उस चुदाई के बाद दोनों माँ बेटे घर की ओर चल दिए। और निर्मला ने अगले दिन तेल की शीशी साथ में लेकर आने वाली बात कल्लु से की और कल्लु अपनी माँ की गुदा को सहलाते हुए कहने लगा माँ कल जब तेरी गुदाज गण्ड में तेल से सना हुआ मेरा काला लंड घुसेगा तो मजा आ जायेगा तब निर्मला कहने लगी अब तो मै भी तेरे इस मोटे मुसल से अपनी मोटी गाण्ड मरवाने के लिए तड़प रही हूँ।
कल सबेरा होते ही हम यहाँ आ जाएगे फिर तू अपनी माँ की कोरी गाण्ड को अपने मुसल पर तेल लगा कर कस कर ठुकाई करना बस यही बाते करते हुए दोनों अपने खेत की ओर चल पडे।
नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 34
दूसरे दिन बाबा को थोडा सा बुखार था।इसलिए वो खेतो में काम करने नहीं गए।कल्लू बैध जी से दवा लाया और बाबा को खिला दिया था।अब बुखार ठीक था।लेकिन कल्लू और निर्मला ने उनको आराम करने को कहकर खेतों की तरफ चल दिए।निर्मला के हाथों में तेल की शीशी देखकर कल्लू का लंड अपनी माँ की मोटी मोटी गांड को फाड़ने के लिए फ़ुफ़कारने लगा।
गुड़िया की सहेली का बर्थ डे था इसलिए वो कुछ देर बाद बगल के गाँव में अपनी सहेली के घर जा रही थी।
आगे आगे निर्मला अपनी मोटी मोटी गांड मटकाती चल रही थी आज निर्मला ने साड़ी पहन रखी थी।जिसे देखकर कल्लू का लंड पूरा रॉड बन गया था।गाँव से दूर आ जाने पर कल्लू अब अपना हाथ कभी कभी अपनी माँ की गांड पर फेर रहा था।खेत में पहुंचकर दोनों झोपडी के पास बैठ गए।निर्मला भी पूरी गरम हो चुकी थी।
कल्लू के होंठ जब अपने माँ निर्मला के होठो के इतने करीब थे, की दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी।
कल्लू अपने माँ से एक सवाल पूछता है।
क्या तुम मुझसे आज अपना गांड मरवाओगी माँ ।और निर्मला उसे जवाब नहीं देती बस उससे अपने होठो से लगा लेती है,और दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
यूं तो इससे पहले भी ये एक दूसरे से मिले थे मगर आज जो जज़्बा दोनों के अंदर था वो इससे पहले कभी नहीं महसूस हुआ था।
कल्लू अपने ज़ुबान को बाहर निकाल कर निर्मला के मुह में डालने लगता है और निर्मला भी उसका साथ देते हुए अपना मुह खोल कर कल्लू की जीभ को चुसने लगती है। ओ इस अंदाज़ में कल्लू की जीभ चूस रही थी जैसे उसके मुह में कल्लू का लंड हो।चटखारे मारते हुए अपने मुह का थूक कल्लू के मुह में उंडेलती हुई।
कल्लू का बदन गरम हो चूका था जिस्म पर मौजूद कपडा भी उसे बोझ लग रहा था वो निकाल कर उसे फेंक देता है और निर्मला को मसलते हुए उसके ऊपर चढ जाता है उसका खड़ा लंड निर्मला के साडी के ऊपर से चूत से जा टकराता है।वो चुभन पहली नहीं थी।मगर आज उस चुभन को अंदर महसूस करना चाहती थी निर्मला।
निर्मला;आ ह ह ह मुझे नंगी कर दो पूरी तरह।
कल्लू;मुस्कुराते हुए बैठ जाता है और एक झटके में उसका ब्लाउज निकाल देता है।साडी को कमर से खींच कर अलग कर देता है और पेंटी को नीचे उतार देता है।फूलों से महकती हुए निर्मला अपने पुरे शबाब के साथ कल्लू के सामने नंगी हो जाती है।
कल्लू;माँ आज मै तुझे मर्द का एहसास कराना चाहता हूँ। तेरे मर्द का, तेरे कल्लू का ,तेरे बेटे के लंड से ,तेरी तडपती हुई चूत को गीला करना चाहता हुं। बोल माँ मुझसे चुदाएगी ना लेंगी न मेरा लंड अपनी चूत में।
निर्मला;आह ह ह ह ह मेरी चूत अब मेरी नहीं रही कल्लू ये तुम्हारी हो गई है तुम मालिक हो अब इसके जो चाहें वो कर सकते हो इसके साथ।आह मसलो मेरी चूत के दाने को।बहुत तडपाती है ये तुम्हारी माँ को मेरे लाल।
कल्लू;अपने माँ के ब्रैस्ट पर टूट पड़ता है। ओ बड़े बड़े खरबूज़ की तरह ब्रैस्ट को अपने मुह में भर लेता है और चूसने लगता है।
निर्मला की चूत भी चीखने लगती है।मिलन का वो वक़्त करीब आ गया था। कल्लू का हाथ नीचे बढ़ कर निर्मला के चुत को सहलाने लगता है और निर्मला भी अपने नाज़ुक से हाथों में कल्लू का मोटा लंड दबोच लेती है।
और उसे पकड़ कर हिलाने लगती है जिससे उसकी चूडियाँ खनकने लगती है जिसकी आवाज से कल्लू का लंड झटके मारने लगता है। अबदोनो की साँसें फूल चुकी थी दोनों एक दूसरे के अंदर जाने के लिए बेताब थे।
मगर ये हसीन वक़्त कल्लू को बड़े मुद्दतों के बाद नसीब हुआ था वो कोई जल्द बाज़ी नहीं करना चाहता था।वो नीचे निप्पल्स को हलके हलके काटने लगता है और उसे खिंचते हुए एक ऊँगली उसके बाद दूसरी ऊँगली भी निर्मला के चूत में डाल देता है।
निर्मला -आहह मार डालेगा आज तू मुझे आह
आह ह ह ह।
कल्लू;अभी नहीं जाने मन।
वो नीचे सरकते हुए पेट से होते हुए चूत तक पहुँच जाता है और अपने माँ की चूत के महक में जैसे खो जाता है। एक दिलकश जगह वो जगह जो हर किसी को नसीब नहीं होती। बस कल्लू जैसे किस्मत वाले उस मुक़ाम तक पहुँच पाते है।
निर्मला अपने दोनों पैरों को और खोल देती है। देख जब तू इस चूत से निकल रहा था तब भी मेरे पैर ऐसे ही खुले हुए थे और आज जब तू इस में जायेंगा तब भी ऐसे ही हैं। आजा अपने माँ की चूत में कल्लू।आह अह्ह्ह।
कल्लू अपने ज़ुबान को निर्मला की चूत पर रख कर गाण्ड के सुराख़ से लेकर चूत के दरार तक चाटने लगता है ।
उसकी चूत इतनी पनिया गई थी की ज़ुबान जितने अंदर जाता निर्मला अपने कमर को उतना ऊपर उठा लेती।
इस एहसास में की कल्लू उसे चोद रहा है मगर वो कहाँ जानती थी के असली एहसास अभी बाकी है।