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Incest चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra

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मैं बस उनकी बातें सुन रहा था और सोच रहा था कि डॉ नेहा दीदी को चोदने के लिए कैसे पटाऊ।

बीच मे मुझे बुलाती तो बस मैं हूँ हाँ कर देता।

ऐसे ही मुझे लेटे लेटे हल्की नींद आने लगी और उनकी बाते भी अब कम हो गयी थी और ड़ॉ दीदी भी वहीं सो गई।

तभी अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरे लण्ड पर कुछ है, जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो ये किसी का हाथ मेरे लन्ड पर था।

मैंने धयान से देखा तो वो हाथ ड़ॉ आँटी का था जो धीरे धीरे मेरे लन्ड को सहला रही थी, मैं भी चुप चाप बिना हिले लेता रहा की देखते है आँटी क्या करती है।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 72

डॉ आँटी धीरे धीरे मेरा लन्ड हिलाते हुए थोड़ा दबा भी देती, जिससे मेरे मुँह से आ आह निकल गयी, तो डॉ आँटी ने मेरा लन्ड छोड़ दिया। मैं बिना हिले ऐसे ही लेटा रहा।

थोड़ी देर बाद डॉ आँटी खड़ी हुई और अपनी नाइटी उतार कर मेरे लन्ड के पास आई, मेरी निक्कर नीचे कर मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी जीभ मेरे लन्ड पर लगाई, जिस से मैं सिहर गया। आँटी समझ गयी कि मैं जाग रहा हूँ इसलिए आँटी ने अपना मुँह खोला और मेरा लन्ड अपने मुह में ले लिया। मेरे हाथ अपने आप आँटी के सिर पर चले गए। मैं आँटी का सिर अपने लन्ड पर दबाने लगा। आँटी भी मेरा पूरा लन्ड मुँह में लेकर चुसने लगी। मैंने डॉ दीदी की तरफ देखा तो वो सो रही थी, वो सोते हुए भी दीपिका दीदी की तरह बहुत सेक्सी लग रही थी। उनकी टी शर्ट में उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उभरी हुई दिख रही थी। दिल कर रहबता की उनको पकड़ कर अभी सारा रस निचोड़ कर पी लू। डॉ हेमलता आँटी तेजी से मेरा लन्ड चुसने लगी। 20 मिनट तक आँटी ने लन्ड चूसा और मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने आँटी का सिर पूरा लन्ड पर दबा दिया और मेरा पानी निकल गया, जिसे डॉ आँटी ने अपने मुह में ले लिया। फिर उन्होंने मुँह से लन्ड निकाला तो कुछ माल उनके मुँह पर लगा था, कुछ वो पी गयी।

फिर वो वाशरूम गयी और अपना मुँह धोकर मेरे पास आकर लेट गयी। मैं उनकी तरफ़ घुमा, तो आँटी थोड़ा मेरे पास होकर मुझसे सट गयी।

फिर डॉ आंटी ने धीरे से मुझ से कहा- राज मुझे ज़ोर से पकड़ो।

मैंने उनसे कहा- आप घूम कर लेट जाओ।

आंटी के सिर को मैंने अपने एक हाथ के नीचे रखा और दूसरा उनके पेट पर रखा। अब हम दोनों की पोजिशन कुछ इस तरह थी कि उनकी गांड मेरे लंड पर पूरी तरह से चिपकी हुई थी और मैं पूरी तरह से उन्हें दोनों हाथों से पकड़े हुआ था।

मेरा लंड आंटी की गांड की दरार के बीच में घुस कर वापिस टाइट होने लगा था। मैं अपनी कमर को और आगे ले जाने लगा और अपनी पकड़ को भी टाइट करने लगा। आंटी ने भी अपनी कमर और पीछे खिसका ली। कुछ ही देर में मेरा लन्ड फिर से तनाव में आने लगा और मेरा लंड अब मेरे बस में नहीं था। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था और वो पूरी तरह से आंटी की चूत में घुसने को तैयार था।

AC की वजह से कमर काफी ठंडा था।

तभी मैंने अपने हाथ को उनके ब्रा के नीचे घुसा कर उनके पेट पर रख दिया। उनका पेट तो गर्म हो रहा था। मेरा ठंडा हाथ रखने से मुझे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था।

मैं अपने हाथ को आंटी के पेट पर और ज़ोर से रगड़ने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा। सहलाने के कारण कई बार मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकराया।

अब मैं डॉ आंटी के एक दूध को पकड़ कर सहलाने लगा। उनकी दूध का निप्पल बिल्कुल टाइट हो कर बाहर निकल गया था। मैं उनके निप्पल को उंगलियों के बीच रख कर धीरे-धीरे घुमाने लगा। अब उनके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी।

फिर मैं अपना हाथ उनकी पीठ पर लाया और उनकी ब्रा के हुक खोल दिये। फिर मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार कर अपने पेट और सीने को उनकी नंगी पीठ पर सटा कर पूरी तरह से खुद को आंटी से चिपका लिया। डॉ दीदी के वहाँ होने के कारण हम बहुत सावधानी से कम आवाज़ किये सब कुछ कर रहे थे।
आंटी को भी मेरे जिस्म की गर्मी अच्छी लग रही थी। वो भी मुझसे पूरी तरह से चिपक गयी थी। अब मेरे लंड को और रोक पाना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था। मैं उनकी पैंटी को पकड़ा और धीरे धीरे नीचे करने लगा तो वो थोड़ी-थोड़ी कमर उठाने लगी। मैं समझ गया कि आंटी को अब लंड की गरमी की ज़रूरत है । वो अब पूरी तरह से तैयार थी।

मैंने अब अपने बाकी कपड़े भी उतार फैंके और उन्हें भी पूरी नंगी कर दिया।

जैसे ही मैंने उनकी चूत को छुआ उनकी आह … निकल गयी। उनकी चूत पूरी गीली थी मेरा भी बुरा हाल था।

मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और उनके पीछे पहले की तरह लेट गया। लण्ड को उनकी चूत के मुहाने पर थोड़ी देर घिसा, डॉ आँटी सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर उन्होंने अपनी कमर पीछे को करके लण्ड का स्वागत किया। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर धीरे से एक धक्का मारा और लंड थोड़ा सा चूत में घुस गया और उनके मुँह से आह निकल गयी। मैंने अपना हाथ उनके मुँह पर रख ताकि आवाज़ न हो और तीन धक्के मारे तो मेरा पूरा लन्ड उनकी चुत में चला गया। उन्हें हल्का हल्का दर्द हो रहा था।

मैं अब उनकी चूचियों को अपने हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था। अब मैंने धीरे-धीरे पीछे से उनकी चूत में धक्के लगाने शुरु किये।
वो भी आह-आह के साथ ही इस चुदाई का मजा ले रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो मेरी तरफ़ घूम गयी। मैं अब उनके दोनों पैरों को खोल कर बीच में बैठ गया और उसकी चूचियों को मुंह से चूसने लगा।

तभी आंटी मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींचने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत चुदवाने के लिये बेताब हो रही है।

मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत के छेद पर रख कर एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लण्ड उनकी पनियाई चूत में घुस गया।

उन्होंने हल्की सी आह की। डॉ आँटी पूरी मस्ती में थी। उनके मुंह से धीरे धीरे ऊह-आह की आवाज़ निकल रही थी। मैं पूरी स्पीड में अपने लण्ड को पूरा बाहर करके अंदर डाल रहा था। लण्ड और आंटी की चूत के टकराने से थप-थप की आवाज़ आ रही थी। आंटी भी अपनी कमर को उठा-उठा कर पूरा साथ दे रही थी। पर थप थप की आवाज़ के कारण मुझे स्पीड कम करनी पड़ी। पर 5 मिनट बाद अचानक वो मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से खींचने लगी। और इशारे करने लगी जोर जोर से चोदने का।

मैंने उन्हें इशारा किया कि नेहा दीदी सो रही है, तो उन्होंने कहा कोई बात नही बस मुझे जोर जोर से चोदो। मैं भी फिर उनकी बेटी डॉ नेहा दीदी की परवाह किये बिना डॉ आँटी को ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। पूरे रूम में थप थप की आवाज़ गूंजने लगी।

तभी मेरी नज़र नेहा दीदी की तरफ गयी तो उनकी आंखें देख कर मुझे लगा की शायद उनकी आँखें खुली है और वो हमें देख रही है, पर अंधरे में साफ नही दिख रहा था तो मैं उनकी परवाह किये बिना आँटी को चोदने लगा। आँटी का 1 बार पानी निकाल चुका था और फिर अचानक मेरे लण्ड ने 8-10 झटकों में पिचकारी की तरह पूरी गर्मी को आंटी की चूत में भर दिया। आंटी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गयी। और आँटी का दूसरी बारपानी निकल गया। हम दोनों आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे।

To be Continued

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मैंने उन्हें इशारा किया कि नेहा दीदी सो रही है, तो उन्होंने कहा कोई बात नही बस मुझे जोर जोर से चोदो। मैं भी फिर उनकी बेटी डॉ नेहा दीदी की परवाह किये बिना डॉ आँटी को ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। पूरे रूम में थप थप की आवाज़ गूंजने लगी।

तभी मेरी नज़र नेहा दीदी की तरफ गयी तो उनकी आंखें देख कर मुझे लगा की शायद उनकी आँखें खुली है और वो हमें देख रही है, पर अंधरे में साफ नही दिख रहा था तो मैं उनकी परवाह किये बिना आँटी को चोदने लगा। आँटी का 1 बार पानी निकाल चुका था और फिर अचानक मेरे लण्ड ने 8-10 झटकों में पिचकारी की तरह पूरी गर्मी को आंटी की चूत में भर दिया। आंटी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गयी। और आँटी का दूसरी बारपानी निकल गया। हम दोनों आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 73

मैं- आंटी … कैसी रही चुदाई, मजा आया या नहीं?

डॉ आँटी- राज, बहुत मजा आया। बहुत दिनों बाद लण्ड लिया।

मैं- लेकिन आंटी मैं आपसे खुश नहीं हूं। मुझे अभी आपकी गाँड़ भी मारनी है।

आँटी- अरे मेरे राज, मैंने कभी गाँड़ नही मरवाई। कैसे मैं तुम्हारा इतना बड़ा लण्ड लूंगी गाँड़ में। यही समझ में नहीं आ रहा। मगर इस चूत को तो तुम्हारा लण्ड अपने अन्दर लेना ही था तो अब मैं क्या करती। पर गाँड़ में कैसे लुंगी कुछ समझ नहीं आ रहा”

मैं- आंटी जी, यदि आपको मजा लेना है तो आपको मुझे अपनी गाँड़ देनी ही पड़ेगी।

आँटी- बेटा आज नही आज तो तुम्हरे लन्ड ने मेरी चुत का भर्ता बना दिया, इतना बड़ा और मोटा लन्ड मैंने पहले कभी नही लिया। पर बहुत मजा आया, अब तो बस तुम्हारा ही लन्ड लुंगी मैं।

मैं- ठीक है आप भी जब चाहोगी तभी इस लण्ड का पूरा मजा ले पाओगी। पर.....

आँटी- पर क्या बेटा।

मैं- छोड़ो आप बुरा मान जाओगी।

आँटी- नही बेटा बोलो, मैं बुरा नही मानूँगी।

मैं - मैं एक बात कहूं, प्लीज बुरा मत मानना।

आँटी( मुझे किस करते हुए)- बोलो बेटा।

मैं- आँटी मुझे नेहा दीदी बहुत अच्छी लग रही है, मुझे लगता है मुझे उनसे प्यार हो गया। मैं उनसे शादी करना चाहता हूँ।

आँटी(थोड़ा गुस्से में)- बेटा ये क्या बोल रहे हो, वो तुम्हारी बहन जैसी है।

मैं(मासूम से सूरत बनाते हुए)- पर आँटी मैं उनसे प्यार करता हूँ।

और मैं झूठमूठ के आँसु निकलने लगा।

आँटी- बेटा रो मत प्लीज, देख बेटा नेहा और तेरी शादी नही हो सकती, वो तुझसे बहुत बड़ी है, कोई नही मानेगा शादी के लिए, और वैसे भी नेहा शादी नही करना चाहती।

मैं- अगर मैं नेहा को मना लूं तो।

आँटी- ठीक है अगर नेहा मान गयी तो मैं तुम्हारी शादी करवा दूंगी।

मैं (आँटी को गले लगाते हुए)- आई लव यू आँटी।

आँटी- आई लव यू टू

आँटी- बेटा, एक बात बता की नेहा में तूने ऐसा क्या देखा जो तू उस से शादी करना चाहता है।

मैं- क्योकि वो आप जैसी दिखती है और वो मुझे मिल गयी तो मैं आपको भी जब मर्जी मिल सकता हूँ और चोद सकता हूँ (मैंने उन्हें मस्का लगाते हुए कहा।)

डॉ आँटी मेरे लण्ड को हाथ में लेते हुये बोली- ना रे मेरे राजा, इस लण्ड के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं। आज से नेहा तेरी। लेकिन मेरी बेटी के चक्कर में मेरी चूत को न भूल जाना।

“आंटी आप चिन्ता ना करो। एक दिन आपको और आपकी बेटी को इसी बिस्तर में एक साथ चोदूंगा।

अरे ऐसा सोचना भी मत! मेरी चुदाई की बात मेरी बेटी को कभी पता नहीं चलनी चाहिये वरना वो मुझे रण्डी समझेगी और मेरी बेटी को छोड़ कर उसकी जिंदगी बर्बाद मत कर देना, उससे बाद में शादी कर लेना। शादी के बाद भी मुझे ये सुख देते रहना।”

“ठीक है आंटी, जैसा आप ठीक समझें।”

आधे घंटे के बाद मेरे लंड में फिर से जोश आने लगा। मैंने आंटी को उल्टी लिटा दिया और पीछे से उसकी चूत को चोदने लगा। पीछे से चोदने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी कुंवारी लड़की की चुदाई कर रहा हूं। फिर 5 मिनट में आँटी का पानी निकल गया तो मेरा मन अब उनकी गाँड़ मारने का करने लगा तो मैंने लन्ड उनकी चुत से निकाला और उनकी गाँड़ के मोरे पर रखा। मेरा लन्ड उनकी चुत के पानी से गीला और चिकना था तो मैंने उनकी गाँड़ पर लन्ड रख कर एक झटका दिया तो तो लन्ड का टोपा उनकी गाँड़ में घुस गया और आँटी के मुह से चीख निकल गयी और वो अपनी गाँड़ से लन्ड निकलने की कोशिश करने लगी। पर मैंने उनकी कमर को कस कर पकड़ लिया और उन्हें हिलने नही दिया।

आँटी बोलने लगी की बाहर निकाल लन्ड मर जाऊंगी, पर मैंने लन्ड बाहर नही निकाला और उनकी बेटी डॉ नेहा की परवाह किये बिना की कहीं नेहा उठ न जाये, मैंने आँटी की गाँड़ पर लन्ड का दबाव बनाए रखा जिस से धीरे धीरे लन्ड आँटी की गाँड़ में घुसने लगा। आँटी अब जोर जोर से चीखने लगी और मुझे गालियां देने लगी।

आँटी- साले कुत्ते, मादरचोद, बहनचोद बाहर निकाल मर गई, हरामी आ आ आ आ फट गई छोड़ मुझे हरामी।

पर मैं बेफिक्र होकर उनकी गाँड़ में लन्ड डालता रहा।

डॉ आँटी इतना चीख रही थी जोर जोर से मुझे गालियां दी रही थी, फिर भी उनकी बेटी डॉ नेहा उठी नही, तो मुझे यकीन हो गया कि वो जाग रही है। बस सोने का नाटक कर रही है।

धीरे धीरे मेरा पूरा लन्ड आँटी की गाँड़ में घुस गया। आँटी का दर्द के मारे बुरा हाल था। आँटी की आंखों में आंसू आ गए थे। पर मैं जालिमों की तरह उनकी गाँड़ पर दबाव बनाए हुए था।

मैं अब धीरे धीरे उनकी गाँड़ पर धक्के लगाने लगा। उनकी गाँड़ में आज पहली बार लन्ड गया था। वो रो रही थी, गालियां दी रही थी और मैं धक्के लगाता रहा।

To be Continued

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आँटी- साले कुत्ते, मादरचोद, बहनचोद बाहर निकाल मर गई, हरामी आ आ आ आ फट गई छोड़ मुझे हरामी।

पर मैं बेफिक्र होकर उनकी गाँड़ में लन्ड डालता रहा।

डॉ आँटी इतना चीख रही थी जोर जोर से मुझे गालियां दी रही थी, फिर भी उनकी बेटी डॉ नेहा उठी नही, तो मुझे यकीन हो गया कि वो जाग रही है। बस सोने का नाटक कर रही है।

धीरे धीरे मेरा पूरा लन्ड आँटी की गाँड़ में घुस गया। आँटी का दर्द के मारे बुरा हाल था। आँटी की आंखों में आंसू आ गए थे। पर मैं जालिमों की तरह उनकी गाँड़ पर दबाव बनाए हुए था।

मैं अब धीरे धीरे उनकी गाँड़ पर धक्के लगाने लगा। उनकी गाँड़ में आज पहली बार लन्ड गया था। वो रो रही थी, गालियां दी रही थी और मैं धक्के लगाता रहा।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 74

धीरे धीरे उनकी गोल-गोल गांड मेरे लंड के दोनों तरफ़ इस तरह से फ़िट हो रही थी मानो मेरे लिये ही वो गांड बनी हो। अब आँटी का दर्द थोड़ा कम हो गया तो मैं फ़ुल स्पीड में उनकी गाँड़ चुदाई करने लगा और आँटी की चीखें अब धीरे धीरे सिस्कारियाँ में बदलने लगी। 15 मिनट बाद लंड ने सब गर्मी बाहर निकाली तो उनकी गाँड़ मेरे वीर्य से भर गयी। जब मैंने लन्ड बाहर निकाला तो मेरा वीर्य, थोड़ा से खून और उनकी टट्टी मेरे लन्ड पर लगी हुई थी। मैं वाशरूम गया और लन्ड धोया तो डॉ आँटी भी थोड़ा लंगड़ाते हुए वाशरूम में आई और अपनी गाँड़ धोने लगी और मुझे देख कर गालियां देने लगी।

आँटी- बहनचोद साले जा अपनी बहन की गाँड़ फाड़ ऐसे, तेरी गाँड़ में डंडा डालूंगी फिर तुझे दर्द का पता चलेगा।

मैं(मन में सोचते हुए)- बहन की मस्त मोटी गाँड़ तो फाड़ ही चुका हूँ साली अब तेरी बेटी की गाँड़ फाड़नी है।

मैंने हंसते हुए उन्हें किस किया और आकर लेट गया।

अब उनकी चूत और गाँड़ की खुजली कुछ हद तक तो मिट ही चुकी थी।

उस रात मैंने आंटी को एक बार और चोदा।

मैंने उनके सभी छेदों को अपने पानी से भर दिया था।

सुबह 7 बजे हम दोनों सो गए।

बस अब बेटी को चोदना था

To be Continued

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आँटी- बहनचोद साले जा अपनी बहन की गाँड़ फाड़ ऐसे, तेरी गाँड़ में डंडा डालूंगी फिर तुझे दर्द का पता चलेगा।

मैं(मन में सोचते हुए)- बहन की मस्त मोटी गाँड़ तो फाड़ ही चुका हूँ साली अब तेरी बेटी की गाँड़ फाड़नी है।

मैंने हंसते हुए उन्हें किस किया और आकर लेट गया।

अब उनकी चूत और गाँड़ की खुजली कुछ हद तक तो मिट ही चुकी थी।

उस रात मैंने आंटी को एक बार और चोदा।

मैंने उनके सभी छेदों को अपने पानी से भर दिया था।

सुबह 7 बजे हम दोनों सो गए।

बस अब बेटी को चोदना था

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 75

अगले दिन मैं दोपहर को 12 बजे उठा। तो देखा कि लता मौसी डॉ आँटी के घर आई हुई है और डॉ नेहा दीदी अपने क्लिनिक जा चुकी थी और डॉ आँटी और मौसी हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार हो रही थी। डॉ आँटी नहाने के लिए गयी, तो लता मौसी ने मुझे पकड़ा और मुझे किस करने लगी।

मौसी- रात को तेरे बिना मुझे नींद नही आई, आज रात को भी मुझे लगता है कि मुझे आशा के साथ ही रुकना पड़ेगा।

मैं- मौसी मुझे भी आपके बिना नींद नही आई, बस सारी रात करवट ही बदलता रहा और सुबह 7 बजे सोया।

मौसी- जब तक हेमलता नहा कर आती है, तब तक जल्दी से मेरी आग शान्त कर दे।

ये कह कर मौसी नीचे बैठी और मेरी निक्कर नीचे कर के मेरा लन्ड निकाल कर चुसने लगी।

5 मिनट लन्ड चूस कर मौसी ने पूरा टाइट कर दिया फिर जल्दी से अपनी मैक्सी उठा कर डाइनिंग टेबल के सहारे घोड़ी बन गयी और अपनी मैक्सी कमर तक उठा ली।

मौसी ने पैंटी नही पहनी थी, तो मौसी की चूत बाहर की और निकल आयी।

मौसी- जल्दी से लन्ड घुसा दे मेरी चूत में।

मैंने अपना लन्ड पकड़ा और मौसी की चूत पर रखा और एक झटके में चूत में घुसा दिया।

मौसी के मुँह से जोरदार सिसकारी निकली- आआआह ह ह ह ह ।

फिर में धक्के मारने लगा।

मौसी- आ आ आ ह ह ह ह ह ह ऊ ऊ ऊ ह ह ह फाड़ दे बेटा आ आ आ

मैं ऐसे ही मौसी को चोदता रहा, 10 मिनट बाद मौसी की चूत का पानी निकल गया, तो मैंने अपना लन्ड बाहर निकाला और मौसी की गाँड़ की मोरी पर रख दिया और झटके से अंदर घुसा दिया। मेरा आधा लन्ड मौसी की गाँड़ में घुस गया, क्योकि मेरा लन्ड मौसी के चुत रस से चिकना हुआ था।

मौसी- आ आ आ आ आ आ आराम से डाल साले भड़वे, मदरचोद।

गाली सुन मैं जोश में आ गया और एक झटका दिया तो ओर लन्ड गाँड़ में घुस गया।

मौसी- आ आ आ आ मर गई बहनचोद

मैं- साली रंडी कुतिया, आज तेरी गाँड़ फाड़ दूँगा

और मै तेज तेज मौसी की गाँड़ चोदने लगा।

मौसी- उ आह उ हा तेज आह फाड़ ऊई

ऐसे ही मैंने 15 मिनट मौसी की गाँड़ मारी और मेरा पानी मौसी की गाँड़ में निकल गया।

फिर हमने कपड़े ठीक किये और डाइनिंग टेबल के पास बैठ गए।

5 मिनट बाद डॉ आँटी नहा कर आ गयी फिर मौसी नहाने चली गयी।

डॉ आँटी नाश्ता लगाने लगी, फिर मौसी नहा कर आ गई और हमने तीनो ने खाना खाया। फिर वो दोनों हॉस्पिटल चली गयी और मुझसे कहा कि तू हॉस्पिटल जाकर क्या करेगा नहा लेना और 4 बजे नेहा दीदी आ जायेगी।

फिर वो दोनों चली गयी अब मैं घर पर अकेला था। दोपहर को 1.30 बज गए थे। मैं पहले नहाने चला गया। 2 बजे तक मैं नहा कर तैयार हो गया।

फिर मुझे सिगरेट पीने का मन हुआ तो मैं घर पर लॉक करके बाहर आया और थोड़ी दूर सेक्टर 17 के सामने जाकर एक दुकान से सिगरेट ली और सिगरेट पीने लगा। करीब 2.30 बजे मैं वापिस आया और डॉ आँटी के रूम में लेटकर टीवी देखने लगा।

4 बजे घंटी बजी तो मैं बाहर गेट खोलने गया तो देखा डॉ नेहा दीदी आ गयी है। उन्होंने एक टाइट जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी ऊपर डॉक्टर वाला कोट। उन्होंने आते ही मुझे गले लगाया और मुझे उनके मोटे मोटे मुम्मे मेरी छाती में फील हुए, बहुत टाइट मुम्मे हैं उनके, उनके मुम्मे फील होते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर मैं उनसे अलग हुआ तो मेरे लन्ड का उभार मेरे पेंट पर साफ दिख रहा था। डॉ दीदी ने वो देख लिया और मुझे नॉटी स्माइल देकर आने रूम में चली गयी।

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दोपहर को 1.30 बज गए थे। मैं पहले नहाने चला गया। 2 बजे तक मैं नहा कर तैयार हो गया।

फिर मुझे सिगरेट पीने का मन हुआ तो मैं घर पर लॉक करके बाहर आया और थोड़ी दूर सेक्टर 17 के सामने जाकर एक दुकान से सिगरेट ली और सिगरेट पीने लगा। करीब 2.30 बजे मैं वापिस आया और डॉ आँटी के रूम में लेटकर टीवी देखने लगा।

4 बजे घंटी बजी तो मैं बाहर गेट खोलने गया तो देखा डॉ नेहा दीदी आ गयी है। उन्होंने एक टाइट जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी ऊपर डॉक्टर वाला कोट। उन्होंने आते ही मुझे गले लगाया और मुझे उनके मोटे मोटे मुम्मे मेरी छाती में फील हुए, बहुत टाइट मुम्मे हैं उनके, उनके मुम्मे फील होते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर मैं उनसे अलग हुआ तो मेरे लन्ड का उभार मेरे पेंट पर साफ दिख रहा था। डॉ दीदी ने वो देख लिया और मुझे नॉटी स्माइल देकर आने रूम में चली गयी।

चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 76

थोड़ी देर बाद डॉ दीदी चेंज करके बाहर आई। तो उन्होंने एक खुली सी निक्कर और खुली सी स्लीवलेस टी शर्ट पहनी हुई थी, जिसमे से उनकी बाजू के नीचे से साइड सारी दिख रही थी। उनका गोरा जिस्म बिल्कुल दीपिका दीदी की तरह था। ये देखते ही मेरा लन्ड पेंट में फुफकारें मारने लगा।

फिर डॉ दीदी ने चाय बनाई और हम चाय पीने लगे।

मैं बस उन्हें देखते देखते चाय पी रहा था।

डॉ दीदी- क्या हुआ भाई, मुझे यू क्यों देख रहा है।

मैं- कुछ नही दीदी।

डॉ दीदी- कुछ तो है भाई, बता।

मैं - नही बस युही।

डॉ दीदी खड़ी हुई और मेरे पास आयी और मुझसे चिपककर खड़ी ही गयी।

डॉ दीदी- अब बता क्या बात है।

मैं- कुछ नही।

डॉ दीदी एकदम से मेरी गोद मे बैठ गयी और बोली बता नही तो मैं ऐसे ही बैठी रहूँगी।

जब वो बैठी तो मेरा लन्ड पूरे उफान पर खड़ा था। और उनकी खुली हुई पतली सी निक्कर में से उनकी गाँड़ मेरे लन्ड पर मुझे फील होने लगी, जिस से मेरा लन्ड और जोश में आने लगा।

डॉ दीदी थोड़ा सा हिली ओर मेरा लन्ड उनकी गाँड़ के बिल्कुल बीचो बीच सैट हो गया।

दीदी की गर्दन पीछे से बिल्कुल मेरे होंठों के पास थी।

मैं दीदी को झूठ मुठ खड़ा करने का प्रयास करने लगा। जिसमे मैं जान बूझ कर खड़ा होने की कोशिश करता और दीदी ओर जोर से बैठने की, जिससे मेरा लन्ड दीदी की गाँड़ में ओर दब रहा था।

डॉ दीदी- भाई मुझे तू यू खड़ा नही कर सकता और जोर लगा।

मैं- ठीक है दीदी।

फिर मैं अपने हाथ आगे लाया और डॉ दीदी को पेट से पकड़ लिया और खड़ा होने लगा।

मैं थोड़ा सा दीदी को गोद मे लेकर खड़ा हुआ तो दीदी ने मुझे नीचे दबाने की कोशिश की, जिस से दीदी के मोटे मोठे बूब्स मेरे हाथ मे आ गये और दबने लगे।

दीदी के बूब्स बहुत टाइट थे, जैसे आज तक किसी ने दबाए ही न हो।

मेरे होंठ पीछे से दीदी की गर्दन को छू रहे थे, मेरा लण्ड पूरा दीदी की सेक्सी गाँड़ में दबा हुआ था।

डॉ दीदी भी इन सब का मज़ा ले रही थी।

फिर डॉ दीदी एक दम से खड़ी हुई और मेरी तरफ मुँह कर के मेरी गोद मे बैठ गयी।

डॉ दीदी ने मेरे होंठ अपने होंठों में भर लिए और चुसने लगी।

फिर अपनी जीभ मेरे मुह में डाल कर मेरी जीभ चाटने लगी।

मैं भी पूरे जोश में था।

मैं डॉ दीदी को किस करते करते खड़ा हुआ और दीदी को अपनी गोद मे ही उठा लिया।

मैंने डॉ दीदी को डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया और उन्हें किस करने लगा।

डॉ दीदी फिर खड़ी हुई और मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरी आंखों में झांकने लगी।

मैं भी उनकी आंखों में झांकने लगा।

डॉ दीदी- भाई, मैं बहुत अकेली हूँ।

उनकी बात सुनकर मैं बोला- आप ऐसा क्यों कह रही हैं कि आप अकेली हैं … आपके फैमिली वाले भी तो है।

डॉ दीदी ने एक लम्बी सांस लेकर सबके बारे में मुझे बताया की उनके बॉय फ्रेंड ने उनको धोका दिया, वो सिर्फ सेक्स करना चाहता था उनके साथ और अपने दोस्तों से भी चुदवाना चाहता था, पर उसकी सच्चाई उनको पता चल गई और वो किसी से भी नही चुदी अब तक।

मैं- फिर तो आप अभी तक कुँवारी हो।

तो फिर उन्होंने स्माइल पास की और बोलीं- हाँ भाई, अब तुम ही मेरी कुंवारापन तोड़ना।

मैं- जी दीदी। (और उनको गले लगा लिया)

फिर मैंने उनकी तरफ देखा, तो उन्होंने मुझे एक प्यारी सी स्माइल दे दी।

फिर डॉ दीदी ने मुझसे कॉफ़ी के लिए पूछा, तो मैंने में बोला कि मुझे तो आपकी चूत का पानी पीना है मेरी जान।

डॉ दीदी मुस्कुरा दीं और बोलीं- ठीक है जो पीना है, पी लो।

To be Continued

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