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Incest [Completed] नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan

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उस चुदाई के बाद दोनों माँ बेटे घर की ओर चल दिए। और निर्मला ने अगले दिन तेल की शीशी साथ में लेकर आने वाली बात कल्लु से की और कल्लु अपनी माँ की गुदा को सहलाते हुए कहने लगा माँ कल जब तेरी गुदाज गण्ड में तेल से सना हुआ मेरा काला लंड घुसेगा तो मजा आ जायेगा तब निर्मला कहने लगी अब तो मै भी तेरे इस मोटे मुसल से अपनी मोटी गाण्ड मरवाने के लिए तड़प रही हूँ।

कल सबेरा होते ही हम यहाँ आ जाएगे फिर तू अपनी माँ की कोरी गाण्ड को अपने मुसल पर तेल लगा कर कस कर ठुकाई करना बस यही बाते करते हुए दोनों अपने खेत की ओर चल पडे।

Couple sex at jalprapat

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 34

दूसरे दिन बाबा को थोडा सा बुखार था।इसलिए वो खेतो में काम करने नहीं गए।कल्लू बैध जी से दवा लाया और बाबा को खिला दिया था।अब बुखार ठीक था।लेकिन कल्लू और निर्मला ने उनको आराम करने को कहकर खेतों की तरफ चल दिए।निर्मला के हाथों में तेल की शीशी देखकर कल्लू का लंड अपनी माँ की मोटी मोटी गांड को फाड़ने के लिए फ़ुफ़कारने लगा।

गुड़िया की सहेली का बर्थ डे था इसलिए वो कुछ देर बाद बगल के गाँव में अपनी सहेली के घर जा रही थी।

आगे आगे निर्मला अपनी मोटी मोटी गांड मटकाती चल रही थी आज निर्मला ने साड़ी पहन रखी थी।जिसे देखकर कल्लू का लंड पूरा रॉड बन गया था।गाँव से दूर आ जाने पर कल्लू अब अपना हाथ कभी कभी अपनी माँ की गांड पर फेर रहा था।खेत में पहुंचकर दोनों झोपडी के पास बैठ गए।निर्मला भी पूरी गरम हो चुकी थी।

कल्लू के होंठ जब अपने माँ निर्मला के होठो के इतने करीब थे, की दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी।
कल्लू अपने माँ से एक सवाल पूछता है।

क्या तुम मुझसे आज अपना गांड मरवाओगी माँ ।और निर्मला उसे जवाब नहीं देती बस उससे अपने होठो से लगा लेती है,और दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।

यूं तो इससे पहले भी ये एक दूसरे से मिले थे मगर आज जो जज़्बा दोनों के अंदर था वो इससे पहले कभी नहीं महसूस हुआ था।
कल्लू अपने ज़ुबान को बाहर निकाल कर निर्मला के मुह में डालने लगता है और निर्मला भी उसका साथ देते हुए अपना मुह खोल कर कल्लू की जीभ को चुसने लगती है। ओ इस अंदाज़ में कल्लू की जीभ चूस रही थी जैसे उसके मुह में कल्लू का लंड हो।चटखारे मारते हुए अपने मुह का थूक कल्लू के मुह में उंडेलती हुई।

कल्लू का बदन गरम हो चूका था जिस्म पर मौजूद कपडा भी उसे बोझ लग रहा था वो निकाल कर उसे फेंक देता है और निर्मला को मसलते हुए उसके ऊपर चढ जाता है उसका खड़ा लंड निर्मला के साडी के ऊपर से चूत से जा टकराता है।वो चुभन पहली नहीं थी।मगर आज उस चुभन को अंदर महसूस करना चाहती थी निर्मला।

निर्मला;आ ह ह ह मुझे नंगी कर दो पूरी तरह।

कल्लू;मुस्कुराते हुए बैठ जाता है और एक झटके में उसका ब्लाउज निकाल देता है।साडी को कमर से खींच कर अलग कर देता है और पेंटी को नीचे उतार देता है।फूलों से महकती हुए निर्मला अपने पुरे शबाब के साथ कल्लू के सामने नंगी हो जाती है।

कल्लू;माँ आज मै तुझे मर्द का एहसास कराना चाहता हूँ। तेरे मर्द का, तेरे कल्लू का ,तेरे बेटे के लंड से ,तेरी तडपती हुई चूत को गीला करना चाहता हुं। बोल माँ मुझसे चुदाएगी ना लेंगी न मेरा लंड अपनी चूत में।

निर्मला;आह ह ह ह ह मेरी चूत अब मेरी नहीं रही कल्लू ये तुम्हारी हो गई है तुम मालिक हो अब इसके जो चाहें वो कर सकते हो इसके साथ।आह मसलो मेरी चूत के दाने को।बहुत तडपाती है ये तुम्हारी माँ को मेरे लाल।

कल्लू;अपने माँ के ब्रैस्ट पर टूट पड़ता है। ओ बड़े बड़े खरबूज़ की तरह ब्रैस्ट को अपने मुह में भर लेता है और चूसने लगता है।

निर्मला की चूत भी चीखने लगती है।मिलन का वो वक़्त करीब आ गया था। कल्लू का हाथ नीचे बढ़ कर निर्मला के चुत को सहलाने लगता है और निर्मला भी अपने नाज़ुक से हाथों में कल्लू का मोटा लंड दबोच लेती है।

और उसे पकड़ कर हिलाने लगती है जिससे उसकी चूडियाँ खनकने लगती है जिसकी आवाज से कल्लू का लंड झटके मारने लगता है। अबदोनो की साँसें फूल चुकी थी दोनों एक दूसरे के अंदर जाने के लिए बेताब थे।

मगर ये हसीन वक़्त कल्लू को बड़े मुद्दतों के बाद नसीब हुआ था वो कोई जल्द बाज़ी नहीं करना चाहता था।वो नीचे निप्पल्स को हलके हलके काटने लगता है और उसे खिंचते हुए एक ऊँगली उसके बाद दूसरी ऊँगली भी निर्मला के चूत में डाल देता है।

निर्मला -आहह मार डालेगा आज तू मुझे आह
आह ह ह ह।

कल्लू;अभी नहीं जाने मन।

वो नीचे सरकते हुए पेट से होते हुए चूत तक पहुँच जाता है और अपने माँ की चूत के महक में जैसे खो जाता है। एक दिलकश जगह वो जगह जो हर किसी को नसीब नहीं होती। बस कल्लू जैसे किस्मत वाले उस मुक़ाम तक पहुँच पाते है।

निर्मला अपने दोनों पैरों को और खोल देती है। देख जब तू इस चूत से निकल रहा था तब भी मेरे पैर ऐसे ही खुले हुए थे और आज जब तू इस में जायेंगा तब भी ऐसे ही हैं। आजा अपने माँ की चूत में कल्लू।आह अह्ह्ह।

कल्लू अपने ज़ुबान को निर्मला की चूत पर रख कर गाण्ड के सुराख़ से लेकर चूत के दरार तक चाटने लगता है ।

उसकी चूत इतनी पनिया गई थी की ज़ुबान जितने अंदर जाता निर्मला अपने कमर को उतना ऊपर उठा लेती।

इस एहसास में की कल्लू उसे चोद रहा है मगर वो कहाँ जानती थी के असली एहसास अभी बाकी है।

To be Continued

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वो नीचे सरकते हुए पेट से होते हुए चूत तक पहुँच जाता है और अपने माँ की चूत के महक में जैसे खो जाता है। एक दिलकश जगह वो जगह जो हर किसी को नसीब नहीं होती। बस कल्लू जैसे किस्मत वाले उस मुक़ाम तक पहुँच पाते है।

निर्मला अपने दोनों पैरों को और खोल देती है। देख जब तू इस चूत से निकल रहा था तब भी मेरे पैर ऐसे ही खुले हुए थे और आज जब तू इस में जायेंगा तब भी ऐसे ही हैं। आजा अपने माँ की चूत में कल्लू।आह अह्ह्ह।

कल्लू अपने ज़ुबान को निर्मला की चूत पर रख कर गाण्ड के सुराख़ से लेकर चूत के दरार तक चाटने लगता है ।

उसकी चूत इतनी पनिया गई थी की ज़ुबान जितने अंदर जाता निर्मला अपने कमर को उतना ऊपर उठा लेती।

इस एहसास में की कल्लू उसे चोद रहा है मगर वो कहाँ जानती थी के असली एहसास अभी बाकी है।

Lorraine bath

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 35

कल्लू अपने एक ऊँगली को निर्मला के गाण्ड में डाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है। निर्मला का मुह खुलता चला जाता है। हलक सुखने लगता है मुह से एक शब्द भी नहीं निकल पाता। ऐसा लगने लगता है निर्मला को जैसे की उसकी जान उसकी चूत से खीच रहा है। निर्मला अपने दोनों हाथों से कल्लू के सर को अपने चूत पर दबाने लगती है।

कल्लू के ज़ुबान अपना काम कर गई थी।निर्मला के चूत का उस दिन का पहला पानी बाहर बह निकला था।जिसे कल्लू बड़े चाव से चाटता चला जाता है।

जब निर्मला की साँसें थोड़े धीमी होती है तो वो कल्लू के तरफ देखने लगती है।कल्लू का मुँह पूरी तरह निर्मला के चूत के पानी से गीला था।निर्मला के आँखों में खून उमड़ आया था।वो कल्लू के तरफ लपकती है और उसके मुह को चाटने लगती है।

निर्मला:गलप्प मेरी चूत का पानी है ना ये गल्प
मेरे जान के मुँह को मै साफ़ कर देती हु इसे गलप्प
गलप गलप्प। ओ दीवानी हो गई थी चूत की आग आज सर में चढ़ गई थी।

कल्लू अपने ज़ुबान को भी बाहर निकाल देता है।और निर्मला उसे भी चाटने लगती है।मगर जैसे ही वो कल्लू से और चिपकती है। एक नोकीला मोटा चीज़ उसके पेट से टकरा जाती है।

निर्मला नीचे देखती है।वो कल्लू का खड़ा लंड था जो झटके पर झटके मार रहा था।

कल्लू -माँ तू पेशाब को कैसे बैठती है।

निर्मला नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है

निर्मला:ऐसे पेशाब करती है तेरी माँ।

पैर खुले हुए चूत ,चौडे गांड पीछे की तरफ निकले हुए,
ब्रेस्ट सामने की तरफ लटके हुए।।। बहुत हसीन लग रही थी निर्मला।

कल्लू अपने लंड से निर्मला के गाल सहलाने लगता है।

निर्मला- मेरा गला सूख रहा है।मै पानी पीकर आती हूँ।

कल्लू-पानी तो यही है। चल मुँह खोल।

निर्मला कल्लू के आँखों में देखते हुए जैसे ही मुह खोलती है कल्लू उसके मुह में अपना लंड डाल कर उसका सर पीछे से पकड़ लेता है। निर्मला को समझ नहीं आता की कल्लू क्या कर रहा है।

मगर अगले ही पल उसे तब एहसास होता है जब कल्लू का पेशाब उसके हलक में गिरने लगता है।

पेशाब की महक निर्मला को और मदहोश कर देती है और वो कल्लू के लंड से निकला पिशाब पीने लगती है

निर्मला अपने हाथ में कल्लू के आंडो को पकड़ कर उसे दबाने लगती है। जिससे कल्लू का लंड और मोटा होता चला जाता है।

पेशाब पीने के बाद निर्मला का बदन ऐंठने लगता है

उसे लंड चाहीये था अपने चुत में मगर कल्लू उसका मुह मीठा किये बिना उसे ये देना नहीं चाहता था।

कल्लू इशारे से निर्मला को अपने लंड को फिर से मुह में लेने के लिए कहता है।

और गरम दीवानी निर्मला अपने कल्लू के लंड को अपने मुह में लेकर उसे सर से लेकर जड़ तक चाटने लगती है।

गप गप आह गल्प गल्प।

कल्लू:मेरा लंड मेरे मुह में कितन अच्छा लगता है माँ गल्प गप। चूस इसे पूरा मुँह में लेके।

निर्मला:मेरे बेटे का लंड मै रोज चूसूंगी गप गप।

कल्लू;आह माँ धीरे धीरे चूस ना दर्द हो रहा है आह

निर्मला;करने दो ना बेटे।और चूसने दे।

कल्लू;अपनी माँ के लिए बरसों का प्यासा था।

To be Continued

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कल्लू इशारे से निर्मला को अपने लंड को फिर से मुह में लेने के लिए कहता है।

और गरम दीवानी निर्मला अपने कल्लू के लंड को अपने मुह में लेकर उसे सर से लेकर जड़ तक चाटने लगती है।

गप गप आह गल्प गल्प।

कल्लू:मेरा लंड मेरे मुह में कितन अच्छा लगता है माँ गल्प गप। चूस इसे पूरा मुँह में लेके।

निर्मला:मेरे बेटे का लंड मै रोज चूसूंगी गप गप।

कल्लू;आह माँ धीरे धीरे चूस ना दर्द हो रहा है आह

निर्मला;करने दो ना बेटे।और चूसने दे।

कल्लू;अपनी माँ के लिए बरसों का प्यासा था।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 36

आज जब कुआँ खुद चल कर प्यासे के पास आया था तो कल्लू एक बूंद भी गँवाना नहीं चाहता था वो अपने माँ को दिन भर पेलना चाहता था। उसे दिन भर अपने लंड के नीचे लेटाकर चोदना चाहता था।

कल्लू;अपने माँ को गोद में उठा लेता है और उसे खेत में लेटा देता है और झट से उसके ऊपर चढ़ जाता है।

अपने दोनों हाथों में निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़ कर वो निर्मला को चुमते हुए अपने लंड को निर्मला के चूत पर घीसने लगता है।

कल्लू:माँ तेरी चूत मुझे चाहिए।

निर्मला:-हाँ हाँ ले ले मेरी चूत बेटा आह आह। चोद डाल अपनी माँ को बना ले तेरे लंड की रानी आह अब और मत तडपा मुझे पेल न अंदर आह।

कल्लू ;कहाँ डालूँ मा।

निर्मला;नीचे हाथ डाल कर कल्लू के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है और उसे अपने चूत के मुहाने पर लगा देती है। यहाँ मेरे बच्चे यहाँ।

निर्मला;अब तो मना नहीं करेगी ना माँ।

निर्मला;नहीं नहीं अब मना नहीं करुँगी जब जहाँ जैसे चाहेगा वहाँ चुदायेंगी तेरी माँ तुझसे बस डाल दे मेरे अंदर।घुसा दे अपना पूरा लंड अपनी माँ की चूत में।

कल्लू ;अपने कमर को ऊपर के तरफ उठाता है और दन से उसे निर्मला के चूत पर दबा देता है।

एक बेटे का लंड सारे बंधन तोड कर सारी कस्मे भूल कर अपने माँ की रसीली चूत में घुस जाता है।

निर्मला चीख पडती है।हाय बेटे दर्द हो रहा है।

कल्लू;आज वो दिन नहीं है जब एक बेटे अपने माँ के दर्द को सुनकर रुक जाए।वो दूसरा धक्का देता है और ये वाला धक्के से लंड निर्मला के बच्चेदानी तक जा रहा है।निर्मला की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और निर्मला के दोनों पैर कल्लू के कमर से लिपट जाते है ।वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

कल्लू;कुछ पल उस एहसास को महसूस करता है और फिर अपने माँ के दोनों ब्रैस्ट को दबाते हुए लंड को आगे पीछे करता चला जाता है।

निर्मला;हाय रे बेटा मेरा आहह मेरी चूत है ना वो अहह

मेरे बेटा धीरे से कर ना आह।पहले पहले धक्के तो सभी को भी दर्द देते है।

निर्मला तो दो बच्चों की माँ थी उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगता सँभालने में ।जब चूत की चिकनाहट लंड को सहलाने लगती है और जब चूत की दिवारें पूरी तरह खुल जाते है तो निर्मला भी पागल सी हो जाती है।

अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवानी बना देता है और वो अपने बेटे के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।

निर्मला:आह।और जोर से बेटा और जोर से

आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये आह।
मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहह
चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आह।

To be Continued

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अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवानी बना देता है और वो अपने बेटे के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।

निर्मला:आह।और जोर से बेटा और जोर से

आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये आह।
मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहह
चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आह।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 37

निर्मला वो औरत थी जो कल्लू के धक्कों को बड़ी आसानी से सह रही थी और मस्ती में उससे और ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी।सच कहा है किसी ने ग़ुरू ग़ुरू होता है और चेला चेला।गुड़िया तो कल्लू के पेलने पर चीखने लगती थी। यहाँ वो औरत थी जिस ने इस सांड को पैदा की थी। भला वो उस लंड से कैसे पनाह माँगती। आज कल्लू को अपने माँ की ताकत का एहसास हुआ था।

कल्लू ;जितने ज़ोर से लण्ड को चूत में घुसाता

निर्मला उतने ही ताकत से अपने कमर को ऊपर उठा कर उसे और अंदर ले लेती है।

निर्मला पागल हो गई थी अपने दोनों हाथों के नाखुनो से वो कल्लू के पीठ को कुरेदते हुए उसे और ज़ोर से चोदने के लिए पुकार रही थी।

जब माँ पुकारती है तो बेटे को आना पड़ता है और कल्लू वही कर रहा था वो निर्मला को जबरदस्त धक्के के साथ पेल रहा था और निर्मला अपने बेटे को इतनी आसानी से रुकने देने वालों में से न थी।

खेत में पच पच की आवाज़ें गूंज रही थी।कल्लू अपने लंड को पूरा निकलता है घच से फिर अपनी माँ की गीली चूत में पूरा लंड जड़ तक पेल देता।

निर्मला के बीच बीच में चीखने की आवाजे।

जब कल्लू का लण्ड उसके बेच्चेदानी से टकरा जाता।

कल्लू पसीने में नहा चूका था और उसके नीचे लेती हुए निर्मला भी दमा दम हो गई थी मगर दोनों के कमर लगातार हील रही थी।

कल्लू की पकड़ अपने माँ के ब्रैस्ट पर और मज़बूत होती चली जाती है।

और निर्मला की चूत से पानी टिप टिप करके रिसने लगता है।वो जोश दिन भर कम नहीं होने वाला था ये दोनों अच्छी तरह से जानते थे।

दोनो पिछले 30 मिनट से जोरदार चुदाई में लगे हुए थे और लण्ड की मार चूत पर जारी थी।

निर्मला अपना मुह खोल देती है और उसका ज़ुबान बाहर की तरफ निकल आता है उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। कल्लू के धक्कों से उसे सँभलने का मौका नहीं मिल रहा था।

निर्मला -चोद मुझे बेटा चोद अपनी माँ को।अपनी माँ को चोद रहा है ना तु। मेरी चूत में अपना लंड डाल कर जहाँ से मैंने तुझे निकाली थी वहीँ अपना मोटा लण्ड डाल के आह।कैसी है तेरी माँ की चूत मेरे लाल आह और जोर से चोद आह।

कल्लू;माँ तेरी चूत मुझे पहले मिल गई होती तो कसम से कहीं भी नहीं जाता दिन रात इसी में पडा रहता। आह।

निर्मला;आज से इसी में रखूँगी तुझे दिन रात मुझे चोदेगा ना अपनी माँ को जब दिल कहेंगा मेरा आ ह ।

कल्लू;हां माँ आज से बस तुझे ही चोदुँगा मैं हर जगह।

निर्मला;कहाँ कहाँ चोदेगा मुझे आह।

कल्लू;हर जगह माँ हर जगह।

जब तक तेरे तीनो सुराख़ में नहीं पेल देता तब तक नहीं रुकुंगा आज मैं।

निर्मला;तीनो सुराखों में बेटा।

कल्लू;हाँ माँ तेरी चूत और मुह तो ले चुके है मेरा लण्ड बस तेरी गाण्ड बाकी है आहह उसे भी चोद लूँ एक बार तभी रुकेगा तेरा बेटा आह ह।

निर्मला;मैं भी तुझे रुकने नहीं दूंगी बेटा।
हर जगह लूँगी तेरा लंड।
खेत में।नदी में तो ले चुकी हूँ।
नहाते हुए
पेशाब करते हुए
किचन में
खाना खाते हुए
हर जगह मुझे चोदना मेरी बेटी की चूत चाटते हुए भी चोदना। मेरी बहु के सामने नंगी करके चोदना मुझे बेटा।

कल्लू;हाँ माँ मैं चोदुंगा तुझे अपनी बहन गुड़िया की चूत पर झुका कर।

जब मेरी शादी होगी तो तेरी बहु के सामने भी तुझे चोदुँगा तुझे आहः ले साली।

दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है और लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए कल्लू अपना सारा पानी अपनी माँ निर्मला के चूत में निकालने लगता है

उसके साथ साथ निर्मला भी झड़ते चली जाती है।

दोनो एक दूसरे को चुमते हुए अपने साँसें धीमी करने लगते है।

कुछ देर बाद फिर से निर्मला कल्लू के लण्ड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी। दोबारा उसे अपने अंदर लेने की चाह उसे बेचैन कर रही थी।

कल्लू;अपने पास में पड़ी हुए तेल की बोतल उठा लेता है और उसे अपने लण्ड पर उंडेल कर लंड चिकना कर देता है।निर्मला को समझते हुए देर नहीं लगती की कल्लू ऐसा क्यूँ कर रहा है।फिर वह तेल को निर्मला के गांड के छेद पर भी खूब प्यार से लगाता है और साथ ही साथ उसमे अपनी ऊँगली भी पेलता रहता है।

लण्ड और गांड पर तेल लगाने के बाद कल्लू निर्मला को एक कुतिया के पोज में कर देता है।

बडी सी चमकती हुए गाण्ड कल्लू के सामने आ जाती है। इस गाण्ड को तो देख देख कितने बार कल्लू अपने लंड को खड़ा करके गुड़िया और चाची की चूत में घुसाया करता था।और आज यही गाण्ड कल्लू के सामने झुकी हुई थी।

कल्लू;एक थप्पड निर्मला के गाण्ड पर जड़ देता है।

निर्मला:आह। क्या करते हो माँ हूँ मै तुम्हारी।

कल्लू;उसे सहलाते हुए।रांड भी तो है।
इतने सालों से तडपा जो रही है इस गांड के लिए। एक गाण्ड पर थपड क्या मारा चीख पड़ी साली रंडी।

निर्मला;आहह दर्द होता है ना।

कल्लू ;असली दर्द अब होंगा मेरी जान को।

कल्लू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे निर्मला के गाण्ड के सुराख़ पर घिसता है। निर्मला अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा और वही होता है कल्लू के लंड का सुपाडा निर्मला की कुँवारी गाण्ड में अटक जाता है।

निर्मला ;आहह गया क्क्या.........

वह पीछे मुड़ कर देखती है।

सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और निर्मला की आँखों में ऑंसू आ गये थे। कल्लू उसे पूरी तरह सीधा कर देता है और निर्मला अपने कमर को ऊपर के तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।

कल्लू;दोनों हाथों में अपनी माँ के काँधे को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ निर्मला के गांड में उतारता चला जाता है।

To be Continued

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कल्लू अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे निर्मला के गाण्ड के सुराख़ पर घिसता है। निर्मला अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा और वही होता है कल्लू के लंड का सुपाडा निर्मला की कुँवारी गाण्ड में अटक जाता है।

निर्मला ;आहह गया क्क्या.........

वह पीछे मुड़ कर देखती है।

सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और निर्मला की आँखों में ऑंसू आ गये थे। कल्लू उसे पूरी तरह सीधा कर देता है और निर्मला अपने कमर को ऊपर के तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।

कल्लू;दोनों हाथों में अपनी माँ के काँधे को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ निर्मला के गांड में उतारता चला जाता है।

River side ass fuck

नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 38

निर्मला अपनी चीखें छूपाने के लिए पेंटी अपने मुह में ठूँस लेती है। मगर गुं गुं हूं की आवाज़ें फिर भी उसके मुह से निकल रही थी
कल्लू;तब तक नहीं रुकता जब तक पूरा का पूरा लंड गाण्ड में नहीं चला जाता। जब कल्लू लण्ड को खिचता है तो थोड़ा सा खून भी उसके लंड से लग जाता है।

जो निर्मला के गाण्ड से निकल रहा था।

कल्लू ;तुझे दर्द हो रहा था तो मुझे रुकने के लिए बोली क्यूँ नही माँ।

निर्मला;मुड कर कल्लू के आँखों में देखने लगती है।

बहुत तड़पाया हैं मैंने तुझे ।जो तड़प का दर्द तूने सहा है मेरी वजह से उस दर्द के सामने ये दर्द तो कुछ भी नहीं है। रुक मत खोल दे आज अपने माँ के हर सुराख़ को।

और कल्लू अपने माँ की आज्ञा का पालन करते हुए तेल से सना हुवा लंड गप की आवाज़ के साथ अपनी माँ निर्मला की गांड में उतार देता है।

निर्मला ;आह बेटे आह। और ज़ोर से।जालिम और ज़ुल्म कर अपने माँ पर ।तेरा हर ज़ुल्म सहना चाहती हूँ मै आज से हर दिन हर रात हर सुबह हर घडी ही चोद मुझे आह।

कल्लू;गप गप अपनी माँ की गाण्ड मारने लगता है

हलांकी दोनों को दर्द भी हो रहा था मगर वो मोहब्बत ही क्या जिस में दर्द न हो। सच्ची मोहब्बत में दर्द भी होता है और उस दर्द का मजा भी खूब होता है।

कल्लू अब अपनी पूरी ताकत से निर्मला की गांड मारने लगता है।वह गांड में लंड पेलने के साथ ही कभी कभी निर्मला के गांड पर थप्पड़ भी मार रहा था जिससे निर्मला के गोरे गोरे चूतड़ लाल हो गए थे।1 घंटे तक जबरदस्त धक्को के साथ चुदाई के बाद कल्लू अपना पूरा माल अपनी माँ की गांड में ही भर देता है।इतनी देर में निर्मला 2 बार झड़ चुकी थी।

दोनों कुछ देर शांत हो जाते है।फिर कल्लू अपनी माँ की गांड को साफ करता है।और अपनी माँ की चूत और चूचों से खेलने लगता है।जिससे कुछ ही देर बाद उसका लंड खड़ा होने लगता है जिसे वह निर्मला को चूसने का इशारा करता है।जिसे निर्मला अपने मुँह में ले लेती है।

पाँच मिनट चूसने पर ही कल्लू का लंड फ़ुफ़कारने लगता है।

अब कल्लू अपनी माँ की चूत पर झुक जाता है।

कल्लू अपनी मा की चूत की फांको को दोनो हाथो से फैलाकर उसकी चूत के दाने से रिस्ते पानी को अपनी जीभ से दबा-दबा कर जैसे-जैसे चूस्ता है निर्मला उह आ ओ बेटे करने लगती है,कल्लू उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लेता है और फिर अपनी मा की पूरी चूत को सूंघते हुए अपनी जीभ चूत के छेद मे भर-भर कर उसका रस चूसने लगता है।

निर्मला अपने हाथो से अपनी चूत को और फैला देती है और कल्लू बड़े आराम से अपनी मा की चूत को चूस्ते हुए अपनी मा की गुदाज गान्ड को दबाता हुआ उसके छेद मे उंगली डाल-डाल कर सहलाता रहता है

कल्लू अपनी मा की चूत चूस-चूस कर उसे लाल कर देता है और निर्मला की टाँगे काँपने लगती है वह सीधे ज़मीन पर लेट जाती है और कल्लू को अपने उपर खीच लेती है।

कल्लू अब ज़रा भी देर नही करता है और अपनी मा की मोटी जाँघो को फैला कर जब अपनी मा की फूली हुई गुदाज चूत देखता है तो पागल हो जाता है और अपनी माँ की चूत की फांको को खूब फैला-फैला कर चाटना शुरू कर देता है, निर्मला अपनी मोटी गान्ड उचका-उचका कर अपने बेटे का मुँह अपनी चूत पर दबाने लगती है।

कल्लू अपने मुँह मे अपनी मा की चूत पूरी भर कर खूब कस-कस कर चूसने लगता है और निर्मला अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ते हुए पानी छोड देती है, कल्लू सारा पानी चाटने के बाद अपनी मा की चूत को उपर अच्छे से उभार कर अपना मोटा लंड अपनी मा की चूत के छेद मे लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका लंड उसकी मा की चूत मे पूरा एक ही बार मे समा जाता है।

To be Continued

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