बीवी के कारनामे | Biwi Ke Karname
बीवी के कारनामे | Biwi Ke Karname
जिन्दगी में आप कितनी भी चाहत कर ले मिलता वो है जो मिलना है.लेकिन जीवन का हिसाब ये है की जो मिले उसका मजा लो,जिसने ये सिख लिया उसकी जिन्दगी जन्नत हो जाती है वरना यहाँ दुखो का अम्बर ही है.मैं विकास मैंने भी इछाये की पर शायद मुझे वो कभी नहीं मिला जो मैं चाहता था..पर मुझे जो मिला उसका सुख उससे कही जादा है जो मैं चाहता था…मैं एक साधारण सा व्यक्ति हु जिसके साधारण से सपने थे लेकिन मुझे बहुत मिला जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..मैं एक इंजिनियर बन कर नाम कमाना चाहता था पर पढाई के बाद जॉब न मिलने के कारण मैं सिविल सर्विस की तयारी करने लगा शुरवाती मुस्किलो और तकलीफों के बाद सफलता भी मिली..आज मैं एक वन अधिकारी हु..दुतीय वर्ग की जॉब है..और उपरी कमाई बहुत जादा.
नौकरी लगने के बाद से ही घर वाले शादी के लिए पीछे पड़ गए.उन्होंने एक लड़की भी पसंद कर ली थी..एक बहुत ही अच्छा परिवार था समाज में इज्जत थी,और लड़की पड़ी लिखी थी पता चला की लड़की का कॉलेज मुंबई से हुआ है और अभी अभी कॉलेज ख़तम कर गाव आई है.मुझे एक सीधी साधी घरेलु किस्म की बीवी चाहिए थी न की बहुत मोर्डेन..लेकिन घर वालो ने कहा की वो मुंबई में पढ़ी जरूर है लेकिन बहुत ही सीधी और अच्छी है..यु तो मुझे लगा की उनकी बात झूटी है क्योकि बड़े शहर की लड़की कितनी घरेलु होगी लेकिन घर वालो को मन तो नहीं कर सकता था,मैं भी एक सीधा साधा इंसान हु.भारी मन से ही सही मैं लड़की को देखने पहुच ही गया…
आपको एक अधिकारी होने की अहमियत तब समझ आती है जब लोग आपको इतना सम्मान देते है..मुझे ऐसा सम्मान मिल रहा था की मैं बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हु.वो लोग बहुत ही संपन थे बड़ा बंगला था नौकर चाकर बहुत सी खेती..घर के सभी लोग बहुत पढ़े लिखे तथा जहीन किस्म के लग रहे थे.लड़की ३ भाइयो की एकलौती छोटी बहन थी सभी भाई शादी शुदा थे..परिवार के रवैये से लगता था की अपने घर की इकलोती बेटी को बहुत ही प्यार से पला है.मुझे समझ आ रहा था की मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर इतने उतावले क्यों है,मैं एक माध्यम वर्गीय परिवार से हु जहा लोग पढाई करते है और नौकरी में ही धयान देते है,इतनी शानो शौओकत की आदत भी नहीं है, आख़िरकार लड़की बाहर आई और मैं देखता ही रह गया..इतनी सुंदर इतनी जहीन प्यारी हे भगवान मैं कितना मुर्ख था जो इस लड़की के लिए ना कर रहा था..बड़ी बड़ी आँखे गोल चहेरा बिलकुल काजल अग्रवाल की तरह दिख रही थी.नाम भी उसका काजल ही था,चहरे पे इतनी मासूमियत थी की लगता ही नहीं था की ये कुछ जानती भी होगी..चाय नाश्ते और मेरे परिवार वालो से बात करने के बाद ही मुझे समझ आ गया की ये लड़की जितनी भोली दिख रही है उतनी समझदार भी है.घर में सबकी लाडली है पर कोई कारन नहीं था की इसके घर वाले इसपे गर्व न करे..बातचीत का सलीका इतना जहीन था की कोई भी कह सकता था की वो एक उच्च वर्ग की पढ़ी लिखी लड़की है..आख़िरकार वो वक्त आया जिसकी मुझे तलाश थी उसे कहा गया की बेटी विकास को घर दिखा के आओ साथ में उसकी छोटी भाभी जी बी भी हो ली..पूरा घर देख हम छत में पहुचे और भाभी जी ने हमें कुछ देर बात करने अकेला छोड़ दिया..
कुछ देर की चुप्पी मैंने ही तोड़ी ‘तो आप का रिजल्ट क्या हुआ,होटल मनेज्मेंट कर रही थी न आप’
उसने चहेरा उठाया होठो पे हलकी मुस्कान और शर्म साफ दिख रहे थे,’जी ठीक ही है,’
‘आप इतनी पड़ी लिखी है मुझसे शादी कर आपको जंगली इलाको और छोटे शहरो में रहना पड़ेगा आपके कैरियर का क्या होगा.’मैंने अपनी शंका जाहीर की जो मुझे बहुत देर से सता रही थी.’
‘जी मझे प्राकृतिक जगहे पसंद है,और जहा मेरे पति का जॉब होगा मैं वही रहूंगी,मैं मुंबई में पढ़ी जरूर हु लेकिन मेरे संस्कार तो गाव के ही है,और कैरियर का क्या है मैं कही भी अपना करियर बना सकती हु अगर मेरे पति साथ दे तो’ उसकी बात सुन के मेरी तो बांछे ही खिल उठी..मेरे दिल में एक सुकून आया की कम से कम ये मुझे अपने कैरियर के कारन रिजेक्ट नै करेगी..मेरे मन में एक और सवाल घूम रहा था पुछू की उसका कही कोई चक्कर तो नहीं है लेकिन इतनी प्यारी और समझदार लकी से पूछना उसकी बेइजती करने जैसा था.
लेकिन मैंने कुह घुमा के ही पूछ लिया ‘आप इस शादी से खुश तो है ना,,,मेरा मतलब कोई प्रोब्लम तो नहीं ‘
‘नहीं कोई प्रोब्लम नहीं लेकिन मैं आपको कुह बताना चाहती हु,जो मेरे घर वालो को भी नहीं पता लेकिन मैं आपको धोखे में नहीं रख सकती..’मेरे तो दिल की धड़कन ही रुक गयी ये लड़की तो मुझे चाहिए ही थी पता नहीं क्या बोलने वाली थी.’
‘जी जी बोलिए’मैं थोडा उत्सुक होते हुए पूछा
‘वो ऐसा है की..’उसके मासूम चहरे पे बेचैनी के भाव उभर रहे थे उतनी बेचैनी मुझे भी थी..’वो मैं वर्गिन नहीं हु ‘..इतना बोल के वो सर झुका के कड़ी हो गयी उसका चहेरा शर्म से लाल हो गया ऐसा जैसे टमाटर हो,शायद शर्म से ज्यादा ग्लानी के भाव थे.
हमारे इंडिया में लड़की का वर्गिन होना उसके चरित्र का प्रमाण मन जाता है,लेकिन मैं हमेशा से इसके खिलाफ हु एक लड़की का भी दिल होता है,हम लड़के लडकियों के पीछे कुत्तो की तरह पड़े होते है और जब लड़की हम पर भरोसा कर हमें अपना कौमार्य शौप दे तो वो चरित्रहिन हो जाती है,मैं अपने कई दोस्तों को जानता हु जिन्होंने न जाने कितनी लडकियो को भोगा है लेकिन उन्हें भी शादी एक वर्गिन लग्की से करनी है,,
मैंने चहरे पे एक मुस्कुराहट के साथ उन्हें देखा ‘ओ ओ ओ ऐसा है,बॉयफ्रेंड था या..’
उसने मुझे शरारत करते देख कुछ आशचर्य से देखा ‘देखिये मुझे पता है की एक उम्र में ऐसा हो जाता है.मेरी तरफ से आप निश्चिंत रहिये,आप अपने बारे में कुछ बताना चाहे तो आप बता सकती है,अगर आप सहज न महसूस करे तो कोई बात नहीं,और मुझे खुशी है की आपने मुझे धोखे में नहीं रखा.’
मेरी बात सुन उसके चहरे में आया ग्लानी के भाव जाते रहे और वह कृतज्ञता से मेरी ओर देखने लगी शायद कहना चाह रही हो धन्यवाद पर ओपचारिकता इसकी इज्जाजत नहीं दे रहा था.
‘आप मेरे अतीत के
बारे में कुछ जानना चाहती है??’अब मैं थोडा सहज महसूस कर रहा था.
‘जो बित चूका उसके बारे में जानके क्या करना,’अब वो भी सहज दिख रही थी.मुझे तो डर था की कही वो मुझे उसे घूरते न देख ले,मैं उसकी मासूम से चहरे में खो ही गया था,पता नहीं कौन साला मेरी जान को भोगा होगा हाय सोचके ही मेरे शारीर में झुनझुनाहट सी दौड़ गयी..
आखिरकार हमारी शादी हो गयी और वो दिन आया जिसका मुझे इन महीनो में रोज इंतजार था जी हा मेरी सुहागरात…..