मैं बस उनकी बातें सुन रहा था और सोच रहा था कि डॉ नेहा दीदी को चोदने के लिए कैसे पटाऊ।
बीच मे मुझे बुलाती तो बस मैं हूँ हाँ कर देता।
ऐसे ही मुझे लेटे लेटे हल्की नींद आने लगी और उनकी बाते भी अब कम हो गयी थी और ड़ॉ दीदी भी वहीं सो गई।
तभी अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरे लण्ड पर कुछ है, जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो ये किसी का हाथ मेरे लन्ड पर था।
मैंने धयान से देखा तो वो हाथ ड़ॉ आँटी का था जो धीरे धीरे मेरे लन्ड को सहला रही थी, मैं भी चुप चाप बिना हिले लेता रहा की देखते है आँटी क्या करती है।
चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 72
डॉ आँटी धीरे धीरे मेरा लन्ड हिलाते हुए थोड़ा दबा भी देती, जिससे मेरे मुँह से आ आह निकल गयी, तो डॉ आँटी ने मेरा लन्ड छोड़ दिया। मैं बिना हिले ऐसे ही लेटा रहा।
थोड़ी देर बाद डॉ आँटी खड़ी हुई और अपनी नाइटी उतार कर मेरे लन्ड के पास आई, मेरी निक्कर नीचे कर मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी जीभ मेरे लन्ड पर लगाई, जिस से मैं सिहर गया। आँटी समझ गयी कि मैं जाग रहा हूँ इसलिए आँटी ने अपना मुँह खोला और मेरा लन्ड अपने मुह में ले लिया। मेरे हाथ अपने आप आँटी के सिर पर चले गए। मैं आँटी का सिर अपने लन्ड पर दबाने लगा। आँटी भी मेरा पूरा लन्ड मुँह में लेकर चुसने लगी। मैंने डॉ दीदी की तरफ देखा तो वो सो रही थी, वो सोते हुए भी दीपिका दीदी की तरह बहुत सेक्सी लग रही थी। उनकी टी शर्ट में उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उभरी हुई दिख रही थी। दिल कर रहबता की उनको पकड़ कर अभी सारा रस निचोड़ कर पी लू। डॉ हेमलता आँटी तेजी से मेरा लन्ड चुसने लगी। 20 मिनट तक आँटी ने लन्ड चूसा और मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने आँटी का सिर पूरा लन्ड पर दबा दिया और मेरा पानी निकल गया, जिसे डॉ आँटी ने अपने मुह में ले लिया। फिर उन्होंने मुँह से लन्ड निकाला तो कुछ माल उनके मुँह पर लगा था, कुछ वो पी गयी।
फिर वो वाशरूम गयी और अपना मुँह धोकर मेरे पास आकर लेट गयी। मैं उनकी तरफ़ घुमा, तो आँटी थोड़ा मेरे पास होकर मुझसे सट गयी।
फिर डॉ आंटी ने धीरे से मुझ से कहा- राज मुझे ज़ोर से पकड़ो।
मैंने उनसे कहा- आप घूम कर लेट जाओ।
आंटी के सिर को मैंने अपने एक हाथ के नीचे रखा और दूसरा उनके पेट पर रखा। अब हम दोनों की पोजिशन कुछ इस तरह थी कि उनकी गांड मेरे लंड पर पूरी तरह से चिपकी हुई थी और मैं पूरी तरह से उन्हें दोनों हाथों से पकड़े हुआ था।
मेरा लंड आंटी की गांड की दरार के बीच में घुस कर वापिस टाइट होने लगा था। मैं अपनी कमर को और आगे ले जाने लगा और अपनी पकड़ को भी टाइट करने लगा। आंटी ने भी अपनी कमर और पीछे खिसका ली। कुछ ही देर में मेरा लन्ड फिर से तनाव में आने लगा और मेरा लंड अब मेरे बस में नहीं था। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था और वो पूरी तरह से आंटी की चूत में घुसने को तैयार था।
AC की वजह से कमर काफी ठंडा था।
तभी मैंने अपने हाथ को उनके ब्रा के नीचे घुसा कर उनके पेट पर रख दिया। उनका पेट तो गर्म हो रहा था। मेरा ठंडा हाथ रखने से मुझे भी काफ़ी अच्छा लग रहा था।
मैं अपने हाथ को आंटी के पेट पर और ज़ोर से रगड़ने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा। सहलाने के कारण कई बार मेरा हाथ उनकी चूचियों से टकराया।
अब मैं डॉ आंटी के एक दूध को पकड़ कर सहलाने लगा। उनकी दूध का निप्पल बिल्कुल टाइट हो कर बाहर निकल गया था। मैं उनके निप्पल को उंगलियों के बीच रख कर धीरे-धीरे घुमाने लगा। अब उनके मुंह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी।
फिर मैं अपना हाथ उनकी पीठ पर लाया और उनकी ब्रा के हुक खोल दिये। फिर मैंने भी अपनी टी-शर्ट और बनियान उतार कर अपने पेट और सीने को उनकी नंगी पीठ पर सटा कर पूरी तरह से खुद को आंटी से चिपका लिया। डॉ दीदी के वहाँ होने के कारण हम बहुत सावधानी से कम आवाज़ किये सब कुछ कर रहे थे।
आंटी को भी मेरे जिस्म की गर्मी अच्छी लग रही थी। वो भी मुझसे पूरी तरह से चिपक गयी थी। अब मेरे लंड को और रोक पाना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था। मैं उनकी पैंटी को पकड़ा और धीरे धीरे नीचे करने लगा तो वो थोड़ी-थोड़ी कमर उठाने लगी। मैं समझ गया कि आंटी को अब लंड की गरमी की ज़रूरत है । वो अब पूरी तरह से तैयार थी।
मैंने अब अपने बाकी कपड़े भी उतार फैंके और उन्हें भी पूरी नंगी कर दिया।
जैसे ही मैंने उनकी चूत को छुआ उनकी आह … निकल गयी। उनकी चूत पूरी गीली थी मेरा भी बुरा हाल था।
मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और उनके पीछे पहले की तरह लेट गया। लण्ड को उनकी चूत के मुहाने पर थोड़ी देर घिसा, डॉ आँटी सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर उन्होंने अपनी कमर पीछे को करके लण्ड का स्वागत किया। फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर धीरे से एक धक्का मारा और लंड थोड़ा सा चूत में घुस गया और उनके मुँह से आह निकल गयी। मैंने अपना हाथ उनके मुँह पर रख ताकि आवाज़ न हो और तीन धक्के मारे तो मेरा पूरा लन्ड उनकी चुत में चला गया। उन्हें हल्का हल्का दर्द हो रहा था।
मैं अब उनकी चूचियों को अपने हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था। अब मैंने धीरे-धीरे पीछे से उनकी चूत में धक्के लगाने शुरु किये।
वो भी आह-आह के साथ ही इस चुदाई का मजा ले रही थी।
थोड़ी देर के बाद वो मेरी तरफ़ घूम गयी। मैं अब उनके दोनों पैरों को खोल कर बीच में बैठ गया और उसकी चूचियों को मुंह से चूसने लगा।
तभी आंटी मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींचने लगी। मैं समझ गया कि उसकी चूत चुदवाने के लिये बेताब हो रही है।
मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत के छेद पर रख कर एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लण्ड उनकी पनियाई चूत में घुस गया।
उन्होंने हल्की सी आह की। डॉ आँटी पूरी मस्ती में थी। उनके मुंह से धीरे धीरे ऊह-आह की आवाज़ निकल रही थी। मैं पूरी स्पीड में अपने लण्ड को पूरा बाहर करके अंदर डाल रहा था। लण्ड और आंटी की चूत के टकराने से थप-थप की आवाज़ आ रही थी। आंटी भी अपनी कमर को उठा-उठा कर पूरा साथ दे रही थी। पर थप थप की आवाज़ के कारण मुझे स्पीड कम करनी पड़ी। पर 5 मिनट बाद अचानक वो मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से खींचने लगी। और इशारे करने लगी जोर जोर से चोदने का।
मैंने उन्हें इशारा किया कि नेहा दीदी सो रही है, तो उन्होंने कहा कोई बात नही बस मुझे जोर जोर से चोदो। मैं भी फिर उनकी बेटी डॉ नेहा दीदी की परवाह किये बिना डॉ आँटी को ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। पूरे रूम में थप थप की आवाज़ गूंजने लगी।
तभी मेरी नज़र नेहा दीदी की तरफ गयी तो उनकी आंखें देख कर मुझे लगा की शायद उनकी आँखें खुली है और वो हमें देख रही है, पर अंधरे में साफ नही दिख रहा था तो मैं उनकी परवाह किये बिना आँटी को चोदने लगा। आँटी का 1 बार पानी निकाल चुका था और फिर अचानक मेरे लण्ड ने 8-10 झटकों में पिचकारी की तरह पूरी गर्मी को आंटी की चूत में भर दिया। आंटी भी पूरी ताकत से मेरे सीने से चिपक गयी। और आँटी का दूसरी बारपानी निकल गया। हम दोनों आधे घंटे तक वैसे ही पड़े रहे।