मैं- हाँ, तुझे भी दीपिका की तरह अपनी रण्डी बनाऊंगा।
मम्मी- हाँ, रण्डी के बेटे, मादरचोद, तेरा बाप तो दूसरी रंडियाँ चोदने में लगा रहता है, मुझे तू चोदा कर अब से। आ आ आ ह ह ह ह, मैं तो गयी।
करीब 15 मिनट बाद मम्मी की चुत से पानी निकल गया और मम्मी मेरे ऊपर निढाल होकर चित लेट गई। मेरा लन्ड अभी भी मम्मी की चुत में ही था और मैं नीचे से धक्के मारता रहा। फिर मम्मी मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने नीचे से धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी और अब मम्मी भी वापिस मूड में आने लगी तो मम्मी फिर से मेरे लन्ड पर उछलने लगी।
मम्मी के मोटे बूब्स हवा में तेजी से उछल रहे थे और मुँह से बस आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ की आवाजें निकल रही थी।
आधे घंटे बाद मैं ओर मम्मी एक साथ झड़ गए। मैंने अपना पूरा वीर्य मम्मी की चुत में छोड़ दिया। मम्मी ऐसे ही मेरे ऊपर लेट गई।
चुदक्कड परिवार की चोदो यात्रा | Chudakkad Parivar Ki Chodo Yatra | Part 60
सुबह के 5 बज चुके थे। मेरा मन मम्मी की गाँड़ मारने का भी था, पर अब मैं भी काफी थक चुका था। मम्मी थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेती रही, फिर मम्मी उठ कर अपनी वाली साइड चली गयी।
अब मम्मी, दीदी और मैं हम तीनों नंगे ही लेटे हुए थे। दीदी मेरे साथ लेटी हुई थी। मम्मी के चेहरे पर संतुष्टि और खुशी दोनो साफ दिख रही थी।
दीदी फिर से मेरा लन्ड पकड़ कर लेट गई तो मम्मी बोली।
मम्मी- क्या हुआ दीपिका, मन नही भरा
दीदी- मम्मी मेरा तो दिल कर रहा है कि मैं सारी जिंदगी राज के लन्ड से चुदती रहूँ।
मम्मी- सच मे राज का लन्ड तो कमाल का है।
दीदी- हाँ मम्मी, राज मेरा सगा भाई ने होता तो मैं अभी राज से शादी कर लेती। फिर मेरे दो पति होते।
मम्मी- हट बेशर्म
दीदी- अच्छा मैं बेशर्म हूँ, और आप जो अभी अपने बेटे पर उछल उछल कर चुदवा रही थी।
मम्मी(शर्मीली हँसी से)- चल सो जा अभी सुबह हो गई।
दीदी- ठीक है।
फिर दीदी ने मुझे अपनी बाहों में लपेट लिया और मुझे लिप किस किया।
दीदी- आई लव यू राज, मेरे भाई।
मैं(दीदी को अपनी बाहों में कसते हुए)- आई लव यू टू दीदी।
और फिर मैं और दीदी ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में सो गए।
सुबह 9 बजे
मम्मी(मुझे और दीदी को उठाते हुए)- राज, दीपिका उठो। दीपिका मुन्ना रो रहा है। उसको भूख लगी होगी।
मम्मी हमको हिला हिला कर उठाने लगी।
तभी हमारी आंख खुली तो मम्मी हमारे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और मुन्ने के रोने की आवाज़ आ रही थी।
दीदी तुरंत उठी और मुन्ने को उठाया और मुन्ने को अपना दूध पिलाने लगी।
मम्मी- राज तू भी उठ जा जल्दी से और कपड़े पहन लें। तेरे पापा और जीजाजी कभी भी आते होंगे। बाकी सभी भी उठ गए होंगे ओर हरिद्वार जाने के लिए तैयार हो रहे होंगे।
मैं- ठीक है मम्मी अभी उठता हूँ।
मम्मी- दीपिका तू भी मुन्ने को दूध पिला कर कपड़े पहन लें।
दीदी- ठीक है।
मम्मी- मैं नहा कर आती हुँ।
मम्मी वाशरूम में घुस गई।
मैं दीदी को देखने लगा और सोचने लगा कि दीदी और मम्मी के साथ जो मजा आया, वो टीना दीदी और हेमा मौसी के साथ नही आया था। खास करके सबसे ज्यादा मजा मुझे दीपिका दीदी के साथ आया।
दीदी- क्या देख रहा है।
मैं- दीदी एक बार फिर से हो जाये, आपकी चुचिया देख कर वापिस दिल कर रहा है।
दीदी- आजा मेरे भाई, पहले दूध तो पी ले।
मैं दीदी के पास गया, दीदी के एक मुम्मे से मुन्ना दूध पी रहा था, दूसरा मुम्मा मैंने अपने मुह में ले लिया और दीदी का दूध पीने लगा। क्या मस्त स्वाद था दीदी के दूध का।
10 मिनट मैं और मुन्ना हम दोनों दीदी का दूध पीते रहे। फिर मुन्ने का पेट भर गया तो उसने दूध पीना बन्द कर दिया। दीदी ने मुन्ने को साइड में लेता दिया और मेरा लन्ड पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने दीदी का दूध पीकर एक मुम्मा खाली कर दिया था, अब मैं दीदी के दूसरे मुम्मे से दूध पीने लगा, जिसमे से मुन्ने ने दूध आया था, उसमे अभी दूध था, मुन्ने ने पूरा नही पिया था।
फिर 5 मिनट में मैंने दीदी का दूसरा मुम्मा भी खाली कर दिया, तो दीदी उठी और मेरी टांगो की ओर जाकर बैठ गयी।