अगले राउंड में हमने पोज़ बदल दिया और मैंने सारा को घोड़ी बना दिया और लंड उसकी चूत में डाल दिया. मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया. फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे. मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और खुद आगे पीछे होने लगी. हर धक्के के साथ सारा के आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी प्यासी थी. फिर पन्द्रह बीस धक्कों के बाद पीछे से अन्दर डाले हुए ही मैंने उसे खड़ा कर किया और कस कस कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.
लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए.
उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, लगातार 4 बार चोदा, जब मैं आखरी बार उसकी गांड में लंड डाल कर चोद रहा था तो फजर का टाइम हो गया और मामू ने डोर नॉक कर के हमें आवाज़ दी. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि मामू भी चुदाई की आवाज़ सुन लें और समझ जाएं कि हम जाग रहे हैं.
खैर फिर मैं फारिग हुआ. हमने एक बहुत लम्बी जफी लगाई और किस भी की. फिर हम फ्रेश होने चले गए.
आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 7
ख़ैर फिर मैं फ़ारिग हुआ। हमने एक और लम्बी जफी लगाई और फिर चुम्बन किया, जिसके बाद हम सफ़ाई कने के लिए चल दिए। दर्पण में मेरे सीने पर उसके नाखूनों के और उसके पूरे जिस्म पर मेरे दांतों के निशान साफ़ दिख रहे थे।
मैंने सारा से पूछा,
"क्या तुम अब भी इमरान (उसका पहला शौहर) के पास जाना चाहती हो?"
"क्या आप चाहते हो कि मैं इमरान के पास चली जाऊँ?"
सारा बोली मैं आपको एक छोटी से कहानी हलाला के बाद सुनाती हूँ उसी में म्रेरे जवाब छुपा है
सायरा को पत्नी रूप में पाकर अनवर बहुत खुश था, माँ ने जब पहली बार बहू को देख कर कहा था कि चाँद का टुकड़ा है तब अनवर अचानक ही बोल पड़ा था, “माँ यह चाँद का टुकड़ा नहीं,पूरा का पूरा चाँद है और मैं खुशनसीब हूँ जो यह मेरे भाग्य में आया, ऊपर वाले का मैं बहुत ही शुक्रगुजार हूँ कि उसने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ दी और अब दुनिया की सबसे सुंदर पत्नी दी है।”
सायरा और अनवर एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे, अगर कभी सायरा एक दो दिन के लिए मायके चली जाती तो अनवर का घर में मन नहीं लगता था यही हाल सायरा का भी था, जबकभी अनवर को व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ता तब सायरा बुझी बुझी सी रहती और जल्दी से जल्दी अनवर के वापस लौट आने की ऊपर वाले से दुआ मांगती।
शुरू में तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन जब एक माँ और पत्नी का अभिमान आपस में टकराने लगे तब घर बिगड़ने में देर नहीं लगती। माँ को लगने लगा कि अनवर अब सायरा के कारण मेरीअवहेलना करने लगा है तो सायरा उसको दुश्मन नजर आने लगती। माँ ने बहू के विरुद्ध अनवर के कान भरने शुरू कर दिये, जब किसी झूठ को बार बार दोहराया जाए तो वह भी सच लगनेलगता है। सायरा ने भी एक दो बार माँ के बदले हुए व्यवहार के बारे में अनवर को बताया लेकिन अनवर ने अनसुनी कर दिया।
उस दिन कुछ ज्यादा ही हो गया और सायरा ने अपने मायके जाने का फैसला कर लिया, अनवरने काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी और जाने की जिद पर अड़ी रही। अनवर सायरा से बेहद प्यार करता था लेकिन उस दिन उसके अंदर का पुरुष उसके ऊपर हावी हो गया और अनवर ने आव देखा न ताव और सायरा से दो टूक कह दिया, “अगर सायरा तू जाना चाहती है तो जा मैं भी आज से तुझे आज़ाद करता हूँ।” तलाक, -३ कह कर सायरा को छोड़ दिया अपना निकाह तोड़ दिया।
सायरा चली गयी लेकिन उसके जाने के बाद अनवर पागल सा हो गया और सायरा को लेने उसके घर चला गया। सायरा के पिता ने अनवर को समझाया, “बेटा अब सायरा तुम्हारी पत्नी नहीं रही, अब तुम दोनों का निकाह टूट चुका है, अब ये तुम्हारे साथ नहीं जा सकती।”
अनवर बोला, “मैं सायरा से दोबारा निकाह करने को तैयार हूँ।” सायरा के पिता ने अनवर को फिर समझाया, “बेटा, इससे दोबारा निकाह करने के लिए सायरा को हलाला करना होगा, हलाला मतलब सायरा को किसी दूसरे से निकाह करके उसके साथ कम से कम एक रात उसकी पत्नी के रूप में गुजारनी होगी, उसके बाद सायरा का शौहर जब अपनी मर्जी से इसे तलाक देगा तभी इसके साथ तुम्हारी दोबारा शादी हो सकती है। इसमे अहम है दोनों को पति पत्नी के रूप में रिश्ता कायम करना, और इसके लिए हर कोई तैयार भी नहीं होता, और यह रिश्ता दोनों की रजामंदी से बनाया जाता है किसी की ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं।
दरअसल हलाला की पूरी जानकारी न होने की वजह से लड़के तलाक तो दे देते हैं और फिर बाद में पछताते हैं।”
अनवर ने कहा, “अगर मैं अपने किसी जानकार को हलाला के लिए तैयार कर लूँ तो क्या आप रजामंद होंगे?”
सायरा के पिता बोले, “हाँ! अगर कोई विश्वसनीय व्यक्ति हुआ तो अवश्य हम रजामंद होजाएंगे, हमारी बेटी के जीवन का जो सवाल है।”
अनवर वहाँ से वापस आकर सीधा सुहेल के घर गया। सुहेल का घड़ियों का कारोबार था और इसी सिलसिले में उसको स्विट्ज़रलैंड भी जाना पड़ता था। सौभाग्य से सुहेल उस दिन घर पर ही था,अचानक काफी दिनों बाद अपने बचपन के मित्र अनवर को देखकर खुश हो गया एवं बड़ी गर्मजोशी से उसको गले लगा लिया।
घर के अंदर पहुँच कर सुहेल ने अनवर से पूछा, “भाई! सब ठीक है? मुंह क्यो लटका रखा है?” तबअनवर ने अपनी पूरी परेशानी सुहेल के सामने रख दी एवं सायरा के हलाला के लिए सुहेल से विनती की।
सुहेल अभी कुँवारा था, सच पूछो तो व्यवसाय को जमाने में उसे शादी के बारे में सोचने का वक़्त ही नहीं मिला। सुहेल बोला, “अनवर भाई! यह सब तो ठीक है परंतु आजकल मेरे रिश्ते भी काफी आ रहे है, हर रोज़ कोई न कोई आकर दरवाजे पर बैठा रहता है, जरा सोच कर देखो अगर मैंने सायरा से निकाह कर लिया तो कोई भी रिश्ते वाला मेरे दरवाजे पर नहीं फटकेगा।”
अनवर ने हाथ जोड़ कर कहा, “सुहेल भाई, तुम मेरे बचपन के दोस्त हो, तुम्हें मेरी सभी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ पता है और मेरा भला बुरा भी खूब जानते हो, अब मुझे बस तुम्हारा ही सहारा है और इस निकाह का सिर्फ हम तीनों और काजी को ही पता ओग, आप जल्दी से तलाक दे देना बस आप आजाद हो जाएंगे।”
सुहेल बोला, “भाई इन कार्यों में जल्दी नहीं चलती, वक्त देना पड़ता है अगर तुम्हारा और सायरा का भला करते करते मुझसे जरा भी चूक हो गयी तो दोज़ख की आग में तो मुझे ही जलना पड़ेगा।”
“ठीक है भाई, तुम समय ले लेना लेकिन एक बार मुझे इस गलती से बाहर निकाल दो।” अनवर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।
सुहेल से सायरा का निकाह हो गया, पहली रात को सुहेल ने सायरा को समझाया, “देखो, तुममेरे पास अनवर की अमानत हो, मैं तुम्हारी मर्जी के बिना तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा फिरभी हम दोनों को एक बार तो रिवाज निभाना ही होगा क्योंकि उसके बिना मैं तुम्हें तलाकभी नहीं दे सकूँगा अतः तुम इस घर में सुकून से रह सकती हो और थोड़ा खुश रहने की कोशिश करोगी तो आगे का रास्ता और भी आसान हो जाएगा।”
काफी बड़ा घर था जिसमे सुहेल और सायरा के अलावा बस नौकर चाकर ही रहते थे, सुहेल भी ज्यादा समय बाहर ही रहता, रात में घर आता, खाना खाकर थोड़ी देर दोनों टहलते फिरअपने अपने कमरे में सोने चले जाते, दोनों अलग अलग कमरों में सोते थे।
सुहेल को कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जाना था तो उसने सायरा को बताया, “सायरा मैं कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, तुम यहाँ अकेली बोर होगी, चाहों तो अपने मायके चली जाओ या मेरे साथ चलना चाहो तो मेरे साथ चलो स्विट्ज़रलैंड, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मनभी बहल जाएगा।”
सायरा ने एक दिन सोचा और फिर सुहेल के साथ स्विट्ज़रलैंड जाने का निर्णय ले लिया।
सायरा और सुहेल स्विट्ज़रलैंड चले गए, वहाँ की खूबसूरत वादियाँ और मनमोहक नजारे सायरा कोभा रहे थे, सायरा को लगा जैसे वह एक खूबसूरत दुनिया में आ गयी है, अब वह दिल्ली की तंग गलियों को भूल चुकी थी।
स्विट्ज़रलैंड मे सुहेल का अपना एक घर था, वह सायरा को वहाँ छोड़ कर अपने व्यवसाय के लिए चला जाता, जिस दिन कोई काम नहीं होता उस दिन वह सायरा को घुमाने ले जाता।
क्रिसमस पर स्विट्ज़रलैंड में बहुत बर्फबारी होती है, वहाँ की बर्फबारी के सुंदर दृशयों कोदिखाने के लिए सुहेल सायरा को भी ले गया। दुनिया भर से बड़ी संख्या में सैलानी वहाँ की बर्फबारी देखने व स्कीइंग करने आते हैं, सायरा ने तो यह सब पहली बार देखा था, उसे इन सबको देखकर बड़ा आनंद आ रहा था।
वे दोनों एक बर्फीली चोटी के ढलान पर चढ़ रहे थे, ऊपर से सफ़ेद बर्फ रुई के फ़ाहों की तरह गिर रही थी, सायरा ऊपर से गिरती बर्फ को देखने लगी तो उसका संतुलन बिगड़ गया एवं वहडगमगाकर गिरने लगी तभी सुहेल ने अपनी बाहों के सहारे से सायरा को गिरने से रोक लिया,सायरा बुरी तरह घबरा गयी क्योंकि नीचे गहरी खाई थी और ड़र कर सुहेल से लिपट गयी।
तभी घोषणा होने लगी, “सभी सैलानियों से अनुरोध है कि वे तुरंत ही वापस आ जाए, एक भयंकर बर्फीले तूफान ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।”
सुहेल वापस चलने ही वाला था कि तूफान में घिर गए और वह बड़ी फुर्ती से सायरा को लगभग खींचते हुए नजदीक वाले होटल में घुस गया।
“सायरा आज हम घर नहीं जा सकेंगे, सारे रास्ते बंद हैं, आज की रात हमे यही ठहरना पड़ेगा,मैं जाकर देखता हूँ और दो कमरे बुक करवा लेता हूँ।”
काफी कोशिशों के बाद भी उस होटल में सुहेल को एक कमरा और वह भी सिंगल मिला। सुहेल नेसायरा को कमरे में सोने के लिए कहा और बताया कि वह बाहर ठहरकर ही रात गुजर लेगा लेकिन सायरा इस बात के लिए तैयार नहीं हुई और उसने कठोरता से सुहेल से कहा, “अगर कमरे में रात गुजारेंगे तो दोनों नहीं तो मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही रहूँगी।”
काफी बहस के बाद दोनों कमरे में सोने चले गए। बर्फ़ीला तूफान बहुत तेज था, बाहर का तापमान ज़ीरो डिग्री से भी नीचे चला गया था लेकिन कमरों का तापमान सामान्य था, अतः लेटते ही दोनों को नींद आ गयी।
नींद में न जाने कब सायरा सुहेल के आगोश में थी, दोनों की गरम साँसे एक दूसरे से टकरा रहीं थी, तभी सुहेल ने सायरा को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया, सायरा को भी अच्छा लगरहा था और उसने भी अपनी नर्म बाहें फैलाकर सुहेल को अपने आगोश में ले लिया। उस रात भयंकर तूफान के बीच फंसी सायरा का हलाला हो गया।
सुबह तूफान थम गया था और सुहेल वापस अपने घर आ गया था, अभी कुछ दिन और सुहेल को स्विट्ज़रलैंड में ही रहना था, लेकिन उस होटल वाली रात के बाद भी घर पर आकर दोनों अपने अपने कमरों मे ही सोते थे।
एक दिन सायरा की तबीयत अचानक बिगड़ गयी, सुहेल उसको लेकर डॉक्टर के पास गया।डॉक्टर ने सभी तरह के टेस्ट किए, पूरा चेक अप करने के बाद डॉक्टर ने बताया, “सुहेल सर,एक खुशखबरी है, आप पिता बनने वाले है और सायरा माँ बनने वाली है।”
सुहेल जब सायरा को लेकर वापस दिल्ली आया तो अनवर दौड़ा दौड़ा उससे मिलने आया। अनवरने सुहेल और सायरा के हाल चाल जानने के बाद सुहेल से विनती की, “भाई! अब सायरा के बिना जीना मुश्किल रहा है, तू जल्दी से उसे तलाक दे दे, मैं जल्दी से जल्दी उससे निकाह करके उसे अपने घर ले जाना चाहता हूँ।”
सुहेल बोला, “भाई अनवर, मैं अब सायरा को तलाक नहीं दे सकता, वह मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है।”
अनवर के तो पैरों तले जमीन खिसक गयी और वह सुहेल को तरह तरह की लानत देने लगा यहाँ तक कह दिया कि सुहेल तूने दोस्त होकर दगा किया है, मैंने कभी नहीं सोचा थी कि तू मेरे साथ विश्वासघत करेगा।
सुहेल बोला, “अनवर भाई! मैं, सायरा और मेरा खुदा ही जानता है कि मैंने सायरा को हमेशा तेरी अमानत समझ कर रखा और हलाला के सिवा मैंने कभी भी उसके साथ कुछ नहीं किया लेकिन खुदा को शायद यह मंजूर नहीं था कि हलाला के बाद सायरा तुम्हें मिल जाएगी।”
“भाई तुम मेरी सायरा वापस लौटा दो, मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें सौंप दूंगा।” अनवर ने गिड़गिड़ा कर कहा।
“तो क्या अब मैं एक माँ को उसके बच्चे से जुदा करने का महापाप भी कर लूँ? नहीं भाई! अब मैं सायरा को किसी भी हालत में तलाक नहीं दे सकता, वह मेरी बीवी है, मैंने उससे निकाह किया है और उसको लेकर मैं वापस स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, सायरा बच्चे को वहीं जन्म देगी।”
अनवर अब मन मसोस कर रह गया, अपने क्षणिक गुस्से पर पछताने लगा, “क्यो, आखिर क्यों मैंने बिना सोचे समझे सायरा को तीन तालक देकर घर से निकाल दिया था, मैंने तो सोचा था कि हलाला के बाद सायरा फिर मेरी हो जाएगी लेकिन यह तो कभी नहीं सोचा था कि हलाला केबाद ऐसा भी हो सकता है कि सायरा हमेशा के लिए बेगानी हो जाएगी।”
जब सारा चुप गयी तो मैंने चूमते हुए कहा इसका मतलब तो लगता है नहीं, तो सारा बोली हाँ पक्का नहीं अब मैं उसके पास नहीं जाना चाहतीl
सुबह मौलवी साहब को बुलाया गया और उन्होंने रवायत बताई, जिसके मुताबिक़ मैं सारा को तीन तलाक देकर उसकी इमरान से शादी का रास्ता साफ़ कर सकता था।
मैंने कहा, "इमरान को बुलवाइए, मैं उससे बात करूँगा, फिर कोई फ़ैसला करूंगा।"