती हैं आज मैं ये साबित कर दूंगी,.................."

मैं खुद को ज़लील करने लगी ताकि वो मुझे और न मारे, मेरे अन्दर खड़े रहने की भी ताकत नहीं बची थी, मैं सिफ लटकी हुई थी और बंधे होने के खिंचाव के दर्द से मरी जा रही थी।

चीफ़ मेरे पास आया और मेरी बाल खींचकर मेरा मुहं अपनी तरफ मोड़कर मेरी आँखों में देखा और फिर हल्का सा हंसा, मेरी हालत देखकर उसे अंदाज़ा हो गया था की अब मैं और ज्यादा नहीं लड़ने वाली हूँ मेरा रोम रोम दर्द से हार कर चीफ़ के हुक्म का महुताज़ हो गया है, चीफ़ जीत चूका था, उसने मुझ पर पूरी तरह से काबू कर लिया था और मैं खुद को हार चुकी थी,

मैंने दर्द से कर्राते हुए कहा, "चीफ़ मुझे चोदो, खुदा के लिए मुझे चोदो, आप जो कहेंगे मैं करुँगी"

चीफ़ बोला, "बहुत खूब, कुतिया!"

चीफ़ वापिस चला गया और फिर से उसने चाबुक उठा लिया, मैं इतना ज्यादा डर गई की वहीँ सबके सामने मेरा पेशाब निकल गया, सब लोग मेरी इस शमिन्दा होती बेबसी पर हँसे लगे लेकिन चीफ़ ने फिर चाबुक को घुमाया और एक जोरदार वार किया जिसकी मार मेरी नंगी पीठ से लेकर मेरी नंगी चूतड़ तक गई मैं फिर से दर्दनाक आवाज़ में जोर से चिल्लाई लेकिन वो लोग हंसते रहे, फिर किसी ने मेरी हथकड़ियाँ खोल दीं और मैं ज़मीन पर फैले अपने ही पेशाब पर गिर गई।
मुझे घसीट कर चीफ़ के पास ले जाया गया, चीफ़ ने मुझे बालों से खींच कर उठाया, मैं घुटनों पर चीफ़ के सामने बैठ गई,

चीफ़ ने अपनी पतलून की ज़िप खोली और अपना लम्बा सा लिंग निकला और बोला, "चल कुतिया! अब हमे खुश कर दे, हम देखना चाहते हैं की मुस्लिम लड़कियां कितनी अच्छी बाजारू रंडी हो सकती हैं"

उसने अपना लिंग मेरे होंटों के पास लगाया, मैंने अपना मुहं खोल कर उसका लिंग अपने मुहं में ले लिया और उसके लिंग को चूसने लगी, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी उसे पुरे मज़े देने की, खुद को एक असली बाजारू रंडी साबित करते हुए।

मैं फिर से चाबुक की मार चखना नहीं चाहती थी, भले ही मुझे खुद को कितना ही ज़लील क्यों न करना पड़े, मैं उसकी गुलाम ही बन गई थी और शायद यही मुझे और ज्यादा दर्द झेलने से बचा सकता था, मैं उसका हार हुक्म मानु यही तो वो चाहता है, मैं चीफ़ का लिंग चूसती रही जब तक की उसने वीर्य नहीं छोड़ा फिर कुछ देर बाद उसना मेरे मुहं में ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया, उसने मुझे सारा वीर्य पीने को कहा और मैं वही किया मैंने उसका सारा वीर्य घोंट लिया हालाँकि मुझे थोड़ी परेशानी जरुर हुई लेकिन मैंने ज़ाहिर नहीं होने दी चीफ़ के बाद बाकी सब भी अपना अपना लिंग चुस्वाने के लिए लाइन लगा के खड़े हो गए, मैंने उन सबके लिंग भी अपने मुहं में लेकर काफी अच्छे से चुसे जब तक की उन लोगों का वीर्य नहीं निकला, मैं उनके लिंग भी चूसती रही और वीर्य निकलने पर मैंने उन सबका वीर्य भी पीया बिना कोई नखरा दिखाए

उसके बाद चीफ़ फिर से एक बार अपना लिंग मेरे मुहं में डालने को तैयार खड़ा था, बोला, "आज तो मैं और मेरे लड़के तुझे पूरी रंडी बना देंगे"

मैंने फिर से उसका लिंग अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी, सारा वीर्य भी पीया.

फिर उसने मुझे पीठ के बल ज़मीन पर लिटा दिया, मेरी दोनों टाँगे खोब चोड़ी कर के खोल दी गई, जिससे की मेरी कमसिन गुलाबी चिकनी चूत भी पूरी तरह से खोल गई थी और चीफ़ के मोटे लिंग को दावत देने लगी, चीफ़ मेरे ऊपर लेट गया और उस ने अपना लम्बा व मोटा लिंग मेरी कसी हुई जवां चूत में घुसा दिया, दर्द के मरे मेरी चीख निकल गई, वो बड़ी ही बेदर्दी से मुझे चोदने लगा उसका हैवानो जैसा लिंग मेरी चूत को बहुत ही बुरी तरह से फाड़ता हुआ जटके दे कर मुझे चोद रहा था.

कुछ देर बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा कर, मुझे चोदने लगा, और मैं किसी गिरी हुई रंडी की तरह चिल्लाते हुए खुद को चुदवा रही थी.

काफी देर तक मुझे हार तर से चोदने के बाद चीफ़ ने मेरे सारे बदन पर अपना गर्म वीर्य छोड़ दिया,

उसके बाद मुझे बाकी पुलिस वालों ने भी हार तरह से चोद डाला, और मेरे जिस्म को अपने अपने गर्म चिपचिपे वीर्य से गीला कर दिया.

फिर पांच सात मिनट रुक वो सभी लोग मुझे फिर से चोदने लगे, मेरे जिस्म के साथ खेलने लगे जैसे की मैं कोई बेजान गुडिया हूँ, वो मुझे थप्पड़ मारते कभी मेरी चूचियां दबाते, कभी मेरी निपल खींचते तो कभी मेरी चूत में अंगुलियाँ डालते या मेरी चूत को नोचने लगते. मुझे खुद को गन्दी गालियाँ देने को कहते और जब मैं खुद को गालियाँ देकर ज़लील करती तो हंस हंस कर अपना मनोरंजन करते

फिर कुछ देर बाद वो सभी लोग मुझे दुबारा से चोदने को तयार थे, सबसे पहले चीफ़, मुझे कुतिया बना के मेरी चूत में चीफ़ ने अपना लिंग डाल कर मुझे चोदते हुए मेरी चूत फिर से फाड़ डाली. वो मेरी चूचियां मसलता, मेरी निपल खींचता, मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारता और मुझे गालियाँ देते हुए चोदने लगा जब तक की उसके लिंग से वीर्य नहीं निकल जाता. चीफ़ के बाद फिर से एक बार सभी पुलिस वालों ने मुझे कुतिया बना कर दुबारा से चोदना शुरू कर दिया, तभी एक पुलिस वाल जो मुझ से भी कम उम्र का था उसने मुझे बालों से खिंच कर पकड़ा और मेरे मुहं में अपना लिंग डाल दिया, अब मैं उसका लिंग भी चूस रही थी साथ ही अपनी चूत भी चुदवा रही थी.

फिर उन्होंने मेरी गांड में भी अपना लिंग डाल कर मेरी गांड भी फाड़ डाली, अब मुझे दो-दो तो कभी तीन तीन पुलिस वाले एक साथ चोदने लगे थे, मेरा अंग अंग दर्द में डोब गया लेकिन किसी को भी मुझ पर जरा भी रहम नहीं आया, वो लोग मुझे चोदते रहे बिना रुके और मैं भी सब कुछ करती रही, खुद को हर तरह चुदवा थी रही, ताकि मुझे हर तरह से चोदने के बाद, मेरी जिस्म से खेलने के बाद मुझे जाने देंगे.

लेकिन मेरी उम्मीद गलत साबित हुई, उन्होंने मुझे सारे दिन थाने में रखा और मुझे चोदते रहे, मेरा बलात्कार करते रहे, जब उनका मन भर गया तो उन्होंने मुझे पूरी नंगी ही रखते हुए थाने एक कोठरी में बंद कर दिया. मैं रोती रही चिल्लाती रही और उनसे कहती रही की मुझे जाने दो मैंने वो सब कुछ किया जो उन्होंने मुझसे कहा, लेकिन उन लोगों ने मेरी एक न सुनी. मैं बिलकुल ही टूट चुकी थी, अब तो मैं सोचने लगी थी की क्या मैं कभी यहाँ से निकल भी पाऊँगी, उन्होंने मुझे कुछ खाने को भी नहीं दिया सिर्फ पानी पीने की आज़ादी थी हालाँकि वो लोग खुद तो खाना भी खा रहे थे.

चीफ़ बोला, "कुतिया को भूखी रखेंगे तो ज्यादा अच्छी रंडी बन रहेगी"

काफी देर से मैं चुद रही थी और मुझे अब पेशाब भी आने लगा, बहुत देर तक तो मैं पेशाब रोकने की कोशिश करती रही पर जब और न रहा गया तो मैंने हिम्मत कर के एक पुलिस वाले से कहा की मुझे पेशाब करना है।

उसने मुझे कोठरी में ही पेशाब करने को कहा सबके सामने, मैं और ज्यादा पेशाब नहीं रोक सकती थी, मेरी चूत जलने लगी थी इसलिए मैं उन लोगों के सामने ही पेशाब करना पड़ा, उन्हूने मुझे टाँगे चोड़ी करके पेशाब करने को कहा ताकि वो लोग मेरी चूत से पेशाब निकलते हुए देख सकें, और एक जवान लड़की की नई तरह की शर्म का मज़ा ले सकें
फिर उन लोगों की शिफ्ट ख़त्म हो गई और वो लोग घर जाने लगे, मुझे लगा की आख़िरकार अब ये लोग मुझे छोड़ देंगे लेकिन नहीं उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा।

इन लोगो के भाईचारे की दाद देनी चाहिए, उन्होंने रात की शिफ्ट वाले लोगो को भी जिस्म से खेलने का मोका नहीं गवाने दिया। रात की शिफ्ट मैं तीन मर्द थे, एक कुछ 45 के आस पास का और दो 25, 26 साल के लग रहे थे

वो तीनो मुझे वहां पर पूरी नंगी पाके ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे थे, दिन की शिफ्ट वाले पुलिस वालों ने उन्हें बताया की मैं एक मुस्लिम लड़की हूँ और कैसे उन लोगों ने मुझे पकड़ा, मुझे सबक सिखाया, कानून और अमरीकी पुलिस वालों की इज्ज़त करना सिखाया, मुझे मेरी औकात दिखाई,

और अगर मैं कुछ गड़बड़ करती हूँ तो चाबुक का इस्तमाल कैसे करना है, सब कुछ बता कर दिन की शिफ्ट के पुलिस वाले अपने घर चले गए।

उनके जाते ही रात की शिफ्ट में आये पुलिस वालों ने मुझे चोदना शुरू कर दिया पहले एक एक करके फिर तीनो ने एक साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया, रात भर मेरा बलात्कार करते रहे, बाद में जब भी उनमें से जिसका भी मन करता वो मुझे चोद देता, मैं बिना कुछ कहे वो सब करती रही जो भी इन तीनो ने मुझे करने को कहा, इस बीच मैं कभी कभी थोडा सा सो भी जाती।

To be Continued

Reply





Posts: 286
Topic starter
Reputable Member
Joined: 4 years ago

उनके जाते ही रात की शिफ्ट में आये पुलिस वालों ने मुझे चोदना शुरू कर दिया पहले एक एक करके फिर तीनो ने एक साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया, रात भर मेरा बलात्कार करते रहे, बाद में जब भी उनमें से जिसका भी मन करता वो मुझे चोद देता, मैं बिना कुछ कहे वो सब करती रही जो भी इन तीनो ने मुझे करने को कहा, इस बीच मैं कभी कभी थोडा सा सो भी जाती।

रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar | Update 4

गतांक से आगे................................

अगली सुबह वही दिन की शिफ्ट के सभी पांच पुलिस वाले वापस आ गए, उन सभी लोगों ने नए जोश के साथ फिर से एक बार मेरा बलात्कार किया. बार बार मुझे हर तरह से चोद लेने के बाद अब जब धीरे धीरे उनका मेरे जिस्म के लिए जो आकर्षण था वो भी कम होने लगा था। दोपहर को जब वो लोग खाना खाने लगे तो मुझसे रहा नहीं गया, मैं बहुत देर से भूखी थी और लगातार कई मर्दों से चुद रही थी. मैंने उन लोगों से भीख माँगना शुरू कर दिया की मुझे कुछ खाने को तो दे दो।

खेर उन लोगों ने मुझे खाना तो दे दिया पर अपनी कुछ शर्तों पर, उन्होंने अपना बचा हुआ झूठा खाना ज़मीन पर मेरे सामने फ़ैक दिया और मुझसे एक असली कुतिया की तरह अपने दोनों हाथ व् दोनों पैरों के बल झुके हुए बैठ कर खाने को कहा। मैं इतनी ज्यादा भूखी थी की मैंने ज़मीन पर गिरे हुए खाने को ही खाना शुरू कर दिया बिना किसी बात की परवाह किये। उन लोगों का मनोरंजन करने के लिए मैं पूरी नंगी ही किसी असली कुतिया की तरह बैठ कर खुद को एक नए तरह से सरेआम ज़लील करते हुए खाना खाने लगी।

फिर उन्होंने मेरे हाथ हथकड़ी डाल कर पीछे बाँध दिए और मेरी तरफ खाने के टुकड़ों को हवा में उछालने लगे, मुझे उन टुकड़ों को खाने के लिए अपने मुहं से लपक ने को कहा गया, मैं वाही टुकड़े खा सकती थी जो मैं अपने मुहं में लपक पाती,ठीक किसी कुतिया की तरह , मेरी तो आँखों से आंसू झलक आये लेकिन मैंने अपनी पूरी कोशिश करके कुछ टुकड़ों को अपने मुहं में लपक ही लिया और साथ ही उन सभी लोगों के मनोरंजन के लिए खुद को तमाशा भी बना दिया।

थोड़ी देर बाद वो लोग कुछ और लोगों को भी लाया, शायद उनके कुछ दोस्त यार, ताकि वो भी मेरी मज़बूरी का मज़ा उठा सकें, उन लोगों का चहेरा देखकर लग रह था की वो लोग काफी उत्साहित थे, मुझे इस तरह से अनजान मर्दों के सामने, सरेआम सबके सामने भरी जवानी में पूरी नंगी होकर खुद को ज़लील करते हुए देखकर. उनमे भी हवस सवार हो गई, मेरी नंगी शर्म हर नए मर्द को देखकर बड़ने लगी जो की उन लोगों को एक नए तरह के मनोरंजन साथ मेरी तरफ आकर्षित करने लगी।

चीफ़ ने मुझे टेबल पर खड़ा कर दिया और सबके सामने पूरी नंगी ही नाचने को कहा, मैंने हिचकिचाते हुए नाचना शुरू कर दिया अपने जिस्म को लहेराते हुए बेशर्मी से अपने नंगे कूल्हों से ठुमके लगते हुए मैं उन लोगों के सामने पूरी नंगी ही अपनी जवानी की अश्लीलता से नुमाइश करने लगी

उस शाम वो लोग एक आदमी को पकड़ के लाये, जो की कुछ 60-61 साल का था, वो शराब के नशे में धुत था, बहुत ही गन्दा व् बदबूदार, वो नशे में कुछ बडबडा रहा था जिससे की मुझे पता चल गया की वो हिन्दू है।

उन लोगों ने मुझे उस आदमी से भी चुदवाने को कहा, मुझे इस बात से कोई खास फर्क नहीं पड़ा की वो मेरे बाप की उम्र का था या व एक हिन्दू था, मुसीबत तो ये थी की वो बहुत ही गन्दा और बदबूदार था साथ ही नशे में धुत भी था, मुझे खुद ही उसकी पतलून उतार कर उसका लिंग निकाल न पड़ा, क्योंकि वो नशे में था इसलिए मुझे उसके लिंग को खड़ा करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी, मैंने उसका लिंग भी अपने मुहं में लेकर चुसना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उसका लिंग भी खड़ा हो गया, मैं देख कर दंग थी कि उस आदमी का लिंग अब तक मुझे चोद चुके हर मर्द के लिंग से लम्बा और कई गुना मोटा भी था।

सारे पुलिस वाले मुझे उस आदमी से अपने प्रेमी की तरह चुदवाते हए देखकर मज़े लेने में लगे थे, मुझे खुद ही उस आदमी का लिंग अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालना पड़ा, मैं काफी कोशी कर रही थी कि वो मेरा साथ दे और मुझे छोड़ा शुरू करे लेकिन नशे में होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रहा था. फिर एक पुलिस वाले ने मुझे उस आदमी को चूमने को कहा, मैंने उसके होंटों पर अपने होंटों को रख कर अपनी जीभ से उसकी जीभ को चूसते हुए उस चूमने लगी। उसके मुहं से बहुत ज्यादा शराब की बू आ रही थी लेकिन मैंने नज़रंदाज़ करते हुए उसे चूमना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद वो आदमी भी मुझे चूमने लगा और फिर एकदम से वो मेरे ऊपर लेट गया, उसने मेरी दोनों टाँगे खोल कर मेरी चूत में अपना पूरा का पूरा लिंग डाल दिया और मुझे चोदने लगा, उस हिन्दू आदमी ने मेरी सबसे लम्बी और सबसे ज्यादा दर्दनाक चुदाई की, करीब पैंतालिस मिनट तक मेरी दर्दनाक चुदाई करने के बाद उसने मेरी चूत में ही अपना वीर्य छोड दिया।

फिर उस आदमी को भी मेरी ही कोठरी में डाल दिया ताकि अगर वो मुझे फिर चोदना चाहे तो चोद सके, मैं सारी रात उस आदमी के बदन से आती हुई बदबू के कारण सो भी नहीं पाई हालांकि मैं उन लोगों को दिखने के लिए उस आदमी के पास ही लेटी थी और उसके हाथ की अंगुलियाँ मैंने अपनी चूत में डाल रखी थी बीच बीच में उसका हाथ अपनी चुचियों पर भी फैरा दिया करती, ताकि पुलिस वालों को कोई शक न हो पाए।

सुबह होने पर पुलिस वालों ने उस आदमी को छोड़ दिया।

उसी रात, आधी रात के बाद, रात की शिफ्ट में आये उन्ही तीन पुलिस वालों ने अपने मनोरंजन के लिए मेरे साथ एक खेल भी खेला, उन्होंने प्रतियोगिता रखी की कौन मेरे मुहं में सबसे देर में वीर्य छोड़ता है, जो जीत जाएगा वो बाकी बची रात मुझे अकेले ही चोदेगा।

मैंने बारी बारी से तीनो पुलिस वालो के लिंग अपने मुहं मे डाल कर चुसे, मैंने अपनी पूरी कोशिश की उनका वीर्य निकलवाने के लिए, अपने होंट, अपनी जीभ अपने गाल जो भी हो सकता था मैंने किया, मैं पहले ही थकी हुई थी फिर भी तीनो लोगों ने वीर्य छोड़ने मैं काफी देर की, और आखिर मैं 45 साल का बड़ा पुलिस वाल जीत गया उसने करीब तीस मिनट बाद वीर्य छोड़ा था, मुझे बड़ी ही हैरानी हुई ये देख कर की वो दुबारा से इतनी जल्दी फिर तैयार था मुझे अकेले चोदने के लिए, कई घंटो तक बाकि बची रात में व मुझे बार बार चोदता रहा।

तीसरे दिन सुबह की शिफ्ट में आये पुलिस वाले अपने साथ एक असली कुत्ता भी ले आये और मुझे उस कुत्ते से चुदवाने को कहा गया।

मैं ये कैसे कर सकती हूँ, एक लड़की होकर एक कुत्ते से खुद को कैसे चुदवा सकती हूँ, मैंने चाबुक की मार के डर की वजह से वो सब कुछ किया जो भी मुझ से कहा गया मैं खुद को लगातार ज़लील करती रही, एक बाजारू रंडी की तरह हर किसी से चुदवाती रही, बिना कुछ कहे, बिना किसी गलती के इनकी दी हुई हर सजा को मैंने काबुल कर लिया ताकि ये लोग मुझे जाने दें, इन लोगों के मनोरंजन के लिए मैंने भरी जवानी में पूरी नंगी होकर अपने जिस्म से इन लोगों को खेलने दिया, खुद को इतना नीचे गिरा दिया की अब कभी ...........

नहीं! मैं ये नहीं कर सकती, अब चाहे जो भी हो और नहीं, इन लोगों ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया है, मेरा आत्मविश्वास बिलकुल ही ख़त्म कर दिया, मुझे अपने इशारों पर नाचने वाली एक गुलाम बना दिया।

नहीं मैं खुद को और ज्यादा ज़लील नहीं कर सकती, मैं खुद को एक कुत्ते से नहीं चुदवा सकती, भले ही ये लोग चाबुक से मार मार कर मेरी चमड़ी ही क्यों न उधेड़ दें.

मैंने कहा, "मुझे गोली मार दो पर मैं इस कुत्ते से खुद को नहीं चुदवाउंगी, हरगिज़ नहीं!"

उन लोगों ने मुझे ज़बरदस्ती टेबल पे लिटा दिया और दो पुलिस वालों ने मेरी दोनों टाँगे चोड़ी कर के खोल दीं और खिंच कर पकड़ लीं, फिर दो दो और पुलिस वालों ने मेरे दोनों हाँथ भी चोड़े कर के पकड़ लिए, चारों पुलिस वालों ने मुझे चारों कौनों से मेरे दोनों हाँथ और दोनों पैरों को खोल कर बहुत ही ज्यदा खींच कर पकड़ रहा था।

चीफ़ मेरे पास आया और अपने मुहं से जलता हुआ सिग़ार निकाल कर मेरे मुहं के ऊपर लाया और गरम गरम राख़ मेरे मुहं पर झाड़ने लगा

फिर चीफ़ ने जलता हुआ सिग़ार मेरी नंगी गुलाबी नंगी निपल पर लगा दिया और मुझे जलाने लगा, मैं दर्द से चिल्लाने लगी, इंतना जोरों से मैं पहले कभी नहीं चिल्लाई थी. मैं खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर चारों पुलिस वालों ने मुझे इतना कस के पकड़ रखा था की मैं हिल भी नहीं पाई।

चीफ़ ने फिर से सिग़ार मुहं में लेकर सुलगाया और अबकी बार मेरी नंगी चिकनी चूत पर सुलगता हुआ सिग़ार लगा दिया, मेरे लिए तो जैसे दर्द की इन्तहा ही हो गई थी, मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी, उनके सामने गिडगिडाने लगी पर सब कुछ उन लोगों की दरिंदगी के आगे बेअसर था

चीफ़ मुझे दर्द और दर से बिलकते हुए देखकर हंसने लगा

मैं नहीं जानती की इतना दर्द झेलने पर भी मैं खुद को कैसे बेहोश होने से रोक पाई थी क्योंकि मेरा खुदा जनता है की मैं दिलो जान से बेहोश होना चाहती थी ताकि मुझे और दर्द सहन न करना पड़े और नहीं तो मैं पागल हो जाना चाहती थी।
चीफ़ फिर से सुलगता हुआ सिग़ार मेरे पास लाने लगा, मैं चिल्लाते हुए बोली, "नहीं, मुझे छोड़ दो !, खुदा के लिए मुझे छोड़ दो !, मैं कुत्ते से खुद को चुदवालूंगी, जो भी आप कहोगे मैं करूंगी, बस मुझे और मत जलाओ"

लेकिन चीफ़ नहीं माना और उसने सुलगता हुआ सिग़ार मेरे पेट के पास लगा कर मुझे फिर से जलाने लगा, मैं दर्द से तड़पने लगी उसके बाद उसने मेरे दोनों हाँथ पकड़ लिए और दुसरे दो पुलिस वालों को मुझे सिगरेट से जलाने का मौका दे दिया, उन दोनों ने भी बड़ी ही बेदर्दी से अपनी सुलगती हुई सिगरटों से मेरी दोनों जांघे अन्दर बाहर से कई बार जला दी, मैं बार बार रो रो कर दर्द में तड़पते हुए चिल्ला रही थी, "मुझे मत जलाओ !, मुझे छोड़ दो, मैं कुत्ते से खुद को चुदवा लूंगी!"
लेकिन उन्हें मुझ पर जरा भी रहम नहीं आया

फिर काफ़ी देर तक मेरे जवां नंगे जिस्म को सुलाती हुई सिगरटों और सिगार से बारी बारी कर के जगह जगह से जलाने के बाद

चीफ़ बोला, "लगता है ये कुतिया सच में ही हमारे कुत्ते पर फ़िदा हो गई है, तभी तो कुत्ते से खुद को चुदवाने के लिए मर रही है "

"क्यों रंडी ! मैं ठीक कहे रहा हूँ क्या ?"

मैं जानती थी वो मुझे और ज्यादा ज़लील करना चाहता है,

मैं बोली, "हाँ चीफ़ !, मैं आप से भीख मांगती हूँ मुझे आपके कुत्ते से खुद को चुदवाने दो, मेरी चूत आपके कुत्ते को देखकर पानी पानी हुई जा रही है, खुदा के लिए मुझे ...................."

और मैं अपनी बेबसी पर रोने लगी
फिर चीफ़ ने मुझे बालों से खींच कर ज़मीन पर कुत्ते के पास फ़ैक दिया, मैं ज़मीन पर जा गीरी और रोने लगी

मैंने कुत्ते को देखा, जो की काफी शांत लग रहा था। कुत्ता काफी बड़ा था, काले रंग के बाल और उसके मुहं से लार टपक रहा था। मैं समझ नहीं पा रही थी की क्या करूँ

दो पुलिस वालों ने मुझे घुटनों और दोनों हाँथो के बल एक कुतिया की तरह बैठा दिया, फिर कुत्ते को मेरे ठीक पीछे खड़ा कर दिया और उसके साथ कुछ छेड़खानी करने लगे।

कुछ देर बाद कुत्ता मेरी टांगो के बीच मेरी नंगी चूत को सूंघने लगा, फिर उस कुत्ते ने अपनी आगे वाली दोनों टाँगे मेरी कमर पर रख दीं, मैं उसके नाखून अपनी कमर में गाड़ते हुए महेसूस कर रही थी, मैं खुद को इतना ज्यादा गिरी हुई महेसूस कर रही थी की मैं बयां नहीं कर सकती, शर्मिंदगी, ज़हालत हर चीज़ की हद हो गई थी।

फिर मैंने अपनी चूत के पास कुत्ते के लिंग को महेसूस किया, एक पुलिस वाले ने कुत्ते की मदद कर के उसका लिंग मेरी चूत में डाल दिया .

अब कुत्ता मुझे चोद रहा था किसी गली की कुतिया की तरह मैं पूरी नंगी होकर सरेआम अपनी चूत में कुत्ते का लिंग डाले खुद को एक कुत्ते से चुदवा रही थी।

कुत्ते को ज्यादा देर नहीं लगी मुझे चोदने में, उस कुत्ते ने झटके देते हुए, गुराते हुए साथ ही अपनी जीभ से मेरी पीठ पर लार टपकते हुए, अपना लिंग मेरी चूत में डाल कर कुछ देर तक मुझे चोदा फिर उसके लिंग ने मेरी चूत में ही वीर्य छोड़ दिया।

उसके बाद एक पुलिस वाले ने कुत्ते को मेरे ऊपर से हटा कर ज़मीन पर पीठ के बल लिटा दिया और कुत्ते की टांगे खोल दीं. चीफ ने मुझे उस कुत्ते के लिंग को मुहं में लेने को कहा, मैं सोच भी नहीं पा रही थी की मुझे और क्या क्या करना पड़ेगा लेकिन चीफ के मुहं में सुलगता सिगार देखकर मैं बेबस हो गई

मैंने कुत्ते के लिंग को अपने मुहं में ले लिया और उसका लिंग अपनी जीभ से चाटने लगी, जब तक की कुत्ते के लिंग ने वीर्य नहीं छोड़ दिया . चीफ ने मुझे कुत्ते के लिंग से निकला वीर्य भी उगलने नहीं दिया, इसलिए मुझे कुत्ते के लिंग से निकला वीर्य भी पीना पड़ा।

सारे पुलिस वाले मुझे देखकर हँस रहे थे और अपना मनोरंजन कर रहे थे

फिर सारे पुलिस वाले आपस में बात करने लगे की जो वीर्य ज़मीन पर गिरा है, उसे मुझे पिलाया जाये या नहीं
बाद में उन्होंने फैसला किया और मुझ मेरे बालों से वो सारा वीर्य ज़मीन पर से पोंछवाया।

फिर उन्होंने एक बार दोबारा से कुत्ते का लिंग मेरे मुहं में डलवा कर मुझसे कुत्ते का लिंग चुसवाया जब तक की कुत्ते का लिंग सकत होकर खड़ा नहीं हुआ, उसके बाद उन्होंने फिरसे कुत्ते के लिंग को मेरी चूत में डलवा कर मुझे कुत्ते से चुदवा दिया।

To be Continued

Reply





Posts: 286
Topic starter
Reputable Member
Joined: 4 years ago

मैंने कुत्ते के लिंग को अपने मुहं में ले लिया और उसका लिंग अपनी जीभ से चाटने लगी, जब तक की कुत्ते के लिंग ने वीर्य नहीं छोड़ दिया . चीफ ने मुझे कुत्ते के लिंग से निकला वीर्य भी उगलने नहीं दिया, इसलिए मुझे कुत्ते के लिंग से निकला वीर्य भी पीना पड़ा।

सारे पुलिस वाले मुझे देखकर हँस रहे थे और अपना मनोरंजन कर रहे थे

फिर सारे पुलिस वाले आपस में बात करने लगे की जो वीर्य ज़मीन पर गिरा है, उसे मुझे पिलाया जाये या नहीं
बाद में उन्होंने फैसला किया और मुझ मेरे बालों से वो सारा वीर्य ज़मीन पर से पोंछवाया।

फिर उन्होंने एक बार दोबारा से कुत्ते का लिंग मेरे मुहं में डलवा कर मुझसे कुत्ते का लिंग चुसवाया जब तक की कुत्ते का लिंग सकत होकर खड़ा नहीं हुआ, उसके बाद उन्होंने फिरसे कुत्ते के लिंग को मेरी चूत में डलवा कर मुझे कुत्ते से चुदवा दिया।

रीडा खान का बलात्कार | Rida Khan Ka Blatkar | Update 5

गतांक से आगे................................

फिर उन्होंने मुझे नहाने की आज़ादी दे दी, मैं जब से यहाँ आई थी ये पहली बार था जब मैं खुद को साफ़ कर सकती थी, हालाँकि वो सभी लोग मेरे सामने ही खड़े होकर मुझे नंगी नहाते हुए देख रहे थे. मैंने अपने बालों को जितने अच्छे से हो सकता था धोया, हालाँकि मेरा सारा जिस्म, जो की चाबुक की चोट और सुलगते सिगार व् सिगरटों से जलाये जाने के ज़ख्मो से भरा था, लगातार चुदाई और तरह तरह की यातनाओ की वजह से घायल था, इसलिए पानी की हर बूँद मुझे बहुत ही ज्यदा दर्द पहुंचा रही थी फिर भी मैं खुद को जितना अच्छे से साफ़ कर सकती थी मैंने किया .

मुझे कुत्ते से खुद को चुदवाते हुए देखकर और सिगरत व् सिगार से मेरे जिस्म को जलाय जाने से उनकी योन उतेजना फिर से एक बार दोबारा चरम पे थी, उन सभी लोगों ने फिर से मेरा बलात्कार करना शुरू कर दिया मेरा जिस्म, जहाँ जहाँ उन लोगों ने मुझे जलाया था वो ज़ख्म छुने भर से ही मुझे असहनये दर्द पहुंचा रहे थे, मेरी दर्द भरी चींखे उन्हें और ज्यादा उत्साहित कर रही थी, जिसकी वजह से वो सभी मर्द मुझे दुगने जोश से बार बार चोद रहे थे।

मेरे जिस्म का हर छेद उन लोगों ने खोल कर फाड़ दिया था, यहाँ तक की मेरी नाक और कान भी नहीं बच पाए. जब उनका मन भर गया तो उन्होंने मुझे वापिस कोठरी में डाल दिया।

चोथे दिन वो लोग मुझसे शायद थक चुके थे, वो लोग मुझे हर तरह से ज़लील कर चुके थे, अब मेरा बलात्कार करना भी उनको ज्यादा उत्साहित नहीं कर पा था, तो उन्होंने मुझे थोड़ा और तमाशा बन ने के लिए मजबूर किया, ताकि अपना थोड़ा और मनोरंजन कर सकें, मुझे खुद को और ज्यादा ज़लील करते हुए देख सकें।

और तब उन पुलिस वालों ने मुझे ज़मीन पर रेंगने को कहा, ज़मीन को प्रेमी की तरह चूमने को कहा

उसके बाद उन्होंने मेरी टांगें चोड़ी कर के खोलवा कर मुझे ज़मीन पर पीठ के बल लेट कर, मेरी नंगी चूत में मुझे अपनी ही अंगुलियाँ डालकर, उनके सामने, अपनी चूत के साथ खेलने को कहा गया, जब तक की मेरी चूत पानी छोड़ छोड़ कर गीली न हो जाये।

मुझे नहीं लगता था की मैं अपनी चूत गीली कर पाऊँगी, जो कुछ भी यहाँ पर मेरे साथ हुआ उसके बाद तो अपनी चूत कतई गीली नहीं कर पाऊँगी

मेरा खुदा जानता था की मैं इन पुलिस वालों के सामने अपनी चूत गीली नहीं करना चाहती थी, मुझे खुद ये सोच कर ताजुब हो रहा था की इतना ज़लील होने के बाद भी मेरे अन्दर शर्म बाकी है, जो की महेसूस हो रही है, अपनी नंगी चूत उन लोगों के सामने गीली करने पर

मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी अपनी नंगी चूत में अंगुलियाँ डालकर अपनी चूत गीली करने की, लेकिन शायद मैं खुद को उतेजित नहीं कर पर रही थी, इसलिए मैंने सिर्फ वो किया जो उन लोगों ने मुझे करने को कहा
मैं अपनी नंगी चूत में अपनी अंगुली डालकर अपनी चूत के साथ खेलने लगी, मैं सिवाए शर्म, न ख़त्म होने वाले दर्द और बेतहाशा गुस्से के यलावा मैं कुछ और महसूस नहीं कर पा रही थी।

पहले धीरे धीरे अपनी नंगी चिकनी चूत में अंगुलियाँ चलाते हुए, फिर मैंने अपनी चूत को खींचना शुरू कर दिया, अपनी अंगुली से मैं अपनी नंगी चूत को रगड़ने लगी, मैं पूरी कोशिश कर रही थी की अपनी चूत से पानी छुडवा दों और ये साब ख़त्म हो जाये, या फिर ये लोग थक जाये

फिर मैंने महेसूस किया की मेरी गुलाबी नंगी निपल सकत होने लगी, और मेरी नंगी चिकनी चूत भी फूलने लगी थी, वो सभी लोग मुझे लागातार देख रहे थे।

न जाने क्यों पर मेरी शर्म भी बढती जा रही थी, मैं उन लोगों के सामने सरेआम अपनी नंगी चूत गीली नहीं करना चाहती थी लेकिन मेरे मुहं से मादक सिसकियाँ निकलने लगी, जो की धीरे धीरे तेज़ होती गई, न चाहते हुए भी मैं खुद को मदहोश होने से रोक नहीं पा रही थी, मेरी साँसे भी तेज़ हो गई और आख़िरकार मेरे न चाहते हुए भी मेरी नंगी चूत ने सरेआम उन सबके सामने पानी छोड़ दिया। मेरी आँखों से एक बार फिर से आंसू निकल आये, वो लोग जो चाहते थे उसमे कामियाब हो गए थे, मैं सच में एक बाजारू रंडी बन गई थी, जिसकी कोई औकात नहीं हो, सिर्फ एक जवान नंगी कुतिया बन कर रह गई थी, मैं रीडा खान!

अब वो मुझे जाने दे सकते हैं।

उन सब ने मिलकर फिर से एक आखरी बार मेरा बलात्कार किया, फिर उन्होंने मुझसे एक कानूनी कागज़ पर मेरे दस्कह्त करवाए, जिस पर लिखा था की मुझे ड्रग्स की तस्करी करने के जुर्म में कानूनन गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कोई साबुत न मिलने के कारण मुझे बिना कोई नुकसान पहुचाये छोड़ दिया गया है।

ये सब इसलिए किया गया ताकि मैं यहाँ से जाने के बाद चीफ के खिलाफ को शिकायत न कर सकूँ और अगर करती हूँ तो मेरा दस्कह्त किया हुआ कानूनी कागज़ मेरे ही खिलाफ इस्तमाल कर, चीफ और उसके साथी मेरी शिकायत को गलत साबित कर बच निकलेंगे। मैंने चुपचाप उस कागज़ पर दस्कह्त कर दिए, मैं सिर्फ यहाँ से निकलना चाहती थी, मुझे किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करनी थी।

लेकिन जाने से पहले मुझे चीफ ने एक बार और ज़लील करने के लिए, ये जताने के लिए की मैं रीडा खान एक जवान मुस्लिम लड़की, कितनी गिरी हुई बाजारू रंडी एक सड़ी हुई कुतिया हूँ और ताकि मैं चीफ़ का सिखाया हुआ सबक हमेशा याद रखूं ; चीफ़ ने एक बड़ा सा ग्लास निकला और उसमे पेशाब कर दिया, फिर बाकी सभी पुलिस वालों ने भी बारी बारी उस ग्लास में पेशाब किया और आख़िर में चीफ़ ने उसमे थूक कर, पेशाब से भरा ग्लास मेरी तरफ खिसका दिया।

चीफ़ बोला,"चल रंडी!, अब तुझे तेरी औकात का एसास हो गया, इस ग्लास को अपने मुहं से लगाकर सारा पेशाब पी ले, कुतिया!"

"अगर तू ये सारा पेशाब पी गई तो मैं तुझे जाने दूंगा, लेकिन अगर तुने एक बूंद भी उगला या गिराया तो कसमसे तुझे सारी जिन्दगी इसी कोठरी में नंगी ही रखूंगा, समझ गई कुतिया!"

मैं पहले ही डरी हुई थी, दर्द और शमिन्दगी से टूट चुकी थी, चार दिनों से सरेआम भरी जवानी में नंगी होकर लगातार नजाने कितनो से चुद रही थी, यहाँ तक की एक कुत्ते से भी चुद चुकी थी. मैंने धीरे से सर हिलाकर हाम़ी भर दी और उन सब पुलिस वालों के पेशाब से भरा ग्लास उठा लिया। उस पेशाब से भरे ग्लास की बदबू ही इतनी गन्दी थी की एक घोंट भी पीना नामुमकिन था और मुझे तो पूरा ग्लास ही पीने को कहा गया था........

लेकिन फिर मैंने उस चाबुक की मार को याद किया, कैसे मुझे सिगरट से जलाया गया और हर वो ज़लील करने वाली चीज़ जो मैंने अपने साथ की, जो मुझसे करवाई गई. मैंने अपनी आंसू से भरी आँखे बंद की और एक लम्बी साँस लेते हुए खुद को मजबूर किया और पेशाब से भरा ग्लास अपने होंटों से लगाकर जैसे तैसे सारा पेशाब पी लिया।
मैं खुद को उलटी करने से रोक रही थी, मुझसे साँस भी लेना मुश्किल हो रहा था, बस मैं अब हर हाल में वहां से निकलना चाहती थी।

जो भी हो मैंने वो हर काम किया जो उन लोगों ने मुझसे कहा, अब मुझे और ज्यादा ज़लील करना उनके बस में नहीं था . एक पुलिस वाले ने मेरे कपडे ला कर मेरे सामने फ़ैक दिए, मैंने फटाफट उन लोगों के सामने ही अपने कपडे पहन लिए, एक पुलिस वाले ने मुझे थाने के बाहर ले जाकर छोड़ दिया, मैं अपनी कार में बैठी और जल्दी से वहां से निकल कार दूर आ गई।

मैं कुछ भी सोचने या महसूस करने काबिल नहीं थी, मैं सिर्फ अपनी कार चलाये जा रही थी, हालाँकि मैं कार की स्पीड पर काफी ध्यान रखे हुई थी, ताकि मैं कार फिर से तेज न चलाऊं। मुझे नहीं पता था की मैं किस तरफ जा रही हूँ या मुझे कहाँ जाना चाहिए, मैं सिर्फ चली जा रही थी। उस जगह से बहुत दूर जाना चाहती थी, मैं करीब उस जगह से 10 मील आगे निकल आने पर, मैं कुछ राहत महेसूस करने लगी थी। तभी मैंने फिर से एक पुलिस की गाड़ी का साईंरन सुना, मेरे तो जान ही निकल गई, मैं डर से थर थर कांपने लगी, उस पुलिस की कार को नजदीक आते देख मेरी साँसे भी तेज़ हो गई। लेकिन वो कार मेरे पास से गुज़र गई मगर मैं फिर भी खुद को संभाल नहीं पाई मुझसे अपनी कार भी ठीक से चलाई नहीं जा रही थी और हार कार मैं सड़क के किनारे अपनी कार रोक दी।

मैं डर से काँप रही थी, फिर मैं ज़ोर ज़ोर से चीख़कर रोने लगी. मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की खुद को कैसे सम्भलों, मैं कार से बाहर निकल आई और कार पास ही घुटनों के बल बैठ गई

वापिस कार मैं बैठ कर भी मैं रोती रही और डर से काँपती रही, मुझे नहीं पता कब तक मेरा यही हाल था, फिर करीब रात को मैंने खुद को जैसे तैसे कार चलने को मजबूर किया, मैं सारी रात बिना कुछ सोचे समझे कार चलाती रही, सुबह होने के आस पास मुझे समझ आया की मैंने वापिस मायामी के रस्ते पे हूँ. मैं लगातार कार चलते हुए अपने घर पहुँच गई।

मैं कुछ भी नहीं कर पा रही थी न ठीक से खा पाती नाही सो पाती हमेशा एक डर सा महेसूक करती रहती, मेरा मन काम में भी नहीं लग रहा था, मैंने लोगों से मिलना बंद कर दिया और धीरे धीरे मेरे पास पैसे भी ख़त्म होने लगे काफी। दिन इस तरह बीत गए!

फिर एक दिन मैं हिम्मत कर के घर से बाहर निकली, कुछ दूर घुमने गई, तभी मैंने एक दूकान में लगे शीशे में खुद को देखा और मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने खुद से कहा, "मैं रीडा खान एक बाजारू रंडी हूँ, एक चुदी हुई कुतिया"
फिर मैंने वहीँ सड़क पर सबके सामने सरेआम अपने सारे कपड़े उतार डाले और पूरी नंगी हो गई, वहां मजूद लोग मुझे देख रहे थे, बच्चे मुझ पर हंसने लगे, लड़के मेरी जवानी की नंगी नुमाइश से अपनी आँखे सेकने लगे, कुछ औरतें मुझ पर थूकने लगी थी। मैंने देखा की कुछ लड़के कुछ दूर पर खड़े थे, उन की आँखों में मैंने हवस देखी, मैं उनके पास गई, और उन से खुद को चुदवाने लगी।

उन्होंने हर तरह से मुझे चोदने के बाद मुझे कुछ पैसे भी दिए, फिर मैंने नंगी ही अपने घर वापिस आ गई। अब मैंने सच में खुद को पहेचान चुकी हूँ, मैं हूँ एक बाजारू कुतिया जो कुछ पैसों के लिए किसी से भी खुद को सरेआम नंगी होकर चुदवाती है, मेरे प्रेमी, जिससे मेरा निकाह होने वाला था, मैंने उस भी अपना यही बाजारू रंडीयों वाला रवैया दिखाया तो उसने मुझे छोड़ दिया हालाँकि मैंने उसे भी कहा की वो जब चाहे मुझे आकर चोद सकता है, मैं बुरा नहीं मानूंगी!, मैं तो एक बाजारू रंडी हूँ! सरेआम नंगी होकर एक कुतिया की तरह चुदना मुझे पसंद है। मैं लोगों के मनोरंजन के लिए खुद को कुत्ते से भी चुदवाती हूँ, मैं हूँ रीडा खान!

THE END

Reply