मैंने भी अपना बैग उठा लिया और हम रूम से बाहर निकल आये, मम्मी ओर दीदी मेरे आगे चल रही थी। 3 रूम्स छोड़ कर लता मौसी का रूम था, मैंने वहाँ अपना बैग रखा और दीदी के पीछे चलने लगा।
दीदी की जीन्स में गाँड़ क्या मस्त लग रही थी। होटल के कार्मिक और दूसरे गेस्ट जो होटल में थे, सबकी नजर दीदी की मस्त मोटी सेक्सी गाँड़ पर थी।
फिर हम बाहर बस के पास पहुंचे तो सभी बस में बैठ चुके थे।
फिर मम्मी और दीपिका दीदी भी बस में चढ़ गए।
मैंने देखा की टीना दीदी बस की 2 सेट पीछे खिड़की वाली साइड बैठी मुझे ही देख रही थी, और वो भी उदास थी।
फिर बस स्टार्ट हुई, सभी बस में बैठ गए, मैं और लता मौसी सब को बाए करने लगे। फिर बस चल पड़ी और वो सब चले गए।
चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 65
मैं अब उदास सा वहाँ खड़ा था, तो लता मौसी बोली- राज बेटा, चल अंदर चले।
मैं- मौसी आप चलो मैं आता हूँ।
मौसी चली गयी।
मैंने टाइम देखा तो दोपहर के 2 बज चुके थे।
मैंने 1 सिगरेट पी और मौसी के रूम में चल गया।
मैं रूम में गया तो मौसी बेड पर लेटी हुई थी।
लता मौसी- राज आज बेटा, मेरे पास लेट जा।
मैं भी मौसी के साथ लेट गया।
लता मौसी- (मुझे गले लगाते हुए) आजा राज बेटा मेरे साथ सोजा। मेरी वजह से तुझे रुकने पड़ गया।
मैं कुछ नही बोला और मौसी ने मुझे अपने साथ चिपका लिया जिस से मेरे मुँह मौसी के बड़े बड़े मुममों में दब गया। मौसी के मुम्मे मुह पर लगने से मेरा लन्ड खड़ा होने लग गया, पर लता मौसी से मुझे बहुत डर लगता था, इसलिए मेरी कुछ करने की हिम्मत नही हुई।
मौसी मुझे ऐसे ही पकड़ कर सो गई।
मैं भी दीपिका दीदी की गाँड़ याद करता रहा और सोचते सोचते मुझे भी नींद आ गयी।
शाम को मुझे लता मौसी की आवाज़ आयी राज ओ राज बेटा उठ जा।
मेरी आँख खुली तो देखा मौसी मुझे उठा रही है।
मैंने टाइम देखा तो शाम के 7 बज गए थे।
मैं उठा फिर मौसी ने चाय आर्डर की। हम चाय पी कर थोड़ा फ्रेश हुए।
फिर मौसी फ़ोन पर अपनी डॉ फ्रेंड हेमलता और आशा से बात करने लगी। मैं टीवी देखने लगा।मैंने 9 बजे तक टीवी देखा, फिर मेर बियर पीने का मन करने लगा।
इतने में मौसी बोली- बेटा राज, कल हमें हेमलता के घर जाना है। कल होटल में नही रहना हमने।
मैं- ठीक है मौसी
लता मौसी का भी पीने का मन था। तो उसने बोला कि राज तू कहीं घूम आ जाना है तो, क्योंकि मुझे पीनी है।
मैं(अंदर से खुश होते हुए)- ठीक है मौसी।
फिर मैं बियर बार की तरफ निकल गया।
बियर बार मे जाकर मैंने 2 बीयर पी फिर 11 बजे मैं वापिस होटल पहुंच गया।
जैसे ही मैं कमरे में गया तो मौसी अभी पी रही थी। मौसी ने नाइटी पहनी हुई थी।
मैं जाकर बेड पर बैठ गया।
मौसी- आ गया बेटा, मैं तेरा ही इंतज़ार कर रही थी। ये मेरा लास्ट पेग है, चल मैं खाना आर्डर कर देती हूँ।
मौसी ने खाना आर्डर कर दिया और मैं टीवी देखने लगा।
मैं सोचने लगा कि लता मौसी तो हमेशा गुस्से में रहती है, आज ये मेरे साथ इतने आराम से कैसे पेश आ रही है।
15 मिनट बाद खाना आया, हम दोनों ने खाना खा लिया और लेट गए।
लता मौसी- राज बेटा, तू अपनी मौसी से नाराज तो नही है ना की मैंने तुझे रोक लिया।
मैं -नही मौसी, मैं आपसे कभी नाराज़ हो सकता हूँ क्या।
लता मौसी(मेरे पास खिसक कर आई और मुझे गले लगा लिया)- मेरे अच्छा बेटा, कितना कहना मानता है अपनी मौसी का।
मेरा सिर मौसी के बड़े बड़े मुममों में दब रहा था।
मौसी ने 10 मिनट मुझे ऐसे ही अपने सीने से चिपकाए रखा। फिर मेरे मुह की ओर देखकर बोली।
मौसी- बेटा, तुझे मैंने इसलिए रोका, क्योंकि तू मेरा समझदार बेटा है। तू फिक्र मत कर, तुझे मैं अपने साथ हरिद्वार देहरदून मसूरी सब जगह घूमा कर लाऊंगी।
मैं - ठीक है मौसी।
जैसे ही मैं बोला मौसी ने मुझे घूर कर देखा, फिर थोड़ा गुस्से में बोली।
मोसी बोली- क्या बात है राज? तुम शराब भी पीने लगे!
उन्होंने मेरे मुंह से आ रही महक से समझ लिया था कि मैंने बियर पी रखी है।
मैं- सॉरी मौसी, मुझे नशे की आदत नहीं है, वो तो मैं आज अकेला फील कर रहा था तो थोड़ी सी पी ली थी। कभी-कभार पार्टी में ही पीता हूं। मगर प्लीज आप पापा से इस बारे में कुछ मत कहना।
हंसते हुए मोसी बोली- अरे नहीं पगले, मैं कुछ नहीं कहूंगी। इस उम्र में तो यह सब नॉर्मल सी बात है। मैं सब समझती हूँ। वैसे भी तू मेरा अच्छा बेटा है।
मौसी ने मुझे फिर से गले लगा लिया।