उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपनी बड़ी छाती में मेरा चेहरा छुपा लिया.
“कैसे हो गया ये सब बेटा? तूने तो मार ही डाला मुझे चिनू. अब क्या होगा ?”
धार्मिक माँ की चुदाई | Dharmik Maa Ki Chudai | Part 6
सुबह जल्दी मेरी नींद खुल गयी, बाहर अभी उजाला नही हुआ था. मैं बेड में लेटे हुए ही रात में हुई घटना के बारे में सोचने लगा. लेकिन मैं कुछ भी ठीक से नही सोच पा रहा था , दिमाग़ में कई तरह के विचार आ रहे थे. मुझे बहुत अपराधबोध हो रहा था लेकिन इस बात से भी मैं इनकार नही कर सकता था की जिस आनंद की मुझे अनुभूति हुई थी वैसी पहले कभी नही हुई. मैंने खुद से स्वीकार किया की अम्मा का इस घटना में कोई हाथ नही है, ये सब मेरी वजह से ही हुआ है. मेरी ही वजह से अम्मा इस पाप की भागीदार बनी , जिसके बारे में हमारे समाज में सोचा भी नही जा सकता.
यही सब सोचते हुए मुझे फिर से नींद आ गयी. सुबह बेड के हिलने से मेरी नींद खुली. मैं खिड़की की तरफ मुँह करके सोया हुआ था और अम्मा की तरफ मेरी पीठ थी. अम्मा के हिलने डुलने से मुझे लगा की वो बेड से उठ रही है. माँ ने बेड साइड लैंप ऑन किया. मैंने सामने दीवार पर लगे मिरर में देखा अम्मा बेड में पीछे टेक लगाकर बैठी है और उसने अपना चेहरा हाथों से ढका है. फिर वो सुबकने लगी और उसकी आँखो से आँसू बहने लगे. बीच बीच में वो, हे प्रभु ! हे ईश्वर ! भी जप रही थी.
मुझे बहुत बुरा लगा. क्या करूँ समझ नही आया इसलिए मैं चुपचाप वैसे ही लेटे रहा. मैंने फिर से मिरर में देखा तो , मेरे अंदर का जानवर फिर से सर उठाने लगा. मिरर में माँ की बड़ी छाती दिख रही थी. कुछ घंटे पहले रात में इन चूचियों को मैंने खूब चूसा था पर अभी नज़ारा कुछ और ही था.
जब माँ ने अपने हाथों से चेहरा ढका था तो मिरर में कुछ दिख नही पा रहा था पर जब उसने अपनी आँखे पोछी और हाथ नीचे कर दिए तो अम्मा की गदराई हुई छाती मुझे दिखने लगी. मुझे इस बात पे हैरानी हुई की माँ की चूचियां ज़्यादा ढली हुई नही थी. वो बड़ी बड़ी और गोल थी और उन्होने अपना आकार बरकरार रखा था. माँ ने अपना सर पीछे को किया हुआ था और उसके गहरी साँसे लेने से उसकी चूचियां हल्के से हिल रही थी. उसके कंधे , उसकी उठी हुई ठोड़ी , सब कुछ एकदम परफेक्ट था.
फिर वो सीधी होकर बैठ गयी और हाथ पीछे ले जाकर अपने बाल बाँधने लगी. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा. क्या मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा ? हाँ, वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैंने उसका हाथ अपने सर पे महसूस किया. उसने प्यार से मेरा सर सहलाया फिर मेरे गाल को सहलाया.
“ये तूने क्या कर डाला मेरे बच्चे “, अम्मा बोली.
मैंने मिरर में देखा अम्मा मेरे ऊपर झुक रही है. मैंने सोए हुए का नाटक करते हुए आँखे बंद कर ली. मैंने अम्मा की गरम साँसे अपनी गर्दन पर महसूस की. अम्मा ने अपने होंठ मेरी बाई कनपटी पर रख दिए और कुछ देर तक ऐसे ही वो अपने हाथ से मेरा सर सहलाती रही.
फिर उसने अपने होंठ हटाए और वो बेड से उठने लगी. मैंने अपनी आँखे खोली और मिरर में देखा लेकिन तब तक वो बेड से उठ चुकी थी.
मैंने कान लगाकर सुनने की कोशिश की , बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. अम्मा बाथरूम में चली गयी है समझकर मैं जैसे ही सीधा लेटने को हुआ वो अचानक मिरर में मुझे दिख गयी. मैंने जल्दी से आँखे बंद कर ली. फिर थोड़ी सी खोलकर देखा. अम्मा घूमकर मेरी बेड की साइड में आई और फर्श से अपनी नाइटी उठाने लगी , जो मैंने रात में उतार कर फेंक दी थी. नाइटी को अपनी छाती से लगाकर वो सामने मिरर में अपने नंगे बदन को देखने लगी , उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
वो दृश्य पागल कर देने वाला था. माँ अपनी पूरी नग्नता के साथ मिरर के सामने खड़ी थी . उसने अपनी नाइटी बेड में रख दी और अपने को देखा. वो थोड़ी साइड में घूमी और अपने को मिरर में देखने लगी. ऐसा ही उसने दूसरी तरफ घूमकर किया. फिर उसने अपनी चूचियों के नीचे हाथ रखे और उन्हे थोड़ा ऊपर उठाया , फिर थोड़ा हिलाया. चादर के अंदर ही मेरा पानी निकलने को हो गया. वो थोड़ी देर तक अपने को ऐसे ही मिरर में निहारती रही. शायद वो गर्व महसूस कर रही होगी की अभी भी उसका बदन ऐसा है की वो उसका जवान बेटा भी उस पर लटटू हो गया.
फिर वो थोड़ा पीछे हटी , मिरर में अपना पूरा बदन देखने के लिए. अब वो मेरे बिल्कुल करीब थी. उसके बदन से उठती खुशबू को मैंने महसूस किया. उसके पसीने और चूतरस की मिली जुली खुशबू से मैं मदहोश हो गया. कमरे में आती हुई सूरज की रोशनी मे उसका नंगा बदन चमक रहा था. कुछ समय के लिए मैं दुनिया को भूलकर अपनी देवी जैसी माँ को देखते रहा. उसकी टांगों और जांघों का पिछला भाग जो मेरी आँखों के सामने था , बिल्कुल गोरा और मांसल था. कमर से नीचे को उसके विशाल नितंब फैले हुए थे जो माँ के हिलने के साथ ही हिल डुल रहे थे. उसकी चूत के बड़े फूले हुए होठों से उसकी गुलाबी क्लिट ढक सी गयी थी. ज्यादातर गोरी औरतों की चूत भी काले रंग की होती है लेकिन उसकी गोरी थी. नाभि के नीचे वो उभरा हुआ भाग बड़ा ही मादक दिख रहा था.
मुझे लगा मेरी प्यारी अम्मा रति का अवतार है. एक आदमी को जो चाहिए वो सब उसमे था. लंबी टाँगे, अच्छा आकार लिए हुए चूचियां, बाहर को निकले हुए विशाल नितंब और नाभि के नीचे उभरा हुआ वो भाग.
मैं अम्मा को देखने में डूबा हुआ था तभी अम्मा झुकी और बेड से अपनी नाइटी उठाने लगी. उसके झुकने से उसके नितंबों के बीच की दरार से मुझे उसकी चूत दिखी. अब मेरा लंड पूरा मस्त हो चुका था. मेरा मूड हुआ की मैं वहीं पर ही अम्मा को चोद दूं. लेकिन इससे पहले की मैं उठ पाता अम्मा ने नाइटी अपने बदन पर डाल ली और वहाँ से चली गयी.
फिर बाथरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई. मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ का इंतज़ार किया. फिर मैं उठ गया और टीशर्ट और शॉर्ट पहन लिया. कमरे में अकेला होने के बाद फिर से मेरे दिमाग़ में उथल पुथल होने लगी. मेरी इच्छाओं और नैतिकता के बीच द्वन्द्ध होने लगा. फिर मैंने सोचना छोड़कर दरवाज़ा खोला और बास्केट में से सुबह का अख़बार निकाल लिया. फिर नाश्ते का ऑर्डर देकर में अख़बार पढ़ने लगा. मौसम के बारे में लिखा था की उत्तर भारत में शीतलहर जारी है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे कोई खुशी नही हुई. एक रात पहले जो मुझे मौसम खराब होने पर होटेल में रुकने की खुशी थी , वैसा अब महसूस नही हो रहा था , पता नही क्यूँ. तब मुझे एहसास हुआ की कल रात माँ के साथ जबरदस्त चुदाई के बाद अब मेरे और उनके बीच एक चुप्पी सी छा गयी है , जिसे मैं बर्दाश्त नही कर पा रहा था और मैं इसे खत्म करना चाहता था.
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और माँ सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट पहने हुए बाहर आई. मेरी तरफ देखे बिना वो सूटकेस मे से अपनी साड़ी निकालने लगी. वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर उसने कुर्ता और पैजामा निकाल लिया. वो कभी कभार ही कुर्ता पैजामा पहनती थी. माँ की तरफ सीधे देखने की मेरी हिम्मत नही हुई इसलिए मैं आँखों के कोने से उसे देखता रहा.
फिर मुझसे और टेंशन बर्दाश्त नही हुआ और मैं उठा और बाथरूम चला गया. बाथरूम में आकर मैंने देखा मेरा लंड मुरझा चुका है . अब मुझे उत्तेजना भी महसूस नही हो रही थी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. तभी मैंने अम्मा को कुछ मैगज़ीन्स और अख़बार का ऑर्डर देते हुए सुना. अम्मा को थोड़ी बहुत अँग्रेज़ी ही आती थी. फिर मैं नहाने लगा. ठंडा पानी जब मेरे बदन पर पड़ा तो काँपते हुए मेरे दिमाग़ की उथल पुथल गायब हो गयी. फिर टीशर्ट और शॉर्ट पहनकर मैं रूम में आ गया.
नाश्ता आ चुका था और अम्मा चाय डाल रही थी. मैंने रूम सर्विस को लांड्री के लिए कहा और खिड़की से बाहर झाँकने लगा. हमारे रूम के सामने नीचे स्विमिंग पूल था, मैं बच्चों को तैरते हुए देखने लगा.
अम्मा ने नाश्ते के लिए बुलाया तो मैं उनके सामने बैठ गया. मैंने सीधे अम्मा की आँखो में देखा. उन्होने नज़रें घुमा ली और सैंडविच की प्लेट मेरी तरफ सरका दी. मैंने सैंडविच उठा लिया और खाने लगा. जब भी मैं अम्मा की ओर देखता की वो क्या सोच रही है तो वो अपनी नज़रें घुमा लेती. लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था की जब मैं उसको नही देख रहा होता था तो वो मुझे देख रही होती थी. नाश्ता भी ख़तम हो गया और हमारे बीच टेंशन बना रहा. कोई कुछ नही बोला.
नाश्ता खत्म होते ही , लांड्री के लिए वेटर आ गया. मैंने उसको कपड़ों का बैग दिया और अम्मा से पूछा,” अम्मा आपको कुछ और देना है लांड्री के लिए ?”
अम्मा ने सिर्फ़ ‘नही’ कहा . फिर जैसे ही वेटर जाने को मुड़ा तो उन्होने सूटकेस से 2 नाइटी निकालकर लांड्री बैग में डाल दी.
उसके जाते ही रूम साफ करने के लिए आया आ गयी. मैं बैठे हुए सोचने लगा , अब क्या किया जाए.
रूम की सफाई करने के बाद आया ने ट्राली मे से 2 साफ चादर निकाली और बेड से पुरानी चादरें हटा दी. मैं आया को ऐसे ही देख रहा था तभी उसने पुरानी चादर को अपनी नाक पर लगाकर सूँघा. उसमे एक बड़ा सा दाग लगा हुआ था. मुझे इतनी शरम आई की मैंने मुँह फेर लिया और नीचे स्विमिंग पूल को देखने लगा. तभी आया अम्मा से कन्नड़ में कुछ बोलने लगी.
मैं मुड़कर उसे देखने लगा , तभी वो टूटी फूटी हिन्दी मे धीमे से अम्मा से बोली,” भगवान अयप्पा के आशीर्वाद से आपको ऐसी बहुत सी रातें बिताने को मिले.”
फिर ऐसा कहते हुए आया ने अम्मा को वो चादर पर लगा धब्बा दिखाया. अम्मा डर गयी. उसने सोचा रात मे जो हुआ , वो सब आया समझ गयी है. उसने जल्दी से 500 का नोट निकाला और आया के हाथ में थमा दिया. ताकि आया खुश हो जाए और अपना मुँह बंद रखे और अपने साथ काम करने वालों को कुछ ना बताए.
आया ने खुश होकर वो नोट अपने माथे से लगाया और बोली,” भगवान तुम दोनो को खुश रखे.” और फिर वो चली गयी.
उसके जाते ही अम्मा ने मुझे देखा , शरम से उसका पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया था. मैं दौड़कर उसके पास गया और कंधों से उसे पकड़ लिया. अम्मा ने मेरी आँखों में देखा और अपनी नज़रें फर्श की तरफ झुका ली.मैंने अपने आलिंगन में अम्मा को कस लिया और वो सुबकने लगी. मैं कुछ भी नही बोल पाया और उसे अपने से चिपकाए रखा.
फिर मैं उसे बेड के पास ले गया और बेड पर बिठा दिया. और उसकी पीठ बेड के हेडबोर्ड पर टिका दी. खुद उसके सामने बैठ गया.
“तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया ? क्या तुम्हारे मन में लंबे समय से मेरे लिए वासना थी या फिर मेरे व्यवहार में ऐसा कुछ था जिससे ये घटना हुई ?”
मैं सीधे अम्मा की आँखो में नही देख पाया. मैं दूसरी तरफ देखता रहा.
अम्मा ने मेरे कंधे पकड़कर मुझे अपनी तरफ घुमाया,” बताओ बेटा. कल रात जो हुआ उसके बारे में बहुत सी बातें करनी है , जाननी है.”
मुझे चुप देखकर अम्मा ने मुझे ज़ोर से झिझोड़ दिया,” मुझसे बात करो बेटा. मैं बर्बाद हो गयी हूँ. हम दोनो ही इस घटना से प्रभावित हुए है.”
“अम्मा, मैंने कभी आपको ऐसी नज़र से नही देखा. लेकिन जब आप बाथरूम में थी और आपने मुझसे नाइटी माँगी थी, जिस दिन हम बंगलोर आए थे…….” और फिर मैंने पूरी बात अम्मा को बता दी की कैसे कैसे मेरी काम इच्छा बढ़ती चली गयी.
पूरी बात सुनकर वो अपने को दोष देने लगी और रोने लगी.
मैंने कहा,” अम्मा ये बात सही है की उस दिन बाथरूम में आपको देखकर ही ये भावना मेरे अंदर आई. लेकिन जो कुछ हुआ उसके लिए आप अपने को दोषी क्यूँ ठहरा रही हैं. आपने तो होनी को टालने की पूरी कोशिश की थी लेकिन आप भी इंसान हैं और शारीरिक इच्छाओं के आगे आपने समर्पण कर दिया.”
एक गहरी साँस लेकर वो बोली,” चिनू, सिर्फ़ एक पल की कमज़ोरी से मेरा सब कुछ छिन गया. हे ईश्वर! मैंने ऐसा होने कैसे दिया .”
फिर सुबकते हुए वो कहने लगी,”अपने ही बेटे की नज़रों में मैं अपना रुतबा खो चुकी हूँ. मैं अब वो माँ नही रही जो तुम्हारे लिए पूजनीय थी जिसकी तुम इज़्ज़त करते थे. आज से मैं तुम्हारी नज़रों मे ऐसी चरित्रहीन औरत हूँ जो इस उमर में भी अपनी टाँगे फैला देती है.”
“अम्मा प्लीज़ , ऐसा ना कहो. मैं अब आपको और भी ज़्यादा प्यार करता हूँ. आप ये बात समझ लो की बिना इज़्ज़त के प्यार नही हो सकता. आप मेरे लिए वो देवी हो जिसके चरणों में मेरा सब कुछ अर्पित है. प्यार , इज़्ज़त और ज़रूरत पड़ी तो मेरी जिंदगी भी. मैंने कभी अपनी माँ के साथ संभोग के लिए नही सोचा था लेकिन फिर भी ये हो गया. ये हमारे भाग्य में था. या तो हमें इसे स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर रोते चिल्लाते रहें, कोसते रहें लेकिन भाग्य में जो होगा वो होकर रहेगा.”
मेरी बात सुनकर अम्मा ने रोना बंद कर दिया और आश्चर्य से बोली,” क्या तुम मुझे ये समझाना चाहते हो की जो कुछ हुआ वो सही था और हमें इस पाप को करते रहना चाहिए ? अपनी काम इच्छाओं को सही ठहराने के लिए भाग्य का बहाना बनाना चाहिए ?”
Subah jaldi meri nind khul gayi, bahar abhi ujala nahi hua tha. Mai bed mein lete hue hi raat mein hui ghatna ke bare mein sochne laga. Lekin mai kuch bhi theek se nahi soch pa raha tha , dimaag mein kai tarah ke vichar aa rahe the. mujhe bahut apradhbodh ho raha tha lekin is baat se bhi mai inkar nahi kar sakta tha ki jis anand ki mujhe anubhuti hui thi waisi pehle kabhi nahi hui. Mene khud se swekar kiya ki amma ka is ghatna mein koi hath nahi hai, ye sab meri wajah se hi hua hai. Meri hi wajah se amma is paap ki bhagidar bani , jiske baare mein hamare samaj mein socha bhi nahi ja sakta.
Yahi sab sochte hue mujhe phir se nind aa gayi. subah bed ke hilne se meri nind khuli. Mai khidki ki taraf munh karke soya hua tha aur amma ki taraf meri peeth thi. amma ke hilne dulne se mujhe laga ki wo bed se uth rahi hai. Maa ne bed side lamp on kiya. Mene samne dewar par lage mirror mein dekha amma bed mein piche take lagakar baithi hai aur usne apna chehra hathon se dhaka hai. Phir wo subakne lagi aur uski aankho se aansu behne lage. Beech beech mein wo, hai prabhu ! hai ishwar ! bhi jap rahi thi.
Mujhe bahut bura laga. Kya karu samajh nahi aaya isliye mai chupchap waise hi lete raha. Mene phir se mirror mein dekha to , mere andar ka janwar phir se sar uthane laga. Mirror mein maa ki badi chati dikh rahi thi. kuch ghante pehle raat mein in chuchiyon ko mene khoob chusa tha par abhi nazara kuch aur hi tha.
Jab maa ne apne hathon se chehra dhaka tha to mirror mein kuch dikh nahi pa raha tha par jab usne apni aankhe pochi aur hath niche kar diye to amma ki gadrai hui chati mujhe dikhne lagi. mujhe is baat pe hairani hui ki maa ki chuchiyan jyada dhali hui nahi thi. wo badi badi aur gol thi aur unhone apna aakar barkarar rakha tha. Ma ne apna sar piche ko kiya hua tha aur uske gehri sanse lene se uski chuchiyan halke se hil rahi thi. uske kandhe uski uthi hui thodi , sab kuch ekdum perfect tha.
Phir wo sidhi hokar baith gayi aur hath piche le jakar apne baal bandhne lagi. usne ek nazar meri taraf dekha. Kya mene use muskurate hue dekha ? haan, wo mujhe dekhkar muskura rahi thi. phir mene uska hath apne sar pe mehsoos kiya. usne pyar se mera sar sehlaya phir mere gaal ko sehlaya.
“ye tune kya kar dala mere bacche “, amma boli.
Mene mirror mein dekha amma mere upar jhuk rahi hai. Mene soye hue ka natak karte hue aankhe band kar li. Mene amma ki garam sanse apni gardan par mehsoos ki. Amma ne apne hoth meri bayi kanpat par rakh diye aur kuch der tak aise hi wo apne hath se mera sar sahlati rahi.
Phir usne apne hoth hataye aur wo bed se uthne lagi. mene apni aankhe kholi aur mirror mein dekha lekin tab tak wo bed se uth chuki thi.
Mene kaan lagakar sunne ki koshish ki , bathroom ka darwaza khulne ki awaz aayi. Amma bathroom mein chali gayi hai samajhkar mai jaise hi sidha letne ko hua wo achanak mirror mein mujhe dikh gayi. mene jaldi se aankhe band kar li. Phir thodi si kholkar dekha. Amma ghoomkar meri bed ki side mein aayi aur farsh se apni nighty uthane lagi , jo mene raat mein utar kar fenk di thi. nighty ko apni chati se lagakar wo samne mirror mein apne nange badan ko dekhne lagi , uski peeth meri taraf thi.
Wo drishya pagal kar dene wala tha. Maa apni puri nagnta ke sath mirror ke samne khadi thi . usne apni nighty bed mein rakh di aur apne ko dekha. Wo thodi side mein ghumi aur apne ko mirror mein dekhne lagi. aisa hi usne dusri taraf ghoomkar kiya. phir usne apni chuchiyon ke niche hath rakhe aur unhe thoda upar uthaya , phir thoda hilaya. Chadar ke andar hi mera pani nikalne ko ho gaya. Wo thodi der tak apne ko aise hi mirror mein niharti rahi. Sayad wo garv mehsoos kar rahi hogi ki abhi bhi uska badan aisa hai ki wo uska jawan beta bhi us par lattu ho gaya.
Phir wo thoda piche hati , mirror mein apna pura badan dekhne ke liye. Ab wo mere bilkul kareeb thi. uske badan se uthti khusboo ko mene mehsoos kiya. uske pasine aur chutras ki mili juli khusboo se mai madhosh ho gaya. Kamre mein aati hui suraj ki roshni me uskananga badan chamak raha tha. Kuch samay ke liye mai duniya ko bhulkar apni devi jaisi maa ko dekhte raha. Uski tango aur janghon ka pichla bhag jo meri aankhon ke samne tha , bilkul gora aur mansal tha. Kamar se niche ko uske vishal nitamb faile hue the jo maa ke hilne ke sath hi hil dul rahe the. uski choot ke bade phule hue hothon se uski gulabi clit dhak si gayi thi. jyadatar gori aurton ki choot bhi kale rang ki hoti hai lekin uski gori thi. nabhi ke niche wo ubhra hua bhag bada hi madak dikh raha tha.
Mujhe laga meri pyari amma rati ka avtaar hai. Ek aadmi ko jo chahiye wo sab usme tha. Lambi tange, accha aakar liye hue chuchiyan, bahar ko nikle hue vishaal nitamb aur nabhi ke niche ubhra hua wo bhaag.
Mai amma ko dekhne mein dooba hua tha tabhi amma jhuki aur bed se apni nighty uthane lagi. uske jhukne se uske nitambon ke beech ki darar se mujhe uski choot dikhi. Ab mera lund pura mast ho chuka tha. Mera mood hua ki mai wahin par hi amma ko chod dun. lekin isse pehle ki mai uth pata amma ne nighty apne badan par daal li aur wahan se chali gayi.
Phir bathroom ka darwaza band hone ki awaz aayi. Mene bathroom se pani girne ki awaz ka intzaar kiya. Phir mai uth gaya aur tshirt aur short pahan liya. Kamre mein akela hone ke baad phir se mere dimaag mein uthal puthal hone lagi. meri icchaon aur naitikta ke beech dwandh hone laga. Phir mene sochna chodkar darwaza khola aur basket mein se subah ka akhbaar nikal liya. Phir naste ka order dekar mein akhbaar padne laga. Mausam ke bare mein likha tha ki uttar bharat mein sheetlahar jari hai lekin ascharyjanak roop se mujhe koi khushi nahi hui. Ek raat pehle jo mujhe mausam kharab hone par hotel mein rukne ki khushi thi , waisa ab mehsoos nahi ho raha tha , pata nahi kyun. Tab mujhe ehsaas hua ki kal raat maa ke sath jabardast chudai ke baad ab mere aur unke beech ek chuppi si cha gayi hai , jise mai bardast nahi kar pa raha tha aur mai ise khatam karna chahta tha.
Tabhi bathroom ka darwaza khula aur maa sirf bra aur petticoat pehne hue bahar aayi. Meri taraf dekhe bina wo suitcase me se apni saree nikalne lagi. wo thodi der khadi rahi phir usne kurta aur pyjama nikaal liya. Wo kabhi kabhar hi kurta pyjama pahanti thi. maa ki taraf sidhe dekhne ki meri himmat nahi hui isliye mai aankhon ke kone se use dekhta raha.
Phir mujhse aur tension bardast nahi hua aur mai utha aur bathroom chala gaya. Bathroom mein aakar mene dekha mera lund murjha chuka hai . ab mujhe uttezna bhi mehsoos nahi ho rahi thi. mujhe kuch samajh nahi aa raha tha. Tabhi mene amma ko kuch magazines aur akhbaar ka order dete hue suna. Amma ko thodi bahut angrezi hi aati thi. phir mai nahane laga. Thanda pani jab mere badan par pada to kanpte hue mere dimaag ki uthal puthal gayab ho gayi. phir tshirt aur short pahankar mai room mein aa gaya.
Nasta aa chuka tha aur amma chai daal rahi thi. mene room service ko laundry ke liye kaha aur khidki se bahar jhankne laga. Hamare room ke samne niche swimming pool tha, mai bacchon ko terte hue dekhne laga.
Amma ne naste ke liye bulaya to mai unke samne baith gaya. Mene sidhe amma ki aankho mein dekha. Unhone nazren ghuma li aur sandwich ki plate meri taraf sarka di. Mene sandwich utha liya aur khane laga. Jab bhi mai amma ki or dekhta ki wo kya soch rahi hai to wo apni nazren ghuma leti. Lekin mujhe aisa lag raha tha ki jab mai usko nahi dekh raha hota tha to wo mujhe dekh rahi hoti thi. nasta bhi khatam ho gaya aur hamare beech tension bana raha. Koi kuch nahi bola
.
Nasta khatam hote hi , laundry ke liye waiter aa gaya. Mene usko kapdon ka bag diya aur amma se pucha,” amma aapko kuch aur dena hai laundry ke liye ?”
Amma ne sirf ‘nahi’ kaha . phir jaise hi waiter jane ko muda to unhone suitcase se 2 nightie nikalkar laundry bag mein daal di.
Uske jate hi room saaf karne ke liye aaya aa gayi. mai baithe hue sochne laga , ab kya kiya jaye.
Room ki safai karne ke baad aaya ne trolly me se 2 saaf chadar nikali aur bed se purani chaderin hata di. Mai aaya ko aise hi dekh raha tha tabhi usne purani chadar ko apni naak par lagakar sungha. Usme ek bada sa daag laga hua tha. Mujhe itni sharam aayi ki mene munh fer liya aur niche swimming pool ko dekhne laga. Tabhi aaya amma se kannada mein kuch bolne lagi.
Mai mudkar use dekhne laga , tabhi wo tuti futi hindi me dhime se amma se boli,” bhagwan ayappa ke ashirwad se aapko aisi bahut si raatein bitane ko mile.”
Phir aisa kehte hue aaya ne amma ko wo chadar par laga dhabba dikhaya. Amma dar gayi. usne socha raat me jo hua , wo sab aaya samajh gayi hai. Usne jaldi se 500 ka note nikala aur aaya ke hath mein thama diya. Taki aaya khush ho jaye aur apna munh band rakhe aur apne sath kaam karne walon ko kuch na bataye.
Aaya ne khush hokar wo note apne mathe se lagaya aur boli,” bhagwan tum dono ko khush rakhe.” Aur phir wo chali gayi.
Uske jate hi amma ne mujhe dekha , sharam se uska pura chehra shurkh laal ho gaya tha. Mai daudkar uske paas gaya aur kandhon se use pakad liya. Amma ne meri aankhon mein dekha aur apni nazren farsh ki taraf jhuka li.mene apne alingan mein amma ko kas liya aur wo subakne lagi. mai kuch bhi nahi bol paya aur use apne se chipkaye rakha.
Phir mai use bed ke pass le gaya aur bed par bitha diya. Aur uski peeth bed ke headboard par tika di. Khud uske samne baith gaya.
“tumne mere sath aisa kyun kiya ? kya tumhare man mein lambe samay se mere liye wasna thi ya phir mere vyahar mein aisa kuch tha jisse ye ghatna hui ?”
Mai sidhe amma ki aankho mein nahi dekh paya. Mai dusri taraf dekhta raha.
Amma ne mere kandhe pakadkar mujhe apni taraf ghumaya,” batao beta. Kal raat jo hua uske baare mein bahut si baatein karni hai , janni hai.”
Mujhe chup dekhkar amma ne mujhe jor se jhinjhod diya,” mujhse baat karo beta. Mai barbaad ho gayi hun. hum dono hi is ghatna se prabhawit hue hai.”
“amma, mene kabhi aapko aisi nazar se nahi dekha. Lekin jab aap bathroom mein thi aur aapne mujhse nighty mangi thi, jis din hum bangalore aaye the…….” aur phir mene puri baat amma ko bata di ki kese kese meri kaam iccha badti chali gayi.
Puri baat sunkar wo apne ko dosh dene lagi aur rone lagi.
mene kaha,” Amma ye baat sahi hai ki us din bathroom mein aapko dekhkar hi ye bhawna mere andar aayi. Lekin jo kuch hua uske liye aap apne ko doshi kyun thahra rahi hain. Aapne to honi ko talne ki puri koshish ki thi lekin aap bhi insaan hain aur sharirik icchaon ke aage aapne samarpan kar diya.”
Ek gehri saans lekar wo boli,” chinu, sirf ek pal ki kamzori se mera sab kuch chin gaya. Hai ishwar! Mene aisa hone kese diya .”
Phir subakte hue wo kehne lagi,”apne hi bete ki nazron mein mai apna rutba kho chuki hun. Mai ab wo maa nahi rahi jo tumhare liye pujniya thi jiski tum izzat karte the. aaj se mai tumhari nazron me aisi charitrahin aurat hun jo is umar mein bhi apni tange faila deti hai.”
“amma please , aisa na kaho. Mai ab aapko aur bhi jyada pyar karta hun. Aap ye baat samajh lo ki bina izzat ke pyar nahi ho sakta. Aap mere liye wo devi ho jiske charno mein mera sab kuch arpit hai. Pyar , izzat aur jarurat padi to meri jindagi bhi. Mene kabhi apni maa ke sath sambhog ke liye nahi socha tha lekin phir bhi ye ho gaya. Ye hamare bhagya mein tha. Ya to hamein ise swekaar kar lena chahiye ya phir rote chillate rahe , koste rahein lekin bhagya mein jo hoga wo hokar rahega.”
Meri baat sunkar amma ne rona band kar diya aur ascharya se boli,” kya tum mujhe ye samjhana chahte ho ki jo kuch hua wo sahi tha aur hame is paap ko karte rehna chahiye ? apni kaam icchaon ko sahi thahrane ke liye bhagya ka bahana banana chahiye ?”