मैं डॉ के क्लिनिक पंहुचा वहा कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था ,मैं केबिन के अंदर झाका चुन्नी मुझे अपने कुर्सी पर बैठा कुछ पड़ता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखते ही वो खड़ा हुआ और मेरे पास आकर मेरे गले से लग गया ,मैं भी बड़ी ही आत्मीयता से उससे मिला ,हम बैठे इधर उधर की बाते होने लगी फिर मैंने मुद्दे की बात करने की सोची मैंने गंभीरता से उसे सभी मामला बताया और वो बड़ी ही गंभीरता से उसे सुनने लगा,…मुझे आश्चर्य हुआ की उसे मेरी बातो से जादा आश्चर्य नहीं हुआ वो बड़े ही आराम से मेरी बात सुन रहा था जैसे मैं उसका दोस्त नहीं कोई क्लाईंट हु…
“हम्म्म्म तो ऐसी बात है ,कोई बात नहीं भाई ,मैंने जब पहली बार तेरी शादी में काजल को देखा था तभी मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है पर क्या है ये मुझे अब समझ आ रहा है ,”
मैं उसे आँखे फाडे देखने लगा ,क्या गड़बड़ है ……….
“पूरी बात तो मैं उससे मिल कर ही बता पाउँगा पर अभी जितना तुमने मुझे बताया ,मुझे वो एक सेक्स एडिक्ट लग रही है ,”
डॉ की बात सुनकर मेरा माथा घूम गया ,सेक्स एडिक्ट मेरी बीवी ,
बीवी के कारनामे | Biwi Ke Karname | Update 11
“भाई तू क्या बोल रहा है ,वो बहुत अच्छे घर की बेटी है और इतनी पढ़ी लिखी भी है यार ,,,,”मैं लगभग रुवासु हो चूका था ,ऐसा लग रहा था जैसे अभी जोर जोर से रो पडूंगा ,पर मैंने अपने को सम्हाला ,मुझे देखकर चुतिया हसने लगा ,मुझे लगा की वो मेरा मजाक उड़ा रहा है ,
“नाम मेरा चुतिया है और काम तेरा चुतियो जैसा है ,साले की बीवी दूसरो से चुद्वाती है ,हा हा हा “डॉ के ये वचन मेरे दिल को झल्ली झल्ली कर रहे थे ,मैं उसे मरना चाहता था ,मेरा ही दोस्त ,इतना बड़ा काउंसलर होकर भी वो ऐसी बाते कर सकता है मुझे यकीं नहीं आ रहा था ,मुझे अपने पर ही गुस्सा आया की मैं यहाँ क्यों आ गया ,मैं वहा से उठाकर जाने लगा ,उसने मुझे रोका भी नहीं ,मैं और भी गुस्से में आ चूका था ,मैं बाहर निकला ,बाहर रघु गाड़ी लेकर खड़ा था ,मैं अपनी ऑफिस की गाडी से वहा आया हुआ था ,उसे देखकर मैंने खुद को सम्हाला ,
“चलना है क्या साहब “रघु ने बड़े ही प्यार से पूछा
“हा मादरचोद ,मैं यहाँ नाचने आया हु क्या ,जायेंगे नहीं तो और क्या करेंगे ,दीखता नहीं क्या तुझे ,”मेरे इस बात से रघु भी घबरा गया था ,उसने मुझे कभी भी ऐसे रूप में नहीं देखा था वो जल्दी से ड्राईवर सिट पर बैठा और मैं पीछे बैठने ही वाला था की किसी ने मेरा हाथ पकड़कर बहार खीच लिया ,मैं उसे देखकर और भी गुस्से में आ चूका था वो डॉ था ,…………
“चल तुझे कुछ और भी बताना है “डॉ के चहरे पर अब भी एक मुस्कुराहट थी ,मैंने अपना हाथ छुड़ाया ,
“मुझे कुछ नहीं जानना ”
“सोच ले ,अबे चल सॉरी अब तो आजा ,यु ड्राईवर के सामने क्यों तमाशा कर रहा है ,ये हम दोस्तों की आपस की बात है ,चल ना यार ,”
मैं रघु के सामने सचमे कोई भी तमाशा नहीं करना चाहता था ,मैं उसे ये भी पता नहीं लगने देना चाह्त्ता था की मैं यहाँ क्यों आया हु,मैं चुपचाप अंदर चला गया ,फिर उसी केबिन में
“क्या हुआ ,जल्दी बता ”
“भाई मुझे माफ़ कर दे की मैंने ये सब किया ,पर ये जरुरी था ,तेरे प्रश्न का उत्तर है ये ,की काजल क्यों सेक्स एडिक्ट हो गयी ,और क्यों कोई इस रोग में पड़ जाता ही ,”मुझे उसकी बाते कुछ भी समझ नहीं आ रही थी ,मैंने उसे बड़े ही आश्चर्य से देखा ,वो मुझे आराम से रहने और बैठने को कहा ,
“देख तुझे रोना आया पर तू मेरे सामने नहीं रो पाया ठीक ,”
“हा तो उससे क्या ”
“बताता हु ,फिर तुझे मुझपर गुस्सा आया पर तूने गुस्सा दबा लिया ,और वो गुस्सा किसपर निकला तेरे ड्राईवर पर ,है ना ”
“हा तो ”
“बता की ये गुस्सा ड्राईवर पर क्यों निकला ”
मैं उसे अनजान सा देखने लगा ,
“क्योकि तू मुझपर तो गुस्सा नहीं कर सकता था पर अपने ड्राईवर पर कर सकता था ,तूने कभी भी अपने ड्राईवर को ऐसे नहीं कहा होगा पर आज तुझे क्या हुआ ,तूने कहा गलती कर दि ”
मैं उसके बातो को समझने का प्रयास कर रहा था ,
“तूने मुझपर गुस्सा नहीं करके और अपने रोने और गुस्से को दबाकर गलती कर दि ,दबा हुआ गुस्सा ड्राईवर पर फूटा वहा नहीं फूटता तो कही और और ही फूटता शायद और भी बढ़कर ”
“तू कहना क्या चाह रहा है ”
चुतिया ने एक गहरी साँस भरी
“देख भाई हम सब इन्सान है और इन्सान होने की सबसे बड़ी जो खासियत है वो है हमारी भावनाए ,पर ये समाज,धर्म ,और नैतिक बन्धनों से भी हम बंधे हुए ही जो हमें सिखलाते है की ये करो ये मत करो ,अब हम है तो मूलतः जानवर ही ना ,पर यही बंधन हमें जानवरों से अलग करते है ,लेकिन इन्ही बन्धनों के कारन हम अपनी भावनाओ को दबाते है ,और उसका परिणाम होता है,विकृति …..हमारी असली भावना कही छुप जाती है और वो विकृत होकर प्रगट होती है ,इसलिए लोग हत्या करते है चोरी करते है ,और सबसे बड़ी और मूल भावना है सेक्स की भावना लेकिन हमें बचपन से ही इसे दबाना सिखाया जाता है ,इसका परिणाम होता है की हम ना तो प्यार कर पाते है और ना ही इससे पूरी तरह से छुट पाते है ,परिणाम होता है विकृत सेक्स ……जैसे बलात्कार ,और सेक्स एडिकशन और भी बहुत कुछ ,जैसे सेक्स में कमी या चिडचिडापन या बहुत ही जादा गुस्सा आना और भी कई तरह की शरिर्रिक और मानसिक बिमारिया जन्म लेती है …….”
थोड़ी देर चुप्पी छाई रही जिससे मुझे कुछ कुछ चीजे समझ आने लगी थी ,डॉ ने फिर से बोलना शुरू किया
“काजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा ,वो बहुत ही कुलीन घर की लड़की है ,और उसे अपनी सेक्स की भावना को दबाना पड़ा होगा इसमें कोई भी दो राय तो नहीं है ,पर जब उसे मौका मिला होगा ,जैसा तूने बताया की वो वर्जिन नहीं थी ,तो उसने इसे या तो खुलकर एन्जॉय किया होगा ,या फिर ग्लानी के भाव से भर गयी होगी ,यार ये ग्लानी बहुत ही ख़राब चीज है जो इन्सान के भावनाओ को कुरूप कर देती है ,शायद उसके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा……….अगर ऐसा हुआ होगा तो जो वो आज कर रही है वो,वो नहीं कर सकती थी इसके लिए उसने जरुर किसी से काउंसलिंग ली होगी जिसने उसे समझाया होगा की ग्लानी से बचो और इसे एन्जॉय करो ….हो सकता है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हो और वो एक सेक्स एडिक्ट नहीं हो तो ,,,,,,,,हा ये भी हो सकता है तो बस एक ही चीज हुई होगी और वो ये है की वो जब मुंबई गयी तो उसने पहली बार आजादी देखि और उसे ये सब करने में मजा आने लगा वो अपनी जिंदगी खुलकर जीने लगी ,और अब भी वो ये सब बस मजे के लिए करती होगी ,”
मुझे ऐसे तो सब कुछ समझ आ रहा था पर ……..
“यार लेकिन क्या सचमे वो मुझसे प्यार करती है या सिर्फ दिखावा “मेरी आँखे फिर से गीली हो गयी ,
“इतना तो पक्का है मेरे दोस्त की वो तुझसे बहुत ही जादा प्यार करती है ,”
“तो भाई ये सब ,…………अब मैं क्या करू ”
डॉ भी थोड़ी देर तक चुप रहता है ….
“कुछ भी मत कर ,अभी तो उसे मायके में ही रहने दे और तेरे ट्रांसफर लेने से मामला नहीं बदलेगा बस प्यारे की जगह कोई और आ जायेगा ,अभी कम से कम प्यारे तेरे हाथो में तो है ,वो काजल के कण्ट्रोल में है,और कोसिस यही करना की कभी भी प्यारे या काजल या किसी भी और को ये ना पता चले की तू ये सब जानता है ,अगर किसी को भी ये पता चला और काजल ने उसका साथ दिया तो तेरे लिए उसकी इज्जत जाती रहेगी फिर वो कभी भी तुझे और तू कभी भी उसे वो प्यार नहीं दे पाओगे जो वो अभी तुझसे करती है …..”
मैं जोरो से रोने लगा .डॉ आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखता है,
“तू फिकर मत कर मेरे दोस्त सब ठीक हो जाएगा ,मैं खुद मुंबई जाकर उसके बारे में पता करूँगा ”
“लेकिन यार तब मैं क्या करू ,कब तक उसे मायके में रखूँगा और कब तक मैं उसे बचा पाउँगा वो फिर ,,,,,,,,और मैं कैसे ये सब सहूंगा ”
साले कमीने डॉ के चहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गयी जिसे देख मुझे फिर से गुस्सा आ गया ,वो इसे समझ गया और
“भाई मेरे मुस्कान पर गुस्सा मत हो पर तुझे voyeurism का पता है ”
“ये क्या होता है ”
“किसी दुसरे को सेक्स करते देखकर मजे लेना ”
मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर पहुच गया
“मादरचोद तो क्या मैं अपने बीवी को अपने नौकर से चुदते देखकर मजे लू ”
डॉ फिर जोर से हँसा
“नहीं मेरे भाई ,मैं बस बता रहा था ,ऐसे ले भी सकता है ,ये सोच की अगर काजल को कोई परेशानी नहीं है तो तुझे क्यों है ,ऐसे लोग भी होते है जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में मजे को बढ़ने के लिए ये जानबूझकर करते है ,”
“दुसरे करते होंगे मैं नहीं कर सकता ,साले तेरे पास आया था की तू काजल को ठीक करेगा और तू कह रहा है की मैं इसमें मजे ढूढू …”
“देख दोस्त तू क्या ये चाहता है की काजल का तेरे ऊपर प्यार कम हो जाय ,नहीं ना अगर तू चाहता तो अभी तक उसे कह चूका होता ,और मुझे थोडा समय चाहिए इस केस को समझने और जचने के लिए ,मैं काजल से बात नहीं कर सकता मुझे सीक्रेट तरीके से मुंबई जाकर और उसके गाव जाकर ही पता लगाना पड़ेगा ,तब तक तू क्यों जलेगा ,try करके देख ले ,मैं तुझे कुछ कहानियो और विडिओ के लिंक भेजता हु तू उन्हें चेक कर ले अगर पसंद आया तो ठीक वरना ……जलते रह इस आग में अपने को दुखी करते रह …”
डॉ की बात मुझे समझ आ चुकी थी ,मेरे पास ऐसे कोई भी रास्ता नहीं था मैंने हां में सर हिलाया और वहा से चला गया …..
मेरा मन व्याकुल सा था जस्बातो ने कबड्डी खेल खेल कर मेरा दिमाग झंड कर दिया था ,मैं बात बात में चिडचिडा सा जाता था ,खासकर प्यारे को देखकर तो दिमाग चढ़ जाता था ,पर उसे कुछ ना कह पाता ,क्या कहता,हर काम सही टाइम में कर देता था ,कुछ ना कह पाना भी बहुत बड़ा दुःख था,काजल अभी तक नहीं आई थी,डॉ से मिले मुझे बस दो दिन ही हुए थे ,मैं उससे और भी बात करना चाहता था ,पर क्या बोलता उसे …………
भगवान ने मेरी सुन ली और डॉ का फोन आ गया ,
“कैसे हो भाई,”
“बढ़िया हु दोस्त थोडा बेचैन सा हु ,क्या करू समझ नहीं आ रहा ,”
“तू मेरे पास तुझे कुछ दिखाना है ,”
“क्या ”
“तू आ तो जा फिर दिखता हु ”
“अरे यार पर छुट्टी का थोडा ”
“ओके सन्डे आ जा और अपने ड्राईवर को साथ मत लाना तू बस अकेले आना .”
डॉ से बात होने के बाद मैं और बेचैन था पता नहीं साला क्या दिखाना चाहता था ,आख़िरकार सन्डे आ ही गया और मैं शहर में था ,डॉ मुझे एक क्लब में ले गया एक साधारण सा दिखने वाला क्लब था ,बहुत से लोग तो नहीं थे और सब कुछ बड़ा ही नार्मल लग रहा था ,मैंने डॉ को बार बार पूछा की बात क्या है पर वो कुछ भी नहीं बता रहा था कहता था की रुक जा टाइम आने पर पता चलेगा ……..हम दोनों इधर उधर और अपने स्कूल के टाइम की बाते करते रहे और बियर पीते रहे ,तभी मुझे एक कपल दिखाई दिया ऐसे तो वहा और भी कपल थे पर वो कपल बहुत ही खास था कारन था उनके बीच का प्यार ,दोनों को देखकर कोई भी कह सकता था की उनमे कितना जादा प्यार है ,पत्नी को कुछ हो जाता तो पति आगे आकर उसे सम्हालता ,पति के चहरे पर कुछ लग जाता तो पत्नी उसे अपने पल्लू से पोछती थी ,दोनों एक दुसरे से ऐसे मिले बैठे थे जैसे कभी अलग ही नहीं होंगे ,मुझे ये कपल मेरी और काजल की याद दिला रहा था ,वो लड़की दिखने में भी कुछ कुछ काजल जैसी ही थी,बहुत देर तक वो दोनों वहा बैठे रहे ,शाम जब और गहराने लगी तो वो साथ एक दूजे के कमर में हाथ डाले नाचते हुए दिखाई दिए ,कुछ देर बाद मेरा धयान डॉ की तरफ चला गया और वो दोनों मुझे फिर दिखाई नहीं दिए ,पर मुझे उन्हें यु घुरना डॉ से छिपा नहीं था ,
“क्यों क्या हुआ उनमे कुछ खास है क्या जो तू उन्हें यु घुर रहा है ,”
“हा यार ये दोनों मुझे काजल और मेरी याद दिलाते है,काजल भी मुझे ऐसे ही प्यार करती है और ऐसे ही मेरा ख्याल रखती है ,”मेरी आँखों में कुछ आंसू की बुँदे आ गयी ,डॉ ने मुझे दिलासा दिलाया और इधर उधर की बाते करने लगा ,तब तक वो कपल आँखों से ओझल हो चूका था ,मैंने नज़ारे घुमाई पर वो कही नहीं दिखे …….डॉ मेरी नजरो को समझ गया ,
“उन्हें ढूंड रहा है क्या ,”मैंने हा में सर हिलाया
“रुक जा थोड़ी देर में मिलवाता हु “मैंने आशचर्य से डॉ को देखा
“तू जानता है उन्हें ”
“नहीं नहीं जानता फिर भी मैं जानता हु की वो क्या कर रहे होंगे “मैंने फिर से आँखों को चौड़ा किया ,डॉ ने मुझे चुपचाप अपना ड्रिंक ख़तम करने और साथ आने को कहा मैं बिना किसी सवाल के डॉ के साथ चलने लगा ,वो एक अलग ही गेट था क्लब के अंदर से और भी अंदर जाने के लिए पूरी तरह से डिम लाइट जल रही थी ,रोशनी इतनी थी जीतनी की लोग दिख जाय पर इतनी भी नहीं थी की कोई अनजान आदमी पहचान में आ सके ,,उस लाल रोशनी के कारन लोगो का चहरा भी लाल लाल दिख रहा था ,ac चलने के कारण वहा ऐसे तो बड़ी ठंडक थी पर माहोल कुछ गर्म लग रहा था,वो एक सकरा रास्ता था जो किसी और मंजिल तक पहुचता था …