“भाई, अब तुम क्या करोगे, दीदी के तो पीरियड हैं, और मेरी चूत तो बहुत सूजी हुई है, आज कैसे चुदाई करोगे…” उसके लहजे में बहुत मासूमियत थी।
मैं रोनी शकल बनाकर बोला-“हाँ… कामिनी आज मुझसे कोई प्यार नहीं करेगा। तुझको भी दर्द है। अब पता नहीं कब तेरी यह प्यारी सी चूत मुझे मिलेगी, कब मैं इसे चूसूंगा। कब इसमें अपना लंड डालूंगा…”
वो बोली-“प्रेम भाई, क्या अब भी मुझ दर्द होगा…”
मैं बोला-“अरे नहीं पगली। दीदी को नहीं देखा। अब कैसे आराम से खड़े खड़े ही मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लेतीं हैं, कुछ दिन बाद तेरी चूत जब सही होगी तो खुल चुकी होगी…”
हम कुछ देर बातें करते रहे, दीदी वापिस आती नजर आईं, वो बोलीं-“तुम दोनों को आज नहाना नहीं है क्या…”
आखिर वो दिन आ ही गया | Aakhir Wo Din Aa Hi Gaya | Part 25
कामिनी बोली-“दीदी मुझे तो सर्दी लग रही है…”
मैं उठा और नदी की तरफ जाते हुये बोला-“दीदी मैं तो जा रहा हूँ नहाने…”
मैं नदी पर आ गया, काफी सर्दी थी। लेकिन नदी पर नहाते हुये, बड़ा मजा आया, मैं नहा कर जब वापिस पहुँचा तो क्या देखता हूँ, दीदी कामिनी की दोनों टांगें खोले बीच में बैठी थीं, कामिनी ऊपर एक पत्थर पर बैठी थी, और दीदी के बाल पकड़े हुये थी, और दीदी उसकी सूजी हुई चूत को जबान से चाट रही थीं। मैं हैरान रह गया, मैं करीब जाकर बैठ गया, और उन दोनों बहनों के मजे से भरी आवाजें सुनता रहा। मेरा लंड बेहद गरम होकर खड़ा हो चुका था।
और कुछ ही देर बाद कामिनी सुकून में आती नजर आई। और दीदी को मैंने घूँट भरते देखकर अंदाजा लगा लिया की कामिनी अभी अपनी मनी छोड़ रही है और दीदी उसे पीने में मगन हैं। जब दीदी ने कामिनी की चूत से मुँह हटाया तो मैं उनके भीगे हुये होंठ और कामिनी की चूत से टपकती एक महीन सी मनी की लकीर देखते ही समझ गया की कामिनी भरपूर तरीके से फारिग हुई है।
मैंने अपनी शरारत से मुश्कुराती दीदी को देखकर कहा-“क्यों दीदी आपने तो मुझे कामिनी की चूत को छूने से मना किया था, और खुद आप उसकी मनी पी रही हैं, चूत चाट रहीं हैं।
दीदी मुश्कुराते हुये बोलीं-“प्रेम, पता है मैं तुम्हें एक राज की बात बताती हूँ आज। तुमने कहीं किसी कुत्ते (डॉग) को कुतिया की चुदाई करते देखा है…”
मैंने नहीं में गर्दन हिला दी।
वो बोलीं-“कुत्ता जब कुतिया को चोदता है तो कुतिया की चूत में एक काँटे जैसे चीज होती है जो कुत्ते के लंड को मजबूती से पकड़ लेती है, कुत्ते का लंड उसमें फँस जाता है…”
मैं बोला-“दीदी आपको यह कैसे पता?”
वो बोलीं-“मुझे याद है हाईस्कूल में हम सारी दोस्तों का पसंदीदा काम कुत्ते और कुतिया की चुदाई देखना होता था, अगर हममें से कोई एक भी यह मंजर देखता तो अगले दिन स्कूल में सारे दोस्तों से खूब नमक मिर्च लगाकर बयान करता…”
वो बात आगे बढ़ाते बोलीं-“पता है जब कुत्ता अपनी मनी कुतिया की चूत में छोड़ देता है और कुतिया जब ठंडी हो जाती है तब वो कुत्ते के लंड को छोड़ती है। और कुत्ता वहाँ से दुम दबाकर भाग जाता है, फिर पता है। कुतिया, अपनी चूत चाट्ती है। पता है वो ऐसा क्यों करती है…”
“वो इसलिए ऐसा करती है की अपनी फटी हुई चूत से दर्द को ख़तम कर सके, और तुम लोग जान लो थूक एक कुदरती दवा है। जब मेरी चूत तुमने खोली थी तो मैं भी कामिनी से खूब चुसवाती थी और मुझे बड़ा सुकून मिलता था। तो यही मैं भी अपनी छोटी बहन की चूत चाट चाटकर उसका दर्द कम कर रही हूँ, तुम भी ऐसा कर सकते हो, लेकिन सिर्फ़ चूत चूसना, बस अंदर उंगली भी नहीं जानी चाहिए…”
मैं बोला-“लेकिन दीदी मेरे लंड की हालात खराब नहीं होगी क्या…” मैंने अपने लंड की तरफ इशारा किया जहाँ से चंद चमकती हुई बूँदें, मुँह से बाहर निकले किसी के मुँह या गरम चूत में जाने को बेताब नजर आती थीं।
दीदी बोलीं-“अरे मेरे प्यारे भाई। मैं हूँ ना…” यह कहकर वो करीब आईं, मेरी टांगें खोलकर बीच में बैठ गईं और मेरा लंड उनके गुलाबी होंठों में से होता उनके हलक की सैर करने लगा और वो उसे तेज़ी से चूसने लगीं, और कुछ ही लम्हों बाद दीदी के बाल मजबूती से जकड़े मैं उनके हलक में अपनी मनी निकाल रहा था।
मैं ठंडा हो चुका था। कामिनी ठंडी हो चुकी थी। दीदी को फिलहाल ठंडा नहीं किया जा सकता था। उनके पीरियड की वजह से।
तो दोस्तों, वक्त की रस्सी को थोड़ा सा खींचते हैं, क्योंकी वाकियात की रफ़्तार से आप यकीनन बोर हो गये होंगे। तो अब दीदी की डेट्स ख़तम हो चुकी हैं, कामिनी की चूत की सूजन ख़तम हो चुकी है, और आज रात हमारा प्रोग्राम चुदाई का है। रात का हम तीनों को इंतजार है, रात आई, हमने खाना खाया, थोड़ी शराब पी, और फिर अंदर आ गये।