डॉ दीदी- भाई, मैं बहुत अकेली हूँ।
उनकी बात सुनकर मैं बोला- आप ऐसा क्यों कह रही हैं कि आप अकेली हैं … आपके फैमिली वाले भी तो है।
डॉ दीदी ने एक लम्बी सांस लेकर सबके बारे में मुझे बताया की उनके बॉय फ्रेंड ने उनको धोका दिया, वो सिर्फ सेक्स करना चाहता था उनके साथ और अपने दोस्तों से भी चुदवाना चाहता था, पर उसकी सच्चाई उनको पता चल गई और वो किसी से भी नही चुदी अब तक।
मैं- फिर तो आप अभी तक कुँवारी हो।
तो फिर उन्होंने स्माइल पास की और बोलीं- हाँ भाई, अब तुम ही मेरी कुंवारापन तोड़ना।
मैं- जी दीदी। (और उनको गले लगा लिया)
फिर मैंने उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने मुझे एक प्यारी सी स्माइल दे दी।
फिर डॉ दीदी ने मुझसे कॉफ़ी के लिए पूछा, तो मैंने में बोला कि मुझे तो आपकी चूत का पानी पीना है मेरी जान।
डॉ दीदी मुस्कुरा दीं और बोलीं- ठीक है जो पीना है, पी लो।
चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 77
घर में कोई और था नहीं … तो डॉ दीदी खुल कर एन्जॉय क़रना चाहती थीं।
डॉ दीदी मुझे किस करने लगीं।
मैं उनके चुम्बन का मजा लेने लगा।
वो मुझे दो मिनट तक किस करने के बाद मुझसे अलग होकर बोलीं- तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। मैं तुम्हारी तरफ से पहल करने का बहुत बेसब्री से वेट क़र रही थी, पर जब तुमने कुछ नहीं किया, तो मैंने खुद ही सोची कि मैं ही शुरू कर दूं।
मैंने बस इतना ही कहा- इतनी भी जल्दी क्या थी?
तो डॉ दीदी ने कहा- जल्दी इसलिए कि कहीं तुमको कोई दूसरी न पटा ले।
मैं हंस दिया।
मैंने कहा- मैं तो पहले से ही आप पर फ़िदा था। हां यदि आपकी तरफ से लिफ्ट न मिलती, तो अलग बात थी।
डॉ दीदी ने मुस्करा कर मेरी तरफ बांहें फैला दीं, तो मैंने उन्हें हग कर लिया और उनको चूमने लगा।
डॉ दीदी भी मुझसे नागिन सी लिपट गईं और मेरे बदन में सनसनी दौड़ने लगी। उनके चूचे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे। उनकी गर्दन की चुम्मियां मुझे बौरा रही थीं और उनके बालों की महक मुझे पागल किये दे रही थी।
मैंने उनको अपनी बांहों में जकड़ते हुए अपने में समाने की कोशिश की तो मेरे लंड खड़ा होकर उनकी कमर से लड़ने लगा। दीदी भी मेरे कानों में गर्म सांसें छोड़ते हुए कह रही थीं।
‘यू आर हॉट बेबी।'
मैं भी उन्हें गर्दन पर किस करते हुए कहने लगा- यू टू माइ डॉल।
डॉ दीदी अपने बदन पर सेक्सी परफ्यूम लगाकर आई थीं।
उनकी उस महक से मैं मस्त महसूस करने लगा। मैं उनकी सेक्सी महक से खुद को मदहोश महसूस करने लगा था। मैंने उनको अपने से और भी ज्यादा चिपका लिया था। वो भी पूरी मेरे ऊपर लेट गई थीं और उन्होंने अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया था।
मेरे कान में दीदी बोलीं- जान मैं बहुत प्यासी हूँ। आज मेरी प्यास बुझा दो। मैं आज तेरी हूँ।
डॉ दीदी की डिमांड पर मैं क्या बोलता, मैं उनकी चाहत को सुनकर खुद बहुत खुश हो गया था। मैं भी उन्हें खूब मजा देना चाहता था। उनमें समां जाना चाहता था।
मैं उनके होंठों को किस करते हुए उनके मम्मों को दबाने लगा। वो भी मेरे होंठों में अपने होंठ लगाते हुए अपना रस पिलाने लगीं। वाओ क्या रस से भरे होंठ थे। मैंने जीभर कर डॉ दीदी के होंठों को चूसा। दीदी ने अपनी जीभ भी मेरे मुँह में डाल दी थी। मैं तो एकदम से पागल ही हो गया था।
शायद प्रेम करते समय मर्द और औरत के मुँह जुड़ना लंड चूत की चुदाई से कहीं ज्यादा मजा देता है। ऐसा मेरा अनुभव है। तब भी चुदाई को प्रकृति ने बनाया है। उसी से सृजन होता है। तो उससे अधिक तो कुछ हो ही नहीं सकता है।
मैं डॉ दीदी के होंठों और जीभ को चूसने के साथ साथ नीचे हाथ ले गया और उनकी चूत को निक्कर के ऊपर से रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर वो एकदम से मस्त और गर्म हो गईं।
चुदास की गर्मी थी और पहला मिलन था, तो कुछ ही पलों में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वो मेरी ऊपर में अपना वजन डालते हुए बोलीं- आंह राज … मेरे अन्दर बहुत दिनों की आग लगी थी। ऊपर से तुमको याद करके मैं हॉस्पिटल में तुम्हारे नाम से अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
मैंने उनके गालों पर कट्टू करते हुए कहा- मुझे नहीं पता था कि आप इतनी प्यासी हो। एक इशारा तो दिया होता तो रात को ही चोद देता।