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[Completed] फूलनदेवी मौसी को चोदा । Fulan Devi Mousi Ko Choda

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फूलनदेवी मौसी को चोदने में बड़ी मेहनत लगी, पर मजा पूरा आया

फूलनदेवी मौसी को चोदा । Fulan Devi Mousi Ko Choda

नमस्कार दोस्तों, मैं लल्लन टीकमगढ़ [मध्य प्रदेश] का रहने वाला हूँ. पिछले महीने फूलनदेवी मौसी मेरे घर आई. मेरी नानी को नाना ने खूब चोदा था. आज के महंगाई भरे दौर में तो लोग २ से जादा बच्चे नही करते है. पर दोस्तों ये बात आज से ३० ४० साल पहले लागू नही होती थी. पहले इतनी महंगाई नहीं थी इसलिए लोग खूब चुदाई करते थे और खूब बच्चे पैदा करते थे.

मेरी नानी के साथ ठीक ऐसा ही हुआ था. नाना धोती पहनते थे. जब मन आता था धोती उठाकर नानी की साडी उठाकर चोद लेटे थे. इसका रिसल्ट ये हुआ की नानी की ५ लडकियाँ दना दन होती चली गयी. सबसे बड़ी लडकी की शादी हो गयी. जब मेरी माँ चुदी तो मैं पैदा हुआ. पर बाकी मेरी ४ मौसी छोटी थी. कुछ दिन बाद २ और तीसरे नंबर की मौसी की शादी हो गयी. पर चौथे नंबर की मौसी किस्मत से मेरे उम्र की कोई २३ २४ साल की रही होंगी. उनका नाम फूलनदेवी था. हाँ, मैं जानता हूँ की ये नाम आपको पुराना जरुर लेगेगा पर दोस्तों, आज से २० ३० साल पहले ये नाम काफी प्रचलित था. लोग अपनी बहु बेटियों का नाम फूलनदेवी रखते थे. तो मैं सीधा कहानी पर आता हूँ.

फूलनदेवी मौसी कुछ दिन पहले मेरे घर आ गयी. उन्होंने हमारे टीकमगढ़ से ही बी ए का फॉर्म भर दिया था क्यूंकि यहाँ खूब नकल हो जाती थी. इसलिए फूलनदेवी मौसी मेरे घर आ गयी.

मेरा उनसे खूब मजाक चलता था. मौसी हमउम्र थी इसलिए मैं उसने खूब मजाक करता था. एक दिन फूलनदेवी मौसी बोली ‘बेटा बजार से कापी ले आ!’ ‘बेटा सब्जी ले आ’ वो बोली और मेरा मजाक उड़ाने लगी. रिश्ते में मैं उनका बेटा ही लगता था. पर हमउम्र होने के कारण मैं मौसी से मजाक भी करता था.

‘अगर बेटा बना रही हो तो दूध भी पिलाओ. क्यूंकि बच्चे तो अपनी माँ की छाती से मुँह लगाकर दूध तो पीते ही है. मैं तुमको रोज माँ या मौसीमाँ कहकर बुलाऊंगा !!’ मैंने कहा.

फूलनदेवी मौसी झेप गयी. कहना गलत नही होगा की मौसी अब पूर्ण रूप से चुदासी हो चुकी थी. उनका सीना उभर आया था. वो हमेशा कसा और फिट सलवार सूट पहनती थी, इसलिए पुस्त बड़ी बड़ी छातियाँ होने के कारण वो कोई सुपर गर्ल लगती थी. मेरे जहन में बार बार उनको देखकर हीमैन, सुपरमैन, आयरन मैन, जैसे किरदार उभर आते थे. कहना गलत न होगा की मौसी अब चुदने को तायर थी. लौड़ा खाने का उनका वक़्त हो गया था. मेरे इस तरह के मजाक से फूलनदेवी मौसी झेप गयी.

धीरे धीरे वो भी मेरे साथ नोंन वेज मजाक करने लगी. मैं उनको आँखों में आँखे डालकर देखता था. मैं उनको पटाने की पूरी कोशिश कर रहा था. क्यूंकि मेरा लौड़ा भी अब खड़ा होने लगा था. कितना दिन हो गया था चूत नही मिली थी. एक दिन मेरी जवान और चुदासी फूलनदेवी मौसी अपना फ्रोक सूट पहन रही थी. वो मेरी माँ के साथ मार्किट जा रही थी. उन्होंने बहुत ही सुंदर फ्रोक सूट निकला था. पहन भी लिया था पर पीछे से जिप नही लगा पा रही थी. इसलिए उन्होंने मुझे पीठ की जिप लगाने को बुलाया. मैं गया और आज पास से फूलनदेवी मौसी की बड़ी सी विशाल चिकनी मांसल पीठ देखी. फ्रोक सूट बहुत कसा था. मैंने मेहनत की और खिंच पर जिप लगा दी. फूलनदेवी मौसी का जिस्म भर गया था. वो पूरी तरह जवान और कमाल की लडकी लग रही थी. मैंने शरारत की और झुक पर पीछे उनकी खिली पीठ पर चूम लिया. वो सहम गयी. मैंने मौसी को अपना संदेस दे दिया था.

इशारे में उनको ये बता दिया था की उनका ये बेटा उनको बहुत पसंद करता है और उसने प्यार करना चाहता है. फूलनदेवी मौसी वहां से उस वक़्त खिसक गयी. पर उसकी गोरी चिकनी मक्खन सी पीठ चूमने के बाद वो मेरी नियत अच्छे से जान चुकी थी की मैं उनको पेलना खाना चाहता हूँ. उसकी चूत में लौड़ा देना चाहता हूँ. ऐसे ही दिन बीतते गये. एक दिन मैंने मौसी के स्मार्टफोन पर मैंने कुछ ब्लू फिल्मे चुपके से डाल दी. मेरा प्लान काम कर गया. कुछ घंटे बाद ही मौसी की नजर मस्त मस्त चुदाई वाली फिल्मों पर पड़ गयी. उन्होंने मजे से वो चुदाई फिल्मे देखी. फिर कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे और फ़िल्में लाने को कहा. मैंने तुरंत पास वाली दूकान पर गया और ५० जी बी चुदाई फिल्म ले आया. मैंने अपनी फूलनदेवी मौसी के साथ ही चुदाई फिल्म देखने लगा.

To be Continued

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उनका ये बेटा उनको बहुत पसंद करता है और उसने प्यार करना चाहता है. फूलनदेवी मौसी वहां से उस वक़्त खिसक गयी. पर उसकी गोरी चिकनी मक्खन सी पीठ चूमने के बाद वो मेरी नियत अच्छे से जान चुकी थी की मैं उनको पेलना खाना चाहता हूँ. उसकी चूत में लौड़ा देना चाहता हूँ. ऐसे ही दिन बीतते गये. एक दिन मैंने मौसी के स्मार्टफोन पर मैंने कुछ ब्लू फिल्मे चुपके से डाल दी. मेरा प्लान काम कर गया. कुछ घंटे बाद ही मौसी की नजर मस्त मस्त चुदाई वाली फिल्मों पर पड़ गयी. उन्होंने मजे से वो चुदाई फिल्मे देखी. फिर कुछ दिन बाद उन्होंने मुझे और फ़िल्में लाने को कहा. मैंने तुरंत पास वाली दूकान पर गया और ५० जी बी चुदाई फिल्म ले आया. मैंने अपनी फूलनदेवी मौसी के साथ ही चुदाई फिल्म देखने लगा.

फूलनदेवी मौसी को चोदा । Fulan Devi Mousi Ko Choda | Update 2

कुछ ही देर में मेरा मौसी को चोदने का मन बन गया. मैंने हमउम्र मौसी का हाथ पकड़ लिया और हाथ को चूम लिया. फूलनदेवी मौसी मुझे गहरी नजर से देखने लगी. वो जान गयी की उनका ये बेटा उनको चोदना चाहता है. मैं लगातार मौसी का हाथ चूमता रहा. कुछ देर में वो पट गयी. मैंने उनको पकड़ लिया. उसके गाल पर चूमने लगा. कुछ ही देर में दोस्तों मेरा हाथ मौसी की उभरी छातियों पर पहुच गया. मैं दबाने लगा. वो दबवाने लगी. वाह!! कितने मस्त मस्त मम्मे थे उनके. काबिले तारीफ़ छातियाँ थी. कुवारी और अनछुई. बड़ी और गोल. मैंने उसके सूट के उपर से उनके दूध दबाने लगा. फूलनदेवी मौसी से आंख मींज ली. मेरा उत्साह बढ़ गया. मैंने और जोर जोर से जादा ताकत के साथ उनकी छातियाँ दबाने लगा. बड़ा मजा आ रहा था दोस्तों.

कुछ देर में मौसी ने मेरी पकड़ के खुद को नंगा पाया. मैंने उनके उपर किसी बड़े मगरमच्छ की तरह लेता हुआ था. मेरी ये चौथे नंबर वाली मौसी बड़ी गजब की माल थी. भगवान करे हर जवान लडके को इसी तरह की चुदासी मौसी मिले. मेरे मुँह में मौसी के दूध थे. मैं उनको पी रहा था. गोल, मटोल, रबर सी मुलायम छातियाँ वाकई पीने और दबाने काबिल थी. मैंने भरपूर मजा लिया. रोज फूलनदेवी मौसी को कपड़ों में सलवार सूट में देखता था पर आज उनको नंगा देखा था. उनकी चूत में अच्छी खासी झांटे उग आई थी. पर फिलहाल तो मैं मौसी के दूध पीने में लगा हुआ था.

मौसी के सुरमई होठों पर मैंने कई बार अपनी उँगलियाँ फिराई. मौसी सिसकारी भरने लगी और और भी जादा चुदासी हो गयी. उसके निपल्स गहरे काले चमकदार रंग के थे और बहुत ही शानदार थे. यही लग रहा था की अभी नये नये फैक्टरी में बने है. मैं घंटों हाथ से फूलनदेवी मौसी के निपल्स मसलता रहा. इस दौरान उसका सौदर्य और खूबसूरती पहले से कहीं जादा बढ़ गयी थी. आज वो मुझे किसी परी से कम नही लग रही थी. मैं बार मौसी की भरी भरी छातियों को हाथ में लेता था, पल्ल पल्ल दबाता था और काले सिक्के जैसे आकार वाले निपल्स को मसलता था और उसने खेलता था. सच में उपरवाले ने भी औरत जैसी कितनी खुबसूरत चीज बनायीं है. मानना होगा उपर वाले का. मैं यही सब सोच रहा था और फूलनदेवी मौसी के मम्मो से खेल रहा था. बचपन में मैं प्लास्टिक के खिलौने से खेलता था, पर अब कोई सजीव चीज मुझे खेलने को मिल गयी थी. एक बार फिर से मैं निचे झुक गया और अपनी हमउम्र चुदासी मौसी की छाती को मैंने मुँह में भर लिया और पीने लगा. कुछ देर बाद मौसी ने सरेंडर कर दिया.

अब उनकी चूत पूजा का समय था. काली काली झांटों से भरी चूत असलियत में बड़ी खूबसूरत थी, पर काली काली झाटों में उसका असली सौंदर्य नही दिख रहा था. मैं दौड़ कर अपनी शेविंग मशीन ले आया और धीरे धीरे से फूलनदेवी मौसी की झांटे बड़े प्यार से बना दी. इतनी प्यार से मैंने कभी अपनी झांटें नही बनायीं थी. पर आज चुदासी जवान मौसी मिली तो एकाएक मेरा प्यार उमड़ आया. माशा अल्लाह !! मौसी की नई नवेली चूत किसी रानी से कम से नही लग रही रही. कितनी सुंदर थी उनकी चूत. कितना नूर, कितनी चमक थी मौसी की भरी भरी चूत में. एक ५ ६ इंच गहरी चूत नही बल्कि स्वर्ग का द्वार थी. मौसी अपने पैर बिलकुल सामने को सीधे किये हुई थी. २ बंद पैरों के बीच में चूत की अपनी ही वेलू थी. मैंने जीभ लगाकर मौसी के स्वर्ग के द्वार को चाटने लगा.

गोरी चिकनी चूत, बीच में एक पतली सी लाइन. मैंने फूलनदेवी के पैर खोल दिए. आहा !! कितनी सुंदर चूत!! बार बार ये ही मेरा दिल कह रहा था. मैंने एक बार स्वर्ग की उस दरगाह पर झुक गया और अपनी सगी मौसी की चूत पीने लगा. कुवारी चिकनी चूत. मनमोहक और बेहद आकर्षक. मैंने मौसी की चूत पीने को कोई कसर नही छोड़ी. पुरे मन से गहराई में उनकी बुर पी मैंने. अब मौसी के लौड़ा खाने का समय था. मेरा लौड़ा तो कबसे बहा जा रहा था. मैंने फूलनदेवी मौसी की दोनों जाँघों को पकड़ लिया. किसी लोहार की तरह मैंने मौसी के भोसड़े पर अपना लौड़ा फिट कर दिया. मौसी जानती थी की जब कोई जवान लडकी पहली बार चुदती है तो बड़ी जोर का दर्द होता है. ये बात उनको पता थी. उन्होंने अपनी बड़ी बड़ी मस्त मस्त छातियों को हाथ से पकड़ लिया. मैं एक्शन में आ गया और अंदर धक्का मारा. मेरा मजबूत लौड़ा मौसी के चूत में घुस गया.

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गोरी चिकनी चूत, बीच में एक पतली सी लाइन. मैंने फूलनदेवी के पैर खोल दिए. आहा !! कितनी सुंदर चूत!! बार बार ये ही मेरा दिल कह रहा था. मैंने एक बार स्वर्ग की उस दरगाह पर झुक गया और अपनी सगी मौसी की चूत पीने लगा. कुवारी चिकनी चूत. मनमोहक और बेहद आकर्षक. मैंने मौसी की चूत पीने को कोई कसर नही छोड़ी. पुरे मन से गहराई में उनकी बुर पी मैंने. अब मौसी के लौड़ा खाने का समय था. मेरा लौड़ा तो कबसे बहा जा रहा था. मैंने फूलनदेवी मौसी की दोनों जाँघों को पकड़ लिया. किसी लोहार की तरह मैंने मौसी के भोसड़े पर अपना लौड़ा फिट कर दिया. मौसी जानती थी की जब कोई जवान लडकी पहली बार चुदती है तो बड़ी जोर का दर्द होता है. ये बात उनको पता थी. उन्होंने अपनी बड़ी बड़ी मस्त मस्त छातियों को हाथ से पकड़ लिया. मैं एक्शन में आ गया और अंदर धक्का मारा. मेरा मजबूत लौड़ा मौसी के चूत में घुस गया.

फूलनदेवी मौसी को चोदा । Fulan Devi Mousi Ko Choda | Update 3

फूलनदेवी मौसी को बड़ा दर्द हुआ. उनका गोल चेहरा सिकुड़ सा गया और उतर गया. मैं और जोर से हुमक दी और मेरा ८ इंच का लौड़ा मौसी के भोसड़े के अंदर पहुच गया. मैं कुछ एक सेकेंड के लिए रुक गया. फिर धीरे धीरे बड़े प्यार और लगाव से अपनी सगी मौसी [माँ की बहन] को लेने लगा. मेरा लौड़ा खून से रंगा बड़ी धीरे धीरे मौसी की चूत में अंदर और बाहर जा रहा था. शुरू शुर में धीरे धीरे पेलाई हो पा रही थी. फिर धीरे धीरे मंजिले मिलने लगी. मैं मौसी को चोदने में सफल हो गया था. ये बड़ी बात थी. बड़ी उपलधि थी मेरे लिए. मैंने मौसी पर चढ़ गया. उनके हाथों को मैंने उनके दूध से हटा दिया और अपने हाथों में चुच्चो को ले लिया. बाप रे!! कितने मुलायम, कितने नर्म आम से. सायद मेरी आँखों के द्वारा देखी गयी सबसे खूबसूरत चीज. मैंने हाथ से दबाते दबाते उनको मुँह में भर लिया और पीने लगा. ये पल जादुई था, सच में दोस्तों, बड़ा शानदार और बहुत ही जादुई. इस दौरान मैंने अपने असलहे को फूलनदेवी मौसी की चूत में भी गाड़े रखा. फिर कुछ देर बाद अपने लौड़े की ट्रेन मौसी के भोसड़े में फिर से स्टार्ट कर दी. शानदार अनुभव था वो. मैं खट खट करके फिर से मौसी संग संभोग करने लगा. चुदती मौसी का सौन्दर्य आँखों में बस गया था. फिर मुझसे रहा न गया. मौसी के होठ पर मैंने अपने होठ रख दिए और पीते पीते उनको खाने लगा.

अब मेरा लौड़ा पूरी तरह मौसी की बुर में रवां हो चूका था. सट सट करके अंदर बाहर फिसल रहा था. मौसी की चूत सच में बहुत मीठी थी. मेरा लौड़ा बार बार मुझे ये बता रहा था. मैं मौसी में पूरी तरह से समा जाना चाहता था. मैंने उसको बाहों में भर रखा था. उनके नर्म नर्म ओंठ पीकर मैं उनकी जवालामुखी सी धधकती आग सी उबलती चूत मार रहा था. फिर कुछ समय बाद मैंने फूलनदेवी मौसी के भोसड़े में झड गया. मौसी ने मुझे जकड़ लिया. इसे कहते है असली बुरफाड़ चोदन, मैंने सोचा. फूलनदेवी मौसी मुझे जगह जगह गाल ,गले, सीने पर चूमने लगी. मुझे बहुत अच्छा लगा. अपनी माँ की सगी बहन को चोदकर मुझे बहुत मजा आया. आज बिना कपड़ों के मौसी बहुत ही शानदार और प्रभावशाली लग रही थी.

उफफ्फ्फ़! क्या जवानी थी उनकी. मेरे पास तारीफ़ करने को शब्द नही है. फूलनदेवी मौसी का हाथ नीचे चला गया. उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और फेटने लगी. मौसी को चोदने में बड़ी मेहनत लगी थी. मेरा लौड़ा बहुत जादा फूल गया था. उत्तेजना के कारण ऐसा हुआ था. मैं झड चूका था पर फिर भी मेरा लंड नही सूखा. मोटा बना रहा और खड़ा ही रहा. मौसी खुद ब खूब बिना कहे ही लंड फेटने लगी. ‘जोर जोर से मौसी! और जोर से फेटों!!’ मैंने कहा. मैंने मौसी के गोरे गोरे गाल में फिर चुम्मा ले लिया. मैंने अभी अभी देखा. फूलनदेवी मौसी के गाल में हल्के हल्के गड्ढे थे जो सिर्फ पास से देखने पर ही दिखते थे. मैंने अपना हाथ मौसी की चूत में डाल दिया और सहलाने लगा.

फिर हम दोनों ६१ ६२ वाली पोजीसन में आ गया. मौसी मेरा लौड़ा और मेरी मेरी गोलियां पीने लगी. मैंने उनकी चूत में ऊँगली कर करके पीने लगा. ये तो कहो की मेरी किस्मत अच्छी थी की मौसी बीऐ की परीक्षा देने आ गयी वरना ऐसी शानदार चूत मुझे कहाँ नसीब होती. फूलनदेवी मौसी ने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगी. साथ में मेरी २ काली काली गोलियों को भी वो अपनी नाजुक ऊँगली से सहला रही थी. वो जोर जोर से सिर हिला हिलाकर मेरा मोटा लौड़ा चूस रही थी. जब मौसी बड़ी जोर जोर से मेरा लौड़ा पीने लगी तो मुझे लगा की कहीं झड ना जाऊं. ‘आराम से पियो मौसी वरना माल छूट जाएगा!!’ मैंने कहा. चुदाई के दुसरे राउंड में मैंने फूलनदेवी मौसी को कुतिया बना दिया. अब डौगी स्टाइल में इनको पेलूँगा, यही योजना था. मौसी ने दोनों हाथ अपने सर के किनारे कर लिए.

कुतिया बनकर वो कितनी सुंदर लग रही थी. कितनी जम रही थी. मैंने पीछे से अपना चेहरा और मुँह मौसी के लपलपाते पुट्ठों में बीच डाल दिया. मैं उसके गोरे चिकने पुट्ठों को खा लेना चाहता था. पीछे से मौसी का भोसड़ा बड़ा ही विशाल और वैभव से भरा लग रहा था. खूब बड़ी सी चूत थी फूली फूली. इसकी खूबसूरती पर मैं एक बार फिर से मर मिटा. मैंने हाथ से चूत पर चट चट करके २ चपट मारी. और एक बार फिरसे पीछे से मौसी की नई नई चूत पीने लगा. अपनी जीभ से उसे खोदने लगा. फिर मैं कुत्ता बन गया और मौसी की चूत में लौड़े डाल दिया. किसी वक्युम क्लीनर की तरह मौसी के भोसड़े ने मेरा लौड़े को खीच लिया. मैंने उसको ठोकने लगा. मौसी आ आहा हा हा हूँ हूँ करने लगी. कभी कभी को बिलकुल शांत और चुप हो जाती थी और गहन रूप से इंटेंसिटी के साथ बिना शोर किये चुदवाती थी. पर कभी कभी थोडा मस्ती में आ जाती थी और जोर जोर से ‘आ आहा हा हा हूँ हूँ !!’ करके चुदवाती थी. ये सब बहुत कमाल था. दोस्तों, १ महीने बाद मौसी का बी ऐ का एग्जाम ख़त्म हो गया. मैंने मौसी को बस में बैठाने गया. मैंने उनके ओंठ एक बार और पिये और मम्मों को २ ३ बार बस में ही दाब दिया. मौसी तो चुदवाकर चली गयी पर उनकी चूत का स्वाद आज भी मेरे लौड़े के सुपाड़े पर है.

THE END

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