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Incest [Completed] नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan

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निर्मला : तो क्या कल्लु एक दिन में ही सब सीखा देगा।

गुडिया : मुस्कुराते हुये, सीखा तो एक दिन में सकते है लेकिन तुम्हारा शरीर थोड़ा भारी है तो तुम्हे 5-6 दिन तक भैया के साथ प्रैक्टिस करनी पड़ेगी तभी तुम अच्छे से सिख पाओगी, इसलिए तुम रोज भैया के साथ जाकर तैरने की प्रैक्टिस करना, तभी वहाँ कल्लु आ जाता है और गुड़िया तपाक से अपनी माँ के सामने ही कहती है भैया माँ तुमसे तैरना सीखना चाहती है तुम माँ को भी तैरना सीखा दो, जाओ माँ कब से तैयार बेठी है अभी माँ के साथ नदी में चले जाओ मै बाबा के पास रहती हु और गुड़िया ने कल्लु की ओर देख कर आँख मार दी।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 30

कालू : मुसकुराकर अपनी माँ के गदराये बदन पर निगाह मारते हुए कहने लगा माँ को सीखने में काफी मेहनत करना पड़ेगी माँ का शरीर काफी मोटा हो गया है इसलिए कई दिनों तक मुझे माँ को पानी में पकड़ कर तैरना सीखना होगा।

गुडिया : भैया माँ ने इस बार पक्का निर्णय कर लिया है और कह रही है बाबा के सीखने पर वह नहीं सिख पाई है इसलिए अब कई दिनों तक तुम्हारे साथ पानी में उतर कर तैरने की प्रैक्टिस करेगी और फिर गुड़िया ने माँ की ओर देखते हुए कहा क्यों माँ मै ठीक कह रही हु ना।

निर्मला ; मुसकुराकर कल्लु की धोती में दिख रहे लंड के उभार को एक पल देखती हुई कहने लगती है बेटे इस बार तो मै अपने बेटे से तैरना सीखूँगी और सिख कर ही रहुंगी।

कल्लु : तो फिर चलो माँ आज से ही तुम्हे तैरना सीखाना शुरू कर देता हु और कल्लु की ओर निर्मला ने देखा और फिर खड़ी होकर नदी की ओर चलने लगी कल्लु ने गुड़िया के मुस्कुराते गालो को खीचते हुए आँख मारी और वह भी अपनी माँ के मोटे तरबूजो की तरह गदराये बलखाते मोटे मोटे चूतडो की मतवाली थिरकन को देखते हुए चलने लगा।

निर्मला आगे आगे चलने लगी और कल्लु उसके पीछे पीछे कल्लु की नजर अपनी माँ के उभरे हुए मटकते चूतडो पर पड़ी और उसका लंड अपनी माँ के गुदाज भरे हुए चूतडो को देख कर फनफना गया वह अपने लंड को मसलते हुए अपनी माँ के पीछे पीछे चलने लगा तभी निर्मला ने एक बार पीछे मुड कर देखा और अपने बेटे को अपनी गुदाज मोटी गाण्ड को घुरते हुए देखा और तभी कल्लु की नजरे अपनी माँ से मिली और निर्मला ने एक मादक स्माइल कल्लु की ओर दे दी और फिर से आगे देख कर चलने लगी।

अब थोड़ी हवा उसी दिशा की ओर चलती जिस दिशा में वह दोनों जा रहे थे तब निर्मला का घाघरा पूरा उसके भारी चूतडो से चिपक जाता था और कल्लु अपनी माँ के भारी सुडौल चूतडो को देख कर पागल हो रहा था, उसकी माँ की गाण्ड आज कुछ ज्यादा ही मटक रही थी या यह कह ले की निर्मला जान बूझ कर अपने चूतडो को मटका मटका कर अपने बेटे को दिखा रही थि।

कुछ ही देर में दोनों नदी के किनारे पहुच चुके थे कल्लु पूरे जोश में था उसने नदी के पास जाते ही अपनी धोती उतार दी और उसका लंड उसके कच्छे में टनटनाया हुआ था निर्मला ने एक नजर कल्लु के विकराल लोडे पर मारी। तब उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन उसकी मस्त चुत फूल कर कुप्पा हो गई उसकी बुर तो पहले से ही चिपचिपा पानी छोड़ रही थी अपने बेटे के मस्त मोटे लम्बे लंड को देख कर उसकी चुत की नशो में खून पूरी रफ़्तार से बहने लगा था और कल्लु देखते देखते पानी के अंदर उतर गया वह कमर तक की गहराई में गया और वहाँ से पलट कर बोला आ जा माँ तू भी पानी में उतर आ।

निर्मला : कल्लु मुझे तो डर लग रहा है उसकी माँ ने हस्ते हुए कहा।

कालू : अरे मेरे पास आ जा तेरा सारा डर दुर कर दूंगा अब जल्दी कर।

निर्मला कल्लु की बात सुन कर पानी में उतरने लगी तभी कल्लु ने कहा अरे माँ अपनी चोली तो उतार दे इसे पहन कर तुझसे तैरा नहीं जाएगा, निर्मला ने कल्लु की बात सुन कर मुस्कुराते हुए लाल चोली की डोर खोल दी और उसके मोटे मोटे पके हुए रसीले आम उसके बेटे की नज़रो के सामने आ गए कल्लु का लंड अपनी माँ के मोटे पके हुए रसीले आमो को देख कर झटके मारने लगा और निर्मला धीरे धीरे पानी में उतरने लगी वह जैसे जैसे पानी में उतर रही थी उसका घाघरा पानी में ऊपर तैरता हुआ ऊपर उठने लगा था, उसका गुदाज पेट और गहरी नाभि को देख देख कर कल्लु का लंड खूब तगडे झटके मार रहा था।

जैसे ही निर्मला कल्लु के पास पहुची कल्लु ने अपनी माँ का हाथ पकड़ कर उसे और बीच में ले जाना शुरू किया निर्मला ड़रते ड़रते पानी में जाने लगी लेकिन अचानक थोड़ा ज्यादा गहराई वाली जगह आते ही निर्मला का पैर फिसला और कल्लु ने उसे अपने बांहो में थाम लिया अब पानी निर्मला के रसीले मोटे मोटे आमो तक आ चूका था और कल्लु ने अपनी माँ की कमर को थामते हुए कहा माँ तू उधर मुह कर ले मै तुझे पीछे से पकडे रहुगा और तू अपने हाथो से पानी को पीछे धकलते हुए तैरने की कोशिश करना बस फिर क्या था निर्मला दूसरी ओर घुम गई और कल्लु ने अपनी माँ के गुदाज उठे हुए मुलायम पेट को अपने हांथो में भर कर उसकी गहरी नाभि को सहलाते हुए कहा माँ तू झुक कर पानी में तैरने की कोशिश कर मैंने तुझे पीछे से पकड़ा हुआ है तू डुबेगी नहीं और फिर कल्लु ने अपने खड़े लंड को अपनी माँ के मोटे मोटे चूतडो से सटा दिया, उसका लंड जैसे ही अपनी माँ के मुलायम चूतडो की जडो में घुसा उसके मोटे तगडे लंड के एह्सास से निर्मला आनंद से दोहरी हो गई।

To be Continued

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जैसे ही निर्मला कल्लु के पास पहुची कल्लु ने अपनी माँ का हाथ पकड़ कर उसे और बीच में ले जाना शुरू किया निर्मला ड़रते ड़रते पानी में जाने लगी लेकिन अचानक थोड़ा ज्यादा गहराई वाली जगह आते ही निर्मला का पैर फिसला और कल्लु ने उसे अपने बांहो में थाम लिया अब पानी निर्मला के रसीले मोटे मोटे आमो तक आ चूका था और कल्लु ने अपनी माँ की कमर को थामते हुए कहा माँ तू उधर मुह कर ले मै तुझे पीछे से पकडे रहुगा और तू अपने हाथो से पानी को पीछे धकलते हुए तैरने की कोशिश करना बस फिर क्या था निर्मला दूसरी ओर घुम गई और कल्लु ने अपनी माँ के गुदाज उठे हुए मुलायम पेट को अपने हांथो में भर कर उसकी गहरी नाभि को सहलाते हुए कहा माँ तू झुक कर पानी में तैरने की कोशिश कर मैंने तुझे पीछे से पकड़ा हुआ है तू डुबेगी नहीं और फिर कल्लु ने अपने खड़े लंड को अपनी माँ के मोटे मोटे चूतडो से सटा दिया, उसका लंड जैसे ही अपनी माँ के मुलायम चूतडो की जडो में घुसा उसके मोटे तगडे लंड के एह्सास से निर्मला आनंद से दोहरी हो गई।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 31

वह पानी में हाथ चला कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी और कल्लु उसकी गाण्ड में लंड लगाए हुए उसे ताकत से आगे की ओर दबाने लगा, कल्लु का हाथ बार बार अपनी माँ के मोटे मोटे रसीले आमो को छु रहा था और फिर कल्लु ने अपनी माँ के पके आमो को एक बारगी तो अपने हांथो में भर कर थाम लिया और निर्मला की चुत से पानी बह निकला, कुछ देर तक कल्लु अपने लंड को अपनी माँ की गुदाज गाण्ड में दबाये हुए उसके मोटे मोटे दूध को सहलाता हुआ उसे दबाता रहा फिर उसने अपनी माँ से कहा माँ मै तेरी कमर पकड़ लेता हु तू तैरने की कोशिश कर और अपने हाथ पैर चला और फिर कल्लु ने अपनी माँ के मोटे मोटे गुदाज चूतडो को जब अपने हांथो में भर कर दबाया तो उसके आनंद की सीमा न रही उसने पहली बार इतने मुलायम भरे भरे चूतडो को दबोचा था उसका लंड तो ऐसा लग रहा था जैसे पानी छोड़ देगा उसे आज पहली बार एह्सास हुआ था की उसकी माँ के चूतडो को मसलने में कितना मजा आ रहा था।

वाह पागलो की तरह अपनी माँ के चूतडो को दबा दबा कर सहला रहा था तभी उसकी माँ का घाघरा थोड़ा ऊपर हो गया और कल्लु के हाथ में अपनी माँ की मस्त मोटी मोटी तन्दुरुस्त जाँघे आ गई और वह अपनी माँ की जांघो की चिकनाहट और मोटाई को महसूस करके मस्त हो रहा था, कल्लु से रहा नहीं गया और उसने अपने हाथो से अपनी माँ के नंगे चूतडो को थाम लिया और इस बार कल्लु का लंड अपनी माँ की नंगे चूतडो की गहरी दरार में जाकर धंस गया और निर्मला के मुह से आह निकल गई।

कल्लु : क्या हुआ माँ तुझसे तैरते बन रहा है ना।

निर्मला आह हाँ बेटे बन रहा है पर तू मेरी कमर को और कस के थाम ले कही मै डूब न जाउ,

निर्मला का इतना कहना था की कल्लु ने अपनी माँ के गुदाज पेट को दोनों हाथो में भर कर अपने लंड को और ज्यादा ताकत से अपनी माँ की मोटी गाण्ड की दरारो में पेल दिया और निर्मला सिहर उठी।

कालू : अब ठीक है माँ मैंने तुझे अच्छे से जकड लिया है।

निर्मला: सीसियते हुये, हाँ कल्लु जरा और कस के मुझे पकड़ ले कही मै डूब न जाऊ इस बार कल्लु ने अपने हांथो में अपनी माँ के रसीले पके हुए आमो को थाम लिया और अपने लंड को खूब कस कर अपनी माँ की गाण्ड में दबा दिया जिससे उसका लंड गाण्ड के छेद से रगड़ता हुआ निर्मला की चुत की फांको के बीच जाकर फंस गया। ठन्डे पानी में भी कल्लु को अपनी माँ की गरम चुत का एह्सास हो रहा था और वह अपनी माँ के मोटे मोटे दूध को मसलता हुआ अपने लंड को बराबर अपनी माँ की गाण्ड की दरार में दबाये जा रहा था। निर्मला पागलो की तरह पानी में हाथ चला रही थी तभी कल्लु ने अपनी माँ की कमर को थाम लिया और अपने पैरो को और पीछे गहराई में ले जाने लाग, उसके ऐसा करने से निर्मला घबराने लगी और कहने लगी बेटा ज्यादा बीच में न जा कही मै डूब न जाऊँ।

कल्लु ने कहा माँ तू मेरी तरफ मुह कर ले थोड़ा बीच में तुझे जल्दी तैरना आ जायेगा अभी तेरे पैर जमीन पर टीक जाते है इसलिए तू तैर नहीं पा रही है, निर्मला ने अपने बेटे की तरफ मुह किया और उसका लाल तमतमाये चेहरा देख कर कल्लु ने उसे अपने सिने से चिपकाते हुए कहा माँ मुझे कस के पकड़ ले और कल्लु और गहराइ में जाने लगा जैसे ही पानी निर्मला के मुह तक पंहुचा उसने दोनों पैरो को उठा कर किसी बंदरिया की तरह अपने बेटे की कमर पर लपेट दिया और कल्लु इसी पल के इंतजार में था उसने भी अपनी माँ के दोनों चूतडो को अपने हांथो में भर कर अपनी माँ को अपने लंड पर टाँग लिया अब कल्लु का खड़ा लंड सीधे अपनी माँ की चूत में घुसा हुआ था बस कल्लु ने अगर कच्छा न पहना होता तो लंड कब का उसकी माँ की मस्त चुत में घुस चूका होता।

कल्लु ने अपने मुह को अपनी माँ के मोटे मोटे दूध में दबाया हुआ था और अपनी माँ के रसीले मोटे आमो को अपने मुह से दबा दबा कर मजे ले रहा था इधर निर्मला अपनी जांघो को फ़ैलाये हुएअपने बेटे के खड़े लंड पर दबाब दे रही थी और सीसिया रही थी, लेकिन जैसे ही कल्लु ने अपने मुह को खोल कर अपनी माँ के मोटे दूध के निप्पल को अपने होठो में दबा कर चूसा।निर्मला ने कल्लु को कस कर जकड लिया और उसके खड़े लंड पर अपनी चुत को रगडने लगी, निर्मला के मुह से आह आह जैसे शब्द निकलने लगे, कल्लु पागलो की तरह अपनी माँ की मोटी मख़मली जांघो और भारी भरकम चूतडो को अपने हांथो में भर भर कर मसल रहा था और सोच रहा था की इतना मजा तो गुड़िया और चाची की गाण्ड और जांघो को मसलने में भी नहीं आया। सच में उसकी माँ बहुत ही रसीली और गदराया हुआ माल है।

माँ को तो खूब तबियत से रगड रगड कर चोदना होगा यह तो खूब तबियत से मेरे लंड से चुदेगी, कल्लु यह सोचते सोचते अपने हाथो को अपनी माँ की मोटी गाण्ड को सहलाते हुए अचानक उसकी उंगलिया अपनी माँ की मोटी गाण्ड की गुदा पर चलि गई और कल्लु ने जैसे ही अपनी उंगलियो को थोड़ा दबाया उसकी बीच की ऊँगली थोड़ी सी उसकी माँ की गुदाज गाण्ड के छेद में उतर गई और निर्मला सीसिया पडी।

कल्लु : क्या हुआ माँ और बीच में जाऊँ।

निर्मला : आह ज्यादा बीच में डूब जायेगा बेटे।

कालू : नहीं माँ मुझे तैरना आता है तू कहे तो थोड़ा और बीच में जाऊ और कल्लु की दूसरी ऊँगली उसकी माँ की मस्त चुत के रसीले छेद में घुस गई।

निर्मला : ठीक है बेटे बीच में जा लेकिन डुबना नही।

कालू ने माँ की बात सुनते ही अपनी ऊँगली का दबाव अपनी माँ की गाण्ड और चुत में और भी बढा दिया। और उसकी दोनों उंगलिया गाण्ड और चुत की छेद में और भी ज्यादा उतर गई और निर्मला के मुह से एक सिसकी निकल गई, कल्लु ने अपनी उंगलियो को अपनी माँ की गाण्ड और चुत में कस कर दबाते हुए कहा माँ यहाँ बहुत गहरा है लगता है पूरा गहराई में उतर जाऊँ।

To be Continued

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कल्लु : क्या हुआ माँ और बीच में जाऊँ।

निर्मला : आह ज्यादा बीच में डूब जायेगा बेटे।

कालू : नहीं माँ मुझे तैरना आता है तू कहे तो थोड़ा और बीच में जाऊ और कल्लु की दूसरी ऊँगली उसकी माँ की मस्त चुत के रसीले छेद में घुस गई।

निर्मला : ठीक है बेटे बीच में जा लेकिन डुबना नही।

कालू ने माँ की बात सुनते ही अपनी ऊँगली का दबाव अपनी माँ की गाण्ड और चुत में और भी बढा दिया। और उसकी दोनों उंगलिया गाण्ड और चुत की छेद में और भी ज्यादा उतर गई और निर्मला के मुह से एक सिसकी निकल गई, कल्लु ने अपनी उंगलियो को अपनी माँ की गाण्ड और चुत में कस कर दबाते हुए कहा माँ यहाँ बहुत गहरा है लगता है पूरा गहराई में उतर जाऊँ।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 32

निर्मला: आह सी बेटे तू तो कुछ ज्यादा ही बीच में घुस रहा है देखना कही डूब न जाये और निर्मला के हाथ कल्लु के मोटे खुंखार काले लंड तक पहुच गया और जैसे ही उसने अपने बेटे के काले लंड को अपने हाथो से पकड़ा कल्लु पागलो की तरह अपनी माँ के रसीले होठो को चुमते हुए उसके बोबो को कस कस कर चुसने लगा। निर्मला उसकी इस हरकत से पानी पानी हो गई और उसने कल्लु के कच्छे को खोल कर अपने बेटे के विकराल काले मोटे लंड को अपने हाथो में पूरी तरह थाम लिया अपने बेटे के लंड की लम्बाई और मोटाई देख कर वह पागल हो गई और कहने लगी बेटे पूरी तरह बीच में उतर जा आह आह सी सीई ओह।

कल्लु ने अपनी ऊँगली जो चुत में घुसी थी को बाहर निकाल लिया और गाण्ड में घुसि ऊँगली को गहराई में अपनी माँ की मोटी गाण्ड की गुदा में पूरा जड़ तक पेल दिया और दूसरे हाथ से अपनी माँ के मोटे दूध को दबोचने लगा उधर निर्मला अपने बेटे के काले मोटे लंड को खूब दबा दबा कर महसूस करने लगी और जब उसके हाथ में अपने बेटे के भारी भरकम अंडकोष आये तो उसने उन्हें मुट्ठी में भर भर कर दबोचना शुरू कर दिया कभी वह उसके आंड को दबोचती तो कभी अपने बेटे के लंड के फुले हुए सुपाडे को दबोचती उधर कल्लु ने अपनी लम्बी ऊँगली को अपनी माँ की गाण्ड में जड़ तक घुसा रखा था और एक हाथ से उसके दोनों आमो को बारी बारी से मसल रहा था, तभी कल्लु ने जब अपनी माँ के एक निप्पल को मुह में भर कर काटा तभी निर्मला ने अपने बेटे के काले मोटे लंड को अपनी चुत के छेद में लगा दिया और मारे उत्तेजना के उसने जैसे ही लंड अपनी चुत के छेद में लगाया कल्लु ने कस कर एक धक्का ऊपर की ओर दिया और उसका मोटा तगड़ा लंड अपनी माँ की चुत में आधे से ज्यादा अंदर समा गया और उसकी माँ की चीख़ निकल गई।

निर्मला: कल्लु मार दिया रे कितना मोटा खूँटा है तेरा अपनी माँ की चुत फाड देगा क्या, हरामि क्या तुझे मैंने इसी दिन के लिए अपनी इस चुत से निकाला था की बाद में तू इसी चुत को फिर से अपने मुसल से फाडे आह आह जरा धीरे धीरे चोद हरामी कितना बड़ा लंड है तेरा आह आह सीई सीई अहह सीई ओह माँ मर गई। कल्लु तो अपनी माँ को अपने लंड पर चढ़ाये सारा दबाब अपने लंड की ओर दे रहा था और निर्मला अपने बेटे के खड़े लंड से अपनी चुत फाडे बेठी हुई थी, कुछ देर ऐसे ही झटके देने से दोनों माँ बेटे का पानी छूट गया और दोनों हाफ्ते हुए किनारे पर आकर सुस्ताने लगे।

थोड़ी देर बाद जब दोनों की साँसे नार्मल हुई तब निर्मला ने मुस्कुराते हुए कल्लु की ओर देखा और उसके मोटे लंड को देख कर कहने लगी तूने इसी तरह गुड़िया को भी तैरना सिखाया है न।

कल्लु : मुस्कुराते हुए अपने लंड का सुपाडा अपनी माँ को खोल कर दिखाते हुए कहने लगा गुड़िया खुद ही तैरना सीखने के लिए मरी जा रही थी तो मै क्या करता।

निर्मला : मुसकुराकर अच्छा तो तू नहीं मरा जा रहा था अपनी बहन के लिये।

कालू : अपने लंड को मसलते हुए कहने लगा माँ मुझे तो गुड़िया से ज्यादा तुझे तैरना सीखाने का मन होता था।

निर्मला मुस्कुराते हुये, अच्छा तभी दिन भर खेतो में मेरे पीछे ही रहता था, और वैसे भी तेरा यह मुसल तेरी बहन के लायक नहीं बल्कि बड़ी बड़ी गदराई औरतो के लायक है।

कल्लु : मुस्कुराकर अपनी माँ की मोटी नंगी जांघो को सहलाते हुए कहने लगा तू भी तो खूब तबियत से गदराई हुई है,तेरी यह चूत और गांड तो पूरा लेने लायक है।

निर्मला कल्लु के मोटे काले लंड को अपने हाथो से सहलाती हुई, अच्छा तो क्या अपनी माँ पर चढेगा।

कल्लु : अपनी माँ की मोटी गुदाज जांघो को दबोचते हुये, क्यों जब तू अपने बेटे पर चढ़ सकती है तो मै तेरे ऊपर नहीं चढ़ूगा क्या।

निर्मला : मुसकुराकर कहने लगी बस चढेगा ही या कुछ करेगा भी।

कालू : अपनी माँ की मस्त चुत को अपनी हथेली में भर कर कहने लगा चढूँगा भी और तेरी इस मस्त चुत को फाड़ूंगा भी।

निर्मला : मुसकुराकर और कितना फाड़ेगा तेरे निकलने से ही तो सबसे ज्यादा फटी है।

कालू : अपनी माँ की चुत को सहलाकर कहने लगा इसे तो खूब तबियत से फाड़ूंगा ही और अभी इसे भी तो फाडना बाकि है और कल्लु ने अपनी ऊँगली अपंनी माँ की गाण्ड में पेल दी और निर्मला फिर से सिसिया कर कल्लु के सिने से चिपक गई।

कालू : बोल फड़वाएगी अपने बेटे से अपनी मोटी गाँड।

निर्मला : इतने मोटे लंड को अपनी गाण्ड में घुसवाउंगी तो मेरी गाण्ड तो पूरी फट जाएगी।

कल्लु : अरे तू इतना मदमस्त तगड़ा माल है की ऐसे दो दो काले लंड तेरी गाण्ड में घुस जाएगे।

निर्मला: नहीं रे अभी तो तू मेरी चुत ही फाड ले कल तेल लेकर आउंगी तब फिर अपनी माँ की गाण्ड भी खूब कस कर मार लेना मुझे पता है तू अपना काला मुसल पूरा अपनी माँ की मोटी गाण्ड में पेलना चाहता है, और वैसे भी गुड़िया ने कहा था की मुझे कम से कम 8-10 दिन तक तुझसे तैरना सीखना पड़ेगा तभी मै अच्छे से तैर पाउँगी।

To be Continued

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कालू : अपनी माँ की चुत को सहलाकर कहने लगा इसे तो खूब तबियत से फाड़ूंगा ही और अभी इसे भी तो फाडना बाकि है और कल्लु ने अपनी ऊँगली अपंनी माँ की गाण्ड में पेल दी और निर्मला फिर से सिसिया कर कल्लु के सिने से चिपक गई।

कालू : बोल फड़वाएगी अपने बेटे से अपनी मोटी गाँड।

निर्मला : इतने मोटे लंड को अपनी गाण्ड में घुसवाउंगी तो मेरी गाण्ड तो पूरी फट जाएगी।

कल्लु : अरे तू इतना मदमस्त तगड़ा माल है की ऐसे दो दो काले लंड तेरी गाण्ड में घुस जाएगे।

निर्मला: नहीं रे अभी तो तू मेरी चुत ही फाड ले कल तेल लेकर आउंगी तब फिर अपनी माँ की गाण्ड भी खूब कस कर मार लेना मुझे पता है तू अपना काला मुसल पूरा अपनी माँ की मोटी गाण्ड में पेलना चाहता है, और वैसे भी गुड़िया ने कहा था की मुझे कम से कम 8-10 दिन तक तुझसे तैरना सीखना पड़ेगा तभी मै अच्छे से तैर पाउँगी।

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नदी की चुदासी मछलियाँ | Nadi Ki Chudasi Machhaliyan | Update 33

कल्लु ने बैठे बैठे ही आसन जमा कर अपने खड़े लंड को अपनी माँ की चुत में एक झटके में पेल दिया और निर्मला ने अपनी जांघो को फैला कर अपने हाथ पीछे जमीन पर लगा दिए और कहने लगी अब 8-10 दिन नहीं मै तो रोज तुझे तैरना सिखाउंगा और अपने लंड पर चढा चढा कर तुझे तैराउन्गा।

निर्मला : आह मुये कितना मोटा और विकराल लंड हो गया है तेरा तू तो मेरा मरद बनने के लायक है आह अहह सी सी ओइ माँ और कस के पेल बेटा।

कल्लु : हुमच हुमच कर उकडू बैठे बैठे अपने लंड को अपनी माँ की चुत में पेलते हुए कहने लगा मुझे भी तेरे जैसी ही औरत चाहिये, तेरा गदराया बदन मोटी मोटी जांघे भारी भरकम चूतड़ और मस्त भोसडा मारने में ही मुझे मजा मिलता है आज से तो मेरी औरत तू ही है। आज से मै तुझे रोज नंगी करके खूब कस कस के चोदूँगा।

निर्मला खूब सिसिया रही थी और उसका बेटा दनादन उसकी मस्त चुत में लंड पेल रहा था, कल्लु का लंड और भी विकराल हो गया था और निर्मला की चुत से पानी की धारा बह निकली अब उसने अपनी माँ के मोटे मोटे चूतडो को अपनी तरफ खींच कर दबोच लिया और खूब कस कस कर अपनी माँ की चुत की गहराई में धक्के मारने लगा।

कुछ देर अपनी माँ की रसीली चूत चोदने के बाद कल्लू ने अपना मोटा लंड अपनी माँ की चूत से निकाल लिया और अपनी माँ को अपना लंड चूसने का इशारा किया।

निर्मला ने कल्लू के लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

कल्लू:आह माँ क्या मस्त गरम मुँह है तेरा।बहुत मज़ा आ रहा है। लग रहा है मेरा लंड किसी चूत में जा रहा है।तू तो लंड चूसने में भी एक्सपर्ट है। चूस साली और अंदर ले ।पूरा अंदर ले के चूस।

फिर कल्लू अपनी माँ को कुतिया बना देता है और अपना मोटा लंड अपनी माँ की रसीली चूत के छेद पर रखकर एक ही धक्के में पूरा लंड अपनी माँ की चूत में पेल देता है।फिर फचा फच जोर जोर से पेलने लगता है।

कल्लू:आह कितना मज़ा आ रहा है।कितनी टाइट चूत है तेरी माँ।लगता है बहुत दिन से चुदी नहीं है।

निर्मला:हां मेरे लाल चोद अपनी माँ को ।बहुत दिन से प्यासी हूँ चोद चोद के फाड़ दे मेरी चूत को।ये मुझे बहुत परेसान करती है।

कल्लू:आज से रोज तुझे चोदुन्गा माँ।आज से तू मेरी रंडी है।साली अब तेरी चूत और गांड रोज फ़ाड़ूंगा।

इसी तरह कुतिया बना के तेरी गांड मारूँगा साली रंडी।बहुत तरसाया है तूने अपनी मोटी मोटी गांड दिखा के।

निर्मला:चोद मादरचोद चोद। आज से मैं तेरी रंडी हूँ। चोद फाड़ दे मेरी चूत को।

कल्लू पूरी ताकत से अपनी माँ को चोदने लगता है गन्दी गन्दी गाली देते हुए।

लगभग सैकड़ो धक्के मार मार कर उसने अपनी माँ की चुत को पूरा लाल कर दिया और अपनी माँ को चोद चोद कर खूब पानी निकाला और अपना पूरा माल अपनी माँ के चूत में निकाल देता है।उस सुनसान जगह पर दोनों की सिसियाने की आवाज और चुत में लंड की पड़ती थाप ही गूंजती रही थी।

उस चुदाई के बाद दोनों माँ बेटे घर की ओर चल दिए। और निर्मला ने अगले दिन तेल की शीशी साथ में लेकर आने वाली बात कल्लु से की और कल्लु अपनी माँ की गुदा को सहलाते हुए कहने लगा माँ कल जब तेरी गुदाज गण्ड में तेल से सना हुआ मेरा काला लंड घुसेगा तो मजा आ जायेगा तब निर्मला कहने लगी अब तो मै भी तेरे इस मोटे मुसल से अपनी मोटी गाण्ड मरवाने के लिए तड़प रही हूँ।

कल सबेरा होते ही हम यहाँ आ जाएगे फिर तू अपनी माँ की कोरी गाण्ड को अपने मुसल पर तेल लगा कर कस कर ठुकाई करना बस यही बाते करते हुए दोनों अपने खेत की ओर चल पडे।

To be Continued

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