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[Completed] आपा का हलाला | Aapa Ka Halala

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मैंने सारा को घोड़ी बना दिया और लंड उसकी चूत में डाल दिया. मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया. फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे. मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और खुद आगे पीछे होने लगी. हर धक्के के साथ सारा के आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी प्यासी थी.

आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 6

तो उसने बोला- अन्दर ही डालो ... मुझे तुमसे एक बच्चा चाहिए.

मैंने कहा- जो हुकम सारा बेगम!

मैं ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. अब सारा भी भरपूर साथ दे रही थी. फिर एक दर्दनाक झटके के साथ मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया और वहीं रुक कर पानी छोड़ने लगा. मैंने महसूस किया कि वो भी फारिग हो गयी थी. मैं सारा के ऊपर गिर गया.

मैं कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा ... कुछ देर के बाद वो भी शांत हो गई. मैं ऐसे ही उसके ऊपर ही लेटा हांफता रहा और वो मेरी कमर और मेरे बालों को सहलाती रही. इतना खुमार था कि मेरी आंखें मजे के कारण बन्द हो रही थीं, मगर दिल करता था कि मैं यूं ही इसी हालत में ही सो जाऊं.

लेकिन ... अभी तो बहुत मज़े लेने थे.

कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर से लुढ़क कर साइड पे बेड पे सीधा गिर गया और मेरा लंड भी बाहर आ गया. मेरे लंड पे खून लगा हुआ था. सारा की चूत से खून मेरा स्पर्म और उसका पानी बह रहा था. चादर लाल हो गयी थी. मैं साइड टेबल से सिगरेट का पैकेट उठा कर सिगरेट पीने ही लगा था कि उसने मुझे फ्लास्क से दूध निकाल कर गिलास को भर कर दिया ... जो नीम गरम था. उसने खुद भी एक गिलास दूध पिया.

दूध पीने के बाद हम दोनों वाशरूम में पहुंचे. गर्म पानी का शावर लिया और फिर से बेड पर आ गए.

उसके बाद अगला राउंड शुरू हो गया. मैंने कहा- सारा इस बार तुम ऊपर आओ.

मैं सीधा लेट गया और सारा मेरे ऊपर आ गयी और मुझे लिप किस करने लगी. कुछ ही देर में सारा ने मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया और हम लिप किस करते हुए चुदाई करने लगे.

कुछ देर बाद सारा सीधी हो गयी और उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रख दिए. मैं उसके गोल सुडौल मम्मे चूसने दबाने लगा, तो वो खुद ब खुद मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी. मेरे भी चूतड़ चलने लगे थे. हर धक्के के साथ सारा के मुँह से आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी मादक लग रही थी.

लगभग आधे घंटे बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.

अगले राउंड में हमने पोज़ बदल दिया और मैंने सारा को घोड़ी बना दिया और लंड उसकी चूत में डाल दिया. मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया. फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे. मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और खुद आगे पीछे होने लगी. हर धक्के के साथ सारा के आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी प्यासी थी. फिर पन्द्रह बीस धक्कों के बाद पीछे से अन्दर डाले हुए ही मैंने उसे खड़ा कर किया और कस कस कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.

लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए.

उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, लगातार 4 बार चोदा, जब मैं आखरी बार उसकी गांड में लंड डाल कर चोद रहा था तो फजर का टाइम हो गया और मामू ने डोर नॉक कर के हमें आवाज़ दी. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि मामू भी चुदाई की आवाज़ सुन लें और समझ जाएं कि हम जाग रहे हैं.

खैर फिर मैं फारिग हुआ. हमने एक बहुत लम्बी जफी लगाई और किस भी की. फिर हम फ्रेश होने चले गए.

To be Continued

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अगले राउंड में हमने पोज़ बदल दिया और मैंने सारा को घोड़ी बना दिया और लंड उसकी चूत में डाल दिया. मुझे लगा जैसे मेरा लंड इस बार कुछ ज्यादा अन्दर गया. फिर हम रिदम में चुदाई करने लगे. मैं उसके गोल मम्मे दबाने लगा और खुद आगे पीछे होने लगी. हर धक्के के साथ सारा के आह निकल जाती थी. सचमुच वो काफी प्यासी थी. फिर पन्द्रह बीस धक्कों के बाद पीछे से अन्दर डाले हुए ही मैंने उसे खड़ा कर किया और कस कस कर धक्के लगाने शुरू कर दिए.

लगभग बीस मिनट बाद हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए.

उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, लगातार 4 बार चोदा, जब मैं आखरी बार उसकी गांड में लंड डाल कर चोद रहा था तो फजर का टाइम हो गया और मामू ने डोर नॉक कर के हमें आवाज़ दी. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि मामू भी चुदाई की आवाज़ सुन लें और समझ जाएं कि हम जाग रहे हैं.

खैर फिर मैं फारिग हुआ. हमने एक बहुत लम्बी जफी लगाई और किस भी की. फिर हम फ्रेश होने चले गए.

आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 7

ख़ैर फिर मैं फ़ारिग हुआ। हमने एक और लम्बी जफी लगाई और फिर चुम्बन किया, जिसके बाद हम सफ़ाई कने के लिए चल दिए। दर्पण में मेरे सीने पर उसके नाखूनों के और उसके पूरे जिस्म पर मेरे दांतों के निशान साफ़ दिख रहे थे।

मैंने सारा से पूछा,

"क्या तुम अब भी इमरान (उसका पहला शौहर) के पास जाना चाहती हो?"

"क्या आप चाहते हो कि मैं इमरान के पास चली जाऊँ?"

सारा बोली मैं आपको एक छोटी से कहानी हलाला के बाद सुनाती हूँ उसी में म्रेरे जवाब छुपा है

सायरा को पत्नी रूप में पाकर अनवर बहुत खुश था, माँ ने जब पहली बार बहू को देख कर कहा था कि चाँद का टुकड़ा है तब अनवर अचानक ही बोल पड़ा था, “माँ यह चाँद का टुकड़ा नहीं,पूरा का पूरा चाँद है और मैं खुशनसीब हूँ जो यह मेरे भाग्य में आया, ऊपर वाले का मैं बहुत ही शुक्रगुजार हूँ कि उसने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी माँ दी और अब दुनिया की सबसे सुंदर पत्नी दी है।”

सायरा और अनवर एक दूसरे को बहुत चाहने लगे थे, अगर कभी सायरा एक दो दिन के लिए मायके चली जाती तो अनवर का घर में मन नहीं लगता था यही हाल सायरा का भी था, जबकभी अनवर को व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ता तब सायरा बुझी बुझी सी रहती और जल्दी से जल्दी अनवर के वापस लौट आने की ऊपर वाले से दुआ मांगती।

शुरू में तो सब अच्छा ही चल रहा था लेकिन जब एक माँ और पत्नी का अभिमान आपस में टकराने लगे तब घर बिगड़ने में देर नहीं लगती। माँ को लगने लगा कि अनवर अब सायरा के कारण मेरीअवहेलना करने लगा है तो सायरा उसको दुश्मन नजर आने लगती। माँ ने बहू के विरुद्ध अनवर के कान भरने शुरू कर दिये, जब किसी झूठ को बार बार दोहराया जाए तो वह भी सच लगनेलगता है। सायरा ने भी एक दो बार माँ के बदले हुए व्यवहार के बारे में अनवर को बताया लेकिन अनवर ने अनसुनी कर दिया।

उस दिन कुछ ज्यादा ही हो गया और सायरा ने अपने मायके जाने का फैसला कर लिया, अनवरने काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी और जाने की जिद पर अड़ी रही। अनवर सायरा से बेहद प्यार करता था लेकिन उस दिन उसके अंदर का पुरुष उसके ऊपर हावी हो गया और अनवर ने आव देखा न ताव और सायरा से दो टूक कह दिया, “अगर सायरा तू जाना चाहती है तो जा मैं भी आज से तुझे आज़ाद करता हूँ।” तलाक, -३ कह कर सायरा को छोड़ दिया अपना निकाह तोड़ दिया।

सायरा चली गयी लेकिन उसके जाने के बाद अनवर पागल सा हो गया और सायरा को लेने उसके घर चला गया। सायरा के पिता ने अनवर को समझाया, “बेटा अब सायरा तुम्हारी पत्नी नहीं रही, अब तुम दोनों का निकाह टूट चुका है, अब ये तुम्हारे साथ नहीं जा सकती।”

अनवर बोला, “मैं सायरा से दोबारा निकाह करने को तैयार हूँ।” सायरा के पिता ने अनवर को फिर समझाया, “बेटा, इससे दोबारा निकाह करने के लिए सायरा को हलाला करना होगा, हलाला मतलब सायरा को किसी दूसरे से निकाह करके उसके साथ कम से कम एक रात उसकी पत्नी के रूप में गुजारनी होगी, उसके बाद सायरा का शौहर जब अपनी मर्जी से इसे तलाक देगा तभी इसके साथ तुम्हारी दोबारा शादी हो सकती है। इसमे अहम है दोनों को पति पत्नी के रूप में रिश्ता कायम करना, और इसके लिए हर कोई तैयार भी नहीं होता, और यह रिश्ता दोनों की रजामंदी से बनाया जाता है किसी की ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं।

दरअसल हलाला की पूरी जानकारी न होने की वजह से लड़के तलाक तो दे देते हैं और फिर बाद में पछताते हैं।”

अनवर ने कहा, “अगर मैं अपने किसी जानकार को हलाला के लिए तैयार कर लूँ तो क्या आप रजामंद होंगे?”

सायरा के पिता बोले, “हाँ! अगर कोई विश्वसनीय व्यक्ति हुआ तो अवश्य हम रजामंद होजाएंगे, हमारी बेटी के जीवन का जो सवाल है।”

अनवर वहाँ से वापस आकर सीधा सुहेल के घर गया। सुहेल का घड़ियों का कारोबार था और इसी सिलसिले में उसको स्विट्ज़रलैंड भी जाना पड़ता था। सौभाग्य से सुहेल उस दिन घर पर ही था,अचानक काफी दिनों बाद अपने बचपन के मित्र अनवर को देखकर खुश हो गया एवं बड़ी गर्मजोशी से उसको गले लगा लिया।

घर के अंदर पहुँच कर सुहेल ने अनवर से पूछा, “भाई! सब ठीक है? मुंह क्यो लटका रखा है?” तबअनवर ने अपनी पूरी परेशानी सुहेल के सामने रख दी एवं सायरा के हलाला के लिए सुहेल से विनती की।

सुहेल अभी कुँवारा था, सच पूछो तो व्यवसाय को जमाने में उसे शादी के बारे में सोचने का वक़्त ही नहीं मिला। सुहेल बोला, “अनवर भाई! यह सब तो ठीक है परंतु आजकल मेरे रिश्ते भी काफी आ रहे है, हर रोज़ कोई न कोई आकर दरवाजे पर बैठा रहता है, जरा सोच कर देखो अगर मैंने सायरा से निकाह कर लिया तो कोई भी रिश्ते वाला मेरे दरवाजे पर नहीं फटकेगा।”

अनवर ने हाथ जोड़ कर कहा, “सुहेल भाई, तुम मेरे बचपन के दोस्त हो, तुम्हें मेरी सभी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ पता है और मेरा भला बुरा भी खूब जानते हो, अब मुझे बस तुम्हारा ही सहारा है और इस निकाह का सिर्फ हम तीनों और काजी को ही पता ओग, आप जल्दी से तलाक दे देना बस आप आजाद हो जाएंगे।”

सुहेल बोला, “भाई इन कार्यों में जल्दी नहीं चलती, वक्त देना पड़ता है अगर तुम्हारा और सायरा का भला करते करते मुझसे जरा भी चूक हो गयी तो दोज़ख की आग में तो मुझे ही जलना पड़ेगा।”

“ठीक है भाई, तुम समय ले लेना लेकिन एक बार मुझे इस गलती से बाहर निकाल दो।” अनवर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया।

सुहेल से सायरा का निकाह हो गया, पहली रात को सुहेल ने सायरा को समझाया, “देखो, तुममेरे पास अनवर की अमानत हो, मैं तुम्हारी मर्जी के बिना तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा फिरभी हम दोनों को एक बार तो रिवाज निभाना ही होगा क्योंकि उसके बिना मैं तुम्हें तलाकभी नहीं दे सकूँगा अतः तुम इस घर में सुकून से रह सकती हो और थोड़ा खुश रहने की कोशिश करोगी तो आगे का रास्ता और भी आसान हो जाएगा।”

काफी बड़ा घर था जिसमे सुहेल और सायरा के अलावा बस नौकर चाकर ही रहते थे, सुहेल भी ज्यादा समय बाहर ही रहता, रात में घर आता, खाना खाकर थोड़ी देर दोनों टहलते फिरअपने अपने कमरे में सोने चले जाते, दोनों अलग अलग कमरों में सोते थे।

सुहेल को कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जाना था तो उसने सायरा को बताया, “सायरा मैं कुछ दिनों के लिए स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, तुम यहाँ अकेली बोर होगी, चाहों तो अपने मायके चली जाओ या मेरे साथ चलना चाहो तो मेरे साथ चलो स्विट्ज़रलैंड, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मनभी बहल जाएगा।”

सायरा ने एक दिन सोचा और फिर सुहेल के साथ स्विट्ज़रलैंड जाने का निर्णय ले लिया।

सायरा और सुहेल स्विट्ज़रलैंड चले गए, वहाँ की खूबसूरत वादियाँ और मनमोहक नजारे सायरा कोभा रहे थे, सायरा को लगा जैसे वह एक खूबसूरत दुनिया में आ गयी है, अब वह दिल्ली की तंग गलियों को भूल चुकी थी।

स्विट्ज़रलैंड मे सुहेल का अपना एक घर था, वह सायरा को वहाँ छोड़ कर अपने व्यवसाय के लिए चला जाता, जिस दिन कोई काम नहीं होता उस दिन वह सायरा को घुमाने ले जाता।

क्रिसमस पर स्विट्ज़रलैंड में बहुत बर्फबारी होती है, वहाँ की बर्फबारी के सुंदर दृशयों कोदिखाने के लिए सुहेल सायरा को भी ले गया। दुनिया भर से बड़ी संख्या में सैलानी वहाँ की बर्फबारी देखने व स्कीइंग करने आते हैं, सायरा ने तो यह सब पहली बार देखा था, उसे इन सबको देखकर बड़ा आनंद आ रहा था।

वे दोनों एक बर्फीली चोटी के ढलान पर चढ़ रहे थे, ऊपर से सफ़ेद बर्फ रुई के फ़ाहों की तरह गिर रही थी, सायरा ऊपर से गिरती बर्फ को देखने लगी तो उसका संतुलन बिगड़ गया एवं वहडगमगाकर गिरने लगी तभी सुहेल ने अपनी बाहों के सहारे से सायरा को गिरने से रोक लिया,सायरा बुरी तरह घबरा गयी क्योंकि नीचे गहरी खाई थी और ड़र कर सुहेल से लिपट गयी।

तभी घोषणा होने लगी, “सभी सैलानियों से अनुरोध है कि वे तुरंत ही वापस आ जाए, एक भयंकर बर्फीले तूफान ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है।”

सुहेल वापस चलने ही वाला था कि तूफान में घिर गए और वह बड़ी फुर्ती से सायरा को लगभग खींचते हुए नजदीक वाले होटल में घुस गया।

“सायरा आज हम घर नहीं जा सकेंगे, सारे रास्ते बंद हैं, आज की रात हमे यही ठहरना पड़ेगा,मैं जाकर देखता हूँ और दो कमरे बुक करवा लेता हूँ।”

काफी कोशिशों के बाद भी उस होटल में सुहेल को एक कमरा और वह भी सिंगल मिला। सुहेल नेसायरा को कमरे में सोने के लिए कहा और बताया कि वह बाहर ठहरकर ही रात गुजर लेगा लेकिन सायरा इस बात के लिए तैयार नहीं हुई और उसने कठोरता से सुहेल से कहा, “अगर कमरे में रात गुजारेंगे तो दोनों नहीं तो मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही रहूँगी।”

काफी बहस के बाद दोनों कमरे में सोने चले गए। बर्फ़ीला तूफान बहुत तेज था, बाहर का तापमान ज़ीरो डिग्री से भी नीचे चला गया था लेकिन कमरों का तापमान सामान्य था, अतः लेटते ही दोनों को नींद आ गयी।

नींद में न जाने कब सायरा सुहेल के आगोश में थी, दोनों की गरम साँसे एक दूसरे से टकरा रहीं थी, तभी सुहेल ने सायरा को कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया, सायरा को भी अच्छा लगरहा था और उसने भी अपनी नर्म बाहें फैलाकर सुहेल को अपने आगोश में ले लिया। उस रात भयंकर तूफान के बीच फंसी सायरा का हलाला हो गया।

सुबह तूफान थम गया था और सुहेल वापस अपने घर आ गया था, अभी कुछ दिन और सुहेल को स्विट्ज़रलैंड में ही रहना था, लेकिन उस होटल वाली रात के बाद भी घर पर आकर दोनों अपने अपने कमरों मे ही सोते थे।

एक दिन सायरा की तबीयत अचानक बिगड़ गयी, सुहेल उसको लेकर डॉक्टर के पास गया।डॉक्टर ने सभी तरह के टेस्ट किए, पूरा चेक अप करने के बाद डॉक्टर ने बताया, “सुहेल सर,एक खुशखबरी है, आप पिता बनने वाले है और सायरा माँ बनने वाली है।”

सुहेल जब सायरा को लेकर वापस दिल्ली आया तो अनवर दौड़ा दौड़ा उससे मिलने आया। अनवरने सुहेल और सायरा के हाल चाल जानने के बाद सुहेल से विनती की, “भाई! अब सायरा के बिना जीना मुश्किल रहा है, तू जल्दी से उसे तलाक दे दे, मैं जल्दी से जल्दी उससे निकाह करके उसे अपने घर ले जाना चाहता हूँ।”

सुहेल बोला, “भाई अनवर, मैं अब सायरा को तलाक नहीं दे सकता, वह मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है।”

अनवर के तो पैरों तले जमीन खिसक गयी और वह सुहेल को तरह तरह की लानत देने लगा यहाँ तक कह दिया कि सुहेल तूने दोस्त होकर दगा किया है, मैंने कभी नहीं सोचा थी कि तू मेरे साथ विश्वासघत करेगा।

सुहेल बोला, “अनवर भाई! मैं, सायरा और मेरा खुदा ही जानता है कि मैंने सायरा को हमेशा तेरी अमानत समझ कर रखा और हलाला के सिवा मैंने कभी भी उसके साथ कुछ नहीं किया लेकिन खुदा को शायद यह मंजूर नहीं था कि हलाला के बाद सायरा तुम्हें मिल जाएगी।”

“भाई तुम मेरी सायरा वापस लौटा दो, मैं तुम्हारे बच्चे को तुम्हें सौंप दूंगा।” अनवर ने गिड़गिड़ा कर कहा।

“तो क्या अब मैं एक माँ को उसके बच्चे से जुदा करने का महापाप भी कर लूँ? नहीं भाई! अब मैं सायरा को किसी भी हालत में तलाक नहीं दे सकता, वह मेरी बीवी है, मैंने उससे निकाह किया है और उसको लेकर मैं वापस स्विट्ज़रलैंड जा रहा हूँ, सायरा बच्चे को वहीं जन्म देगी।”

अनवर अब मन मसोस कर रह गया, अपने क्षणिक गुस्से पर पछताने लगा, “क्यो, आखिर क्यों मैंने बिना सोचे समझे सायरा को तीन तालक देकर घर से निकाल दिया था, मैंने तो सोचा था कि हलाला के बाद सायरा फिर मेरी हो जाएगी लेकिन यह तो कभी नहीं सोचा था कि हलाला केबाद ऐसा भी हो सकता है कि सायरा हमेशा के लिए बेगानी हो जाएगी।”

जब सारा चुप गयी तो मैंने चूमते हुए कहा इसका मतलब तो लगता है नहीं, तो सारा बोली हाँ पक्का नहीं अब मैं उसके पास नहीं जाना चाहतीl

सुबह मौलवी साहब को बुलाया गया और उन्होंने रवायत बताई, जिसके मुताबिक़ मैं सारा को तीन तलाक देकर उसकी इमरान से शादी का रास्ता साफ़ कर सकता था।

मैंने कहा, "इमरान को बुलवाइए, मैं उससे बात करूँगा, फिर कोई फ़ैसला करूंगा।"

To be Continued

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जब सारा चुप गयी तो मैंने चूमते हुए कहा इसका मतलब तो लगता है नहीं, तो सारा बोली हाँ पक्का नहीं अब मैं उसके पास नहीं जाना चाहतीl

सुबह मौलवी साहब को बुलाया गया और उन्होंने रवायत बताई, जिसके मुताबिक़ मैं सारा को तीन तलाक देकर उसकी इमरान से शादी का रास्ता साफ़ कर सकता था।

मैंने कहा, "इमरान को बुलवाइए, मैं उससे बात करूँगा, फिर कोई फ़ैसला करूंगा।"

आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 8

इसके बाद इमरान ने खाला और मामू से बात की. ये बात फिर अब्बा हज़ूर और अम्मी के पास गयी और उन्होंने भी इजाजत दे दी. मेरा निकाह दिलिया से तय हो गया.

रात भर की जबरदस्त चुदाई या ठुकाई जो मर्जी कह लीजिये सारा की चूत सूज गयी थी और दिन भर थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी तो उसे दवाई दिलवाई.

अब्बू अम्मी ने कहा सारा का तो क्योंकि हलाला का मसाला था इसलिए उन्होंने चुपचाप निकाह करने की इजाजत दे दी थी पर अब मेरा निकाह और वलीमा की दावत धूम धाम से करना चाहते थेl इसलिए बातचीत कर फैसला हुआ निकाह हैदराबाद में ही किये जाए क्योंकि वही सुविधा रहेगी इसलिए मुझे जल्दी लौट आने को कहा और मैंने वापिस हैदराबाद जाने की बात की.

ख़ाला बोली, "कुछ दिन रुक जाओ, लोग तो हनीमून मनाने कश्मीर आते हैं। तीनों बीवियों से सुहागरात मना लो, फिर चले जाना।"

तो मैंने कहा अब अब्बू अम्मी और घर के लोग जल्द ही मेरी दुल्हनों से मिल कर वलीमे की दावत देना चाहते हैं इसलिए हमे जल्द से जल्द निकलना होगा और इस पूरे घटनाक्रम में शाम और फिर रात हो गयीl मैं वापिस हैदराबाद जाना चाहता था पर अब कोई फ्लाइट नहीं थीl

तो ख़ाला बोली अच्छा कल चले जाना तो तय हुआ बाकी दुल्हनों की सुहागरात हैदराबाद में ही होगी और आज फिर मुझे सारा के साथ ही रहना था .

जैसे ही रात हुई मामू ने मुझे बुलाया और कहा कल रात जो चीखने चिल्लाने की आवाज़ आयी थी वह नवाबी तेहज़ीब के मताबिक सही नहीं हैं जो भी करो नज़ाकत को देख कर करो . सारे नौकर नौकरानी सुनते है और बातें बाहर जा सकती हैl

मैने सर झुका कर आदाब कियाl अब इस बात का असर थोड़ा उल्टा हुआ, क्योंकि हमारे यहाँ है गांड मारने का रिवाज l

मैंने सोचा आज इसकी गांड ही मारूंगा और गांड मारने के ख्याल भर से मेरा लंड टनटना गयाl मै कमरे में अपनी दुल्हन के पास पहुंचा तो देखा की वह सो रही थी .

गोरी सारा चूड़ीदार और कुरता में थी और उसे थकी हुयी सोते देख मुझे उस पर प्यार आया और धीरे से मैंने उसकी गोरी पेशानी चुम ली . मेरे स्पर्श से वह जग गयी और बड़े प्यार से बोली तुम कब आये आमिर मेरी आँख लग गयी थी .

मैंने पूछा आपा आपकी तबीयत कैसी है आज आप ठीक से चल नहीं प् रही थी . मैंने प्यार से उनके गुलाबी होंठो को चूमते हुए पुछा क्या आपको अच्छा नहीं लगा वह धीरे से बोली अच्छा तो लगा मजा भी बहुत आया पर दर्द बहुत हुआ और उन्हों मेरे होंठो को चुम लिया आराम से करो न मेरे राजा मैं पूरी तुम्हारी हूँ.

शरमाते हुए उसने कहा अपनी दुल्हन और आपा को बड़ी बेरहमी से किया ,ऐसा भी करते है कोई , कल रात तुमने बहुत तंग किया. देखो कैसे सूज गयी है. और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी चुत एकदम सूजी हुई थी मैंने प्यार से चुत सलवार की ऊपर से ही को सहलाया फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी.

फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी और मेरे हाथो को उनके चूक गीली गीली लगने लगी. मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा और बोला आज इसे थोड़ा आराम देता हूँ उसके बाद मैंने अपने हाथो के उसके मोमे दबाने लगा और तभी उनका निप्पल मुझे कड़ा सा महसूस हुआ तो मैंने अपनी उंगलियों से निप्पल को खींचा को आपा कराह उठी आआह मेरे राजा धीरे बहुत दुख रहे हैं. मैंने निप्पल को किस की और फिर उनके ओंठो को चूमा.

मैंने रूम में जाकर पहली सारा को किस किया उसके कपडे निकाले और सारा को लण्ड पकड़ा दिया और कहा- "अब चूसोl"

सारा मेरे लौड़े को चूसने लगी। दो मिनट में मेरा लौड़ा टनटना का पूरा तैयार हो गया। सारा पलंग पर जाकर लेट गई, और अपनी दोनों टांगों को फैला दिया। मुझे देखकर हँसी आ गई।

मैंने उसको कहा- "मैं अब तुमको आगे से नहीं पीछे से चोदूंगाl"

सारा सुनकर घबरा गई। हाथ जोड़कर बाली- "प्लीज ! आप वहां मत करिए मैंने सुना है वह बड़ा दर्द होता है l"

मैंने कहा- "सुनो। मैं तमको जैसा कहें वैसा करोl मेरा मूड खराब मत करो समझी?"

मैंने जब गुस्से से कहा तो वो डर गईं।

मैंने उसको कहा- "चलो एक काम करो, कोई तेल लेकर आओl"

उसने कहा- "सामने खिड़की के पास से उठा लीजिएl"

मैंने सारा को कहा- "तुम घोड़ी बन जाओl"

उसने एक बार फिर मिन्नत की तो मुझे तरस आ गया और मैंने कहा अच्छा फिर लेट गया और बोला चलो मेरा लंड चूसो l और मैं उसका सर पकड़ कर अपने लन्ड पर रगड़ने लगा ।

सारा ने जोर लगाने की कोशिश कीl मगर मेरे आगे उसकी एक न चली उसके होंठ न चाहते हुए भी मेरे लन्ड पर फिर रहे थे। मुझे अच्छा लगा रहा था और मेरा लंड अकड़ रहा थाl

एक मिनट बाद सारा को भी अच्छा लगने लगा,और उसने भी जोर लगाना बंद कर दिया।

तभी मैंने उसके बाल जोर से खींचे तो उसका मुँह खुल गया। जैसे ही मुँह खुला वैसे ही मैंने अपना लण्ड अन्दर करके उसका सर अपने लण्ड पर दबा लिया।

मेरे लण्ड ने मुँह में अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दियाl सारा छटपटा उठीl गूँ गूँ करती हुई हाथ-पांव पटकने लगीl मगर मैंने उसे नहीं छोड़ा!

मेरा लण्ड मुँह से होते हुए गले तक चला गया है।सारा की आँखों से आंसुओं की धार निकल पड़ी। वो मेरी जाँघों पर पंजे मार रही थीl नाखून गड़ा रही थीl मगर मुझ पर इसका कोई असर न हुआ। उल्टा मैंने उसका सर जोर से दबा दिया ।

सारा ने हाथ जोड़ लिए और मुझे लण्ड निकालने के लिए विनती वाली नजरों से देखा।

मैं सारा से बोला l जैसे बोलूँगाl वैसे ही करेगी न?

सारा ने तुरंत आँखों से हामी भरी। मैंने सारा का सर छोड़ दियाl

सारा बिस्तर पर गिर पड़ी, और एक दमे के मरीज की तरह हांफ रही थी।

इतने में मैं बोला हाँl अब सारा पूरी कुतिया लग रही है।

फिर मैं उसके दोनों हाथ फैला कर उनके ऊपर अपने घुटने रख कर सारा के सीने पर बैठ गया और कहा- अब लण्ड को चाटो ।
मेरा हलब्बी लण्ड देख कर सारा की आँखें फ़ैल गईं।

मेरा करीब आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा कालाl लौकी जैसा लण्ड, सारा मुँह पर रखा हुआ था।
सारा लण्ड देख के हक्की-बक्की थी।

मैं बोला - चाट इसे जल्दी नहीं तो फिर मुँह में डालू क्या ।

सारा ने जल्दी से जीभ निकाल कर लण्ड चाटना शुरू कर दिया।

मैं बोला - हाँl अब तू पूरी कुतिया बनी।

सारा रोती जा रही थी और लंड चाटती जा रही थी, उसके दोनों हाथ मेरे पैरों के नीचे दबे हुए थे।

बीच बीच में मैं लण्ड को पकड़ कर सारा के चेहरे पर मार देता था , उसके गोरे गालों पर मेरा भारी लण्ड मुक्के की तरह पड़ रहा था।

फिर मैंने कहा अब खड़ी हो जाओ और अपने पैरो को ढीला कर दिया और उसे पकड़ कर किश किया और उसके स्तनों को मसल दिया l

फिर मैंने सारा को कहा- "अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मेरे लण्ड पर अपनी चूत रखकर बैठ जाओl" ये सोच कर के गांड बची लाखो पाए सारा फट से मेरे ऊपर आ गई। उसने अपने नाजुक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगा दियाl

और हल्का सा दबाया। मैं तो इसी माके की इंतजार में था। जैसी ही सारा ने अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाया, मैंने नीचे से जोर का धक्का मारा।

सारा को शायद इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसने एक जार की चौख मारी- "उईईई मर गईl" मैंने उसकी कमर को कस के पकड़ रखा था। वो उठ नहीं पाई। एक मिनट तक लण्ड पूरा उसकी चूत में घुसा रहा।

फिर मैंने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ रखकर उसको ऊपर उठाया और कहा- "अब मेरे लौड़े पर उछल-उछलकर इसको अपनी चूत में अंदर-बाहर करती रहोll

सारा ने हल्के-हल्के ऊपर-नीचे होना शुरू कर दिया।

मैंने सारा में कहा- "अगर हर बार में पूरा लण्ड अंदर नहीं लिया तो मैं नीचे से फिर धक्का मारूंगाl"

सुनते ही सारा ने कहा- “नहीं नहीं प्लीजll आप मत करनाl"

में मुश्कुरा पड़ा। मैं जानता था अब वो सही से लौड़ा खायेगी। फिर मैंने सारा से कहा- "मेरे मुँह में अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूची चुसवाओl"

उसने मेरे मुँह में अपनी चूची लगा दी। मैं उसकी चूची चूसने लगा। अब मेरा लण्ड सारा की चूत में फिसल फिसल के जा रहा था। क्योंकी सारा की चूत अब पानी छोड़ रही थी। फिर सारा की चूत संचुकन करने लगी . ये अनोखा अनुभव मुझे पहली किसी चुदाई में नहीं हुआ था ..

सारा ने कहा- "अब आप मेरे ऊपर आ जाइएl"

मैंने कहा- "ऐसे नहीं, पहले तुम मुझे कहाँ की- 'प्लीज मेरे ऊपर आकर मेरी चूत मारोl"

सुनकर सारा शर्मा गईं। मैंने जरा जोर से कहा सारा !

सारा ने हल्के से कहा- "मेरी जान मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदोl"

मैंने कहा- "ऐसे नहीं,जोर में बोलो साथ वाले कमरे में सुनाई देना चाहिए l"

सारा ने अब जोर से कहा- "मेरी जान मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोदोl"

ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने सारा को नीचे कर दिया और उसकी चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मैंने सारा से कहा- "अब तुम भी नीचे से अपनी चूत को उठा-उठाकर चुदवाओ"l

सारा को अब मजा आ रहा था। वो अब नीचे से अपनी चूत उठा रही थी। ऐसा करने में उसकी चूत दो बार झड़ गई। उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया और उसके चेहरा पर स्माइल दिखने लगी। 5 मिनट ऐसे ही चलता रहा। सारा ने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे। चुदाई में इसका पता नहीं चला। पर अब इसका एहसास होने लगा था। मैं सारा के ऊपर से उठने लगा, पर उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर दबा लिया।

सारा की चूत फिर संचुकन करने लगी और लंड चूसने लगी और मैं झड़ गया. फिर मैंने अपना सारा जोर लगाकर 10-15 शाट में सारा की चूत में माल झाड़ दिया।और चूत ने जैसे मेरे लंड को चूस चूस का निचोड़ दिया ..

मैंने कहा- "क्या हुआ?"

सारा ने कहा- "प्लीजll ऐसे ही लेटे रहिए ना l"

फिर सारा ने कहा देखो मेरी चूत की तुमने क्या हालत कर दी है और मुझे अब नींद भी आ रही हैll

मैंने अपने मोबाइल में 5 बजे का अलार्म लगा दिया और सारा से कहा- " अलार्म बजते ही मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चसना शुरू कर देना। पांच बजे का अलार्म लगया है अगर पहले उठ जाओ तो चूस कर मेरा लौड़ा खड़ा करोगी तो मैं उठ जाऊँगा समझी या नहीं?"

सारा ने सिर हिला दिया।

To be Continued

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सारा की चूत फिर संचुकन करने लगी और लंड चूसने लगी और मैं झड़ गया. फिर मैंने अपना सारा जोर लगाकर 10-15 शाट में सारा की चूत में माल झाड़ दिया।और चूत ने जैसे मेरे लंड को चूस चूस का निचोड़ दिया ..

मैंने कहा- "क्या हुआ?"

सारा ने कहा- "प्लीजll ऐसे ही लेटे रहिए ना l"

फिर सारा ने कहा देखो मेरी चूत की तुमने क्या हालत कर दी है और मुझे अब नींद भी आ रही हैll

मैंने अपने मोबाइल में 5 बजे का अलार्म लगा दिया और सारा से कहा- " अलार्म बजते ही मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चसना शुरू कर देना। पांच बजे का अलार्म लगया है अगर पहले उठ जाओ तो चूस कर मेरा लौड़ा खड़ा करोगी तो मैं उठ जाऊँगा समझी या नहीं?"

सारा ने सिर हिला दिया।

आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 9

मैं भी रात भर का जगा हुआ था और नींद मुझे भी आ रही थी तो मैंने सोचा थोड़ा आराम कर लेते हैं

मैं सारा को अपनी बांहों में भरकर लेट गया। फिर मुझे नींद आने लगी। सुबह लगभग 3-4 बजे मैं जाग गया आँख खोली तो पता चल गया की मेरे लौड़े को सारा चूस रही हैं। पर आँखें बंद करके लेटा रहा। सारा मुझे हिलते देखा तो जोर से चूसने लगीl ऐसें चुप्पा लगवाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मुझे जगा देख सारा लेट गई, और अपनी दोनों टांगों को फैला दिया।

फिर मैंने अपनी आँखों को खोला, और सारा को कहा- जो काम रात में अधूरा रह गया था उसे अब पूरा करते हैंl

सारा मेरा इरादा समझ गयी और सुनकर घबरा गई। हाथ जोड़कर बाली- "प्लीजll आप वहां मत करिए बड़ा दर्द होगाl"

मैंने कहा- "सारा । मैं जैसा कह रहा हूँ वैसा करोl मेरा दिमाग खराब हो जाएगा तो उसकी जिम्मेदार तुम होगी ?"

मैंने जब गुस्से से कहा तो वो डर गईं।

मैंने उसको कहा- "चलो तेल पकड़ाओ l"

उसने चुपचाप तेल की शीशी मुझे दे दी l

मैंने तेल की शीशी ली और सारा को कहा- "तुम घोड़ी बन जाओl"

वो घोड़ी बन गई। मैंने खूब सारा तेल उसके चूतड़ों पर डाल दिया। तेल की धार उसके चूतड़ों की दशा में होती हुई उसकी गाण्ड तक जा रही थी। मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड में घुसा दी। सारा ने अपनी गाण्ड आगे कर दी।

मैंने उसको कहा- "अगर अब तेरी गाण्ड एक इंच भी हिली तो मैं बिना तेल के ही गाण्ड मार दूँगा l"

सुनकर सारा बोली- "नहीं-नहीं अब नहीं हिलाऊँगीll"

फिर मैंने उसकी गाण्ड में उंगली पेल दी। अब उसकी गाण्ड हिल नहीं रही थी, बस वो अपनी गाण्ड को सिकोड़ रही थी। दो-तीन मिनट मैं उसकी गाण्ड में उंगली चलाता रहा। फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसकी गाण्ड में पेल दी। अब सारा को दर्द होने लगा और वो रोने लगी। मैंने उसको कुछ कहा नहीं, अपना काम करता रहा। जब मैंने देखा इसकी गाण्ड अब लौड़ा लेने को तैयार हैं तब मैंने उसको पलंग के कोने में घोड़ी बना दिया, और मैं नीचे खड़ा होकर उसकी गाण्ड पर अपना लौड़ा अइजस्ट करने लगा।

सही कोन बनाकर मैंने उसको कहा- "में अब लौड़ा पेलने जा रहा हैl"

उसने फिर से रोना शरू कर दिया और बोली- "प्लीज मान जाइए नाl"

मैंने कहा- "चुपचाप घोड़ी बनी रह, नहीं तो कुतिया बनाकर चोदूंगाl"

फिर मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड में जैसी ही डाला वो उछल पड़ी और मेरे पैरों में गिर के रोने लगी। मैंने उसको गुस्से से कहा- "प्यार से गाण्ड मरवा लें, नहीं तो तेरी अम्मी को अभी यही बुलाता है। उनके सामने ही तेरी गाण्ड मार्रूंगाl"

से सुनकर वो सिहर कर रह गई, और चुपके से फिर से घोड़ी बन गई।

फिर मैंने सारा के पेट के नीचे एक तकिये लगाए, उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया। मेरा सुपाड़ा अब उसकी गाण्ड के छेद में चला गया था।

मैंने उसको कहा- "तू अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ जोर लगाकर धकेलl" मैं जानता था वो ऐसा नहीं कर पाएगी पर में देखना चाहता था की वो करती है या नहीं?

उसने करने की कोशिश की। और फच की आवाज हुई और खून निकला और एक ही धक्के अब मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में था। l बेचारी पाऊँ पटकती रही और मैंने उसे अपने हांथो से जकड रखा था l मेरी हर चोट पर उसकी एक जोर की चीख निकल रही थी। मैं उसकी चीखों की परवाह करें बिना उसकी गाण्ड में अपना लण्ड पेले जा रहा था। में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा ।

सारा इस बीच - "उईईई माँ उईईई माँl बस करो , मर गयी l" करती जा रही थी।

करीब 20-25 मिनट बाद मुझे लगा की मैं अब झड़ने वाला हूँ, तो मैंने कस के धक्के मारने शुरू कर दिए। उसकी- चीखें और तेज हो गई। मैंने कस के एक शाट मारा और मैं उसकी गाण्ड में झड़ गया। उसकी गाण्ड में मैंने अपना लण्ड ऐसे ही पड़ा रहने दिया। मेरे लण्ड को उसकी गाण्ड ने अभी तक कस के दबाया हुआ था। सारा अभी तक अपनी गाण्ड को आगे पीछे किये जा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड की मालिश हो रही हो। अब मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा तो फुच्च की आवाज के साथ मेरा लौड़ा बाहर आ गया और खून की धारा बह निकलीl

मैं पलंग पर लेट गया । सारा भी पेंट के बल पलंग पर लेट गई फिर बोली- "आपने मुझे इतना दर्द दिया है, आप बड़े खराब होll"

मैंने सारा के गाल को चूमते हुए कहा- "जान अब इस दर्द की आदत डाल लोl" बोली मैं बाथरूम हो कर आती हूँl

मैं समझ गया उसकी गाण्ड में मेरा माल चिपचिप कर रहा होगा, मैंने कहा- "जाओ। लेकिन जल्दी से आ जाना ll" वो उठकर चली गई। थोड़ी देर में आ गई। तो मैंने उसे कहा अब थोड़ी देर आराम कर लो पर वो बेतहाशा रो रही थी और बोल रही थी बहुत दर्द हो रहा हैl तुम आराम से नहीं कर सकते क्या? कल तुमने तुमने मेरी चूत फाड़ी और आज गांड दोनों फाड़ डालीl मैं तुमसे नहीं बोलती और मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयीl

पर मेरा लंड अभी भी शांत नहीं हुआ था और मैंने सारा को थोड़ा सा पुचकारा और बोला पहली बार थोड़ी तकलीफ तो होती ही है फिर तुम इतनी प्यारी हो की मैं तुमसे दूर रह ही नहीं पा रहा हूँl

सारा ने मेरे होंठो को चुम लिया बोली आराम से करो न मेरे राजा मैं पूरी तुम्हारी हूँ.

मैंने उसे लिप किश किया मैं उसे लिप किश करता ही रहा वह भी कभी मेरा उप्पर लिप तो कभी लोअर लिप चूसती रही मैंने उसके लिप्स पर काटा उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दिया,फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. सारा मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दी वह सिसकारियां ले मजे लेने लगी मैंने धीरे धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी ऊँगली से से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया सारा गर्म होने लगी धीरे धीरे चूत ढीली और गीली होनी शुरू हो गयी

मैंने उसको कहा- "अपने सलवार से मेरा लण्ड पॉछ दो, और अपनी चूत भी इसी से साफ कर लोl" उसने ऐसा ही किया। मैंने सारा को उठा कर गोद में बिठा लिया और थोड़ी देर में ही दूसरा राउंड स्टार्ट हो गया

मैं सारा से बोला - अपनी चूचियों से मेरे चेहरे पर मसाज करl सारा ने अपनी चूचियाँ पकड़ कर मेरे क्लीन शेव चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड ठीक मेरी चूत के नीचे था, तभी मैंने सारा की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का माराl वो उछल पड़ीl तब तक मगर मेरा टोपा चूत में फंस चुका था।

मेरा लंड इस समय लोहे की सलाख जैसा सख्त और गर्म था और सारा उस पर पर बैठी हुई थी। मैंने जोर लगाया तो सारा चिल्ला पड़ी। मैंने उसे खिलौने की तरह उठाया और खड़े हो कर एक और झटका दिया।

सारा बोली प्लीज आराम से करो नहीं तो मैं मर जाऊँगी, इतना अधिक दर्द मुझे कभी नहीं हुआ था, सारा बेहोश सी होने लगी। पता नही मुझे क्या हुआ था l सारा का हुस्न गोरा रंग खूबसूरती मेरे जोश को बढ़ा रही थी l

फिर मैं सारा को गोद मे ले कर बैठ गया और वो मेरे होंठ चूसने लगी , लगभग दो मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद सारा को थोड़ा आराम मिलाl तो मैं फिर बोला - सारा बेगम अपनी चूत को ऊपर-नीचे करोl

सारा रोते-रोते अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा। मैं सारा को ही देख रहे था और बोला - जब दर्द ख़त्म हो जाए तो बताना।

सारा बोली- अब दर्द हल्का हो गया है।

बस यह सुनते ही मैंने सारा कमर पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगा ।

सारा के बड़े-बड़े कोमल मम्मे किसी फुटबॉल की तरह उछाल मार रहे थे और मेरे ,मुँह से टकरा कर मुँह की मालिश लकर रहे थे । और उसकी चूत भी अब गीली हो गई थी।

मैंने उसे रोका नीचे उतारा

फिर मैं बोला - चल सारा अब पहले अपनी चूत पूँछ और फिर कुतिया बन जा।

सारा उठी तो मैंने एक रूमाल से उसकी चूत पूँछी और बोलै अब जब रगड़ कर अंदर जाएगा तो देख कितना मजा आएगा और मेरे ऊपर से उठ कर हाथ-पैरों के बल झुक गई। मैंने पीछे आकर लण्ड को चूत पर रख कर जोर से झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया।

सारा अब किसी कुतिया की तरह चुद रही थी। और लंड जब सूखी हुई चूत को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था तो सच बहुत मजा आया और फिर सारा जल्द ही झड़ गयी ।

उस रात मैंने सारा को ऐसे ही दो बार और चोदा और उस सूखी चुदाई से चूत बिलकुल सूज गयी थीl मैंने उसे चूमा और सहलाया..

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फिर मैं बोला - चल सारा अब पहले अपनी चूत पूँछ और फिर कुतिया बन जा।

सारा उठी तो मैंने एक रूमाल से उसकी चूत पूँछी और बोलै अब जब रगड़ कर अंदर जाएगा तो देख कितना मजा आएगा और मेरे ऊपर से उठ कर हाथ-पैरों के बल झुक गई। मैंने पीछे आकर लण्ड को चूत पर रख कर जोर से झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया।

सारा अब किसी कुतिया की तरह चुद रही थी। और लंड जब सूखी हुई चूत को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था तो सच बहुत मजा आया और फिर सारा जल्द ही झड़ गयी ।

उस रात मैंने सारा को ऐसे ही दो बार और चोदा और उस सूखी चुदाई से चूत बिलकुल सूज गयी थीl मैंने उसे चूमा और सहलाया..

आपा का हलाला | Aapa Ka Halala | भाग 10

मैं अपनी दो बीवियों के साथ सुहागरात मना रहा हूँ. छोटी बीवी पहली चुदाई में होने वाले दर्द से डर रही है तो मैंने उसे कहा कि वो अपनी बड़ी बहन की चुदाई होती देखे-

अगले दिन अपनी दोनों कमसिन दुल्हनों के साथ हैदराबाद की फ्लाइट से चला गया। और मेरे साथ खाला सारा की दूसरी बहने मामू सभी चले क्योंकि आज वलीमा (रिसेप्शन) की दावत थी

बाकी लोगो के साथ होने के बावजूद सारा फ्लाइट तक में भी मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी। वह ज़िद करके मेरे साथ हो चिपक कर बैठी और पूरी फ्लाइट में मेरे लंड को दबाती-सहलाती रही। मैं भी पीछे नहीं रहने वाला था। मुझे जब मौका मिलता, मैं उसकी गांड और मम्मों से खेल लेता।

हैदराबाद पहुँचने पर हमारा जोरदार स्वागत हुआ। नयी बहुओं को ढेरों तोहफे और मुझे बधाई मिली। सभी बहुत खुश थे। उस रात वलीमा की दवाती हुई और मेरा और डिलिअ का निकाह भी हो गया . फिर

मेरा ज़रीना के साथ सुहागरात मनाने का तय हुआ। मेरे मन में आने वाली रात के ख़्याल आने लगे। मेरी ज़रीना, हाय! उसका चेहरा मोहरा एक्ट्रेस ज़रीन खान जैसा है। हाइट भी पांच फिट सात इंच है, गहरी काली आंखें और काले बाल। ग़ज़ब की मादक सुंदर है वो। जब भी मुस्कुराती है, गालों के डिंपल बस दीवाना-सा कर देते हैं। लाल रंग के साड़ी में फूलों-गहनों से लदी ज़रीना, महकती हुई सुहाग की सेज़ पर, मेरे इंतज़ार में सो गयी। दिन भर की भागदौड़ के बाद रात में जब सब लोग अपने कमरों में चले गए, तो सभी सालियाँ और बहनें मिल कर मुझे मेरे कमरे में ले गयी।

वहाँ मेरे ख़्याल से कुछ अलग ही नज़ारा था। ज़रीना और सारा एक ही बिस्तर पर सो रही थीं। मैंने सारा को जगा कर उसे दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा लेकिन उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, ज़रीना भी तब तक जग चुकी थी। मेरा मन खराब-सा रहा था। मैंने सारा से कहा, "यार, आज मेरी और ज़रीना कि सुहागरात है। क्यों बेकार में कवाब में हड्डी बन रही हो?"

"क्यों? क्या मैं एक दिन में ही बेकार हो गयी हूँ? कल तो रात भर छोड़ नहीं रहे थे, अब मैं यहाँ रुक भी नहीं सकती?"

"मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है, लेकिन तुम्हारे रहते, तुम्हारी बहन के साथ मैं कैसे कुछ कर पाऊंगा?"

इस पर सारा ने कहा, "क्यों? मेरे रहते तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गांड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है?"

उसने मुझे ललकारा, तो मैं भी चुप नहीं रहा। पलट कर बोला, "लंड तो मेरा कमरे में घुसने से पहले ही खड़ा हो गया था, लेकिन क्या तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन का मन कुछ करने को करेगा? और रही बात दोनों को झेलने की, तो रात भर दोनों को इतना चोदूँगा कि दोनों की दोनों सुबह उठने लायक नहीं रहोगी।"

इस पर ज़रीना बोली, "क्यों? इसमें क्या बुराई है? हम दोनों को एक दूसरे की सब बात मालूम हैं, हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाती। मुझे तो तुम्हारी और सारा कि भी सब बातें मालूम हैं।"

अब चौंकने की बारी मेरी थी। थोड़ी देर शान्ति से सोचा और फिर मैं वहीं बिस्तर पर बैठ कर बोला, "ठीक है, जैसी तुम दोनों की मर्जी, मुझे तो फ़ायदा ही फ़ायदा है।"

सारा बोली, "तुम अब जिसको मर्जी चोदो, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं, लेकिन हर बार तुम्हें अपना पानी मुझमें ही छोड़ना पड़ेगा। मुझे जल्दी से जल्दी तुम से एक बच्चा चाहिए।तुम्हे मैंने सायरा की कहानी सुनाई थी न"।

ज़रीना ने भी इसके लिए हामी भर दी।

अब तक मेरा लंड भड़क कर पूरा तैयार था। मैंने ज़रीना को तोहफा दिया और उसका घूँघट हटाया और उसके होंठ चूमने लगा। शुरू में तो वह हिचक रही थी, लेकिन धीरे-धीरे अपने आपको ढीला छोड़ दिया। जैसे-जैसे मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे मज़ा आने लगा।

उसकी चूचियाँ चकित कर देने वाली थी। छोटे-छोटे सन्तरे के आकार की चूचियाँ और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे, बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे। मैंने हल्के हाथों से उनको ख़ूब दबाया।

मेरा लंड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया था और पजामे का तम्बू बना रहा था। मैं फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर थोड़ी देर उसे देखने लगा। वाह क्या कुंवारी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा-सा गुलाबी छेद।

मैंने उसकी बुर में अपनी उंगली डाल दी तो वह ज़ोर से चीख पड़ी 'आआआह हहहह। ।' वह उठ कर बिस्तर से नीचे उतर गई और बोली-दर्द होता है, मार डालोगे क्या?

इस पर सारा बोली-मियाँ जी, ज़रीना अभी कुंवारी है, इसकी चूत बहुत टाइट है। थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो।

मैंने कहा-यार, अभी तो दोनों बड़ी-बड़ी हांक रही थीं कि तुम्हें दोनों मिलकर निचोड़ देंगी, अब क्या हुआ?

सारा ने कहा-निचोड़ेंगी तो ज़रूर, पर अपने हिसाब से। ज़रीना और मैं आज रात तुमको छोड़ने वाली नहीं हैं, पर उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा घबरा रही है। एक काम करो पहले मुझे चोद लो ताकि वह चुदाई देख कर अच्छे से गर्म हो जाए और फिर वह अपने आप करने को कहेगी।

बात मेरे को भी जमी। सारा ने मेरा और ज़रीना का हाथ पकड़ कर हमें सोफे पर बिठा दिया और बोली-शुरू करे - शैल वी स्टार्ट?

सारा ने सिर्फ़ आसमानी नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी, न ब्रा न पैंटी सिर्फ़ साड़ी को छातियों पर साड़ी को बाँधा हुआ था। सारा के कंधे नंगे थे, वह बड़ी ग़ज़ब लग रही थी। वह बेड पर खड़ी हो गयी और अपने मम्मों पर हाथ फेरने लगी और कंधे हिलाने लगी। कभी आगे, तो कभी पीछे करने लगी। अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। उसने साड़ी को नीचे से उठा कर अपनी एक नंगी टांग बाहर निकाली और अपने बदन को लहराया, गांड को मटकाया और साड़ी को जांघों से भी ऊपर उठा दी।

वाह क्या नज़ारा था, मेरा लंड बेकाबू होने लगा।

मैंने ज़रीना का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी। ज़रीना भी ये सीन देख कर स्तब्ध थी। फिर सारा ने साड़ी गिरा कर दूसरी टांग नंगी करके अपनी गांड लहराई और जीभ अपने होंठों पर फेर कर मुझे ललचाने लगी। अब उसने धीरे-धीरे नीचे झुक कर साड़ी को कमर तक ऊंची करके अपनी चूत की दर्शन करवाए। फिर पलट कर अपने चूतड़ दिखाए और उनको मटकाया। चूतड़ों को आगे पीछे किया।

उफ्फफ्फ्फ़ क्या नज़ारा था, क्या लचीली गांड थी, एकदम चिकनी नरम मुलायम और गद्देदार, फिर वह कभी साड़ी गिरा देती, कभी उठा देती। फिर घोड़ी बन अपनी गांड दिखाने लगी और अपने हाथ गांड पर फेरने लगी। कभी इस साइड से घूम कर, कभी उस साइड से घूम कर गांड दिखाने लगी। साड़ी उसकी चिकने बदन से बार-बार नीचे गिर जाती। वह कभी आधी कभी पूरी उठा कर अपनी गांड पर हाथ फेरती और जीभ निकाल कर होंठों पर फेरने लगती।

मैं लगातार ललचा रहा था और ज़रीना के हाथ के ऊपर से अपने लंड को दबाने लगता था। सामने सारा कभी लेट जाती, कभी घोड़ी बन कर अपने बदन की लचक का नज़ारा दे रही थी। कभी अपने दाएँ चूतड़ को दिखाती, कभी बांए चूतड़ को दिखाने लगी। फिर उसने साड़ी पेट तक उठा कर अपनी नाभि और सपाट पेट को दिखाया और कमर को लचकाते हुए मटकाया।

फिर थोड़ा और ऊपर उठा कर अपनी चूची की गोलियों का नज़ारा करवाया। फिर लेट कर अपनी पूरी गांड का नज़ारा करवाया। इसके बाद वह घुटनों पर बैठ कर अपने सर और बालों पर अपने हाथ-हाथ ले जाती।

वो अपनी साड़ी को एक साइड से उठा कर उस तरफ़ के मम्मे को सहलाते हुए दूसरे मम्मे को सहलाने लगी। उसने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा-सा हार पहन रखा था। सच में बड़ी मादक लग रही थी। फिर उसने साड़ी की गांठ को खोला और पल्लू से चेहरा और बदन छुपा लिया। फिर धीरे-धीरे नीचे करते हुए, उसने थोड़ा-सा पल्लू गिरा कर मुझे अपने एक मम्मे का नजारा कराया। एकदम गोल-गोल बड़े बड़े मम्मे, मैं उसकी तरफ़ लपका, उसने मुझे रोक दिया। वह बोली-राजा थोड़ा रुको, सब तुम्हारा ही है।

To be Continued

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