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Incest [Completed] नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan

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कल्लू अपनी मा की चूत चूस-चूस कर उसे लाल कर देता है और निर्मला की टाँगे काँपने लगती है वह सीधे ज़मीन पर लेट जाती है और कल्लू को अपने उपर खीच लेती है।

कल्लू अब ज़रा भी देर नही करता है और अपनी मा की मोटी जाँघो को फैला कर जब अपनी मा की फूली हुई गुदाज चूत देखता है तो पागल हो जाता है और अपनी माँ की चूत की फांको को खूब फैला-फैला कर चाटना शुरू कर देता है, निर्मला अपनी मोटी गान्ड उचका-उचका कर अपने बेटे का मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है।

कल्लू अपने मुँह मे अपनी मा की चूत पूरी भर कर खूब कस-कस कर चूसने लगता है और निर्मला अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ते हुए पानी छोड देती है, कल्लू सारा पानी चाटने के बाद अपनी मा की चूत को उपर अच्छे से उभार कर अपना मोटा लंड अपनी मा की चूत के छेद मे लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका लंड उसकी मा की चूत मे पूरा एक ही बार मे समा जाता है।

Hard Fuck at riveer

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 39

कल्लू अपनी माँ के उपर चढ़ कर उसके दूध दबोचते हुए उसकी चूत को कस-कस कर चोदने लगता है, निर्मला आह बेटे आह करती हुई नीचे से अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपने बेटे के मोटे लंड पर मारने लगती है, कल्लू अपनी माँ पर चढ़ कर खूब कस-कस कर उसकी चूत कूटना शुरू कर देता है निर्मला अपनी दोनो टाँगो को उठाए अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड खूब कस-कस कर लेने लगती है।

थोड़ी देर बाद कल्लू अपनी मा को घोड़ी बना देता है और जब उसकी मोटी गान्ड को देखता है तो सीधे अपना मुँह अपनी मा की गान्ड से लगा कर चाटने लगता है वह कभी अपनी मा की गान्ड को चाट्ता है और कभी थोड़ा नीचे मुँह लेजा कर उसकी फूली हुई चूत के छेद को पीने लगता है।

निर्मला अपने बेटे द्वारा इस तरह अपनी गान्ड और चूत चाटने से मस्त हो जाती है तभी कल्लू अपना लंड पकड़ कर अपनी मा की चूत मे पीछे से कस कर पेल देता है और निर्मला आह हाय बेटे बड़ा मस्त लंड है तेरा चोद और चोद अपनी मा को खूब कस-कस कर चोद आज फाड़ दे अपनी मा की मस्तानी चूत को खूब तेज ठोकर मार अपने लंड की फाड़ दे बेटे फाड़ दे अपनी मा की चूत को आह आह आहह।

कल्लू अपनी मा की चूत मार-मार कर मस्त लाल कर देता है और फिर कल्लू अपने लंड को बाहर निकाल कर बड़े प्यार से अपनी मा की चूत को चाटने लगता है वह निर्मला को पूरी तरह मुँह के बल ज़मीन से सटा कर उसकी गुदाज मोटी गान्ड को उपर उठा कर अपनी मा की गान्ड के छेद मे थूक लगा-लगा कर पहले अपनी एक उंगली डाल कर चूत चाटने लगता है

फिर कल्लू अपनी दो उंगलिया अपनी मा की गान्ड मे डाल कर उसकी चूत के गुलाबी और रसीले छेद को चूसने लगता है।

निर्मला मस्ती मे झुकी हुई अपने भारी चूतड़ मटकाती रहती है और सीसियती रहती है।

तभी कल्लू पास मे रखी तेल की शीशी से तेल डाल कर अपनी मा की गुदा मे उंगली से अंदर तक ठुसने लगता है वह अपनी मा की गान्ड के छेद को अपनी उंगलियो से तेल लगा-लगा कर खूब चिकना कर देता है

फिर कल्लू अपने मोटे लंड को पूरा तेल मे भिगो कर अपने लंड के टोपे को अपनी मा की तेल मे सनी हुई गुदा से सटा कर अपनी मा के चुतड़ों को अपने हाथो मे कस कर थाम लेता है और फिर कचकचा कर एक तगड़ा धक्का अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका आधे से ज़्यादा लंड फिसलता हुआ उसकी माँ की गान्ड मे समा जाता है।

निर्मला अपने बेटे के द्वारा ऐसा तगड़ा धक्का अपनी गान्ड मे खाने के बाद एक दम से हाय मर गई रे आह कल्लू बहुत मोटा लंड है बेटे तेरा आह आह आ।

कल्लू अपनी मा की बात सुन कर अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर एक जबरदस्त शॉट अपनी मा की गान्ड मे मार देता है और उसका पूरा लंड उसकी मा की गान्ड मे उतर जाता है और निर्मला का बदन ऐंठ जाता है, अब कल्लू धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी मा की गान्ड मे आगे पीछे करने लगता है, धीरे-धीरे निर्मला भी अपने चुतड़ों को पीछे की ओर धकेलने लगती है, आह बेटे आह कल्लू बहुत अच्छा लग रहा है।

कल्लू अब अपने लंड की रफ़्तार को थोडा बढ़ा कर सटासट अपनी मा की गान्ड मे अपने मोटे लंड को पेलने लगता है, कल्लू अपनी मा की मोटी-मोटी जाँघो को सहलाते हुए उसकी गान्ड को खूब कस-कस कर ठोकने लगता है।कल्लू इतनी जोर से अपनी माँ निर्मला की गांड मारने लगता है की वह मूतने लगती है।जिसे देखकर कल्लू और उतेजित हो जाता है और अपनी माँ की कसी गांड को फाड़ने लगता है।निर्मला मज़े से सिसियति रहती है।

अब कल्लू अपने पैरो के पंजो के बल बैठ कर अपनी मा निर्मला की गान्ड की मस्त ठुकाई चालू कर देता है और निर्मला आह आ करती हुई कल्लू का लंड अपनी गान्ड मे लेने लगती है।

जब निर्मला से रहा नही जाता है तो वह एक दम से ज़मीन पर पसर जाती है कल्लू सीधे अपनी मा की गान्ड पर लेट जाता है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी मा की फूली हुई चूत को अपनी हथेली मे भर कर दबोच लेता है और फिर से अपनी मा की गान्ड मे अपने लंड को खूब गहराई तक पेलने लगता है, कल्लू लगभग आधे घंटे तक अपनी मा की मोटी गान्ड मार-मार कर लाल कर देता है और फिर उसका पानी उसकी मा की मोटी गान्ड मे छूट जाता है।

निर्मला उठ कर कल्लू के लंड को किसी कुतिया की भाँति सूंघते हुए चूसने लगती है और कल्लू अपनी मा को पूरी नंगी करके उसके मोटे-मोटे दूध उसके गुदाज पेट और उसकी चूत मे खूब सारा तेल लगा कर उसे खूब चिकनी कर देता है उसके बाद कल्लू निर्मला को अपने सीने से चिपका कर उसकी चूत मे अपना लंड फिर से पेल देता है और अपनी मा के होंठो को पीते हुए उसके दूध दबा-दबा कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगता है।

निर्मला अपने पेरो को हवा मे उठा कर मोड़ लेती है और कल्लू के लंड को अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है, कल्लू अपनी मा की गान्ड के नीचे हाथ डाल कर उसके भारी चुतड़ों को अपने हाथो मे भर कर ज़ोर से दबोचते हुए अपनी मा की चूत मे सटासट लंड डाल-डाल कर ठोकने लगता है, कल्लू निर्मला की चूत ठोक-ठोक के पूरी सूजा देता है और मस्त लाल चूत को चोद्ते हुए अपना पानी अपनी मा की चूत मे भर देता है।

निर्मला की चूत अपने बेटे के तगड़े लंड को पाकर मस्त हो जाती है, उस दिन पूरा दिन कल्लू अपनी माँ निर्मला को तरह-तरह के आसनो मे खूब कस कर चोद्ता है उसके बाद शाम को कल्लू अपनी माँ के साथ अपने घर वापस आता है।

To be Continued

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निर्मला अपने पेरो को हवा मे उठा कर मोड़ लेती है और कल्लू के लंड को अपनी चूत पर खूब दबोचने लगती है, कल्लू अपनी मा की गान्ड के नीचे हाथ डाल कर उसके भारी चुतड़ों को अपने हाथो मे भर कर ज़ोर से दबोचते हुए अपनी मा की चूत मे सटासट लंड डाल-डाल कर ठोकने लगता है, कल्लू निर्मला की चूत ठोक-ठोक के पूरी सूजा देता है और मस्त लाल चूत को चोद्ते हुए अपना पानी अपनी मा की चूत मे भर देता है।

निर्मला की चूत अपने बेटे के तगड़े लंड को पाकर मस्त हो जाती है, उस दिन पूरा दिन कल्लू अपनी माँ निर्मला को तरह-तरह के आसनो मे खूब कस कर चोद्ता है उसके बाद शाम को कल्लू अपनी माँ के साथ अपने घर वापस आता है।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 40

रात को गुड़िया सहेली के बर्थडे में थोडा लेट से आती है।वह दिनभर के भागदौड़ में थक गई थी।इसलिए अपनी माँ के पास सो जाती है।कल्लू भी दिनभर अपनी माँ की चुदाई करके थका हुवा था।वह भी जल्दी ही सो जाता है।

सुबह बाबा बताते है की वह गुड़िया की माँ के साथ शहर जा रहे है।कुछ बैंक का काम था।वह कल्लू से बोलते है की गुड़िया के साथ खेतों में चले जाना।हमलोग शाम तक आएंगे।

कल्लू गुड़िया की तरफ देखकर मुस्कुराता है की आज दिनभर खेतों में मज़ा आएगा।गुड़िया भी अपनी चूत सहला कर इशारा करती है।

जब बाबा और माँ शहर चले जाते है तो कल्लू गुड़िया को बाँहों में भर लेता है और उसके रसीलें होठों को चूसने चाटने लगता है।फिर गुड़िया के कोमल हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रख देता है जिसे गुड़िया सहलाने लगती है।और अपने भइया के मुह में अपनी जीभ डाल देती है।

कल्लू:गुड़िया चल जल्दी से खेतों में आज तुझे खेतों में पूरी नंगी करके चोदने का मन कर रहा है।कितना मज़ा आएगा जब तू खेतो में पूरी नंगी होगी और मैं तुझे अपने लंड पर चढ़ा लूंगा।

गुड़िया :चलो भइया।मैं क्या पहन लूँ।

कल्लू:अपनी टॉप और स्कर्ट पहन ले बिना ब्रा पेंटी के।और थोडा मेरा लौड़ा चूस दे अभी।मैं तेरी मस्त गांड देखते हुए खेतो तक चलूँगा।

गुड़िया अपने भइया का लंड धोती से निकालती है और जीभ से चाटने लगती है। कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।

कल्लू:अब चल मेरी जान।नहीं तो यही पेलना शुरू कर दूंगा।

दोनों खेतो की और चल देते है।रास्ते भर गुड़िया स्कर्ट हटा कर अपनी मोटी मोटी गाँड दिखाकर कल्लू को पागल बना देती है।कल्लू जब उसकी गांड में ऊँगली करना चाहता है तो भाग जाती है।

कल्लू मन ही मन :आज तो खेतो में नंगी करके कुतिया बना के तेरी गांड नहीं मारी तो मेरा नाम कल्लू नहीं।साली मेरे सामने गाँड मटकाती है।

फिर दोनों खेत में बनी झोपडी में जाते है।फिर गुड़िया खटिया के निचे बिस्तर लगा देती है।और दोनों बाते करने लगते है।

गुड़िया- ओके भइया. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।

कल्लू- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार रात में तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।

कल्लू की बातों से गुड़िया उत्तेज़ित होने लगी थी। वो कल्लू की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।

कल्लू- आह गुड़िया तुम्हारे हाथ भी बहुत मुलायम हैं.. लंड पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।

गुड़िया कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए तैयार हो गई थी।
कल्लू- आह..गुड़िया उफ़.. तेरे ये रसीले होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..

गुड़िया- भइया आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शरीफ बनके जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा चुदाई में है.. वो पढाई में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा बदन जलने लगा है।

गुड़िया सीधी होकर बाँहें फैलाए खटिया के निचे लेट गई..कल्लू समझ गया कि अब उसको क्या करना है।कल्लू ने गुड़िया का टॉप निकाल दिया।गुड़िया टॉप ने निचे कुछ नहीं पहनी थी।उसके ठोस चुचिया तनी हुई थी।कल्लू उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।

कल्लू अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।

गुड़िया- आह.. भइया उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..काट डालो इन निप्पलों को बहुत परेसान करते है।

दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। कल्लू का लौड़ा टपकने लगा।

गुड़िया- आह.. भइया.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जल रही है . आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. इसकी मालिश कर दो न..

कल्लू- अभी लो मेरी गुड़िया रानी..अभी तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भइया के लंड को..

कल्लू ने गुड़िया के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। फिर कल्लू ने गुड़िया का स्कर्ट भी उतार दिया अब गुड़िया पूरी नंगी थी।

गुड़िया बिना पेंटी पहने ही घर से आई थी।गुड़िया की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।

गुड़िया- सस्सस्स आह.. भाई.. अब रहा नहीं जा रहा है आह.. प्यार से चाटना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..

कल्लू- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी बुर की चुदाई करूँगा..

कल्लू अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे गुड़िया की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।

गुड़िया- आह.. उहह.. भइया मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।

कल्लू अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. गुड़िया की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।
गुड़िया- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह..पेल दो अपने मोटे लौड़ें को मेरी रसीली चूत में आह. आह…

कल्लू भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।

गुड़िया- आह.. पेलो मेरे राजा भइया.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..।
कल्लू ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और गुड़िया की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और गुड़िया के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।

To be Continued

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गुड़िया- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह..पेल दो अपने मोटे लौड़ें को मेरी रसीली चूत में आह. आह…

कल्लू भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।

गुड़िया- आह.. पेलो मेरे राजा भइया.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..।
कल्लू ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और गुड़िया की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और गुड़िया के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 41

गुड़िया- आह..भइया अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी निगोड़ी चूत की सारी गर्मी निकाल दो आह..

कल्लू जोर जोर से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। गुड़िया भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई..दोनों का तापमान बढ़ने लगा।

खच..चच . फच..फच.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें झोपडी में गूंजने लगीं।

गुड़िया- आह पेलो भइया. चोद डालो अपनी छोटी बहन को अपनी गुड़िया को।. आह.. आईईइ।

कल्लू- ले गुड़िया.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह भोसड़ा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..दिन भर आज खेतो में दौड़ा दौड़ा के पेलूँगा तुझे।

दस मिनट तक कल्लू पूरी ताकत से गुड़िया को चोदता रहा। अब कल्लू तो पक्का चोदू बन चूका था।अब कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और अनुभव बढ़ गया था। मगर गुड़िया की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।

गुड़िया- आई आई.. आह.. भाई और जोर से पेलो.मैं झड़ने वाली हूँ। आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..।

कल्लू ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। गुड़िया का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।

गुड़िया अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। कल्लू ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और गुड़िया के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।

गुड़िया समझ गई कि कल्लू उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।

कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद कल्लू ने आसान बदल दिया। वो घुटनों के बल झोपडी में खड़ा हो गया.. जिसे देख कर गुड़िया मुस्कुराई।

गुड़िया- क्या हुआ भइया.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?

कल्लू- मेरी जान लंड को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।

गुड़िया हँसती हुई अपने भइया के मोटे लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।

कल्लू- आह्ह.. आह्ह.. बस गुड़िया.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह।
गुड़िया घुटनों के बल अच्छी तरह पैर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. कल्लू। को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम मस्त घोड़ी बनी है।

कल्लू- वाह.. मेरी गुड़िया क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी रसीली चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।

कल्लू ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

गुड़िया- आईईइ.. भइया आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. जितनी बार चाहो चोद लेना..

कल्लू- अरे मेरी प्यारी गुड़िया. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब आराम से करूँगा।

To be Continued

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गुड़िया घुटनों के बल अच्छी तरह पैर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. कल्लू। को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम मस्त घोड़ी बनी है।

कल्लू- वाह.. मेरी गुड़िया क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी रसीली चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।

कल्लू ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

गुड़िया- आईईइ.. भइया आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. जितनी बार चाहो चोद लेना..

कल्लू- अरे मेरी प्यारी गुड़िया. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब आराम से करूँगा।

Fuck by side in farm

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 42

कल्लू अब गुड़िया की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ गुड़िया की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो गुड़िया की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।

थोड़ी देर की मस्ती के बाद गुड़िया फिर से गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर कल्लू के मज़े को दुगुना बनाने लगी।

गुड़िया- आह.. आह.. पेलो भाई.. आह्ह.. आज के दिन हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. जोर से पेलो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।

कल्लू अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। चूत की गर्मी से पिघल कर आख़िर कर कल्लू के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर गुड़िया की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।

अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. गुड़िया की कमर में दर्द होने लगा था। जैसे ही कल्लू ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। कल्लू भी उसके पास ही लेट गया।

गुड़िया- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।

कल्लू- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।

गुड़िया- मज़ा ही तो ले रही हूँ..आज तो चुदवाने ने बहुत मज़ा आया। मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?

कल्लू- गुड़िया सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.

गुड़िया-नहीं भइया.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या..अभी का मेरा हो गया.. अब बाद में देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..

कल्लू- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ गुड़िया तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..

गुड़िया- नो नो भाई.बहुत दर्द होगा।तुमने पहले बताया नहीं ।नहीं तो मैं तेल लेकर आती।

कल्लू-अरे गुड़िया।मेरे पास सारा इंतज़ाम है। मैंने तेल की शीशी भी रखी है।

गुड़िया-ठीक है भइया ।गांड बाद में मार लेना।

कल्लू- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..।

गुड़िया- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भोसड़ा बना के दम लोगे.. ठीक है भइया.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..

कल्लू- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..

गुड़िया ऐसे ही हॉस्टल की बातें करने लगी और कल्लू बस उसको सुनता रहा। आधे घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद कल्लू का मन दोबारा चुदाई का हो गया।

कल्लू धीरे-धीरे गुड़िया के जिस्म को सहलाने लगा।उसके रसीले होंठो को चूसने लगा। ऐसी कच्ची कली को जल्दी ही उसने फिर से गरम कर दिया..।

इस बार वो सीधा लेट गया और गुड़िया को ऊपर लेटा कर नीचे से अपना लंड गुड़िया की रसीली चूत में फंसाकर एक झटका दिया, लंड कच से घुसता चला गया।गुड़िया भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।

इस बार गुड़िया कल्लू को चोद रही थी।

लंबी चुदाई के बाद दोनों झर गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।

कुछ देर बाद कल्लू का लंड खड़ा हो जाता है।वह गुड़िया की गांड पर रगड़ने लगता है।

गुड़िया- अरे भइया, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।

कल्लू- अरे इसको पता है.. आज मुलायम कुँवारी गाण्ड का मज़ा मिलने वाला है।

गुड़िया- हाँ मिलेगा.. लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे रसीले होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर ये मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद लास्ट में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे इतनी आसानी से नहीं.कुँवारी गांड नहीं मिलेगी।

कल्लू- अरे यार ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..

गुड़िया- नही भैया। आपने तो लगता है पॉवर वाली गोली खा रखी है… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. और साथ में मेरी गांड के छेद को आयल लगाकर चिकना भी कर दो।फिर आराम से गाँड मारते रहना।

कल्लू ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद दोनों चूमा-चाटी में लग गए। दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।कुछ देर बाद गुड़िया ने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी प्यास!

कल्लू ने गुड़िया के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।

गुड़िया- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..

कल्लू- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..

गुड़िया- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया..पेलो जोर जोर से.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.... आह्ह.. आइ..।

To be Continued

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कल्लू ने गुड़िया के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।

गुड़िया- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..

कल्लू- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..

गुड़िया- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया..पेलो जोर जोर से.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.... आह्ह.. आइ..।

Fuck in Doggy Style in farm

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 43

कल्लू और स्पीड से पेलने लगा.. गुड़िया से ऐसे तगड़े झटके बर्दास्त नहीं हुए वो झड़ने के करीब आ गई।

गुड़िया- आह्ह.. भाई तेज.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. गई.. आह्ह.. आइ आइ..

गुड़िया कमर हिलाकर झड़ने लगी उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर कल्लू का अभी बाकी था.. वो ‘घपा-घाप’ लौड़ा पेल रहा था।

गुड़िया- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ़फ्फ़..
कल्लू ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो गुड़िया तड़प सी गई..- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भइया.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..

कल्लू- तेरा तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..

गुड़िया- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?

कल्लू ने गुड़िया के मुँह पर लौड़ा लगा दिया और हाथ से उसके बाल पकड़ कर लौड़ा उसके गालों पर घुमाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..

कल्लू- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..

गुड़िया- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..

कल्लू- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..

गुड़िया- प्लीज भइया.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..

कल्लू खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक गुड़िया भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त कुतिया बन गई थी.. उसको देख के कल्लू खुश हो गया।

कल्लू- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद गांड की छेद पूरी खोल दूँगा..

इतना कहकर कल्लू खटिया के निचे लगे बिस्तर पर आ गया और कुतिया बनी गुड़िया की गाण्ड को सहलाने लगा।

गुड़िया- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।

कल्लू ने आयिल गुड़िया की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।

कल्लू उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो गुड़िया को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।
कल्लू बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और गुड़िया बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।

कल्लू- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तूम खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.तूम जानती नहीं गांड मराने में चूत से भी ज्यादा मज़ा आता है।

गुड़िया- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी छोटी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..

कल्लू ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।

कल्लू- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी प्यारी सी छोटी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।

कल्लू ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।

उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो कल्लू ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा का टोपा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर गुड़िया की गाण्ड में होने लगी।

गुड़िया- ऐइ.. आईईइ.. आह… भइया.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..

कल्लू- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।

गुड़िया- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत पेल देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..
कल्लू हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे कल्लू बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर गुड़िया की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।

कुछ देर तक कल्लू धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो भइया आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भइया सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..

कल्लू अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं तो उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद कल्लू ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।

गुड़िया-आह.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?

कल्लू- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..

गुड़िया- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।

कल्लू- सबर कर मेरी गुड़िया.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..

इतना कहकर कल्लू ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद गुड़िया की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

तेल की बोतल साइड में रख कर कल्लू ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, गुड़िया मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।

तभी कल्लू ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ गुड़िया बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ कल्लू भी उसके ऊपर गिर गया।

पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो गुड़िया के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

कल्लू को भी ये अहसास हो गया कि गुड़िया को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।

कल्लू कुछ देर वैसे ही गुड़िया के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।

गुड़िया- आ आह्ह.. भइया.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..

कल्लू अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

गुड़िया- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..

कल्लू- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दे.. उसके बाद मज़े ही मज़े..

गुड़िया- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..

To be Continued

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