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नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah

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आआआअहह आआआअहह उूउउफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्यारे सलमान और ज़ोर लगाओ आआअहह ऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई मुझे बोहत माज़ा आरहा है मेरी जान उउउउउउउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्! फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ, 5 मिनिट बाद ही जूनि की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसका जिस्म ढीला पड़ गया, लेकिन मैं अभी फारिग नहीं हुआ था और मैं झटके मारता रहा, मुझे मज़ा आरहा था और वह मज़े से सिसकारिया ले रही थी, 10 मिनिट बाद जूनिम की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और कुछ देर बाद मेरे लंड ने भी झटका खाया और मैंने उसकी चुत में धार मारी और उसकी चुत पूरी भर दी।

फिर उसके बाद इसी तरह से पोज बदल-बदल कर मैंने उस रात बेदर्दी से उसकी 4 बार चुदाई की और उस गुलबदन पर निढाल हो कर सो गया।

नवाबी खानदानी निकाह Nawabi Khandani Nikah  Part 21

नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah | Part 21

अपने नाम के मतलब के अनुसार जूनि बहुत 'प्यारी' थी और कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई करके मुझे बहुत मजा आया था ।

जूनि, जीनत और मैं तीनो ऐसी मस्त चुदाई से बहुत खुश थे और अब मैंने हिसाब लगाया की एक महीना पूरा होने वाला है और निकाह के बाद मेरी पहली सुहागरात ज़ीनत के साथ मनाने का फैसला करते हुए मैंने ये भी फैसला किया था कि हर एक महीने के बाद सुहागरात मनाऊंगा।

तो अब मैंने अपना नया फैसला किया की अमीषा जैसी आरसी और रवीना जैसी रुखसार की चुदाई मुझे जल्द ही करनी है और फिर उनकी चुदाई का मन बनाकर उनको अपनी अम्मी को फ़ोन कर के बोला की आज कल खेत पर काम बहुत है और उन दोनों को ये कह कर वही पर बुलवा लिया की मौसम अच्छा है उनको यहाँ अच्छा लगेगा और साथ में जीनत आपा की भी काम में कुछ मदद हो जाएगी ।

तो अम्मी बोली तो रिजवान आरसी और रुखसार को छोड़ने आजायेगा और अब आगे खेतो पर अब काम और बढ़ जाएगा इसलिए रिजवान भी वहीँ रुक जाएगा और मेरी बहनो रुखसाना, सलमा और फातिमा को भी रुखसार और आरसी के साथ भेज देंगी । सब मिल कर काम करना और रहना ।

जबतक वह आती ज़ीनत और जूनि मुझसे रोज़ 2-2 राउंड लगवाती थी और ड्राई फ्रूट्स का हलवा और खूब खिला पीला कर मेरी ज़िन्दगी में बहार ला दी थी । जहाँ ज़ीनत का स्वाद मीठा था वहीँ जूनि का स्वाद खट्टा था और मैं रोज इन दोनों सुंदर और खट्टी मीठी बहनो का पूरा स्वाद लेता था ।

निकाह के बाद चाचा और खाला की एक-एक लड़की को में चोद चूका था, मेरे मामा की कोई औलाद नहीं थी और मौसी मेरी चची ही थी क्योंकि मेरे अब्बू और चाचा के निकाह अपनी सेज माँ की लड़कियों से ही हुआ था ।

रोज की लम्बी और जोरदार चुदाई से अल्हड़ और कमसिन जूनि की चुत सूज गयी थी और ज़ीनत उसकी सिकाई करती थी लेकिन रात होते ही उसको फिर लंड खाने की आदत लग गयी थी

एक रात मैंने जूनि की बहुत देर तक चुदाई की और सुबह मैं देर तक उन दोनों बाहों में सोया, जूनी और जीनत और जब मैं उठा तो वह जूनि बोली आज मत जाओ और मुझे दिन में भी चोदो लेकिन खेत में जाना जरूरी था तो मैंने उसे अपने साथ खेतों में ले जाने का फैसला किया ताकि मैं दोपहर में उसकी चुदाई कर सकूँ। जीनत ने एक नौकरानी को जूनी के साथ उसकी मदद के लिए भेजा।

लंच के समय जूनी खुले मैदान में खाना लेकर मेरे पास आयी। मैंने उससे कहा कि हम आउटहाउस में लंच करेंगे। खेतो के बीच में हमारा एक आउटहाउस था और मैं जूनी के साथ आउटहाउस चला गया जब मैंने दरवाज़ा खोला जूनी में आउटहाउस के बरामदे में कदम रखा तो एक पल में वह मेरी बाँहों में झूल गयी और कसकर गले से लग गई। मैंने देखा कि हवा का एक झोका आया और हाल में बड़ी अलमारी का दरवाजा थोड़ा हिल गया मैंने यह सोचकर अनदेखा कर दिया कि शायद इसे ठीक से बंद नहीं किया गया है और अब हवा के दबाव के कारण दरवाजा हिल गया है।

मेरा लंड खड़ा हो गया और सूज गया और कपड़ों पर जोर से जोर पड़ने लगा।

' जूनी मुझे चुप रहने के लिए फुसफुसा रही थी उसे अंदेशा था कि नौकरों और अन्य खेत श्रमिकों या लोग हमारी आवाजे सुन सकते हैं लेकिन मैं बिलकुल बोल्ड हो गया और जल्द ही सीधे उसके घाघरे के नीचे मेरा हाथ गया और मैंने उसे नीचे खींच दिया अगले ही पल में मेरी आंखों के सामने उसकी चिकनी लम्बी और बिना कपड़े वाली जांघें थी और मेरे हाथ ने उसके चुत को सहलाया और मैंने अपने पास खींचा उसके ओंठो को चूम उसे करीब से दबाया और अपने खड़े लंड को उसकी चुत के खिलाफ रगड़ा।

' तब मुझे एहसास हुआ कि भोली जूनी अब और अधिक बोल्ड हो गई है और उसका हाथ मेरी पैंट के सामने की ओर चला गया और उसने मेरी पैंट को खोल दिया और मेरा खड़ा और लंड ने बाहर छलांग लगा दी। मेरे विशाल लंड की छलांग का दृश्य देखकर वह चौंक गई, वह मेरे विशाल गर्म हथियार को देखकर लगभग विस्मय से कराह उठी उफ़, इतना बड़ा और कठोर! , लेकिन अब जूनी को इससे कोई डर नहीं लग रहा था, उसने अपनी हथेली में प्यार के जादू के साथ लंड को पकड़ा, सहलाया और-और दबा कर उसे खींचती हुई अपनी योनि के द्वार पर ले गयी और मुझे इशारा किया कि वह अब इसे अपने अंदर चाहती है।

' यह सब, निश्चित रूप से, मुझे यहाँ बताने और लिखने में जितना समय लगता है, उससे बहुत कम समय में हुआ और फिर उसकी ख़ुशी और मजे के लिए मैंने खुशी से जूनि को एक लंबे झूले पर बैठा दिया जो आंगन ने लगा हुआ और उसके कपड़े निकाल कर फेंक उसकी पूरी नंगी कर दिया और अब उसके सारे आकर्षक यौनांग मेरे सामने मुझे ललचा रहे थे मैंने उसके स्तनों को सहला कर चूमा और मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसने अपनी गुलाबी और उग्र चुत के प्रवेश द्वार पर मेरे खड़े हुए लंड के सुपारे को लगाया और उसने जल्द ही इसे अपने भीतर समा लिया और फिर लंड पर हुक पर फसी मछली की तरह थिरकने और तड़पने लगी!

मैंने धक्के मारने शुरू किये और जूनि के मुँह से ऐक सिसकारी निकली और उसने खुद साथ में अपने चूतड़ को उछाला और मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया, जूनि के मुँह से सिसकारी निकली लेकिन उसका मुँह मेरे मुँह में था इसलिए आवाज बाहर नहीं गयी और फिर मैंने खूब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारे, मुझे बोहत मज़ा आ रहा था और जून बुरी तरहा से सिसकने लगी, आआआअहह-आआआअहह उूउउफ आह्हः आआअहह ऊऊऊऊीीईईईईई मुझे बोहत माज़ा आरहा है उम्म्म!

' मेरे बड़े लंड के तेज झटको के साथ और कमर की नियमित पंपिंग स्पीड के कारण मैंने लंड को लगातार उसकी कोमल चुत में अंदर बाहर किया और हम दोनों एक साथ झड़ गए ।

फिर हमने दोपहर का भोजन किया और फिर एक दूसरे की बाहों में कुछ देर आराम किया। फिर मैंने जूनि को एक बार और चौदा और उसकी चुत बिलकुल सूज गयी थी मैंने उसको कपड़े पहनने में मदद की, अपनी पैंट को पहना और एक चुंबन दिया और खेत की तरफ चला गया।

रात की जीनत आपा ने जूनि की चूत का मुआयना किया और बोली इसकी चुत की तो बुरी हालत हो गयी है। तो मैंने पहले जीनत की चुदाई की , फिर जूनि जीनत आपा की चुदाई देखने के बाद चुदासी हो गयी थी,

इसलिए ज़ीनत आपा ने कहा की इसकी गांड मारो और में तुम्हे इसकी इज़ाज़त देती हु और फिर मैंने जूनि की गुलाबी नाज़ुक गांड बड़ी बेरहमी से मारी और उसकी चीखो से घबरा कर बीच में ही उसकी गांड छोड ज़ीनत की गांड मार दी जिससे दोनों की हालत ख़राब हो गयी और 7 दिन चुदने लायक नहीं रही ।

To be Continued

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फिर हमने दोपहर का भोजन किया और फिर एक दूसरे की बाहों में कुछ देर आराम किया। फिर मैंने जूनि को एक बार और चौदा और उसकी चुत बिलकुल सूज गयी थी मैंने उसको कपड़े पहनने में मदद की, अपनी पैंट को पहना और एक चुंबन दिया और खेत की तरफ चला गया।

रात की जीनत आपा ने जूनि की चूत का मुआयना किया और बोली इसकी चुत की तो बुरी हालत हो गयी है। तो मैंने पहले जीनत की चुदाई की , फिर जूनि जीनत आपा की चुदाई देखने के बाद चुदासी हो गयी थी,

इसलिए ज़ीनत आपा ने कहा की इसकी गांड मारो और में तुम्हे इसकी इज़ाज़त देती हु और फिर मैंने जूनि की गुलाबी नाज़ुक गांड बड़ी बेरहमी से मारी और उसकी चीखो से घबरा कर बीच में ही उसकी गांड छोड ज़ीनत की गांड मार दी जिससे दोनों की हालत ख़राब हो गयी और 7 दिन चुदने लायक नहीं रही ।

नवाबी खानदानी निकाह Nawabi Khandani Nikah  Part 22

नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah | Part 22

2 दिन बाद रिजवान के साथ अर्शी और रुखसार आयी और मैंने उन दोनों की चुदाई करने का फैसला ले लिया । रिजवान के साथ मेरी बहने और उसके तीनो बीविया रुखसाना, सलमा और फातिमा भी आयी थी ।

अर्शी जिसका मतलब होता है जन्नत की रानी और अपने नाम की-की तरह एक 18 साल की लड़की है जो बेहद सुंदर है जिसके पास गर्म शरीर है, वह 5' 5 "लंबी है और लगभग 50Kg वजन, बड़ी और सुंदर आंखे, 34सी-21-33 का माप घने लम्बे काले बाल, गोल और बड़े स्तन और एक छोटी कमर, अविश्वसनीय लम्बी टाँगे और एक बिल्कुल सुडोल नितम्ब, वह पुरुष की परम कल्पना जैसी है। जब वह मुझ से मिली तो मेरे गले लगी और जैसे ही मैंने उसे अपने शरीर में खींचा, मेरे मजबूत हाथ उसके कंधों और उसकी पीठ के चारों ओर खिसक गए। उसके निप्पल कस गए और मैं चाहता था कि हमारे कपड़े जादुई रूप से गायब हो जाएँ और हमारे बीच गर्मी और त्वचा के अलावा कुछ न बचे।"

जब रुख्सार और अर्शी आयी और जब उन्हें मालूम हुआ की जूनि की सुहागरात हो चुकी है तो खूब दुखी होकर रोने लगी और अर्शी ने कहा की दूल्हे भाई ने अच्छा नहीं किया, कमसिन लड़की को ठोक दिया, बेचारी चल भी नहीं पा रही है । मैंने उन्हें बताया की ज़ीनत की सुहाग रात को महीना पूरा हो गया है अब मेरा इरादा है की अब मुझे जल्द ही तुम दोनी के साथ भी सुहागरात मनानी है। तो मसला हुआ की पहले किसकी सुहागरात होगी और फिर बात अम्मी तक गयी तो मेरी अम्मी ने अर्शी को मेरे कमरे में जाने को कहा और निश्चित हुआ की हर हफ्ते के हिसाब से मेरी चारो बीविया अब मुझसे चुदवायेगी ताकि कोई झगड़ा नहीं हो ।

मैंने भी अगले दो दिन ज़ीनत और जूनि के साथ कोई चुदाई नहीं की ताकि मैं तरोताजा रहूँ।

अर्शी अमीषा की तरह कमसिन और नाज़ुक थी, लेकिन वह फ्रैंक भी बहुत थी और दिन में ही पूछ लिया दूल्हे भाई आज रात कैसी डिश चाहिए, दुल्हन की तरह, या लाइट ब्लू निघ्त्य में खुले बालों वाली गोरी मेम । मैंने कहा मेरी जान तुम्हे याद योग तुमने कहा था नमकीन डिश मिलेगी अब गोरी मेम दुल्हन की तरह नमकीनडिश पेश करे तो क्या कहने और वह मुस्कराते हुए चली गयी, और में भी दिन भर अपने चहेरे भाई रिजवान के साथ अपनी ज़मीन और खेती को देखने चला गया और फिर दोस्तों रात में चुदाई और हवस का ऐसा नंगा नाच हुआ की अर्शी ने मेरा दम ही निकाल दिया।

कमरे में जाते ही वह आयी और वह दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसने नीले रंग की चोली और घाघरा पहना हुआ था जो की पूरी तरह से पारदर्शी था। वह मेरी आँखों में आंखे डाल कर बोली

"Mr. Salman your wife Arsi welcomes you to a tour of forbidden pleasure free of cost, where satisfaction is guarnteed and fee is rupturing the entrance to the sensational cave".

("मिस्टर सलमान, आपकी पत्नी अर्सी, निषिद्ध आनंद के मुफ्त दौरे में आपका स्वागत करती है, जहाँ संतुष्टि की गारंटी है और शुल्क होगा सनसनीखेज गुफा के प्रवेश द्वार को तोड़ना ।" )

और फिर उसने मुझे सबसे अंतरंग फ्रेंच चुंबन दिया और उसकी लार के स्वाद ने मुझे एक एस्फोरैडिक-कामोत्तेजक की तरह उत्साहित किया,

फिर वह बिस्तर पर घूंघट ओढ़ कर बैठ गयी । मेरे मुँह से निकला ओये होये-मजा आएगा आज तो गोरी मेम की जैसे दिखने वाली सजी धजी देशी दुल्हन नमकीन मजे देगी ।

मैं धीरे-धीरे बेड के करीब पहुँच जहाँ अर्शी घूंघट किए हुए बैठी गयी थी। अर्शी छई-मुई-सी बनी हुई ही नजरें झकाए बैठी हुई थी। शर्म में उसकी हालत खराब थी। सोचने और करने में वाकई फर्क होता है। वह सुहागरात मानने जा रही थी। आज उसकी चुदाई होने वाली थी। उसे ज़ीनत की चीखें याद आ रही थी।

अब बेड पर मैं अर्शी के बगल में जाकर बैठ गया ।मैंने एक हाथ उसके कंधे पर रखा और उसके माथे पर चूमा और तोहफे में लाया हार उसे पहना दिया। इस चुबन में उसके जिस्म को झकझोर दिया। फिर मैंने धीरे से घूंघट को उठाया और अपने हाथ उसे उसके चेहरे को उपर उठाया और फिर उसकी दोनों आँखों में बारी-बारी से किस किया ।

अर्शी की आँखें बंद हो गई थी अब। मेरे सामने उसके रसीले लब थे। मैंने अभी इन हसीन लबों का रस पीया था, और उसकी लार के स्वाद ने मुझे कामोत्तेजित किया था और, मेरी प्यास भड़क गयी थी। मैंने अर्शी को थोड़ा-सा अपनी ओर खींचा और अपने होंठ श्री के रसभरे लबो पर रख दिये और उनके रस को चूसते हुए अर्शी को बेड पर गिरा सिया। वह सीधी लेटी हुई थी और मैं उसकी बगल में आधा और आधा उसके ऊपर लेटा हुआ उसके अधरों को चूमने लगा और साथ ही साथ उसके पेट को भी सहलाने लगा था।

मैं अर्शी के पेंट को चूचियों से नीचे तक और लहँगे तक सहला रहा था। नीला पारदर्शी लहँगा और चोली के बीच में उसका गोरा चिकना पेट चमक रहा था। मैं उसके होठों को चूसता हुआ उसके पेट को सहला रहा था। अर्शी गरमा गयी। उसका पेंट अंदर होने लगा, मैंने अपनी जीभ को अर्शी के मुँह में डाल दी। वह भी अपनी जीभ बाहर करके मेरी जीभ से टकराने लगी। मैं उसकी जीभ को अपने होठों के बीच में पकड़ कर चूसने लगा। अर्शी अब पूरी तरह गरमा गई थी और उसकी चूचिया ऊपर नीचे होने लगी अब मैंने अपना हाथ आगे किया और अर्शी की चूचियों को उसकी पारदर्शी नीली चोली केअंदर घूरने लगा । अर्शी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी उसक निपल और गोरा जिस्म नीली चोली के अंदर से चमक रहा था। उसमें से अर्शी के हलके ब्राउन निप्पल जो गुलबी पण लिए हुए थे साफ-साफ दिखाई दे रहे थे।

मैंने अपना खाली हाथ उसके शरीर पर फिरा दिया, उसे सबसे अंतरंग स्थानों में छू लिया। जैसे ही मेरे हाथ उसके शरीर पर दौड़े, वह उत्साह में कराह उठी। जैसे ही मेरे हाथ उसके स्तनों के पास आए, उसने एक गर्म कराह दी। मैं चोली के ऊपर से ही उसके स्तन दबाने लगा।

चोली डीप कट की थी तो मैंने अपने हाथ को थोड़ा-सा तिरछा किया और मेरा हाथ अर्शी की चोली और बा के अंदर उसकी चूची पर पहुँच गया। मैंने अर्शी के स्तन के करारेपन को महसूस किया। चूची को हल्का-सा दबाया और अर्शी आह... करती हुई कमर को उठाकर बदन ऐंठने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी ब्रा और नंगी त्वचा के बीच चिपकाते हुए उसके गोल स्तनों पर चलाया और उसके निप्पल को छेड़ा फड़फड़ाया, जिससे अर्शी जोर-जोर से कराहने लगी।

मैं चोली के डोरी को खोलने लगा। मैंने चोली के डोरी खोल कर चोली को किनारे कर दिया और एक चूची को चूमा और फिर कस के मसल डाला। उफफ्फ... अर्शी की हालत खराब होती जा रही थी। मैं उसकी एक चूची की चूमता हुआ दुसरे निपल को मसलने लगा और बीच-बीच में दोनों चूचियों को भी मसल देता था।

फिर मैं अर्शी की ज्वेलरी उतरने लगा। पहले उसने मांगटीका उतारा फिर गले से हार। फिर अर्शी को उठाया और उसके पीछे बैठते हुए उसके गर्दन पर किस किया और उसकी चिकनी पीठ को चूमकर पीठ को बगल को सहलाने लगा मैं उसकी चिकनी पीठ को अपने होठों से चूमता जा रहा था।

मैं उसकी नंगी पीठ को चूमने और सहलाने लगा। अब मैंने अर्शी को फिर से लिटा कर उसे करवट से कर उसके साथ उसके सामने उसके जिस्म से चिपकता हुआ लेट गया और फिर से अर्शी के होंठ चमने लगा और उसकी पीठ, पेट को सहलाने लगा।

अब मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिए और-और पूरा नंगा हो गया

मैं उसके पेट को चूमने लगा । वह जोरो से सिसकारी लेते हुए गरम सांसे मेरे चेहरे पर निकाल रही थी और अपनी जीभ से मेरे पूरे बदन को चूमती और चाटती जा रही थी, मैं उसकी निपल्स अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसके नाज़ुक बदन को मसलता रहा और इस तरह पूरा कमरा हमारी मादक सिसकारियों और सांसो से भर गया ।

अब अर्शी ऊपर से बिकुल नंगी थी। और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था। मैं बारी-बारी एक एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था और दूसरे निपल को मसल रहा था। गोरी चूचियाँ लाल हो गयी थी। अर्शी आह्ह... उह्ह... कर रही थी। ओह, तुम्हें ये पसंद है, हुह? मैंने धीरे से अपना हाथ उस स्तन से जिसे मैं दबा रहा था, उसे उसके पेट पर फेरा जैसे ही मैं उसके पेट के पास गया, वह कांपने लगी, बेचैनी से हांफने लगी। फिर मैं अर्शी के पेंट और बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। मैं उसके पेट की चूमने लगा तो उसने पेट अंदर कर लिया जिससे मेरा हाथ आसानी से लहंगे के अंदर चला गया और मैंने अर्शी की चुत को सहलाया तो मुझे वह गीली लगी । '

मेरा हाथ नीचे पहुँच गया, जब तक कि वह उसके चूत के अधरों तक नहीं पहुँच गया। मैंने गीलापन महसूस किया और एक उंगली से जांच करने लगा। तो वह कसमसा उठी और उसका एक पैर सीधा था और उसने दूसरा पैर उसने मोड़ लिया। मैंने दुसरे हाथ से लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर अर्शी की नंगी जांघों को सहलाने लगा।

To be Continued

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अब अर्शी ऊपर से बिकुल नंगी थी। और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था। मैं बारी-बारी एक एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था और दूसरे निपल को मसल रहा था। गोरी चूचियाँ लाल हो गयी थी। अर्शी आह्ह... उह्ह... कर रही थी। ओह, तुम्हें ये पसंद है, हुह? मैंने धीरे से अपना हाथ उस स्तन से जिसे मैं दबा रहा था, उसे उसके पेट पर फेरा जैसे ही मैं उसके पेट के पास गया, वह कांपने लगी, बेचैनी से हांफने लगी। फिर मैं अर्शी के पेंट और बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। मैं उसके पेट की चूमने लगा तो उसने पेट अंदर कर लिया जिससे मेरा हाथ आसानी से लहंगे के अंदर चला गया और मैंने अर्शी की चुत को सहलाया तो मुझे वह गीली लगी । '

मेरा हाथ नीचे पहुँच गया, जब तक कि वह उसके चूत के अधरों तक नहीं पहुँच गया। मैंने गीलापन महसूस किया और एक उंगली से जांच करने लगा। तो वह कसमसा उठी और उसका एक पैर सीधा था और उसने दूसरा पैर उसने मोड़ लिया। मैंने दुसरे हाथ से लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर अर्शी की नंगी जांघों को सहलाने लगा।

नवाबी खानदानी निकाह Nawabi Khandani Nikah  Part 23

नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah | Part 23

अर्शी का जिस्म कांपने लगा था। मेरा हाथ पैंटी के ऊपर से चूत पर था और मैं चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। मैंने लहँगा पूरा ऊपर कर दिया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। अर्शी की चूत गीली थी और वह गीलापन पैटी पर भी आ चुका था।

मैंने अर्शी के लहंगे की डोर भी खोल थी और उसे नीचे की ओर खींचने लगा, अर्शी ने अपनी गांड हवा में उठाते हुए अपना लहंगा उतरवाने में मेरी मदद की। अब वह सिर्फ पेंटी में थी औरमैं उसकी बगल में आकर लेट गया और उसका चेहरा अपनी ओर कर उसके होठ चूसने लगता है और अपना एक हाथ नीचे लेकर जाकर अर्शी पेंटी के अंदर डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा और फिर धीरे से अपनी एक उंगली गरमाई अर्शी की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही अर्शी का बदन हिलने लगा और उसने मेरे को कस के पकड़ लीया और मेरे होठों को चमने लगी। मैंने चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। और उसकी पैंटी को उतार दिया।

अर्शी अब पूरी नंगी लेटी हुई थी मेरे आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल, नथ और गले में एक हार था जो मैंने उसे पहनाया था। मैं उसकी खूबसूरत कमसिन नंगे बदन की निहारता रहा और अर्शी ने शर्म के मारे अपनी आँखे अब बंद कर ली थी । मैंने उसके पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पर किस किया और फिर चूसने लगा और साथ में अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था मैं अपनी जीभ से ही अर्शी की चुदाई कर रहा था। जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूसा और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा।

मैंने उसकी चुत में उंगली डाली। अर्शी ने कराहते हुए विलाप किया, उवो अपने कूल्हों को हिलाकर कसमसाने लगी " ओह, आह कर उसका जिस्म काम्पा और अर्शी की चूत का रस उसकी जाँघों से नीचे बहने लगा। और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही क्लाइमेक्स हो गया है

उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। मैं अर्शी की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। अर्शी हाँफ रही थी। मैं अर्शीकी बगल में सीधा लेट गया।

और वह करवट होकर मेरे से चिपक गई, उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर दब रही थी।

और मैं उसको अपनी बाहो में लेकर प्यार से सहलाते हुए चूमने लगा । मैं इस तरह उसके जिस्म से करीब एक घंटे से भी ज्यादा खेला और फिर अर्शी ने पूछा मैं किसकी तरह लगती हु, तो मैंने जवाब दिया अमीषा जैसी, तो वह बोली अब तुम मुझे अमीषा ही कहा करो, आज से मेरा यही नाम है।

इस तरह करीब 2 घंटे चूमना चेतना चलता रहा, तभी जूनि की आवाज़ आयी चाटते ही रहोगे क्या अरे इसकी चुदाई तो करो और मैंने देखा वह मेरी तीनो बहनो और दोनों बेगमो के साथ रोशनदान से देख रही थी, मैंने उसे डांटा और बोलै भागो यहाँ से तो अमीषा उर्फ़ अर्शी बोली देखने दो इनसे क्या शर्म, फिर में रा लंड पकड़ कर बोली रुख्सार देख इसी शानदार बड़े लंड से तेरी भी चूत फटेगी और फिर उत्तेजना में भर बोली फाड़ दो मेरी चूत एक ही झटके में इस गुफा की झिल्ली अपने हथियार से चीयर कर रख दो और

अपनी कजिन की चूत की धज्जिया उड़ा दो, छोड़ दो पटक कर मुझे और कसम है तुम्हे कोई भी रहम या दया मत करना

फिर मैंने उसकी चुत के रस की अपने खड़े लंड पर लगाया एक पतली, चिपचिपी फिल्म में ढके होने तक अपने लंड को मोटे तौर पर सहलाया। एक सेकंड बाद, लथपथ चुत के चारों ओर अपना बड़ा गर्म लंडमुंड रगड़ा।

फिर मैंने उसकी मुलायम झांटो पर अपना लंड टिकाया और फनफनाते हुए लुंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और अमीषा उछल-उछल कर मज़े ले रही थी और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही एक बार फिर क्लाइमेक्स हो गया है और फिर मैंने अपने लंड की रगड़े तेज़ की और जैसे ही वह झड़ी और उसने आनंद में आंखे बंद की मैंने उसकी चुत के छोटे से छेद पर लंड का सर टिका दिया। फिर मैं बोला। " अमीषा मेरी रानी, मेरी अर्शी तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली है। उसे मेरे बड़े लंड की ज़रूरत है, लेकिन सावधान रहना। यह तुम्हारे लिए एक नया अनुभव होने जा रहा है। यह तुम्हारी अनुमान से कहीं अधिक बड़ा है और मैं यह सुनिश्चित करने जा रहा हूँ तुम पूरा अंदर ले लो। फिर मैंने अपने लंड का बड़ा सिर उसकी चूत पर केंद्रित किया।

मैंने अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे मारा, मेरा बड़ा लंड जबरदस्ती उसके अंदर घुस गया, एक बार लंडमंफ पूरी तरह से उसकी योनि में फिसल गया, एक हलकी-सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से लंड पूरा जड़ तक समां गया और अर्शी की चीख निकल गयी आईई आआहा आआआआआईईईई इस्सस मगर गजब की हिम्मत थी अर्शी में उसने अपने हांथो में मेरा चेहरा लेकर अपना मुँह मेरे मुँह के साथ लगा कर अपने चीखे मेरे मुँह में निकाली

उसे पसीना आ रहा था और वह हांफ रही है, चूत में भरा लंड उसके पेट में ऐंठन पैदा कर रहा था। पूर्ण, संपूर्ण होने की भावना, के साथ उसने मेरे लंड को अपने अंदर गहराई से समाहित कर लिया मैं वासना से भर गया। उसकी चूत रिसने लगी यह सिर्फ उसकी चूत से रिसने वाला सिर्फ गर्म रस नहीं था इसमें उसकी झिल्ली फटने से निकला खून भी शामिल था और उसके पैरों को नीचे गिराकर विस्तर पर टपक रहा था, जिससे कमरे में गंध आ रही थी है। मेरा चेहरा उसकी गर्दन में दब गया, मेरी सांसें मेरे लंड की तरह ही गर्म, सख्त, भारी हो गयी। अर्शी अपनी कानो में मेरी कम खतरनाक कराह सुन रही थी अर्शी ने अपने जीवन में कभी भी किसी आदमी से आदिम जानवरों की कराह नहीं सुनी थी। वह अपनी भारी, श्तेज सांसों के बीच फुसफुसा और कराह रही थी। ये उसके लिए बहुत कठिन और तकलीफ भरा था। मैं उसके शरीर को जमकर लूट रहा था, मैं बार-बार अपने लंड को उसके भीतर दबा रहा था।

और फिर मो मेरे नंगे कूल्हों पर पाने हाथ रख कर मुझे चूमते हुए बोली बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है की इसको तुमने एक धक्के में ही फाड़ दिया अब 2 मिनट शांत रहो और मेरे बदन को चूमो और जब में अपने चूतड़ उछालूं तो राजधानी की स्पीड से चोदना।

और मैं पहले ही झड़ चुकी हु मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरी योनि में डाल देना, मुझे आज चौदवा दिन है और में तुम्हारे बचे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हु ।

अर्शी की आँखों से आंसुओ की धारा बहने लगी और उसने उन्हें गिरने दिया। उसने परवाह नहीं की। उसने सिसकने के बीच जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने चूतड़ उछाल कर मुझसे चुदाई शुरू करने की गुहार लगाई, अब कोई परवाह नहीं थी।

फिर मेने ऐसे देखे मारे की उसकी नानी यद् आ गयी, वह अब चुप नहीं थी: वह जोर से कराह रही थी जोर से और लंबी, बिना शर्म के कराह रही थी और मुझे चूम रही थी, उसका शरीर मजे में डूबा, फिर भी एक लंबे समय तक नशे की लत की तरह वह बार-बार मुझसे और जोर से और जोर और तेज चोदने के लिए बोलती रही। मैं हर ज़ोरदार धक्के के साथ कराहने लगा, मैंने उसे जोर से जोर से धक्के मारे और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर हर बार उसके गर्भाशय ग्रीवा से टकरा रहा था। हम कराह उठे और बार-बार कराह उठे, और 30 मिनट तक लगातार बड़े-बड़े धक्के मार कर छोड़ने के बाद मैं आनंद रस से भीग गया

मैंने मेरे लंड का सिर उसके गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ कसकर दबा दिया, और मैं हिंसक रूप से काँप रहा था क्योंकि लंड उसके भीतर सूज गया था। जैसे ही मैंने उसके भीतर विस्फोट किया, हमारी चीखें तेज हो गईं और वह भी कांपते हुए मेरे साथ ही झड़ गयी और मेरा रस पूरी तरह से उसके साथ घुलमिल गया, ताकि एक दिल की धड़कन के लिए, हम एक इकाई हों गए। उसकी चूत अभी भी ब्लास्ट फर्नेस की तरह गर्म थी, मैंने एक गहरी सांस ली।

To be Continued

 

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फिर मेने ऐसे देखे मारे की उसकी नानी यद् आ गयी, वह अब चुप नहीं थी: वह जोर से कराह रही थी जोर से और लंबी, बिना शर्म के कराह रही थी और मुझे चूम रही थी, उसका शरीर मजे में डूबा, फिर भी एक लंबे समय तक नशे की लत की तरह वह बार-बार मुझसे और जोर से और जोर और तेज चोदने के लिए बोलती रही। मैं हर ज़ोरदार धक्के के साथ कराहने लगा, मैंने उसे जोर से जोर से धक्के मारे और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर हर बार उसके गर्भाशय ग्रीवा से टकरा रहा था। हम कराह उठे और बार-बार कराह उठे, और 30 मिनट तक लगातार बड़े-बड़े धक्के मार कर छोड़ने के बाद मैं आनंद रस से भीग गया

मैंने मेरे लंड का सिर उसके गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ कसकर दबा दिया, और मैं हिंसक रूप से काँप रहा था क्योंकि लंड उसके भीतर सूज गया था। जैसे ही मैंने उसके भीतर विस्फोट किया, हमारी चीखें तेज हो गईं और वह भी कांपते हुए मेरे साथ ही झड़ गयी और मेरा रस पूरी तरह से उसके साथ घुलमिल गया, ताकि एक दिल की धड़कन के लिए, हम एक इकाई हों गए। उसकी चूत अभी भी ब्लास्ट फर्नेस की तरह गर्म थी, मैंने एक गहरी सांस ली।

नवाबी खानदानी निकाह Nawabi Khandani Nikah  Part 24

नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah | Part 24

मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहा। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थे। लेकिन हम दोनों साथ में चिपक कर लेटे रहे l कुछ ही देर में मैंने खुद को अर्शी के बदन से खुद को उठा लिया, उसका सिर पीछे की ओर लुढ़का हुआ था, उसकी आँखें बंद थीं, मुश्किल से साँस ले रही थी। हालाँकि, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था पर वह उस चरमसुख को अनुभव कर रही थी जिससे वह अभी-अभी गुज़री थी। मैंने चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl मैंने उसे फिर से चूमा तो वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गई.

अर्शी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, अर्शी का भी सारा दम ही निकल गया और मैं हांफती हुयी तेज-तेज सांस लेती हुए, निढाल अर्शी की बगल में गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें अर्शी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड जो की अर्शी की चूत में ही था और झड़ने के बाद आधा ढीला हुआ था, फिर से खड़ा हो गया l मैंने उसकी चूत के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे रस ने चिकना कर दिया था।

वह धीरे-धीरे यही और लंगड़ाती हुई चुपचाप बाथरूम में चली गई मैं उसके साथ चला गया उसने शावर चला का खुद की धोया और धीरे से अपना हाथ मेरे शरीर के सामने घुमाया और हल्के से मेरे लंड को पकड़ लिया। मेरा लंड उसके हाथ में बड़ा और सख्त हो गया। वह मेरे से चिपक गयी और जैसे-जैसे वह अपना हाथ लंड पर आगे-पीछे करती रही और उसके सख्त निप्पल मेरी छाती पर दब गए हैं। उसने मेरी गर्दन के पिछले हिस्से को पकड़ा और मेरे मुंह को अपनी ओर खींच मुझे लंबा और जोर से चूमने लगी है। धीरे-धीरे अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालने से पहले उसने मेरे ओंठो को चूसा। मैं अपने बालों में उसके हाथों को महसूस कर सकता था, वह हल्के से मेरे सिर को तब तक अपने पास खींच रही थी जब तक कि उसके ओंठ और जीभ लगभग पूरी तरह से मेरे मुँह में नहीं थे, उसने मेरे मुँह पर लगा अपने सह और रस का स्वाद चखा जो मेरे मुँह म तब लगा था जब मैंने उसकी चूत का रस चाटा था। उसने घुटनों पर बैठने से पहले मेरे नीचे के होंठ को हल्का-सा काटा। फिर उसने नीचे बैठ कर अपना गर्म, गीला मुँह खोला और मेरे लंड के सिरे को चाटा। मेरा एक हाथ उसके मुंह को आगे-पीछे करने में मदद कर रहा था और मैं वहा तब के किनारे पर बैठ गया और अपना दूसरा हाथ उसके पैरों के बीच घुमाया। । मैंने दो अंगुलियों को उसकी चूत में फिराया उसने नीचे झुककर मेरी उंगलियों से अपनी नमकीन मिठास चूस ली।

हमने तौलिया ले कर एक दुसरे को सुखाया और वापिस कमरे में आ गए हम बेडरूम में गए, अर्शी बिस्तर पर लेट गयी, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

अर्शी लंगडाते हुए चल रही थी, मैंने अर्शी से पुछा । कैसी लगी तुम्हे पहली चुदाई? तो वह बोली बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि इसको तुमने एक धक्के में ही फाड़ दिया फिर मजा भी बहुत आया । फिर वह बोली आपको नमकीन और कमसिन का मज़ा आया?

मैंने कहा तुमने सच कहा था की ज़ीनत तो मीठी है और जूनि के साथ कमसिन और खट्टी मीठी का मजा आया लेकिन दोनों चिल्लाती बहुत हैं । अर्शी तुम गजब हौसले वाली हो । नमकीन और कमसिन का मजा तो तुम्हारे साथ ही आया और तुम मेरे बड़े लंड की चुदाई को आधे घंटे तक झेल गयी और तुम्हारी पहली चुदाई ने मेरा भी दम निकाल दिया ।

ऐसे ही प्यार और मस्ती भरी बाते करते करते मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा और उसे चूमा और अपने अंगूठे और तर्जनी से उसकी जांघों के अंदरूनी हिस्से पर चुटकी ली। इस विधि का उपयोग करके मैंने उसे अपने पैरों को चौड़ा खोलने के लिए मजबूर किया। मुस्कुराते हुए, मैंने अपनी उंगली को उसके बहुत संवेदनशील सूजी हुए चूत के होंठों पर थपथपाया और अंदर डालने की कोशिश की चूत जबरदस्त चुदाई के कारण सूज गयी थी और बड़ी मुश्किल से मेरी ऊँगली थोड़ी-सी चूत में घुसी और उसकी सिसकारी निकल गयी और जिस्म कांप गया मैंने काम जारी रखा एक दम से उसने मेरा लंड पाकर लिए और दबा लिए।

अर्शी मुझे चूमने लगी उसके चेहरे पर वहशहत थी आँखें सुर्ख अंगारा हो रही थी .।. एक दम वह आगे हुई और मेरे गले लग गयी और मुझे भींच लिया। मुझे अपने सीने पर उसके नरम-नरम रास मलाई जैसे बूब्स महसूस हुए, उसके बदन से आग निकल रही थी और जिस्म से मोगरे की हलकी-हलकी मस्त खुशबु आ रही थी जो मुझ पर नशा तारी किये जा रहा था । फिर मैंने भी उसके मखमली होंठों को अपने होंठों मैं दबा लिए और उसका शहद पीने लगा । वह भी भरपूर साथ देने लगी और जानवरों की तरह मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फेरा तो उसकी सिसकारी निकल गयी ।आह! उह!,

उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और अपने सॉफ्ट हाथों से उसे सहलाने लगी। मेरा लंड फूल कर खीरा बन गया और उसके हाथ से बाहिर निकलने की कोशिश करने लगा। अब उसने दूसरा हाथ भी शामिल कर लिया और कभी मेरे लंड को और कभी मेरे अंडो को सहलाने लगी मैं भी उसकी फुद्दी पर ऊँगली चलने लगा जो की चुदाई के कारण बिलकुल सूज गयी थी और बिलकुल बंद थी।

मैं उसे लिए हुए बिस्तर पर लेट गया और हैवी किसिंग शुरू कर दी 15 मिनट किसिंग करने के बाद मैं दूर हुआ और आज स्पीड ब्रेकर को तोड़ने के बाद जो नयी-नयी सड़क बनी थी उस पर मुझे-मुझे अपनी बड़ी स्पोर्ट्स कार को फुल स्पीड से भागना था।

बिस्तर पर सीढ़ी लेटते हुए अर्शी ने अपनी बाँहें खोल दीं और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किआ उस का बदन काँप रहा था । मैं घुटनो के बल बैठ गया और उसकी चूत मैं ऊँगली डाली तो उसने मस्त कराह भरी उसकी सिसकीआं मुझे सब समझा रही थी ।.मैंने ऊँगली बाहर निकाली तो वह लैस दर पानी से भीगी हुई थी मैंने उसे चाटा तो नमकीन और स्ट्रांग टेस्ट महसूस हुआ । मैंने अपना मुँह उसकी रस भरी चूत पर रख दिया । मैंने पीछे दो तीन दिन चुदाई नहीं की थी इसलिए जब ऐसा नमकीन रसदार माल मिला तो मैं बोहोत अरसे बाद गोश्त खाने वाले की तरह हड्डी भी चूस के फेंकना चाह रहा था । मैंने उसे पकड़ लिया और दबा दिया और अपनी लम्बी ज़ुबान निकल कर उसकी चूत की लाइन पर फेरी तो वह मज़े से अपना सर इधर उधर करने लगी और अपने आप को मेरे रहमो करम पर छोड़ दिया...मैंने ज़ुबान को चूत के सुराख मैं घुसना शुरू कर दिया और फिर उसकी चूत के उभरे हुए और जूसी लिप्स को मुँह मैं दबा लिए और चूसना शुरू कर दिया.

उसके कुछ भी बोलने से पहले मैंने उसकी चूत पर जीभ फिरा दी । वो मीठे मजे के साथ कराह उठी । उत्सुकता से मैंने अपनी जीभ से, चूत के ओंठो को छेड़ते हुए चूत का मोटा दाना खोजा। उसके उसके सबसे संवेदनशील तंत्रिका के ऊपर मेरे स्पर्श ने उसके कंपा दिया।

To be Continued

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बिस्तर पर सीढ़ी लेटते हुए अर्शी ने अपनी बाँहें खोल दीं और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किआ उस का बदन काँप रहा था । मैं घुटनो के बल बैठ गया और उसकी चूत मैं ऊँगली डाली तो उसने मस्त कराह भरी उसकी सिसकीआं मुझे सब समझा रही थी ।.मैंने ऊँगली बाहर निकाली तो वह लैस दर पानी से भीगी हुई थी मैंने उसे चाटा तो नमकीन और स्ट्रांग टेस्ट महसूस हुआ । मैंने अपना मुँह उसकी रस भरी चूत पर रख दिया । मैंने पीछे दो तीन दिन चुदाई नहीं की थी इसलिए जब ऐसा नमकीन रसदार माल मिला तो मैं बोहोत अरसे बाद गोश्त खाने वाले की तरह हड्डी भी चूस के फेंकना चाह रहा था । मैंने उसे पकड़ लिया और दबा दिया और अपनी लम्बी ज़ुबान निकल कर उसकी चूत की लाइन पर फेरी तो वह मज़े से अपना सर इधर उधर करने लगी और अपने आप को मेरे रहमो करम पर छोड़ दिया...मैंने ज़ुबान को चूत के सुराख मैं घुसना शुरू कर दिया और फिर उसकी चूत के उभरे हुए और जूसी लिप्स को मुँह मैं दबा लिए और चूसना शुरू कर दिया.

उसके कुछ भी बोलने से पहले मैंने उसकी चूत पर जीभ फिरा दी । वो मीठे मजे के साथ कराह उठी । उत्सुकता से मैंने अपनी जीभ से, चूत के ओंठो को छेड़ते हुए चूत का मोटा दाना खोजा। उसके उसके सबसे संवेदनशील तंत्रिका के ऊपर मेरे स्पर्श ने उसके कंपा दिया।

नवाबी खानदानी निकाह Nawabi Khandani Nikah Part 25

नवाबी खानदानी निकाह | Nawabi Khandani Nikah | Part 25

इस के साथ मैंने अपने मुँह को खोलते हुए अपनी लंबी ज़ुबान निकाल कर नीचे से अर्शी की सूजी हुई चूत की मोटी दरार को चाटना शुरू कर दिया।

"ओह" मेरी नुकीली ज़ुबान अपनी पिंक चूत के अंदर घूमते हुए महसूस कर के अर्शी कराह उठी।

मेरी चुसाई ये अर्शी की गरम सिसकियाँ उन के मुँह से निकल-निकल कर कमरे में गूँज रही थी। " ओह, अह्ह्ह्ह! हाईईई! उफफफ़! उम्म्म! ओह्ह्ह!

"अर्शी अब तुम मुझ पर चढ़ कर मेरा लंड अपनी फुद्दि में डालो" थोड़ी देर उसकी फुद्दि को चाटने के बाद मैंने अर्शी को अपने जिस्म के ऊपर चढ़ा लिया।

फिर मैंने नीचे से अर्शी की गीली और गरम चूत के साथ अपना लंड मिला कर अर्शी को उस की कमर से पकड़ा और उसे नीचे की तरफ खैंचते हुए खुद अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ उठा दिया।

मेरे चूसने और उसके बाद लौडे की रगड़ से अर्शी की चूत दुबारा से बुरी तरह गरम हो गयी थी।

अचानक मैं बिस्तर से थोड़ा उपर उछला और गुप्प्प्प से अर्शी की चूत के अंदर आधा लंड घुस गया। जब मेरा लंड फिसलता हुआ तक़रीबन आधा अंदर चला गया था मुझे लंड पर कुछ बोहोत गरम चीज़ महसूस हुई और मेरा लंड भीग गया उसके चेहरे को देखा जो की तकलीफ की वजह से बिगड़ गया था और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे । मुझे उस पर तरस आया के लंड से चुदने के चककर के कितनी तकलीफ बर्दाश्त कर रही है और अपना लंड बाहर निकल कर अंदर डाला तो उसके रस से तर लंड थोड़ा फ्रीली आ जा रहा था अब मैंने बहरपुर अंदाज़ मैं उसे चोदना शुरू कर दिए और बैठ गया तो अर्शी मेरी गोदी में आ गयी और मैंने अपने होंठ उसके होंठों मैं डाल दिए अब वह भी मज़े ले रही थी मेरे लंड डालने के बाद मुझ से और चिपकने के कोशिश करती जैसे मुझे भी अंदर घुसने की कोशिश कर रही हो । मैं मुससल धक्के मारने लगा अब उसके जिस्म ने भी कांपना शुरू कर दिए और उसकी चूत एक गरम पानी छोडने लगी जिस मैं मेरा लुंड भीग गया और फच-फच की आवाज़ आने लगी ।

अर्शी की कमर को मैंने अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ रखा था। फिर मैंने अर्शी के बदन को नीचे की तरफ खैंचा। तो चूत पहले से गीली होने की वजह से नेमेरा खड़ा लंड फिसलता हुआ अर्शी की चूत की गहराई में चला गया।

मेरे लंड के पहले धक्के पर अर्शी के मुँह सिसकारी निकली " आईईईईई! ऊओीईएईई! उफफफफ्फ़!

उसकी गरम फुद्दि में लंड डालते ही मैंने अपने हाथ नीचे ले जा कर अर्शी की चूत के सूजे हुए लिप्स को अपने हाथ में ले कर दबाया। तो उसकी चूत ने मेरे बड़े लंड को मुकम्मल तौर पर अपनी ग्रिफ्त में ले लिया था।

मेरे तनकर खड़े लंड पर अर्शी धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थीं। मुझे उस समय बहुत मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वजह से लंड अन्दर बाहर हो रहा था। वह खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थीं। सच में नंगी अर्शी मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत मादक लग रही थीं। उनके रेशमी काले बाल चारों तरफ फ़ैल गए थे।

चूत के लिप्स को अपने लंड कर इर्द गिर्द ज़ोर से दबाते ज़ाहिद नीचे से अपनी बहन की फुद्दि में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। अर्शी के मुँह से सिसकारियो का एक सैलाब उमड़ आया। "हाईईई! ओह!" और अब अर्शी खुद लंड के उपर नीचे होती हुई अपनी गरम चूत चुदवाने लगी। मैंने नीचे से एक ज़ोर दार झटका दिया। तो उस का पूरा लंड अर्शी की चूत के अंदर घुस गया और सीधा अर्शी की बच्चादानी से टकराया। "आअहह, मार डाला!" मैं अब अर्शी की कमर पकड़ के नीचे से लंबे-लंबे धक्के लगाने लगा।

मेरे जोश से अर्शी की चूत मेरे लंड पर ही वह झड़ने लगी। "ऊओ चोदो मुझे, आज फाड़ दो कीईईई! । चूऊऊओत, आ! उउफफफफ्फ़! हाइईइ!"।

मेरा लंड फ़च फ़चफ़ की आवाज़ के साथ अर्शी की फुद्दि में अंदर बाहर हो रहा था और अर्शी की चूत मेरे मोटे लंड को अपने अंदर ज़ोर से जकड रही थी। अर्शी को चोदते-चोदते मैं उसको अपनी बाहों में उठाए हुए बिस्तर से उतर कर फर्श पर खड़ा हो गया।

बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़े होने के बावजूद मेरा मोटा और बड़ा लंड अभी तक उस की फूली हुई तंग चूत में जड़ तक ठूँसा हुआ था। मैंने बड़े आहतीमाद से अर्शी को अपने मज़बूत बाजुओं के ऊपर उछालते हुए अपना तना हुआ लंबा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। ये अंदाज मेरे लिए भी बिल्कुल नया और मज़ेदार था।

अर्शी ने अपने बाज़ू मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिये और मेरे साथ चिपट गयी और अब उसका पूरा भार मेरे ऊपर था । मुझे बहुत मजा आ रहा था ।

इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनों हाथों से अर्शी के रानों को थाम कर अर्शी के जिस्म को हवा में उछाल-उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दिको लंड के ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया।

इस चुदाई से अर्शी को भी मज़ा आने लगा। और वह भी अपने मोटे-मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर मेरा मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी। उसकी चूत ने पहले जो पानी छोड़ा था उसके कारण उसकी चूत तर थी और इसीलिए उस की चूत मेरे हर धक्के पर फचाक-फचाक की आवाज़ निकल रही थी।

"ऊऊओिईई! मेरे राजा, अह्ह्ह्ह! मैं गयी अह्ह्ह्ह!" कहते हुए अर्शी ने अपना पानी छोड़ दिया और उसकी गीली चूत से पानी बह-बह कर मेरे लंड के साथ-साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर दिया।

कोई 15, 20 सेकेंड्स तक अर्शी के जिस्म को झटके लगते रहे और फिर वह निढाल हो कर मेरी बाजुओं में ही झूल गई।

मैंने आहिस्ता से अर्शी को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया। मैं अभी तक फारिग नहीं हुआ था। इसीलिए मेरा लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा अर्शी की चूत में घुस कर खड़ा था। अर्शी मेरे नीचे लेटी हुई गहरे-गहरे साँस ले रही थी।

मैं अर्शी को बेकरारी से चूमने लगा। चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं। फिर मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उनको जन्नत की सैर कराई. फिर थोड़ी देर के बाद वह फिर झड़ गईं। अर्शी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं। मैं उनकी चूत में धक्के लगाने चालू रखता तो अर्शी फिर गर्म हो जाती थीं। आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए. हम दोनों जन्नत में थे ... सच में बहुत मज़ा आ गया। मुझे अर्शी के चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।

उसके बाद मैं अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए ही सो गया, सुबह 8 बजे जब मेरी नींद खुली तो अपना लंड उसकी झांटो पर पाया और पूरा बिस्तर उसके खून से लाल था, मैंने अर्शी को उठाया और उसे चूमा, ज़ीनत और जूनि तो चिल्ला-चिल्ला कर दिमाग ख़राब कर दी थी, पर तुमने मुझे बहुत मजा दिया है उसने कहा तुमसे महीने में 1 हफ्ते चुदना ही ठीक है नहीं तो चूत भोसड़ी बन जाएगी और तुम मुझे नहीं चोदोगे ।

इस तरह 7 दिनों तक मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उसे तृप्त कर दिया ।

To be Continued

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