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Incest चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra

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डॉ दीदी- भाई, मैं बहुत अकेली हूँ।

उनकी बात सुनकर मैं बोला- आप ऐसा क्यों कह रही हैं कि आप अकेली हैं … आपके फैमिली वाले भी तो है।

डॉ दीदी ने एक लम्बी सांस लेकर सबके बारे में मुझे बताया की उनके बॉय फ्रेंड ने उनको धोका दिया, वो सिर्फ सेक्स करना चाहता था उनके साथ और अपने दोस्तों से भी चुदवाना चाहता था, पर उसकी सच्चाई उनको पता चल गई और वो किसी से भी नही चुदी अब तक।

मैं- फिर तो आप अभी तक कुँवारी हो।

तो फिर उन्होंने स्माइल पास की और बोलीं- हाँ भाई, अब तुम ही मेरी कुंवारापन तोड़ना।

मैं- जी दीदी। (और उनको गले लगा लिया)

फिर मैंने उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने मुझे एक प्यारी सी स्माइल दे दी।

फिर डॉ दीदी ने मुझसे कॉफ़ी के लिए पूछा, तो मैंने में बोला कि मुझे तो आपकी चूत का पानी पीना है मेरी जान।

डॉ दीदी मुस्कुरा दीं और बोलीं- ठीक है जो पीना है, पी लो।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 77

घर में कोई और था नहीं … तो डॉ दीदी खुल कर एन्जॉय क़रना चाहती थीं।

डॉ दीदी मुझे किस करने लगीं।

मैं उनके चुम्बन का मजा लेने लगा।

वो मुझे दो मिनट तक किस करने के बाद मुझसे अलग होकर बोलीं- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। मैं तुम्हारी तरफ से पहल करने का बहुत बेसब्री से वेट क़र रही थी, पर जब तुमने कुछ नहीं किया, तो मैंने खुद ही सोची कि मैं ही शुरू कर दूं।

मैंने बस इतना ही कहा- इतनी भी जल्दी क्या थी?

तो डॉ दीदी ने कहा- जल्दी इसलिए कि कहीं तुमको कोई दूसरी न पटा ले।

मैं हंस दिया।

मैंने कहा- मैं तो पहले से ही आप पर फ़िदा था। हां यदि आपकी तरफ से लिफ्ट न मिलती, तो अलग बात थी।

डॉ दीदी ने मुस्करा कर मेरी तरफ बांहें फैला दीं, तो मैंने उन्हें हग कर लिया और उनको चूमने लगा।

डॉ दीदी भी मुझसे नागिन सी लिपट गईं और मेरे बदन में सनसनी दौड़ने लगी। उनके चूचे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे। उनकी गर्दन की चुम्मियां मुझे बौरा रही थीं और उनके बालों की महक मुझे पागल किये दे रही थी।

मैंने उनको अपनी बांहों में जकड़ते हुए अपने में समाने की कोशिश की तो मेरे लंड खड़ा होकर उनकी कमर से लड़ने लगा। दीदी भी मेरे कानों में गर्म सांसें छोड़ते हुए कह रही थीं।

‘यू आर हॉट बेबी।'

मैं भी उन्हें गर्दन पर किस करते हुए कहने लगा- यू टू माइ डॉल।

डॉ दीदी अपने बदन पर सेक्सी परफ्यूम लगाकर आई थीं।

उनकी उस महक से मैं मस्त महसूस करने लगा। मैं उनकी सेक्सी महक से खुद को मदहोश महसूस करने लगा था। मैंने उनको अपने से और भी ज्यादा चिपका लिया था। वो भी पूरी मेरे ऊपर लेट गई थीं और उन्होंने अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया था।

मेरे कान में दीदी बोलीं- जान मैं बहुत प्यासी हूँ। आज मेरी प्यास बुझा दो। मैं आज तेरी हूँ।

डॉ दीदी की डिमांड पर मैं क्या बोलता, मैं उनकी चाहत को सुनकर खुद बहुत खुश हो गया था। मैं भी उन्हें खूब मजा देना चाहता था। उनमें समां जाना चाहता था।

मैं उनके होंठों को किस करते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा। वो भी मेरे होंठों में अपने होंठ लगाते हुए अपना रस पिलाने लगीं। वाओ क्या रस से भरे होंठ थे। मैंने जीभर कर डॉ दीदी के होंठों को चूसा। दीदी ने अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी थी। मैं तो एकदम से पागल ही हो गया था।

शायद प्रेम करते समय मर्द और औरत के मुँह जुड़ना लंड चूत की चुदाई से कहीं ज्यादा मजा देता है। ऐसा मेरा अनुभव है। तब भी चुदाई को प्रकृति ने बनाया है। उसी से सृजन होता है। तो उससे अधिक तो कुछ हो ही नहीं सकता है।

मैं डॉ दीदी के होंठों और जीभ को चूसने के साथ साथ नीचे हाथ ले गया और उनकी चूत को निक्कर के ऊपर से रगड़ने लगा।

अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर वो एकदम से मस्त और गर्म हो गईं।

चुदास की गर्मी थी और पहला मिलन था, तो कुछ ही पलों में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

वो मेरी ऊपर में अपना वजन डालते हुए बोलीं- आंह राज … मेरे अन्दर बहुत दिनों की आग लगी थी। ऊपर से तुमको याद करके मैं हॉस्पिटल में तुम्हारे नाम से अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

मैंने उनके गालों पर कट्टू करते हुए कहा- मुझे नहीं पता था कि आप इतनी प्यासी हो। एक इशारा तो दिया होता तो रात को ही चोद देता।

To be Continued

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शायद प्रेम करते समय मर्द और औरत के मुँह जुड़ना लंड चूत की चुदाई से कहीं ज्यादा मजा देता है। ऐसा मेरा अनुभव है। तब भी चुदाई को प्रकृति ने बनाया है। उसी से सृजन होता है। तो उससे अधिक तो कुछ हो ही नहीं सकता है।

मैं डॉ दीदी के होंठों और जीभ को चूसने के साथ साथ नीचे हाथ ले गया और उनकी चूत को निक्कर के ऊपर से रगड़ने लगा।

अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर वो एकदम से मस्त और गर्म हो गईं।

चुदास की गर्मी थी और पहला मिलन था, तो कुछ ही पलों में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

वो मेरी ऊपर में अपना वजन डालते हुए बोलीं- आंह राज … मेरे अन्दर बहुत दिनों की आग लगी थी। ऊपर से तुमको याद करके मैं हॉस्पिटल में तुम्हारे नाम से अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

मैंने उनके गालों पर कट्टू करते हुए कहा- मुझे नहीं पता था कि आप इतनी प्यासी हो। एक इशारा तो दिया होता तो रात को ही चोद देता।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 78

उन्होंने हंस कर बोला- रात को तुम्हे मम्मी से फुरसत कहाँ थी।

ये सुन कर मैं चुप हो गया तो डॉ दीदी बोली- मैंने रात को सब देखा है कि तुमने मम्मी को कैसे मज़े कराए है। मुझे भी आज वैसे ही मजे करवाना।

मैं- ओके दीदी।

डॉ दीदी- अब तुम जल्दी से मुझे चोद दो।

पर अभी मैं जल्दीबाजी नहीं करना चाहता था।

मैंने कहा- जान आज तुम्हें पूरा मजा दूंगा।

वो गिड़गिड़ाने लगीं- मजा बाद में देते रहना। पहले एक बार मुझे ठंडा कर दो।

मैंने डॉ दीदी की बात मान ली और उनको नंगी कर दिया। डॉ दीदी का क्या मस्त बदन था मेरी तो आंखें चुंधिया गई थीं। एकदम मक्खन सा चिकना शरीर न जाने कितने दिनों से किसी मर्द के सम्पर्क में नहीं आया था। और सच मे वो अभी तक चुदी नही थी।

डॉ दीदी की चिकनी चूत को मैंने अपने हाथों से छुआ, आह क्या मखमली थी।

मैंने चूत पर अपनी हथेली को फेरा तो उनकी एक मादक ‘आह्ह..’ निकल गई।

फिर मैंने डॉ दीदी को लिटा दिया और उनकी टांगों को फैला कर उनकी चूत की चाशनी को चाट कर चखा।

क्या मस्त नमकीन स्वाद भरी चूत थी ‘आह’

मैंने फिर से अपनी जीभ को चूत की फांकों में लगा दी और ऊपर से नीचे तक फेरने लगा।

वो तो मचलने लगी थीं और उन्होंने अपनी टांगों को फैलाते हुए चूत ऊपर उठा दी थी। वो अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और एकदम जानवरों जैसे करने लगीं। मैं भी उनकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा।

मेरी नाक से गर्म सांसें चूत को और भी गर्म कर रही थीं। वो तो एकदम से पागल हो गई थीं। साथ मैं अपने हाथों को ऊपर ले जाकर उनके मम्मों को दबा रहा था। डॉ दीदी ने अपनी चुत मेरे मुँह पर दबनी शुरू कर दी और मैं जीभ उनकी चुत के पूरी अंदर तक ले गया।

अचानक उनकी चुत ने अमृतरस छोड़ दिया और मैं उनका सारा अमृत चाट गया।

डॉ दीदी अब निढाल सी पड़ी थी और मै अब भी उनकी चुत चाट कर उनको गरम कर रहा था।

कोई पांच मिनट में ही वो फिर से गरमा गईं और बोलने लगीं कि ये सब बाद में तुम खूब कर लेना मेरी जान, मगर अभी एक बार प्लीज मुझे चोद दो।

मैं खड़ा होकर अपना लन्ड उनके मुह के पास लाया और मैंने कहा- पहले मेरा लन्ड तो चुसो।

तो उन्होंने मेरा लन्ड पकड़ा और उसको हिलाने लगी, फिर लन्ड को अपने मुह में ले गयी और चुसने लगी।

मैं भी अपना लन्ड उनके मुह में पेलने लगा।

फिर डॉ दीदी ने लन्ड मुह से निकाला और अपने हाथ से लन्ड का आगे का मास पीछे करके गुलाबी टोपा निकाल लिया और टोपे पर जीभ लगाई।

मेरी तो सिसकारी निकल गयी।

फिर डॉ नेहा दीदी अपनी जीभ मेरे लन्ड के टोपे पर घुमाने लगी। मेरी तो मज़े में सिस्कारियाँ निकलने लगी, जो पूरे कमरे में गूंजने लगी।

मैं- आ आ ह ह ह ऊ ऊ, दीदी बस करो, मेरारारा आह निकल जायेगा।

पर डॉ दीदी फिर भी टोपे पर जीभ घुमाती रही।

5 मिनट बाद एकदम से मेरा पानी निकल गया, जो सीधा डॉ दीदी के मुँह पर गया, जिस से उनका माथा, नाक, गाल, होंठ सब भीग गए।
मैं निढाल हो कर बेड पर लेट गया। डॉ दीदी ने मेरा लन्ड चाट कर साफ किया। फिर खुद के मुह पर लगा सारा पानी उंगली से लगाकर चाट गयी और मुह धोने चली गई।

To be Continued

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मैं भी अपना लन्ड उनके मुह में पेलने लगा।

फिर डॉ दीदी ने लन्ड मुह से निकाला और अपने हाथ से लन्ड का आगे का मास पीछे करके गुलाबी टोपा निकाल लिया और टोपे पर जीभ लगाई।

मेरी तो सिसकारी निकल गयी।

फिर डॉ नेहा दीदी अपनी जीभ मेरे लन्ड के टोपे पर घुमाने लगी। मेरी तो मज़े में सिस्कारियाँ निकलने लगी, जो पूरे कमरे में गूंजने लगी।

मैं- आ आ ह ह ह ऊ ऊ, दीदी बस करो, मेरारारा आह निकल जायेगा।

पर डॉ दीदी फिर भी टोपे पर जीभ घुमाती रही।

5 मिनट बाद एकदम से मेरा पानी निकल गया, जो सीधा डॉ दीदी के मुँह पर गया, जिस से उनका माथा, नाक, गाल, होंठ सब भीग गए।
मैं निढाल हो कर बेड पर लेट गया। डॉ दीदी ने मेरा लन्ड चाट कर साफ किया। फिर खुद के मुह पर लगा सारा पानी उंगली से लगाकर चाट गयी और मुह धोने चली गई।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 79

10 मिनट बाद डॉ दीदी बाथरूम से बाहर आई और आते ही मुझसे लिपट गयी और कहने लगी।

डॉ दीदी- भाई प्लीज, अब मुझे चोद दे और मुझे किस करने लगी।

मैं डॉ दीदी के ऊपर लेट गया और उनकी चुचियाँ पीने लगा।

डॉ दीदी मेरे बालों में हाथ फेरने लगी।

डॉ दीदी- भाई फ़क मी, प्लीज।

मैंने भी अब डॉ दीदी को ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं समझा और उनकी चूत के ऊपर लंड रगड़ने लगा। डॉ दीदी लंड की रगड़ से और भी व्याकुल होने लगीं और अपनी गांड उठाने लगीं। मैंने भी सुपारा चूत की फांकों में फंसा दिया और धीरे धीरे लंड चूत के अन्दर डालने लगा।
वो भी अपनी चूत को उठाने लगीं। उनकी ये बदहवासी बता रही थी कि वो जल्द से जल्द मेरे लंड को अपनी चूत में समा लेना चाहती थीं।
पर मैं धीरे धीरे लंड पेल रहा था।

उन्होंने कहा- जल्दी से अन्दर तक घुसेड़ो न … क्यों सता रहे हो?

उनका इतना कहना हुआ और मैंने एक तेज झटका मार दिया।

‘इस्सस्स … उईई … माँ मर गई..’

डॉ दीदी लंड घुसते ही बहुत जोर से चीख पड़ीं … और खुद को छुड़वाने की कोशिश करने लगी पर मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और थोड़ा रुक रुक कर उनको किस करने लगा।

डॉ दीदी- भाई प्लीज निकाल ले, बहुत दर्द हो रहा है। वो छूटने की कोशिश करने लगी और टांगे हिलाने तो मैंने उन्हें कस कर दबा लिया ताकि सो छूट नआ सके।

10 मिनट बाद उनका दर्द कुछ कम हुआ तो दीदी मुझे किस करने लगीं।

लंड घुसेड़ने से मुझे एक बड़ा ताज्जुब हुआ कि उनकी सचमुच कुंवारी थी और बहुत टाइट थी।

मैंने पूछा, तो डॉ दीदी बोलीं- हां मैं कभी नही चुदी हूँ, बस उंगली ही ली है आज तक चुत में इसीलिए कुंवारी हूँ …

मैं- दीदी आप इतनी सेक्सी हो। आप पर तो हजारों लड़के मरते होंगे, फिर भी आप अभी तक बिना चुदी कैसे रह गयी।

डॉ दीदी- जब से मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे धोखा दिया है उसके बाद कोई मिला ही नही मुझे ऐसा जिसने मेरे दिल को छुआ हो, जिस से मुझे चुदने का दिल करे और तेरी एक स्माइल पर फ़िदा हो गई थी।

मैं- आई लव यू दीदी।

दीदी- आई लव यू टू भाई।

अब मैं लन्ड दीदी की चुत में पूरा डालने लगा, डॉ दीदी को थोड़ा दर्द और हुआ पर अब वो सहन कर गयी।

लंड चूत की जड़ तक पहुंच चुका था। अब वो अपनी कमर को हिलाने लगीं। मैं उनका इशारा समझ गया तो अब मैं भी धक्का देने लगा और चुदाई होने लगी। चुदाई के साथ में मैं कभी उनके मम्मों को मसलता, तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर चूसने लगता … या कभी होंठों को चूसने लगता और स्वीट बाईट भी दे देता … तो डॉ दीदी मचल भी जातीं।

क्या मस्त पल थे। मैं डॉ दीदी को जोर जोर से … तो कभी धीरे धीरे पेल रहा था। पूरी चुदाई को तीन तरह के पोज़ में अंजाम दिया। करीब पच्चीस मिनट तक डॉ दीदी की चूत चोदने के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था। इस बीच दीदी एक बार झड़ चुकी थी।

मैंने डॉ दीदी से बोला, तो वो बोलीं- अन्दर ही आ जाओ … मैं तुम्हारे पानी को फील करना चाहती हूँ।

उनकी सहमति मिलते ही मैं तो मानो चूत पर पिल पड़ा … फिर एक जोर के झटके के साथ उनके अन्दर झड़ गया और डॉ दीदी भी मेरे साथ फिर से झड़ गयी, मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।

वो भी इस दरम्यान दो बार झड़ चुकी थीं तो काफी थक गई थीं।

डॉ दीदी मुझे अपनी बांहों में समेटे हुए मेरे बालों को सहलाने लगीं … और मेरे माथे पर चूमने लगीं।

इसी तरह से सहलाते चूमते मुझे और उनको कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला।

फिर रात को 8 बजे डॉ दीदी का फ़ोन बजा, तो हमारी नींद खुली।

डॉ आँटी का फ़ोन था, उन्होंने कहा कि नागपाल अंकल को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया, लता मौसी और वो आशा आँटी के साथ उनके घर जा रही है, रात को वहीं रहेंगी। तुम बाहर से खाना मंगवा लेना और राज का ख्याल रखना।

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मैंने डॉ दीदी से बोला, तो वो बोलीं- अन्दर ही आ जाओ … मैं तुम्हारे पानी को फील करना चाहती हूँ।

उनकी सहमति मिलते ही मैं तो मानो चूत पर पिल पड़ा … फिर एक जोर के झटके के साथ उनके अन्दर झड़ गया और डॉ दीदी भी मेरे साथ फिर से झड़ गयी, मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।

वो भी इस दरम्यान दो बार झड़ चुकी थीं तो काफी थक गई थीं।

डॉ दीदी मुझे अपनी बांहों में समेटे हुए मेरे बालों को सहलाने लगीं … और मेरे माथे पर चूमने लगीं।

इसी तरह से सहलाते चूमते मुझे और उनको कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला।

फिर रात को 8 बजे डॉ दीदी का फ़ोन बजा, तो हमारी नींद खुली।

डॉ आँटी का फ़ोन था, उन्होंने कहा कि नागपाल अंकल को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया, लता मौसी और वो आशा आँटी के साथ उनके घर जा रही है, रात को वहीं रहेंगी। तुम बाहर से खाना मंगवा लेना और राज का ख्याल रखना।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 80

डॉ दीदी(मुझे किस करती हुई)- हाँ मम्मी, मैं राज का पूरा ख्याल रखूंगी।

फिर फ़ोन काट दिया और दीदी ने किसी को फ़ोन करके खाना व साथ मे बियर आर्डर कर दिया, और मुझे कहा कि राज फ्रेश हो जा और नहा ले, फिर खाना खा कर तुझे बहुत मजे करवाउंगी।

मैंने दीदी को कहा कि चलो एक साथ नहाते है, तो दीदी मान गयी।

हम दोनों अंदर बाथरूम में नहाने चले गए। मैंने बाथटब पूरा भर लिया। उपरवाले ने डॉ दीदी को बड़े आराम से और फुर्सत में बनाया था। डॉ दीदी बहुत गोरी और चिकना माल थी। उसकी छातियाँ बहुत ही भरी हुई थी। मैंने डॉ दीदी को सीने से लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगा।

“ओह्ह्ह्हह….दीदी..आप कितनी गजब की माल हो???

“अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स्….भाई मैं भी दिल ही दिल में तुमसे चुदवाना चाहती थी….अब मुझे तुम नहाते ही नहाते चोद लो”

उसके बाद हम दोनों गर्म गर्म किस करने लगे। एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे। उसके बाद मैंने दीदी को बाथतब में बिठा लिया। इसको मैंने पूरा भर लिया था और फुल कर लिया था। जब पानी में हम मजे से बैठ गये तो बहुत मजा आने लगा। एक तो मनभावन ठंडा ठंडा पानी और उपर से नंगी गदराई चुदासी डॉ दीदी का साथ। मानो पानी में ही आग लग रही थी। मैंने डॉ दीदी को बाहों में भर लिया। मैंने बाथटब पूरी तरह से भर लिया था, इसलिए जब दीदी पानी में बैठी तो उसके गुब्बारे, उसके दूध पूरा पानी में उतर गये। नंगी दीदी का गोरा जिस्म मानो पानी को आग लगा रहा था।

हम दोनों आपस में शरारत करने लगे और एक दुसरे के उपर हाथ से पानी फेकने लगे। मेरा हाथ पानी में चला गया और डॉ दीदी के दूध पर जाकर टिक गया। अह्ह्ह्हह्ह…कितने मुलायम मुलायम और जूसी मम्मे थे। मैं हाथ से दीदी के दूध दबाने लगा और फिर हम आपस में किस करने लगे। डॉ दीदी के कंधे भी आधे पानी में भीगे थे जो बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। मैं उसके नर्म नर्म ओंठ पी रहा था और उसके दूध दबा रहा था। फिर मैं उसकी निपल्स को ऊँगली और अंगूठे से मसलने लगा। डॉ दीदी आह्ह्हह्ह ह्ह्ह करने लगी। मेरा हाथ पानी में अंदर चला गया। डॉ दीदी पूरी तरह से जलमग्न थी और उसकी चूत भी पानी के अंदर अन्दरग्राउंड थी। मैंने बाथटब के भीतर पानी में डॉ। दीदी की चूत खोज ली और चूत छूने लगा। फिर चूत में ऊँगली करने लगा। डॉ दीदी तड़पने लगी और उसकी निपल्स और भी जादा टाईट हो गयी।

उसके बाद मैंने तेज तेज डॉ दीदी की चूत में ऊँगली करने लगा। कुछ देर बाद मैंने दीदी के उपर आ गया। वो बाथरूम तब के एक किनारे लेट सी गयी। पानी के भीतर ही मैंने उसकी चूत में लंड डाल दिया और उसको चोदने लगा। दीदी ने बाथटब का किनारा कसकर पकड़ लिया वरना वो चुदवाते चुदवाते अंदर पानी में फिसल जाती। मैं उसे पानी में छप छप करके चोदने लगा तो बार बार पानी के बुलबुले मेरी चुदासी और लंड की प्यासी डॉ दीदी की चूत से निकलने लगे। ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं जोर जोर से अपनी डॉ दीदी को चोद रहा था। उसकी चूत की पट पट की आवाज भी मैं नही सुन पा रहा था, क्यूंकि दीदी की गांड और चूत दोनों पानी के अंदर थी।

पानी के भीतर चूत मारने का अपना विशेष आनंद था। सब कुछ बड़ा हल्का हलका लग रहा था। मैंने दीदी को 25 मिनट पानी में ही चोदा फिर माल गिरा दिया। आधे घंटे तक हम साथ में नहाते रहे और बाथटब में आनंद लेते रहे। फिर हम बाहर निकल आये। मैंने पानी का शावर खोल दिया और बाथरूम के फर्श पर लेट गया।

“दीदी…आओ जरा मेरा लंड चुसो आकर??” मैंने कहा

डॉ दीदी मेरे पास आकर बाथरूम के गीले फर्श पर बैठ गयी। शावर का पानी हम दोनों के उपर गिर रहा था। किसी रंडी की तरह मेरा मोटा गबरू जवान लंड मुंह में लेकर मुंह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा पूरा 9 इंच का लंड मुंह में भर लिया और गले तक अंदर ले जाकर चूसने लगी। दोस्तों मुझे सुकून मिल रहा था। डॉ दीदी के रसीले स्ट्राबेरी जैसे दांत मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे। उफ्फ्फ्फ़…क्या नशीली रगड़ थी । बाथरूम के शावर से बहुत सारा पानी हम दोनों के उपर लयबद्ध रूप में गिर रहा था। ठन्डे पानी में हम दोनों पूरी तरह नंगे होकर मजा ले रहे थे। डॉ। दीदी के सारे बाल भीग चुके थे और पानी से आपस में लिपट गये थे। शायद उसको लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था तभी वो बड़े आराम से मेरा लंड हाथ से मुठ देकर फेट रही थी।

मैंने उसकी भीगी चिकनी और नंगी पीठ में हाथ लगा दिया और सहलाने लगा। फिर मैंने उनके सर पर अपना हाथ रख दिया और नीचे से कमर चला चलाकर उसके मुंह में लंड देने लगा। फिर मैंने उसको बाथरूम के भीगे फर्श पर लिटा दिया और उसके उपर लेट गया और फिर से अपनी डॉ, दीदी के दूध पीने लगा।

शावर के ठन्डे पानी में हम दोनों अठखेलियाँ करने लगे और मैंने चुदासी डॉ दीदी के दूध फिर से पीने लगा।

“चूसो…..भैया अच्छे से चूसो!!” डॉ दीदी बोली

मैं जोश में आ गया और डॉ दीदी के आम पीने और चूसने लगा। दीदी के दूध के घेरे बहुत आकर्षक थे और निपल्स काफी बड़ी बड़ी थी जो मेरे चूसने से खड़ी हो गयी थी। फिर मैंने उसकी सेक्सी और गहरी नाभि चूमने लगा। शावर का पानी सीधा दीदी की चूत पर गिर रहा था, जिससे वो और जादा साफ़, सुथरी और चिकनी हुई जा रही थी। नाभि पीते पीते मैं अपनी दीदी की चूत पर पहुच गया। उसने अपनी दोगो सफ़ेद उजली भरी हुई जांघ खोल दी। मैंने उसकी बुर में घुस गया और उसकी रसीली चूत पीने लगा। अब शावर का पानी सीधा मेरे सर पर गिर रहा था जिससे मैं मजा आ रहा था। मैं जीभ चला चलाकर अपनी दीदी की बुर पीने लगा। फिर 10 मिनट बाद दीदी की चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। और हम जल्दी से कपड़े वह कर बाहर आ गए और डॉ दीदी ने गेट खोला तो उनकी फ्रेंड करिश्मा खाना और बियर लेकर आई थी।

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शावर के ठन्डे पानी में हम दोनों अठखेलियाँ करने लगे और मैंने चुदासी डॉ दीदी के दूध फिर से पीने लगा।

“चूसो…..भैया अच्छे से चूसो!!” डॉ दीदी बोली

मैं जोश में आ गया और डॉ दीदी के आम पीने और चूसने लगा। दीदी के दूध के घेरे बहुत आकर्षक थे और निपल्स काफी बड़ी बड़ी थी जो मेरे चूसने से खड़ी हो गयी थी। फिर मैंने उसकी सेक्सी और गहरी नाभि चूमने लगा। शावर का पानी सीधा दीदी की चूत पर गिर रहा था, जिससे वो और जादा साफ़, सुथरी और चिकनी हुई जा रही थी। नाभि पीते पीते मैं अपनी दीदी की चूत पर पहुच गया। उसने अपनी दोगो सफ़ेद उजली भरी हुई जांघ खोल दी। मैंने उसकी बुर में घुस गया और उसकी रसीली चूत पीने लगा। अब शावर का पानी सीधा मेरे सर पर गिर रहा था जिससे मैं मजा आ रहा था। मैं जीभ चला चलाकर अपनी दीदी की बुर पीने लगा। फिर 10 मिनट बाद दीदी की चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं सारा पानी पी गया। तभी दरवाजे की घंटी बजी। और हम जल्दी से कपड़े वह कर बाहर आ गए और डॉ दीदी ने गेट खोला तो उनकी फ्रेंड करिश्मा खाना और बियर लेकर आई थी।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 81

जब में बाहर से आया तो मैंने देखा कि करिश्मा और डॉ दीदी हॉल में बैठी थी, तो मैंने सोचा कि आज तो सब चौपट हो गया। फिर डॉ दीदी ने मुझे करिश्मा से मिलवाया और कहा कि ये मेरा भाई है राज और मुझे कहा कि ये मेरी फ्रेंड है करिश्मा और मुझे आँख मारी। मैंने करिश्मा को हेलो बोला तो उसने उठ कर मुझे गले लगा लिया और कहा कि तू भी मेरा भी भाई बन जा। मैंने कहा ओके। फिर करिश्मा दीदी ने मुझे गाल पर किस किया। फिर हम तीनो बैठ गए और बाते करने लगे। डॉ दीदी और करिश्मा दीदी की बातों से मुझे आता लगा कि करिश्मा की उम्र 36 साल की थी, वो शादीशुदा है, पर उसके कोई बच्चा नही था। ये बाते उस वक़्त बाते करते हुए मुझे पता लगा। फिर मैंने डॉ दीदी से कहा कि दीदी पानी देना। फिर जब डॉ दीदी पानी लेने गयी, तो में भी किचन में चला गया और डॉ दीदी से बोला कि करिश्मा दीदी कब जाएगी? तो डॉ दीदी बोली कि मेरे साथ और आज यहाँ पर ही रहेगी।

फिर में बोला कि आज की रात अपनी सुहागरात नहीं हो पाएगी। फिर दीदी बोली कि उसकी चिंता मत करो, आज तो तुमको दोनों साथ में मिलेगी। फिर में बोला कि वो कैसे? करिश्मा दीदी को सब पता है क्या? तो डॉ दीदी बोली कि हाँ और उसके पति से उसको बच्चा नही हो सकता, इसलिए मैंने उसे बुलाया है कि वो तुमसे बच्चा ले ले।

मै ये सुन कर खुश हो गया, फिर हम दोनों हाल में आ गए।

डॉ दीदी ने बियर निकली और हम तीनो बियर पीने लगे। बियर पीते पीते करिश्मा दीदी मुझे बार बार हवस भारी नजरो से देख रहे थी।

फिर हम सबने एक साथ डिनर कर लिया और करीब 9 बजे बैडरूम में चले गये। फिर डॉ दीदी बोली आओ शुरू करते है। डॉ दीदी मुझसे और करिश्मा दीदी अपने पति से मज़ा ले चुकी थी, इसलिए उनको सब मालूम था कि कहा से ज्यादा सेक्स का मज़ा मिलता है।

फिर डॉ दीदी ने धीरे-धीरे करिश्मा दीदी के सब कपड़े निकाल दिए। अब करिश्मा सिर्फ ब्रा और पेंटी में हो गयी थी। फिर डॉ दीदी धीरे-धीरे उसके निप्पल को सहलाने लगी तो करिश्मा दीदी जल्दी ही उत्तेजित हो गयी और ज़ोर-जोर से आआआआआ, आआ करने लगी। मैं बेड पर बैठ ये सब देख रहा था और बियर पी रहा था।

अब डॉ दीदी को भी सेक्स चढ़ने लगा था और अब डॉ दीदी अपने चूतड़ मेरी तरफ रगड़ने लगी थी। फिर में झट से डॉ दीदी के पास गया और उसकी चुत पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा और अपना लंड करिश्मा दीदी को लेटकर उनकी चूत पर ऊपर से रगड़ने लगा। अब करिश्मा दीदी मज़ा अपनी आँखे बंद करके ले रही थी और इधर डॉ दीदी अपनी पेंटी को थोड़ा सरका दिया था और मैं उनकी चुत में जीभ डालने लगा।

अब डॉ दीदी आआआआ माआआआआअ करके करिश्मा से चिपक गयी थी और करिश्मा भी दीदी से चिपक गयी थी। फिर जब डॉ दीदी के बूब्स को दबाते हुए करिश्मा ने मुझसे कहा की भाई मेरी चुत भी चाट। फिर करिश्मा बोली कि तो मेरी चूत में यहाँ खाली पड़ी है। फिर मैंने भी आव देखा ना ताव और सीधा उठ करिश्मा दीदी से चिपक गया, तो करिश्मा ने भी मेरा साथ दिया।

अब में आपको करिश्मा के फिगर के बारे में बता देता हूँ, उसकी हाईट 5 फुट 1 इंच, फिगर साईज 32-28-36 था, अब में करिश्मा के साथ मजे ले रहा था।

और करिश्मा दीदी के बूब्स को धीरे-धीरे मसलने लगा। अब इधर डॉ दीदी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर अंदर बाहर कर रही थी। फिर मैंने डॉ दीदी और करिश्मा को साथ में लेटा दिया और बारी से उन दोनों की चुत चाटी ओर उनका पानी पी गया।

फिर करिश्मा दीदी ने मेरा लन्ड चूसा तो बोली कि मेरे पति का तो इस से आधा भी नही है और पूरा लन्ड मुह में लेने की कोशिश करने लगी। 10 मिनट लन्ड चुसाने के बाद बोली राज मुझे आज तेरे बच्चे की माँ बना दे। फिर मैने करिश्मा दीदी को सीधा लेटा दिया, उनकी टांगे खोली और करिश्मा की चूत में अपना लंड डालने लगा और लन्ड का टोपा उसकी चुत में गया तो उसकी आहे निकल गयी।

To be Continued

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