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[Completed] कार मे मैडम की चुदाई | Car Me Madam Ki Chudai

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कार मे मैडम की चुदाई | Car Me Madam Ki Chudai

यह उस समय की घटना है जब मैं १२वीं क्लास में था। मेरी इंग्लिश काफ़ी कमज़ोर थी। मैंने ईंग्लिश पर ज्यादा ध्यान देने की सोची। मैं अपनी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले अपनी ईंग्लिश मैडम से मिला।

उनका नाम नसीफा था। वोह एक पठानी औरत थीं। उनकी उम्र ३२ - ३३ साल के करीब होगी। पठानी औरतों की तरह वोह भी गोरे बदन की काफी भरी-भरी औरत थीं। ऊँचाई लगभग ५’२” होगी पर उनकी ऊँची एड़ी के सैंडलों के कारण हमेशा ५’६ - ५’७ की लगती थीं। पतली कमर, ३६ के साईज़ की मस्त चूचीयाँ और ३८ की मस्त डोलती भारी गाँड।

“गुड आफ़टरनून मैडम!”

“गुड आफ़टरनून सुमित!”

“मैडम, आई नीड सम गाईडेंस!”

“कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ।”

“मैडम आपको तो पता है कि मेरे ईंग्लिश में अच्छे मार्क्स नहीं आये।”

“हाँ मुझे पता है। तभी तो मैं कहती हूँ कि तुम्हें कड़ी मेहनत कारने की दरकार है।”

“हाँ मैडम। मैं नहीं चाहता कि बोर्ड परिक्षा में भी मेरे ऐसे ही मार्क्स आयें।”

”तो आखिर तुम अंत में सही लाइन पर आ ही गये।”

“हाँ मैडम। मुझे पता है कि मुझे कड़ी मेहनत की दरकार है और मैं कुछ भी करने को तैयार भी हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ… और मेरे बेसिक्स भी ठीक नहीं हैं। तो मैडम आप मुझे गाईड करें कि मैं कहाँ से और कैसे शुरू करूँ।”

“ठीक है सुमित। मैं तुम्हारी टीचर हूँ और यह मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हें सही दिशा में गाईड करूँ। तुम एक काम करो। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और एक हफ्ते बाद मुझे रिंग करो।”

“ओके... थैंक्स मैडम” फिर मैंने मैडम का फोन नम्बर और ऐड्रस ले लिया। एक हफ़्ते बाद मैंने मैडम को फोन किया।

“हैलो, क्या नसीफा मैडम से बात कर सकता हूँ?”

“बोल रही हूँ”

“मैडम, मैं सुमित बोल रहा हूँ... मैडम आपने कहा था कि एक हफ़्ते बाद फोन कर लेना”

“हाँ याद है। फोन पर तो तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर पाना मुश्किल है.... तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ। तभी तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर लेंगे… ठीक है?”

“ओके मैडम... बाय।”

“बाय।”

फिर अगले दिन मैं शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मैंने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।

“हैलो मैडम!”

“हैलो सुमित... आओ... अन्दर आओ... बैठो। एड्रस ढूँढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?”

“थोड़ी बहुत परेशानी तो हुई क्योंकि आपकी कॉलोनी मेरे लिये नई है।”

“चलो... धीरे-धीरे इस कॉलोनी में पुराने हो जाओगे। खैर... क्या लोगे, टी कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?”

“नथिंग मैडम। कुछ नहीं।”

“शरमाओ मत.. तुम्हें कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा।”

“ओके, कॉफी!”

“बस अभी लाती हूँ!”

फिर मैडम कॉफी ले आयीं

“यह लो सुमित, कॉफी लो!”

“थैंक्स!”

“बिस्कुट भी तो लो…”

“नहीं मैडम, इसकी क्या ज़रूरत है…!”

“सुमित! तुम बहुत शाई लड़के हो... खैर हमें क्या बात करनी है? ”

”मैडम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश में कैसे मार्क्स आते हैं।”

“हुम्म.. मेरे खयाल से तुम्हारे ११वीं क्लास में ५० से ज्यादा मार्क्स नहीं आये।”

“येस मैडम.... और हाइएस्ट मार्क्स ९५ तक आते हैं... मैडम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी ९०+ आयें।”

“बिल्कुल आ सकते हैं। लेकिन उसके लिये तुम्हें काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा... क्या तुम करोगे?”

“येस मैडम, मैं हार्डवर्क करूँगा... पर मेरे बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हैं और मेरी ग्रामर बहुत वीक है।”

“सुमित तुम्हें सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉँग बनाने चाहिए। जिसके बेसिक्स स्ट्रॉँग नहीं उसे कुछ भी नहीं आता।”

“मैडम तो बेसिक्स स्ट्राँग कैसे होंगे।”

“उम्म... मैं तुम्हें बेसिक्स स्ट्राँग करने में हेल्प करूँगी।”

“येस मैडम... आप मुझे कुछ दिनों के लिये कोचिंग दे दिजिए।”

“तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।”

“ओके मैडम।”

“कॉफी तो पियो... ठंडी हो रही है।”

“येस मैडम। मैडम आपकी फैमिली में कौन-कौन है?”

“मैं, मेरे हसबैंड और एक बेटी और एक बेटा।”

“मैडम… कहाँ हैं सब... कोई दिख नहीं रहा।”

“बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं। एकचुअली मैं भी वहाँ से कल ही आयी हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं… और हसबैंड २ हफ़्ते के लिये आफिस के काम से आउट आफ स्टेशन गये हैं।”

“बच्चे कब तक आयेंगे?”

“वो भी दो हफ़्ते बाद आयेंगे... यही तो दिक्कत है... अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती।”

“क्यों मैडम?”

“मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है... रिक्शॉ से जाने में बहुत टाइम लगता है... और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।”

“मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है…। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।”

“नहीं ऐसी बात नहीं है... दैट्स नाईस आफ़ यू.... सुमित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”

“येस मैडम।”

“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... 

***

Car Me Madam Ki Chudai

Yeh baat tab ki hai jab mai 12 class mein thha . mai english ke subject mein thoda weak tah thha. Hamari english mam ka naam Sneha thha. Vo ek south indian thi. Unki age kareeban 40 saal thi. Vo kuch moti thhi khaaskar unke hips kafi moteh thhe. Unke breast bhi kafi bade aur bhari thhe. Vo ek typical indian women lagti thi. 11 class mein mere english mein bahut kum marks thhe isiliye maine sochha ke 12 mein aate hi english par zyada dhyaan diya jaaey. 12 class ki summer vacations se ek din pehle maine chutti mein Sneha mam ko approach kiya

good afternoon mam"

good afternoon sumit"

mam, I need some guidance "

ya"

mam, as you know , my score in english has not been very good impressive in 11th"

yes , I know that that is why I keep telling you to work hard"

yes..mam I do not want to repeat the same result in my board exams"

so you have finally awaken..atlast"

yes mam...i know that I will have to work hard.and I am ready for it..but mam I do know how to go about it..i mean my basics are not strong at all..so mam if you can guide me from where to start"

definitely sumit.I am your teacher and its my duty to guide you...you do one thing you take my phone and address and ring me after a week"

ok ..thnks mam"

phir maine mam ka phone number aur address le liya.

Ek hafte baadh maine mam ko phone kiya

hello, kya Sneha mam se baat kar sakta hoon?"

bol rahi hoon"

mam, mai sumit bol raha hoon..mam aapne kaha thha ki ek hafte baad phone kar lena"

haan yaad hai.phone par toh tumhari problem dicuss kar paana mushkil hai...tum ek kaam karo kal shaam 5 baje mere ghar aajao..tabhi tumhari problem discuss kar lenge...thik hai"

ok mam..bye"

bye"

phir agal-eh din mai shaam 5 baje mam ke ghar gaya. Maine bell bajayee aur mam ne darwazaa khola

hello mam"

hello sumit..aao ..andar aao..baitho.address dhoondne mein koi dikkat toh nahin hui"

thodi see..kyonki mai iss colony mein pehle kabhi nahin aaya"

chalo..khair.kya log-ge .chai..coffee..colddrink."

nothing mam.kuchh nahin"

sharmaao mut..tumhe kuchh na kuchh toh lena hi padega"

ok.cofffee"

bus abhi laati hoon"

phir mam coffee le aayee

hmm.lo sumit..coffee lo"

thanks"

bisciut bhi toh lo"

nahin mam, iski zaroorat kya"

sumit tum bahut shy ladke ho..khair humne kya baat karni thi"

mam aapko toh pataa hi hai ki mere english mei kaise marks aate hain"

hmm..mere khayaal se tumhare 11th class mein 50 se zyada marks nahin aaye"

yes mam....aur highest marks 95 tak aate hain..mam mai chahata hoon ki mere bhi 90+ aaye"

bilkul aa sakte hain.lekin uske liye tumhe kafi hardwork karna padega..kya tum karoge"

yes mam, mai hardwork karoonga...par mere basics hi clear nahin hain aur meri grammer bahut weak hai"

sumit tumhe sabse pehle apne basics hi strong banane chahiye ..jiske basics strong nahin usse kuchh bhi nahin aata"

mam toh basics strong kaise honge"

umm...mai tumhe basics strong karne mein help kar doongi"

yes mam.aap mujhe kuchh din-no ke liye coaching de di jeeye"

ok .tum ek kaam karo tum kal se subeh 10 baje aa jaayaa karo"

ok mam"

coffee toh piyo..thandi ho rahi hai"

yes mam.mam aapki family mein kaun-kaun hai"

mai , mere husband aur ek ladki aur ek ladka"

mam kahan hain sub.koi dikh nahin raha"

bachein toh apni naani ke yahan chuttiyan bitaane gaye ahin.actually mai bhi wahan se kal hi aayee hoon par bachein vahin ruk gaye hain..aur husband 2 hafte ke liye office ke kaam se out of station gaye hain"

bachein kab tak aayenge"

vo bhi do-ek hafte baad aayenge..yahi toh dikkat hai.ab mujhe market se kuchh bhi laana ho toh mai nahin laa sakti"

kyon mam"

market yahan se kafi door hai..rikshaw se jaane mein bahut time lagta hai...aur scootar aur car mujhe chalani nahin aati"

mam iss mein problem kya .apko jab kuchh chahiye ho toh aap mujhe keh deejeeyega"

nahin aisi baat nihin hai..that's nice of you...sumit..tumhe car chalaani aati ahi kya"

yes mam"

TUM MUJHE CAR CHALAANA SIKHA SAKTE HO...

To be Continued

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कार मे मैडम की चुदाई | Car Me Madam Ki Chudai | Part 2

“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं... और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है... हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”

“येस मैडम मॉय प्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”

“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”

“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”

“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”

“ओके मैडम... पर किस टाईम?”

“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी... पर सुमित... कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या... एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी... इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”

“येस मैडम... शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”

“ठीक है... तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।”

“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”

“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है... मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”

“बिल्कुल नहीं... तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”

“ओके सुमित...बाय”

मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छे से तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।

“मैडम... पहले तो मैं आपको गेयर डालना सिखाता हूँ।”

मैं कुछ देर तक उनको गेयर, एक्सलरेटर, क्लच, ब्रेक वगैरह के बारे में बताता रहा।

“चलिए मैडम... अब आप चलाइए।”

“मुझे डर लग रहा है!”

“कैसा डर?”

“कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो?”

“उसके लिये मैं साथ हूँ ना”

फिर मैडम ड्राइवर सीट पर बैठ गयीं और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया। फिर मैडम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैडम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी। मैडम घबरा गयीं।

मैंने कहा, “मैडम एक्सलरेटर से पैर हटाइये!”

मैडम ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी।

“मैंने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी!”

“कोई बात नहीं मैडम... पहली बार ऐसा होता है।”

“नहीं... मैं कार सीख ही नहीं सकती... मुझ से नहीं चलेगी”

“चलेगी... चलिए अब स्टार्ट कीजिये और फिर ट्राई करिये । पर इस बार एक्सलरेटर आराम से छोड़ियेगा।”

“नहीं मुझसे नहीं होगा!”

“मैडम… शुरू-शुरू में गलतियाँ होती हैं... कोई बात नहीं!”

“नहीं मुझे डर लगता है!”

“अच्छा... एक काम करते हैं... मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ… फिर तो आपको डर नहीं लगेगा!”

“लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?”

“आप मेरी गोद में बैठ जाना… मैं स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गेयर कंट्रोल करना… मेरे डैडी ने भी मुझे ऐसे ही ड्राइविंग सिखायी थी।”

“लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?”

“मैडम इस वक्त यहाँ कोई नहीं आयेगा... और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर फ़िल्म लगी है जिससे अंदर का कुछ भी बाहर से दिखाई नहीं देता। सो डोंट वरी, नो वन कैन सी व्हॉट इज़ गोइंग आन इन साइड।”

“चलो ठीक है!”

फिर मैं ड्राइवर सीट पर बैठा और मैडम मेरी गोद में। जैसे ही मैडम मेरी गोद में बैठी, मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था। मैंने कार स्टार्ट करी।

“रैडी मैडम?”

“हाँ... मुझे सिर्फ़ गेयर ही सम्भालने हैं ना?”

“येस मैडम। आज के दिन आप सिर्फ़ गेयर ही सीखो”

कार चलनी शुरू हुई। क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और मैडम मेरी गोद में, इसलिए मेरी बाहें मैडम की चूचियों की साईड से छू रही थी और मैडम की चूचियाँ थी भी काफ़ी बड़ी। वोह थोड़ा अनकम्फर्टेबल फ़ील कर रही थीं और इसलिए वो मेरी जाँघों पे न बैठ के मेरे घुटनों के पास बैठी थी। जैसे ही मैं कार को टर्न करता तो मैडम की पूरी चूचियाँ मेरी बाहों को छूती थी। मैडम गेयर सही बदल रही थीं।

“क्यों सुमित... ठीक कर रही हूँ ना?”

“परफैक्ट मैडम! अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजिए!”

“ओके!”

क्योंकि मैडम मेरी गोद में काफ़ी आगे होकर बैठी थीं इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्रॉब्लम हो रही थी।

“मैडम... आप थोड़ी पीछे खिसक जाईये... तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पायेगा।”

अब मैडम मेरी जाँघों पे बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिये।

“मैडम! थोड़ा और पीछे हो जाईये!”

“और कितना पीछे होना पड़ेगा?”

“जितना हो सकती हों”

“ठीक है।” अब मैडम पूरी तरह से मेरे लौड़े पर बैठी थी। मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये और स्टियरिंग कंट्रोल करना सिखाने लगा। जब भी कार टर्न होती तो मैडम के चुत्तड़ मेरे लौड़े में धँस जाते। मैडम की चूचियाँ इतनी बड़ी थी कि वो मेरे हाथों को छू रही थी। मैं जान बूझ कर उनकी चूचियों को टच करता रहा।

“मैडम अब एक्सलरेटर भी आप संभालिये!”

“कहीं कार फिर से आउट आफ़ कंट्रोल ना हो जाये…!”

“मैडम अब तो मैं बैठा हूँ ना”

मैडम ने फिर से पूरा एक्सलरेटर दबा दिया तो कार ने एक दम स्पीड पकड़ ली। इस पर मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार एक दम से रुक गयी। मैडम को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। इस पर मैंने मैडम की चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मैडम को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया। कार रुक गयी थी और मैडम की चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

मैडम बोली, “मैंने कहा था ना कि मैं फिर कुछ गलती करूँगी”

“कोई बात नहीं। कम से कम गेयर तो बदलना सीख लिया।” मैडम की चूचियाँ अभी भी मेरे हाथ में थीं।

“शायद मुझे स्टियरिंग संभालना कभी नहीं आयेगा”

“एक बार और ट्राई कर लेते हैं!”

“ठीक है!”

मुझे एहसास दिलाने के लिये कि मेरे हाथ उनकी चूचियों पर हैं, मैडम ने चूचियों को हल्का सा झटका दिया तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिये। मैंने कार फिर से स्टार्ट करी। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये और मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये।

“मैडम एक्सलरेटर मैं ही संभालुँगा... आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालिये!”

“यही मैं कहने वाली थी!”

कुछ देर तक मैडम को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैं बोला, “मैडम अब मैं स्टियरिंग से हाथ उठा रहा हूँ... आप अकेले ही संभालिये।”

“ओके...अब मुझे थोड़ा कॉनफिडैंस आ रहा है... लेकिन तुम अपने हाथ रैडी रखना कहीं कार फिर से आउट आफ कंट्रोल हो जाये।”

“मैडम मेरे हाथ हमेशा रैडी रहते हैं।”

“सुमित मुझे कस के पकड़ना... कहीं ब्रेक मारने पर मैं स्टियरिंग में ना घुस जाऊँ!”

“येस मैडम मैं कस के पकड़ता हूँ।”

मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम की चूचियों पर रख दिये। मैं तो मैडम से डाँट की उम्मीद कर रहा था लेकिन मैडम ने कुछ ना कहा। मैंने तब मैडम की चूचियों को दबा दिया तो उनके के मुँह से आह निकल गयी।

“सुमित... मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही काफ़ी है। चलो अब घर चलते हैं!”

“ओके मैडम।” मैडम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैडम के घर चल दिये।

“ओके मैडम... मैं चलता हूँ!”

“खाना खाके जाना!”

“नहीं मैडम… मैंने मम्मी को कहा था कि खाने के टाईम तक घर पर आ जाऊँगा”

“ठीक है... तो कल १० बजे आओगे ना?”

“येस मैडम... आफ़ कोर्स!”

मैं अगले दिन भी पूरे १० बजे पहुँच गया। आज भी मैडम काफी खूबसूरत लग रही थीं। उन्होंने ने आज पीकॉक ब्लू कलर की सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी और उनके सफ़ेद कलर के हाई हील सैंडल काफ़ी मैच कर रहे थे। मैडम ने आज बहुत ही अच्छा परफ़्यूम लगा रखा था। पढ़ने के बाद हम फिर से कार सीखने उसी ग्राऊँड में आ गये।

“तो सुमित आज कहाँ से शुरू करेंगे?”

“मैडम मेरे ख्याल से आप पहले स्टियरिंग में परफ़ेक्ट हो जाइये। उसके बाद और कुछ करेंगे!”

“ठीक है। कल जैसे ही बैठना है?”

“येस मैडम”।

मैडम आज सीधे आकर मेरे लौड़े पर बैठ गयी। आज मैडम की सलवार थोड़ी टाईट थी और मैडम के चूत्तड़ों से चिपकी हुई थी। हमने कार चलानी शुरू की। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये। मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख लिये। आज मैडम के चूत्तड़ मेरे लौड़े पर बार-बार हिल रहे थे। कुछ देर बाद मैंने कहा, “मैडम... अब मैं अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ!”

“हाँ... अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो… पर मुझे कस के पकड़ के रखना… कहीं कल की तरह स्टियरिंग मे घुस ना जाऊँ?”

“मैडम... आप बिल्कुल फ़िक्र ना करें… मैं हूँ ना!” मैंने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम को पकड़ने के बहाने उनकी चूचियों पर रख दिये। और वाह... मज़ा आ गया। मैडम ने आज ब्रा नहीं पहनी थी। इसलिए आज मैडम की चूचियाँ बड़ी सॉफ़्ट और माँसल लग रही थी। मैंने मैडम की चूचियों को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। मैडम की सिल्क की कमीज़ में उनकी चूचियों को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैडम ने भी तब अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और अब उनकी बुर मेरे लौड़े पर थी। उनकी इस हरकत से मैंने साहस करके अपना एक हाथ मैडम की कमीज़ में डाला और मैडम की एक चूची को दबाने लगा। और आश्चर्य कि उन्होंने कुछ नहीं कहा।

“मैडम... मज़ा आ रहा है?”

“आहहह...ऊँ... किसमे?”

“कार चलाने में…!”

“हाँ... कार चलाने में भी मज़ा आ रहा है!”

“मैडम... अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया!”

“हुम्म!!”

अब मैंने अपना दूसरा हाथ भी मैडम की कमीज़ में डाल दिया और दोनों चूचियों को दबाने लगा।

“आआहह...हह... सुमित तुम... आहह... यह क्या कर रहे हो?”

“मैडम... आपको कार सीखा रहा हूँ!”

“तुम्हें मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये... और वैसे भी मैं तो शादी-शुदा औरत हूँ, और मेरे २ बच्चे भी हैं... मुझ में तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?”

“मैडम आपकी एक-एक चीज़ अच्छी है”

“सुमित मैं थोड़ा थक गयी हूँ। पहले तुम कार रोक लो... आगे जा कर थोड़ी झाड़ियाँ हैं... कार वहाँ ले चलो…!”

मैंने कार झाड़ियों में ले जा कर रोक ली और हम कार से बाहर आ गये।

***

Car Me Madam Ki Chudai | Part 2

TUM MUJHE CAR CHALAANA SIKHA SAKTE HO... actually mere husband toh saara din busy rehte hain...aur aaj kal toh hamari car khali hi padi hai..husband toh office ki car le gaye hain"

yes mam.it would me my pleasure.mai aapko car sikha doonga"

kitna time lagega car seekhne mein"

kareeban ek hafta toh lagega hi"

toh thik hai tum muhje kal se hi car sikhana shuru kar do"

ok mam.par kis time"

tum 10 baje mujhe padne toh aaoge hi .. Tumhe padaane ke baad mai tumse car seekh liya karoongi..par sumit. koi bahut bada ground hai kya...actually koi mujhe seekhte dekhe toh mujhe sharam aaygee..iss koi iasi jagay ho jo ek dum khali ho aur jahan zyada loge na aate ho"

yes mam ..shahar se bahar nikalte hi ek ground hai jo ek khali rahta hai"

thik hai.toh vahin chalenge kal dupher (noon) mein"

par mam dupher (noon) mein toh kafi garmi hoti hai"

dupher mein iss liye ki uss waqt loge bahar nahin nikalte aur hamari car toh air conditioned hai..mai kya karoon loge mujhe car seekhte dekhen toh mujhe sharam aati hai..by the way.tumhe toh koi problem nahin hai na"

bilkul nahin..toh mam mai kal aata hoon 10 baje"

ok sumit...bye"

mai agale din thik 10 baje mam ke ghar pahuch gayaa. Mam ne uss din green color ka suit pehnaa hua tha. Halaki mam thodi moti aur dark thi.lekin mujhe toh mam sexy lagti thi. Mam ne mujhe 10 se 1 baje tak padaayaa. Uske baad hum car seekhaane shahar se bahar ek ground mein gaye. Aas pass koi bhi nahin tha kyonki dupher ka waqt tha.

Ground mein pahunch kar maine mam ko car seekhani shuru ki

mam.pehle toh mai aapko gear daalna seekhaata hoon"

mai kuchh der tak mam ko gear , accelerator, clutch, brake etc. ke baare mein bataata raha

chaliye mam.ab aap chalaayiye"

mujhe darr lag raha hai"

kaisa darr"

kahin mujhse control nahin hui toh"

uske liye mai saath hoon na"

phir mam driver seat par baith gayee aur mai driver ki saath wali seat pe aa gayaa. Phir mam ne car challani shuru ki lekin mam ne ek dum se hi race de ditoh ek dum se car bahut speed mein chal padee. Mam ghabra gayee..maine kaha

mam accelerator se per hataayiye"

mam ne per hataa liya toh maine steering pakad kar car control mein kari

maine kaha tha na mujh se nahin chalegi"

koi baat nahin mam..pehlee baar aisa hota hai"

nahin....mai car seekh hi nahin sakti...mujh se nahin chalegi"

chalegi...chaliye ab start kee jeeye aur phir try kariye.par iss baar accelerator aaraam se chorna"

nahin mujhe nahin hoga"

mam shuru shuru mein galtiyan hoti hain..koi baat nahin"

nahin mujhe darr lagtaa hai"

accha..ek kaam karte hain..mai bhi aapki seat par aa jaata hoon .phir aapko darr nahin lagega"

lekin ek seat par hum dono kaise aa sakte hain"

aap meri godh (lap) mein baith jaana.mai steering control karoonga aur aap gear control karna"

lekin koi hamein dekhege toh kaisa lagega"

mam iss waqt yahan koi nahin aayega..aur vaise bhi aapki car mai yeh sheeshon par film lagi hai isse andar ka kuchh dikhaee nahin deta"

chalo thik hai"

phir mai driver seat par baitha aur mam meri godh mein. Jaise hi mam meri godh mein baithee mere badan se current sa dod (run) gayaa. Hum dono ka yeh pehla sparsh tha.

Maine car start kari

ready mam"

haan..mujhe se sirf gear hi sambhalne hain na"

yes mam .aaj ke din aap sirf gear hi seekho"

car chalnee shuru hui. Kyonki mere haath steering par thhe aur mam meri godh mein..iss liye meri bahein (arms) mam ke breast ke side se touch ho rahi thi aur mam ke breast thhe bhi kafi bade. Mam thoda uncomfortable feel kar rahi thi iss liye vo meri janghon (thighs) pe na baith ke meri knees ke pass baithee thi. Jaise hi mai car ko turn karta toh mam ki poori breast meri bahein ko touch karti thi. Mam gear sahi badal rahi thi

kyon sumit..thik kar rahin hoon na"

perfect..mam ab aap thoda steering bhi control keejeeye"

ok"

kyonki mam meri godh mein kafi aage hokar baithee thi iss liye steering control karne mein unhe problem ho rahi thi

mam.aap thodi peeche khisak jaaeeye..tabhi steering sahi control ho payega"

ab mam meri janghon(thighs) pe baith gayee aur haath steering par rakh liye.

mam.thoda aur peeche ho jaayeeye"

aur kitna peeche hona padega"

jitna ho sakti ho"

thik hai"

ab mam poori tarah se mere laude par baithee thi.

Maine apne haath mam ke haathon par rakh diye aur steering control karaana sikhane lagaa. Jab bhi car turn hoti toh mam ki hips mere laude mein dhans jaati . mam ke breast itne bade the ki vo mere hathon ko touch kar rahe thhe. Mai jaan moojh kar unke breast ko touch karta raha.

mam ab accelrator bhi aap sambhaliye"

kahin car phir se out of control na ho jaaye"

mam ab toh mai baitha hoon na"

mam ne phirse poora accelerator dabaa diya toh car ne ek dum speed pakad lee.

Iss par maine ek dum se brake lagaa di toh car ek dum se ruk gayee. Mam ko jhatkaa lagaa toh vo steering mein ghusne lagi. Iss par maine mam ke breasts ko apne haathon mein pakad kar mam ko steering mein ghusne se bachaa liya. Car ruk gayee thee aur mam ke breast mere haath mein thhe. mam boli

maine kaha tha na ki mai phir kuch galti karoongi"(mam ke breast mere haath mein hain)

koi baat nahin.kam se kam gear toh badalna seekh liya" (mam ke breast mere haath mein hain)

shayad mujhe steering sambhalna kabhi nahin aayegaa" "(mam ke breast mere haath mein hain)

ek baar aur try kar lete hain" "(mam ke breast mere haath mein hain)

thik hai" "(mam ke breast mere haath mein hain)

mam ne mujhe aihsaas dilaane ke liye mere haath unke breast par hain, mam ne breast ko halka sa jhatka diya toh maine apne haath vahan se hataa liye. Maine car phir se start kari. Mam ne apne haath steering par rakh liye aur maine apne haath mam ke haathin par rakh diye

mam accelerator mai hi sambhaaloonga.aap sirf steering hi sambhaleeye"

yehi mai kehne wali thi"

kuchh der tak mam ko steering mein help karne ke baad mai bola

mam ab mai steering se haath uthaa raha hoon.aap akele hi sambhaleeye"

ok.ab mujhe thoda confidence aa raha hai.lekin tum apne haath ready rakhna .kahin car phir se out of control ho jaaye "

mam mere haath hamesha ready rehten hain"

maine apne haath steering se uthaa kar mam ki breast par rakh diye. Mai toh mam se daant (scolding) expect kar raha tha lekin mam ne kuchh na kaha

sumit mujhe kas ke pakdna..kahin brake maarne par mai steering mein na ghus jaaoon"

yes ma..kas ke pakadta hoon"

maine mam ke breast dabaa diye toh mam ke moohn se ah..ahh nikal gayee.

sumit.mere khyal se aaj itna seekhna hi kafi hai.chalo ab ghar chalte hain"

ok mam"

mam meri godh se uth kar aoni seat par baith gayee aur hum mam ke ghar chal diye

ok mam ..mai chalta hoon"

roti kha ke jaana"

nahin mam maine mummy ko kaha tha ki roti ke time tak ghar par aajaaoonga"

thik hai ...toh kal 10 baje aaoge na"

yes mam..of course"

mai agale din bhi poore 10 baje pahunch gayaa. Padne ke baad hum phir se car seekhne ussi ground mein aa gaye.

toh sumit aaj kahan se shuru karenge"

mam mere kyal se aap pehle steering mein perfect ho jaayeeye.uske baad aur kuchh karenge"

thik hai.kal jaise hi baithna hai"

yes mam"

aaj mam ne silk ki salwaar kamiz pehnee hui thi. Mam aaj seedhe aakar mere laude par bauth gayee. Aaj mam ki salwaar thodi tight thi aur mam ki hips se chipki hui thi.

Humne car chalaani shuru ki. Mam ne apne haath steering par rakh liye. Maine apne haath mam ke haathon par rakh liye . aaj mam ki hips mere laude par baar baar hil rahi thi. Kuch der baad maine kaha

mam .ab mai apne haath steering se hataa raha hoon"

haan..apne haath steering se hataa lo"

maine haath steering se uthaa kar mam ki breast par rakh diye..aur wah...mazaa aa gayaa..mam ne aaj bra nahin pehnee thi..issliye aaj mam ke breast bade soft aur masal-able lag rahe thhe..maine mam ke breast ko dheere-dheere dabaana shuru kar diya..mam ki silk ki salwaar mein unke breast ko dabaane mein bada mazaa aa raha ..mam ne apni tangein(legs) wide karli aur ab unki bur mere laude par thi...maine apna ek haath mam ki kamiz mein daala aur mam ki breast ko dabaane laga..

mam.mazaa.aa raha hai"

ahh..a..kisme"

car chalaane mein"

haan.car chalaane mein bhi mazaa aa raha hai"

mam.ab apko steering sambhaalnaa aa gayaa"

hmm"

ab maine apna doosra haath bhi mam ki kamiz mein daal diya aur usko bhi dabaane lagaa

aahh..hh..sumit tum...ahh.. yeh kya kar rahe ho"

mam.aapko car seekha raha hoon"

sumit.tumhare haath car ke steering par hone chaahiye"

par mam ...aapke steering sambhaalne mein zyada mazaa aa raha hai"

tumhe mere saath aisa nahin karna chaahiye.....aur vaise bhi mai toh ek moti aur kali aurat hoon..mujh mein tumhe kya accha lagega"

mam aapki ek ek cheez acchi hai"

sumit mai thoda thak gayee hoon..pehle tum car rok lo...aage jaa kar thodi jhadiyan(bushes) hain..car vahan le chalo"

yes mam"

maine car jhadiyon mein jaa kar rok lee

To be Continued

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कार मे मैडम की चुदाई | Car Me Madam Ki Chudai | Part 3

“बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं... हाँ तो सुमित इस शादी-शुदा और २ बच्चों की अम्मी मे तुमको क्या अच्छा लगता है?”

“मैडम... एक बात बोलूँ?”

“हाँ बोलो!”

“मैडम... आपका ड्रेसिंग सैंस बहुत अच्छा है और आपके खरबुजे बहुत अच्छे हैं”

“क्या?? खरबुजे? मैं क्या कोई पेड़-पौधा हूँ जो मुझ में खरबूजे हों?”

“मैडम यह वाले खरबुजे” मैंने मैडम की चूचियों को दबाते हुए कहा।

“आहह। उहहह।”

“मैडम आपके तरबूज भी बहुत अच्छे हैं”

“क्या... तरबूज? मुझ में तरबूज कहाँ हैं” वोह हँसते हुए बोलीं।

“मैडम... मेरा मतलब आपके चूत्तड़” और मैंने उनकी गाँड पर अपना हाथ रख दिया।

“झूठ!! मेरे चौड़े और मोटे चूत्तड़ क्या तुम्हें अच्छे लगते हैं?” यह कह कर मैडम मेरी तरफ़ पीछे मुड़ गयीं और अपनी सलवार नीचे कर दी। मैडम ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी।

“देखो ना... कितने बड़े हैं मेरे चूत्तड़!”

मैं तो देखता ही रह गया। मैडम के चूत्तड़ मेरे मुँह के पास थे। मैं मैडम के चूत्तड़ों पर हाथ फेरने लगा।

“मैडम मुझे तो ऐसे ही चूत्तड़ अच्छे लगते हैं। गोरे-गोरे और बड़े-बड़े... मैडम... आपके चूत्तड़ों की महक बहुत अच्छी है।” यह कह कर मैं मैडम के चूत्तड़ों पर किस करने लगा। मैं मैडम के चूत्तड़ों के बीच की दरार में जीभ मारने लगा।

“ओह... ऊऊऊऊ.... सुमित यह क्या कर रहे हो?”

“मैडम... मुझे तरबूज बहुत अच्छे लगते हैं!”

“आहहह... और क्या अच्छा लगता है तुम्हें!”

“च्युईंग गम!!!”

“क्या... च्युईंग गम? वो कौन सा पार्ट है?”

जवाब में मैं मैडम की चूत दबाने लगा।

“ऊहह... आह... आह... सुमित... च्युईंग गम को दबाते नहीं हैं!!”

“मैडम... इस पोज़िशन से मैं च्युईंग गम को च्यू नहीं कर सकता!”

“सुमित... कार की पिछली सीट पे च्युईंग गम च्यू की जा सकती है!!!”

“यहाँ कार के बाहर क्यों नहीं मैडम?”

“क्योंकि कोई देख भी सकता है!”

फिर हम दोनों कार मे घुस गये और पिछली सीट पर आ गये। मैडम ने टाँगें खोल ली और आपनी चूत पे हाथ रख कर बोली, “सुमित... यह रही तुम्हारी च्युईंग गम!”

मैं मैडम की चूत चाटने लगा। मैडम सीट पे लेटी हुई थी। मेरी जीभ मैडम की चूत पे और मेरे हाथ उनकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं करीब १० मिनट तक मैडम की चूत को जीभ से चाटता रहा।

“सुमित... क्या तुम्हारी पेंसिल शार्पेंड है?”

“क्या मतलब?”

“बेवकूफ़... मेरे पास शार्पनर है और पेंसिल तुम्हारे पास है...!”

“येस मैडम... मेरी पेंसिल को शार्प कर दीजिए!”

“लेकिन पहले तुम अपनी पेंसिल दिखाओ तो!”

मैंने अपनी जींस उतार दी। मैंने अंडरवीयर नहीं पहना था। मैं अपना लौड़ा मैडम के मुँह के पास ले गया तो मैडम ने जल्दी से उसे अपने मुँह में ले लिया। कुछ देर तक मैडम मेरा लौड़ा चूसती रहीं। फिर बोलीं, “सुमित... तुम्हारी पेंसिल काफ़ी अच्छी क्वालिटी की है!”

“मैडम… क्या आपका शार्पनर भी अच्छी क्वालिटी का है?”

“यह तो पेंसिल शार्प होने पर ही पता चलेगा!”

“तो मैडम कर लूँ अपनी पेंसिल शार्प?”

“येस्स्स्स... सुमित... जस्ट डू इट... फ़क मी... येस फ़क मी हार्ड... चोदो मुझे... स्क्रू मी...!”

मैंने अपना लौड़ा मैडम की चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा।

“ओहह... सुमित... माय डार्लिंग... तुम्हारी पेंसिल मेरे शार्पनर के लिये बिल्कुल फिट है.... आआआआहहह.... वेरी गुड लगे रहो.... ऐसे ही धक्के मारते रहो... सुमित... मेरे खरबूजों को ना भूलो... इन्हें तुम्हारे हाथों की सख्त ज़रूरत है!”

“मैडम... आहह... आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है!”

“आआहहहह... सुमित... अपनी मैडम के खर्बूजों को तो खाओ!”

फिर मैं धक्के देने के साथ-साथ मैडम के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

“आआआआईईईईईई.... सुमित... और तेज... तेज... जोर-जोर से धक्के मारो... आज अच्छी तरह ले लो मेरी चूत… स्पीड बढ़ाओ!!!”

मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। करीब १५ मिनट बाद मैडम बोलीं, “आआआआ... ओहह... सुमित.... तेज.... मैं आने वाली हूँ…” और हम दोनों एक साथ ही झड़े।

“आआआआआ.... आआहह... आई लव यू सुमित... मज़ा आ गया!”

“येस मैडम... आपका शार्पनर गज़ब का है!”

“तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की है।”

“मैडम, क्या मैं अपनी पेंसिल आपके शार्पनर से फिर एक बार शार्प का सकता हूँ?”

“श्योर... लेकिन बाकी का काम घर चल कर... और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे!”

तब हमने अपने कपड़े ठीक किये और अचानक मैडम ने कार का दरवाजा खोला और ड्राईविंग सीट पर बैठ गईं। उन्होंने बड़ी दक्षता से कार स्टार्ट की और देखते ही देखते कार हवा से बातें करने लगी। शहर की घुमावदार सड़कों से होती हुई कार कुछ ही समय में मैडम के घर के सामने थी। इस दौरान मेरे मुख से कोई बोल नहीं फूटे बल्कि मैं हक्का-बक्का सा मैडम को कार ड्राईव करते देखता रहा।

“सुमित आओ... कुछ देर बैठते हैं… तुम काफ़ी थक भी गये हो। चाय नाशता कर के जाना।”

“पर मैडम आप तो कार चलाने में पूरी एक्सपर्ट हैं।”

“अरे अब अंदर भी तो आओ। या यहीं बाहर खड़े ही सब पूछते रहोगे?”

मैडम के एसा कहने पर हम दोनों घर में आये। मैडम किचन में गयीं और जल्दी ही दो प्याली चाय के बना लायीं। साथ में कुछ बिसकुट और स्नैक्स भी थे। मैडम ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, “हाँ तो तुमने कहा कि मैं एक्सपर्ट हूँ पर तुम्हें भी तो एक्सपर्ट करना था। जब तुम मुझसे ट्यूशन पड़ने आये तो मैंने देखा की तुम्हारी नज़र खरबूजों और तरबूजों पर ज्यादा है। जब तक तुम्हारी नज़र इन पर ज्यादा रहती तुम ईंग्लिश में एक्सपर्ट नहीं हो सकते थे। तो मैंने सोचा पहले मैं तुम्हें इनका स्वाद चखा दूँ।”

“मैडम आप सच्ची गुरू हैं जो शिष्य का इतना खयाल रखती हैं।”

मैडम हँसती हुई उठीं और मुझे अपने पीछे-पीछे अपने बेडरूम में ले गयीं।

“हूँ तो तुम क्या कह रहे थे। तुम्हें तरबूजों का बहुत शौक है ना। अच्छा सुमित एक बात बता... तुम्हें मेरे तरबूज कैसे लगते हैं?” एसा कहते-कहते मैडम ने मेरी तरफ़ अपने भारी चुत्तड़ कर दिए और अपनी एक हथेली चुत्तड़ पर जमा कर थोड़ा सा झुकीं। मैडम की इस अदा ने मेरे तन-बदन में आग लगा दी।

“मैडम सही कहूँ तो आप जैसे तरबूज मैंने और किसी के नहीं देखे।”

“मेरे सामने ही मेरी गाँड की तारीफ कर रहे हो और मैडम भी बोल रहे हो… मेरा नाम नसीफा है!”

“वोह तो मैडम मैं जानता हूँ... पर मैं आपका नाम कैसे ले सकता हूँ!”

“मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल सकते हो। मेरी गाँड मारना चाहते हो पर नाम नहीं ले सकते। तुम्हारा यही भोलापन तो मुझे भा गया। तभी तो मैंने तुम्हें अपनी च्यूईंग-गम चखाई। अब हो सकता है तरबूज भी चखा दूँ। पर इसके लिये मैडम नहीं चलेगा!”

“अच्छा तो नसीफा जी… आप के तरबूजों को चखने के लिये तो मैं कुछ भी करने को या कहने को तैयार हूँ!”

“तो ठीक है तुम मुझे एक रंडी की तरह ट्रीट करो… और खयाल रखना जितना खुल कर तुम मेरे साथ पेश आओगे उतना ही खुल कर मैं तुम्हें इन तरबूजों का मजा चखाऊँगी!”

एसा कह कर नसीफा मैडम ने मुझे अपने हाथों से उसे नंगी करने को कहा। मुझे तो मन की मुराद मिल गयी। मैंने धीरे-धीरे उनकी कमीज़ और सलवार उतारी और अब वोह मेरे सामने सिर्फ़ सफ़ेद कलर के हाई हील सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी खड़ी थी। फिर देखते ही देखते उन्होंने मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।

फिर वोह डबल बेड पर कुत्तिया की तरह चोपाया बनी। उन्होंने अपना चेहरा एक तकिये में दबा लिया और अपनी विशाल गाँड हवा में ऊँची कर दी।

“सुमित लो अब मेरी गाँड अच्छी तरह से देखो, इसको सहलाओ, इसको प्यार करो!”

“वाह नसीफा मैडम तुम्हें मान गया। तुम केवल ईंग्लिश की टीचर ही नहीं हो, बल्कि पूरी ईंग्लिश सैक्स की भी टीचर हो!” ऐसा कह कर मैं उनकी गाँड पर हाथ फेरने लगा। बीच-बीच में मैं उनकी गाँड के छेद को भी खोद रहा था।

“अरे भोसड़ी के गाँडू! केवल गाँड को देखता ही रहेगा या और कुछ भी करेगा? ठीक से देख यह तेरी अम्मी की गाँड नहीं है। घर मैं जब तेरी अम्मी गाँड मटकाती है तो ऐसी ही लगती है क्या?”

“अरी छिनाल नसीफा! मेरी मम्मी की क्या बात पूछती है... मैं मादरचोद नहीं हूँ… समझी??? पर लगता है तेरा पती एक भड़वा है… तभी तो तेरे जैसी छिनाल को घर में अकेली छोड़ कर पंद्रह - पंद्रह दिन के लिये बाहर चला जाता है। आज मैं तेरी इस मस्त गाँड को फाड़ के रख दूँगा!”

“हाय मेरे सुमित मेरे दिलबर! यही तो मैं तेरी ज़ुबान से सुनना चाहती हूँ। अब पहले मेरी गाँड को थोड़ी चिकनी तो कर ले!”

उनके ऐसा कहते ही मैंने उनकी गाँड के गोल छेद पर अपनी जीभ रख दी। कुछ ही देर में उनकी गाँड खुलने लगी और मैं उसकी गाँड अपनी जीभ से मारने लगा।

“ओहहह..... मरीईईईई..... हाय इसी तरह और पेल… अपनी पूरी जीभ अपनी टीचर की गाँड में घुसा दे… और ठेल.... पेल!!!”

कुछ देर मैं उनकी गाँड अपनी जीभ से चोदता रहा। फिर मैंने अपना लंड जो अब तक तन्ना कर लोहे की रॉड बन चुका था, उनके मुख के पास लाया और उनके मुख में पेलने लगा। नसीफा मैडम भी मेरे लंड को अपने मुख में पूरा का पूरा लेकर चूसने लगी। साथ में वोह मेरे लंड को थूक से भी तर कर रही थी। उन्हें पता था कि मैं अब उनकी गाँड मारने वाला हूँ इसलिए जितना हो सके उतना वो उसे चीकना बना रही थी जिससे उन्हें गाँड मरवाने में कम दर्द हो।

अब मैं उनके पीछे आ चुका था। उनकी गाँड अपनी पूर्ण छटा के साथ हवा में उठी मेरे लंड को आमंत्रण दे रही थी। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गाँड पर टेका। फिर दोनों हाथों से मैं उनकी गाँड जितना चीर सकता था उतनी चीरी और कस कर एक करारा शॉट लगाया। मेरा आधा लंड एक ही बार में उनकी गाँड में ठँस गया था।

इस हमले के लिये शायद वो तैयार नहीं थी।

“अरे हरामी यह क्या कर दिया… किसी की गाँड ऐसे मारी जाती है? कम से कम कुछ देर वहाँ लंड रगड़ता, बात करता, बताता कि गाँड मैं लंड डालने जा रहा हूँ… और तू साला ऐसा है कि एक ही बार में मूसल की तरह ठोक दिया। क्या तेरा बाप तेरी अम्मी की ऐसे ही मारता है? बाहर निकाल…! बहुत दर्द हो रहा है! मैं कितने चाव से तुझसे गाँड मरवाने वाली थी… तूने एक ही बार में बर्बाद कर दिया!”

“साली नसीफा! पहले तो बड़ी अकड़ रही थी। मैंने तो पहले ही कहा था आज मैं तेरी गाँड फाड़ के रहुँगा । अभी तो केवल आधा गया है। अब मैं पूरा डालने वाला हूँ!” ऐसा कह कर मैंने पहले से भी तगड़ा एक शॉट और मारा और इस बार मेरा लंड उनकी गाँड में जड़ तक समा गया।

“अरे मादरचोद, मुझ पर से नीचे उतर… ना तो तुझसे से कार सीखनी, ना तुझसे चुदवाना, ना तुझे ईंग्लिश पढ़ाना… अरे मर गयीईईईई..... साले तूने मेरी गाँड फा....आआआ....ड़ दी!”

इधर नसीफा मैडम बड़बड़ाए जा रही थी और मैं धीरे धीरे लंड हिलाता उनकी गाँड में लंड के लिये जगह बना रहा था। कुछ ही देर में मेर लंड आसानी से उनकी गाँड में अंदर बाहर होने लगा। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूत्तड़ हिलाने लग गयी थी।

“हाँ इसी तरह… अब मज़ा आ रहा है। मेरी बात का मेरे दिलबर बूरा मत मानना। मैं जानती थी कि तुझसे गाँड मराने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा तभी तो मैं तुझे घर लेके आयी। तेरी बातों से मुझे पता लग गया था कि तू गाँड का रसिया है। जब से तूने मेरे तरबूजों की तारीफ़ की तभी से मैं तुझसे गाँड मरवाने को तड़प उठी थी!”

“नसीफा रानी मेरी नज़र तो तेरी गाँड पर उस समय से है जब तू पहली बार क्लास लेने आयी थी। जब तू हाई हील के सैंडल पहन कर अपने बड़े-बड़े तरबूज जैसे चूत्तड़ मटकाती क्लास और स्कूल में फिरती थी तौ मेरा लौड़ा तेरी गाँड में घुसने के के लिये तड़प जाता था… लेकिन इतनी जल्दी मेरा लंड तेरी गाँड में जड़ तक घुसा हुआ होगा इसकी उम्मीद नहीं थी… लेकिन जो हुआ अच्छा ही हुआ… लो अब मेरे लंड की ठाप सहो!”

ऐसा कह कर मैं बेतहाशा उनकी गाँड मारने लगा। नसीफा मैडम भी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। करीब १० मिनट बाद मैंने ढेर सारा वीर्य उनकी गाँड में झाड़ दिया। जब मैंने लंड उनकी गाँड से निकाला तो उनकी गाँड से सफेद-सफेद मेरा वीर्य ज्वाला मुखी से लवा की तरह बाहर निकलने लगा।

जब तक नसीफा मैडम के हसबैंड और बच्चे वापस नहीं आ गये, मैं रोज उसके घर जाता रहा। मैं उसके घर जाते ही उसको पूरी नंगी कर देता था। वो नंगी ही घर के काम भी करती थी, मुझ से चुदवाती थी, गाँड मरवाती थी और ये सब करने के बाद मुझे ईंग्लिश भी पढ़ाती थी। बाद में स्कूल की छुट्टियाँ खतम होने पर, स्कूल में भी मौका देख कर स्कूल में ही किसी जगह पर अपनी सलवार नीचे करके मुझसे अपनी गाँड या चूत मरवाने लगी।

*** समाप्त *****

Car Me Madam Ki Chudai | Part 3

bas thodi der aaram kar lete hain...haan toh sumit iss moti aur kali aurat mein tumhe kya accha hoga"

mam.ek baat boloon"

haan bolo"

mam.aapke santare bahut acche hain"

kya..santare.mai kya koi ped (tree) hoon jo mujh mein santare ho"

mam yeh wale santare" maine mam ke breast ko dabaate hue kaha

aahh.aahhhhhh..."

mam aapke kharbuze bhi bahut acche hain"

kya.kharbuze.mujh mein kharbuze kahan hain"

mam I mean to say your hips"

jhoot.meri hips toh bahut chaudi(wide) aur moti hain"

yeh kehkar mam khadi ho gayee aur apnee salwaar neeche kar di . mam ne panty nahin pehnee hui thi

dekho na ...kitni badi hain meri hips" mai toh dekhta hi reh gayaa . mam ki hips mere moonh ke pass thi.mai mam ki hips par haath pherne lagaa

mam mujhe toh aisi hi hips acchi lagti hain.badi aur dark"

mam..aapke hips ki smell bahut acchi"

yeh keh ker mai mam ki hips par kiss karne lagaa. Mai mam ke crack mai jeebh (tongue) maarne lagaa

oh..ooo.sumit yeh kya kar rahe ho"

mam...mujhe kharbuze bahut acche lagte hain"

ohh..aur kya accha lagta hai tumhe"

chewing gum"

kya..chewing-gum.vo kaunsa part hai"

jawab mein mai mam ki choot dabaane lagaa

oohh..ah.ah.sumit....chewing-gum ko dabaate nahin hain"

mam..iss postion se mai chewing-gum ko chew nahin kar sakta"

sumit.car ki pichlee seat pe chewing-gum chew ki jaa sakti hai"

phir hum dono pichlee seat par aa gaye. Mam ne tangein(legs) khol lee aur apni choot pe haath rakh kar boli

sumit.yeh rahi tumhari chewing-gum"

maine mam ki choot chaatne lagaa. Mam seat pe leti hui thi. Meri jeebh mam ki choot pe aur mere haath mam ki breast ko dabaa rahe thhe. mai kareeb 10 minute tak mam ki choot pe aur mein jeebh maarta raha

sumit..kya tumhari pencil sharpened hai"

kya matlab"

buddhu..mere paas sharpener hai aur pencil tumhare paas hai.."

yes mam..meri pencil ko sharp kar deejeeye"

lekin pehle tum apni pencil dikhaao toh"

maine apni jeans utaar di . maine underwear nahin pehnaa tha. Maine apna lora mam ke moonh ke paas le gayaa toh mam ne jaldi se usse apne moonh mein le liya.kuck der tak mam mera lora choosti rahi..phir boli

sumit..tumhari pencil kafi acchi quality ki hai"

mam kya aapka sharpener bhi acchi quality ka hai"

yeh toh pencil sharp hone par hi pataa chalega"

toh mam karloon apni pencil sharp"

yessss...sumit..just do it..fuck me.yes fuck me hard...chod me..screw me.."

Maine apna lora mam ki choot mein daal diya aur dhakke dene lagaa

ohhh..sumit..my darling..your pencil is fit for my sharpener....aaaahhh..very goog..keep doingggggg...sumit..mere santaron ko na bhoolo...inhe tumhare haathon ki sakht zaroorat hai"

mam.ahh.aapki choot maarne mein bahut mazaa aa raha hai"

aaa...hhhh..sumit.bachhe.apni madam kae santaron se milk-shake toh piyo"

phir mai dhakke dene ke saath saath mam ke nipples ko moonh mein lekar choosta raha. Kuch hi der baad mam ke boobs mein se doodh nikalne lagaa aur mai peene lagaa

aaaeee.sumit..aur tez..tez tez dhakka maro..aaj acchi tarah le lo meri.mere milk-shake ka fayda uthaao..speed badaao"

maine tez tez dhakke marne shuru kar diye. Kareeb 15 minute bad

aaa.ohh.sumiiiiitttt....tez...mai aane wali hoon"

mai aur mam ek saath hi jhade

aa.aaaaa..aahaa..i love you sumit..mazaa aa gayaa"

yes mam..aapka sharpener gazab k

a hai"

tumhari pencil bhi kamal ki hai.."

mam mai aapke peeche wale sharpener ko bhi use karna chahata hoon"

peeche wala sharpener..maine kabhi nahin use karwaya"

lekin mujhe toh karne dengi na"

sure..lekin baki ka kaam ghar chal kar..aur phir abhi toh mujhe car seekhne mein kuch din aur lagenge"

tabse mai aur mam har mauke par chudai karte thhe aur mam se tuition padte waqt hum dono bilkul nange hote thhe .

THE END

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