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[Completed] ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang

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ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang

ज़ारा का गैंगबैंग Zara Ka Gangbang

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang:

लड़कियां दो वजह से रखैल बनती हैं। एक ये कि उनको ये सब अच्छा लगता है या दूसरी वजह ये कि उनको पैसा चाहिए होता है। जबकि मेरी ऐसी कोई मजबूरी नहीं। मैं एक अमीर खानदान से हूँ, और मुझे अपने गुरूर की सजा मिली है।

ये सब तब शुरू हुआ जब मैंने एम॰काम॰ के बाद प्राइवेट कालेज में लेक्चररशिप शुरू की, क्योंकी मुझे पढ़ाना अच्छा लगता है। अरे मैंने अपना पूरा परिचय दिया ही नहीं। मेरा पूरा नाम “ज़ारा जब्बार” है, मेरा रंग गोरा और मेरा फिगर 38-32-40 है, और मैं लाहोर की रहने वाली हूँ, और इस वक्त मेरी उमर 28 साल है और मैं अविवाहित हूँ।

मेरे घर में सिर्फ़ अब्बू हैं। क्योंकी मेरी अम्मी का मेरे बचपन में ही इंताकल हो गया था। जिस वक्त मैंने एम॰काम॰ किया उस वक्त मेरी उमर 23 साल की थी और मेरा फिग 34-28-36 था… और मुझमें गुरूर कूट-कूटकर भरा हुआ था। क्योंकी मैं नाज़ों से पली बढ़ी हूँ। और मेरी हर फरमाइश बिना माँगे पूरी की जाती है। अब सोचती हूँ कि काश… मुझमें ये गुरूर ना होता तो आज मैं इतनी बड़ी मुसीबत में होती।

एम॰काम॰ मुकम्मल करने तक कई लड़कों ने मुझसे बात करने की कोशिश की और दोस्ती के लिए भी हाथ आगे बढ़ाया मगर मैंने किसी को लिफ्ट नहीं दी। और एम॰काम॰ के बाद मैंने जाब करने का फैसला किया और पापा ने भी मेरी हिमायत की। सो मैं एक अच्छे से कालेज में पढ़ाना शुरू कर दिया जो कि अब्बू के एक दोस्त का था। कालेज काफी बड़ा है और दो गार्ड जो कि पठान हैं उनके नाम ‘हामिद खान’ और ‘जुनेद खान’ हैं। वो कालेज की चोकीदारी करते हैं, और अंकल के बहुत भरोसेमंद आदमी हैं।

उस वक्त मैं ग्रॅजुयेशन तक के स्टूडेंट्स को अकाउंटिंग पढ़ाती थी। 6 महीने ठीक गुजर गए लेकिन एक रोज एक ऐसा वाकिया हुआ कि जिसने मुझे गुस्सा दिला दिया। मेरे एक स्टूडेंट ने 14 फरवरी (रोज डे) पे मेरी क्लास की एक फीमेल को कालेज कैंपस में सबके सामने किस कर दी (उसने अपने दोस्तों से इसकी शर्त लगाई थी जो मुझे बाद में पता चला।) वो लड़की रोती हुई वहाँ से निकल गई।

मुझे उस लड़के पे बहुत गुस्सा आया हुआ था और मैंने प्रिन्सिपल से बात करके उसको कालेज से निकलवा दिया। जिससे उसका एक साल जाया हो गया। उसने मुझसे और प्रिन्सिपल से माफी माँगने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी और मैंने ये तक कह दिया कि इस कालेज में या तो मैं रहूंगी या ये रहेगा। सो उसको कालेज से निकाल दिया।

यहाँ से असल कहानी शुरू होती है। मैंने उसको तो निकलवा दिया लेकिन ये भूल गई कि इनका पूरा ग्रूप कालेज में पढ़ता है या काम करता है। कुछ दिन ठीक गुजरे और उसके बाद जो कुछ हुआ, वो बहुत बुरा हुआ।

क्या हुआ था? आइए मैं आपको बताती हूँ।

To be Continued

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यहाँ से असल कहानी शुरू होती है। मैंने उसको तो निकलवा दिया लेकिन ये भूल गई कि इनका पूरा ग्रूप कालेज में पढ़ता है या काम करता है। कुछ दिन ठीक गुजरे और उसके बाद जो कुछ हुआ, वो बहुत बुरा हुआ।

क्या हुआ था? आइए मैं आपको बताती हूँ।

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang | Update 2

वो दिन बाकी दिनों से अलग था। उस दिन मौसम बहुत खूबसूरत था, एकदम रोमँटिक। मैंने काले रंग की शलवार-कमीज और मैचिंग ब्रा अंडरवेर पहना था। उस दिन तो मेरा भी दिल कर रहा था कि इस मौसम में कोई मेरे साथ भी होता। कालेज में एग्ज़ॅम्स चल रहे थे और उस दिन सटर्डे था। मेरे अब्बू ुबई गए हुये थे और उन्होंने मंडे को वापस आना था। दोपहर तक सब स्टूडेंट्स चले गए थे। अब कालेज में सिर्फ़ टीचर्स और लैब स्टाफ था। शाम 4:00 बजे तक पूरा कालेज खाली हो गया सिर्फ़ मेरे अब्बू के दोस्त अली (प्रिन्सिपल), मैं और लैब स्टाफ रह गया था।

और यहीं से उनका प्लान शुरू हुआ। उन्होंने कालेज के हर एरिया में कैमरे फिट किए हुये थे। जो कि अंकल ने ही कहा था लैब असिस्टेंट को। 4 लोग कंप्यूटर लैब में काम करते थे। अंकल ने मुझे साथ लेकर जाना था क्योंकी उस दिन मैं अपनी गाड़ी में नहीं आई थी।

उन्होंने मेरा पूछा तो लैब असिस्टेंट ने कह दिया कि मैं जा चुकी हूँ लेकिन मैं अपने केबिन में बैठी पेपर्स चेक कर रही थी और बेखबर थी कि क्या हो रहा है। अंकल चले गए और मुझे पता भी नहीं चला।

5 बजे लैब असिस्टेंट मेरे रूम में आया और कहा- “ज़ारा अब बस करो और चलो बाहर चलो। मिलकर मौसम एंजाय करते हैं…”

मैं उससे बेताकल्लूफ नहीं थी तो मैंने उसको झिड़क दिया और बाहर जाने को कहा। उसने फौरन अपना लहजा बदल लिया और बोला- “गश्ती तुझे एक बार में बात समझ में नहीं आती?”

मुझे तो झटका लगा। मैंने जोर से एक तमाचा उसके मुँह पे मार दिया। उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गईं। मैं भागकर बाहर निकली और अंकल के आफिस में गई। वो वहाँ नहीं थे। मैं जल्दी से वहाँ से भागने लगी, लेकिन मेरी किश्मत कि वो 4 लैब असिस्टेंट दरवाजे में खड़े हुए थे और मेरी तरफ घूरकर देख रहे थे। मेरा तो डर के मारे गला खुश्क हो गया। अब वो चारों हँस रहे थे। उन चारों के नाम ये हैं जमील, इमरान, इरफान, सैफ। मैंने इमरान को थप्पड़ मारा था।

इमरान मेरे करीब आने लगा।

मैं- देखो, मेरे करीब मत आओ। तुम जानते हो ना कि मैं किसकी बेटी हूँ। अगर मुझे कुछ किया तो तुम जानते हो कि तुम बच नहीं पाओगे। वो मेरी बात सुनकर और जोर से हँसने लगा। मेरा तो गला खुश्क हो गया डर के मारे। मैंने उनको पैसों की आफर भी की लेकिन वो नहीं माने।

तभी इरफान बोला- “साली, तूने हमारे जिगरी दोस्त साहिल को कालेज से निकलवाया है। आज तो तुझे नहीं छोड़ेंगे…”

मैंने कहा- मैं उसका अड्मिशन दोबारा करवा दूँगी। और माफी भी माँगूँगी, लेकिन प्लीज़ मुझे जाने दो…”

लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे। तभी मैंने देखा कि वहाँ 6 लोग और आ गए जो कि इसी कालेज क स्टूडेंट्स थे। जिनमें साहिल भी शामिल था। मैंने सबके सामने हाथ जोड़ दिए, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ।

साहिल- “अरे मेडम… हमें पैसे नहीं आप चाहिए… तभी तो मेरे बदला पूरा होगा। और आप हैं कि मुझे अड्मिशन दिलवाओगी। देखना…”

मैंने उससे माफियां माँगी मगर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था।

साहिल- “मेडम एक डील करते हैं। आप हम सबके सामने नाचें और मेरे लण्ड को चूसकर उसका पानी निकल दें, तभी हम आपको जाने देंगे…”

मैं तो सुनकर चकित रह गई। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।

लेकिन वो नहीं माना और बोला- “देखो मेडम, अगर आप ऐसा नहीं करोगी तो हमें मजबूरन आपका रेप करना पड़ेगा, और उसमें आपका अपना ही नुकसान है…”

मैं- “ठीक है… लेकिन मेरी शर्त है कि बाकी सब लोग बाहर जायेंगे, और यहाँ के सभी कैमरे को बंद करो…”

To be Continued

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साहिल- “मेडम एक डील करते हैं। आप हम सबके सामने नाचें और मेरे लण्ड को चूसकर उसका पानी निकल दें, तभी हम आपको जाने देंगे…”

मैं तो सुनकर चकित रह गई। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।

लेकिन वो नहीं माना और बोला- “देखो मेडम, अगर आप ऐसा नहीं करोगी तो हमें मजबूरन आपका रेप करना पड़ेगा, और उसमें आपका अपना ही नुकसान है…”

मैं- “ठीक है… लेकिन मेरी शर्त है कि बाकी सब लोग बाहर जायेंगे, और यहाँ के सभी कैमरे को बंद करो…”

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang | Update 3

उसने इनकार कर दिया- “अरे मेडम, हम सब इकट्ठे एंजाय करेंगे आपका डान्स, और रही बात वीडियो की तो वो इसलिए बनेगी कि भविष्य में आप हमारे विरुद्ध कोई शिकायत ना कर दें…”

सब लोग मेरे आस-पास सोफे पे बैठ गए और मैं कमरे के बीच में खड़ी थी। गाना शुरू हुआ लेकिन मैं नाचने में हिचकिचा रही थी।

साहिल बोला- “आए गश्ती… अगर तूने 5 गिनने तक नाचना शुरू नहीं किया तो हम सब तेरे कपड़े फाड़कर तुझे यहीं चोदना शुरू कर देंगे- 1… 2… 3… 4…

और मैंने नाचना शुरू कर दिया। मुझे नाचना तो नहीं आता था लेकिन मैंने अपनी कमर और चूतड़ों को सेक्सी तरह से हिलना शुरू कर दिया। 5 मिनट बाद दूसरा गाना चला। इस तरह मैंने 5 गानों पे डान्स किया। मैंने देखा कि सब अपने लण्ड बाहर निकालकर हिला रहे हैं।

ये देखते ही मेरी तो चूत गीली हो गई।

साहिल ने मुझे अपने पास बुलाया- “ओ गश्ती… इधर आ और मेरा लण्ड मुँह में ले…”

मैं उसकी तरफ जाने लगी।

तो वो बोला- “साली, चारों हाथों-पैरों पे कुतिया की तरह आ…”

मैं चारों हाथों-पैरों पे कुतिया बनकर उसकी तरफ गई। उसके लण्ड को हाथ में पकड़ने लगी।

तभी उसने जोर से मेरे मुँह पर थप्पड़ मार दिया और बोला- “साली, तुझे किसने बोला लण्ड को हाथ लगाने को?”

मेरा दिमाग घूम गया। उसने मुझे बालों से पकड़कर खींचा तो मेरी चीख निकल गई और मेरी आँखों में आँसू आ गए।

उसने मुझे अपने लण्ड पे झुकाया तो मैंने अपना पूरा मुँह खोल दिया और उसके लण्ड का टोपा मुँह में लेकर चूसने लगी। उसने मेरा मुँह पकड़कर अपने लण्ड पे दबा दिया। उसका लण्ड मेरे गले तक चला गया। अभी आधा लण्ड ही गया था और मेरी तो तो साँस रुक गई थी। उसने मुझे बालों से पकड़कर अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। 5 मिनट में ही मेरे जबड़े दर्द करने लग गए।

उसके मुँह से- “ऊऊऊओह… आआअह्ह… साल्ली… क्या गरम मुँह है तेरा? छिनाल्ल…” की आवाजें निकल रही थीं, और जब वो लण्ड मुँह में डालता तो थोड़ी देर रुक जाता। जब बाहर निकालता तो मैं साँस लेती और उसके बाद जब उसका लण्ड मुँह के अंदर जाता तो मेरी साँस रुक जाती।

तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया। मेरे मुँह से उसके लण्ड तक प्री-कम की वजह से तार सी बनी हुई थी। चल साली मेरी गोटियां चूस… और मेरे सिर को अपनी गोटियों से लगा दिया।

एक-एक करके मैंने उसकी दोनों गोटियां चूसनी शुरू कर दीं। मुझे तो उबकाई आ रही थी। मगर मैं कर भी क्या सकती थी।

बाकी 9 लोग इस शो को एंजाय कर रहे थे। उसने मेरे बालों से पकड़कर अपने चेहरे के करीब किया और मुझे रंडी की औलाद, साली, गश्ती आदि गालियां देने लगा। तभी उसने मेरा मुँह जो कि आधा खुला था, में अपनी थूक फेंकी और मुझे घुटने पे झुका दिया। मैं थूक बाहर निकालने लगी तो उसने जबरदस्ती मेरा मुँह बंद कर दिया। मजबूरन मुझे उसको निगलना पड़ा। उसने मेरे मुँह में एक और बार थूका और दोबारा मुझे अपने लण्ड पे झुका दिया। तभी उनमें से किसी ने मेरे हाथ पीछे खींच लिए। मैं ये ना देख सकी कि वो कौन है। और उन्होंने मेरे दोनों हाथ बाँध दिए। इधर साहिल तेजी से मेरे मुँह को चोद रहा था।

बाकी लोगों ने भी अपने कपड़े निकाल दिए, और मेरे आस-पास घेरा बनाकर मूठ मरने लगे। मैं देख तो नहीं सकती थी पर सबकी आवाजें सुन सकती थी। उन्होंने एक कैंची निकाली और मेरी कमीज को काटना शुरू कर दिया। मैं विरोध करना चाह रही थी, मगर मुँह की चुदाई और हाथ बँधे होने की वजह से कुछ ना कर सकी। थोड़ी देर में मैं अपनी ब्रा में थी और सब लोग सीटियां मारने लगे और आवाजें कसने लगे- “हाए गश्ती, इसकी माँ को चोदूं, भोसड़ी की, छिनाल आदि गालियां भी देने लगे।

मैं साहिल का लण्ड मुँह से निकालना चाह रही थी मगर उसकी मजबूत पकड़ ने ऐसा नहीं करने दिया। तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी शलवार काट रहा है। मैं बचना चाह रही थी मगर मेरे मुँह से सिवाए ‘म्‍म्म्मह… न्‍नहिँ’ के सिवा कुछ नहीं निकल सका। फिर उन्होंने यही हाल मेरी ब्रा और पैंटी के साथ किया। अब मैं बिल्कुल नंगी उन 10 लोगों के सामने थी। मैं हिल भी नहीं पा रही थी।

तभी साहिल का लण्ड मेरे मुँह में फूलने लगा और उसकी आवाज आई- “साली रंडी, अगर एक भी बूँद नीचे गिरी तो हम तेरी गाण्ड में 2-2 लण्ड घुसेड़ेंगे और वो भी बिना तेल के… पी जा मेरा पानी… साली रांड…” इसके साथ ही 1… 2… 3… 4… 5…

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मैं साहिल का लण्ड मुँह से निकालना चाह रही थी मगर उसकी मजबूत पकड़ ने ऐसा नहीं करने दिया। तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी शलवार काट रहा है। मैं बचना चाह रही थी मगर मेरे मुँह से सिवाए ‘म्‍म्म्मह… न्‍नहिँ’ के सिवा कुछ नहीं निकल सका। फिर उन्होंने यही हाल मेरी ब्रा और पैंटी के साथ किया। अब मैं बिल्कुल नंगी उन 10 लोगों के सामने थी। मैं हिल भी नहीं पा रही थी।

तभी साहिल का लण्ड मेरे मुँह में फूलने लगा और उसकी आवाज आई- “साली रंडी, अगर एक भी बूँद नीचे गिरी तो हम तेरी गाण्ड में 2-2 लण्ड घुसेड़ेंगे और वो भी बिना तेल के… पी जा मेरा पानी… साली रांड…” इसके साथ ही 1… 2… 3… 4… 5…

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang | Update 4

ज़ारा का गैंगबैंग Zara Ka Gangbang Update 4

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang | Update 4:

इसके आगे तो मैं भूल गई और उसके पानी को जल्दी-जल्दी गले से नीचे उतारने लगी। 5 मिनट तक उसने कम से कम 20-25 पिचकारियां छोड़ी होंगी। शायद वो बहुत अरसे से नहीं झड़ा था। मेरा तो पेट बिल्कुल भर गया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने खूब डटकर खाना खाया हो। उसने फिर भी लण्ड मेरे मुँह से नहीं निकाला और अगले 5 मिनट तक धक्के मारता रहा। उसके बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो मुझे बहुत जोर से खाँसी आने लगी। फिर उसके कहने पे मैंने उसका लण्ड चाट-चाटकर साफ कर दिया।

इस बीच इन 10 लोगों में से कोई मुझे किस कर रहा था, कोई मेरे चूतर दबा रहा था, कोई गाण्ड में उंगली कर रहा था, कोई चूचियों के साथ खेल रहा था। मतलब ये कि मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जो मसला ना गया हो और मैं घुटनों के बल जमीन पे बैठी थी… या ऐसे कहूँ कि उन्होंने मुझे जबरदस्ती बिठा दिया था और मुझे मुँह खोलकर जबान बाहर निकालने को कहा।

मैंने इनकार किया तो एक जोरदार थप्पड़ मेरे गालों को लाल कर गया और मुझे दिन में तारे नजर आने लगे। मजबूरन मुझे उनकी बात माननी पड़ी।

अब बाकी 9 लोग मेरे इर्द-गिर्द खड़े होकर मूठ मार रहे थे। थोड़ी देर बाद सब ने झड़ना शुरू कर दिया। सब लोग झड़ रहे थे और मुझे कुतिया, रांड़, आदि बोलते जा रहे थे। और अपना पानी मेरे जिश्म पर निकालते गए। मैं सबके पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मेरे जिश्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जिस पे उन लोगों का पानी ना लगा हो। मैं अपनी आँखें भी नहीं खोल सकती थी। जब सब लोग फारिघ हो गए तो मुझे देखकर हँसने लगे और मेरा दिल कर रहा था कि अभी जमीन फट जाए और मैं उसमें समा जाऊँ।

अब उन्होंने मेरे हाथ खोल दिए, और मुझे उठाकर अंकल अली के आफिस के अटैच बाथरूम में ले गए। और मेरे जिश्म को अच्छी तरह रगड़-रगड़कर धोया। मेरी चूत और गाण्ड में उंगलियां भी कीं। फिर हम सब बाहर आ गए। मैंने टाइम देखा तो 9:00 बज रहे थे। इसका मतलब कि मुझे ये सब करते 4 घंटे हो चुके थे। मेरे गले और जबड़ों में बहुत दर्द हो रहा था।

बड़ी मुश्किल से मैंने उनसे कहा- “प्लीज़… अब तो मुझे जाने दो। जो कुछ तुमने कहा, वो मैंने किया है। प्लीज़ अब मुझे जाने दो…”

तभी इमरान बोला- “मेरी रांड़… इतनी भी क्या जल्दी है… अभी हमें अपने जिश्म से जी भरके खेलने तो दे। हमारे पास आज की पूरी रात और कल का पूरा दिन है। लेट्स एंजाय…”

मैंने इनकार करना चाहा लेकिन मेरे ‘ना’ बोलने से पहले ही मेरे गाल पे एक जोरदार थप्पड़ लग चुका था। तभी एक चौकीदार हामिद खान अंदर आया (जिन दो का पहले ऊपर जिकर किया है, उनमें से एक) और अंदर का नजारा देखकर हैरतज़दा हो गया। पहले उसने सबको गुस्से से देखा तो मेरी जान में जान आ गई कि शायद अब मैं बच जाऊँ लेकिन ये मेरी भूल थी।

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तभी इमरान बोला- “मेरी रांड़… इतनी भी क्या जल्दी है… अभी हमें अपने जिश्म से जी भरके खेलने तो दे। हमारे पास आज की पूरी रात और कल का पूरा दिन है। लेट्स एंजाय…”

मैंने इनकार करना चाहा लेकिन मेरे ‘ना’ बोलने से पहले ही मेरे गाल पे एक जोरदार थप्पड़ लग चुका था। तभी एक चौकीदार हामिद खान अंदर आया (जिन दो का पहले ऊपर जिकर किया है, उनमें से एक) और अंदर का नजारा देखकर हैरतज़दा हो गया। पहले उसने सबको गुस्से से देखा तो मेरी जान में जान आ गई कि शायद अब मैं बच जाऊँ लेकिन ये मेरी भूल थी।

ज़ारा का गैंगबैंग | Zara Ka Gangbang | Update 5

हामिद खान की मुश्कुराहट को देखकर मैं परेशान हो गई, और बाकी सब खुश हो गए। वो मुझे उठाकर स्टाफ रूम में ले आए।

मैंने बहुत कोशिश की उनसे छूटने की लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। इतनी देर में जुनेद खान भी आ गया और मुझे देखकर पहले हैरान हुआ और फिर बहुत खुश हुआ। वो सब मेरे आस-पास खड़े हुए थे।

साहिल बोला- “गश्ती… चल अब देख तेरे 12 यार तुझे कैसे चोदेंगे? छिनाल…”

मेरी आँखों में आँसू आ गये। लेकिन उनपे इसका असर नहीं हुआ। मैं अपने हाथों से अपने जिश्म को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अब कमरे में 12 लोग थे। उनके नाम बता दूँ- साहिल, जमील, इमरान, इरफान, सैफ, बाकी 5 लोग जमाल, अल्फ़ा, कामरन, काशिफ, माज और दो पठान जिनके लण्ड इन सबसे बड़े और मोटे थे- हामिद और जुनेद।
मैं सोच रही थी कि मेरे साथ क्या होगा।

फिर साहिल आगे आया और उसने मुझे पकड़कर अपने साथ चिपटा लिया, और मेरे होंठ चूसने लगा।

मेरे मुँह से सिर्फ़ “म्‍म्म्ममह… उउम्म्म्ममह…” की आवाज निकल सकी।

सब लोग मेरे आस-पास खड़े हो गए और मुझे चूमने लगे। मेरे जिश्म का अंग-अंग उन्होंने चूमा चूसा। मेरे जिश्म पर हर जगह पे निशान पड़ गए। मेरा जिश्म गरम हो गया था। मैं उन सब को रोकना चाह रही थी लेकिन साहिल मेरे होंठ नहीं छोड़ रहा था।

मेरे मुँह से सिर्फ़ “न्नहीं म्म्ममम… प्लीज़… म्‍म्म्ममह…” की आवाजें निकल रही थीं। जब कि मेरा जिश्म मेरा साथ नहीं दे रहा था।

इतनी देर में हामिद मेरी चूत को हाथ से सहलाने लगा। मेरी चूत से पानी बह रहा था। ये देखकर वो बोला- “साली छिनाल को मजा आ रहा है। ऐसे ही नखरे कर रही है…” और वो सब हँसने लगे।

जबकि मैं शरम से पानी पानी हो गई।

तभी साहिल ने मुझे टेबल पे लिटा दिया और कहने लगा- “मेडम को सबसे पहले मैं चोदूँगा क्योंकी मेडम से मैंने बदला लेना है…”

सब मान गए।

उसने मेरी चूत पे अपना लण्ड रखा और उसको रगड़ने लगा। मेरी तो हालत पतली हो गई। मैं चाहती थी कि वो जल्दी से अंदर डाल दे। इसलिये मैंने अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी। ये देखकर उसने अपना लण्ड पीछे खींच लिया। उसने 2-3 दफा ऐसा किया।

फिर आखिर मैं बोल पड़ी- “आआअह्ह… प्लीज़्ज़… डाल दो ना… आआअह।ह…”

साहिल- क्या डालूँ, मेरी गश्ती?

मैं- “प्लीज़्ज़… अब और नाअ तड़पाओ…”

साहिल- “तू जब तक नहीं कहेगी कि तुझे क्या चाहिए? मुझे कैसा पता चलेगा?”

मैं- “प्लीज़… आआअह्ह… अपना लण्ड म्‍म्म्मेरी चूत मेंई डालो नाअ… ऊऊऊईई…”

मेरी बात पूरी होते ही उसने एक बहुत जोर का धक्का मारा था और उसका लण्ड 4 इंच तक मेरी चूत में घुस गया था और मेरे मुँह से बहुत जोर की चीख निकल गई।

इसपे वो बोला- “साली 4 इंच घुसने में इतना चिल्ला रही है। जब पूरा अंदर जाएगा तो फिर क्या होगा?”

मेरी चूत से खून निकल रहा था। अब मैं लड़की से औरत बन चुकी थी। मैं उसको परे ढकेलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हो पा रहा था। उसने 3 बहुत जोरदार धक्के मारे और पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर था। मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मैं मार जाऊँगी लेकिन मुझे मौत भी तो नहीं आ रही थी। और चूत में उठने वाला दर्द ना काबिल-ए-बर्दाश्त था।

अब मुझमें चीखने की हिम्मत भी नहीं थी। वो पूरा लण्ड अंदर डालकर थोड़ी देर रुका और फिर बाहर करने लगा। मेरी सिसकियां फिर से निकलने लगीं। ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरी चूत में मिर्चें डाल दी हो किसी ने। आहिस्ता-आहिस्ता मेरा दर्द जाता रहा और मुझे मजा आने लगा। मेरी चूत गीली हो गई और कब मेरी टांगें उसके गिर्द लिपट गईं, मुझे पता भी नहीं चला। अब वो तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था और मैं मजे से हवाओं में उड़ रही थी।

मेरी आवाजें निकालने लगी- “ऊऊऊओह… उउफफफ्फ़… माँ… सस्स्स्स्स्स्स्शह… प्लीज़्ज़… और जोर से… आआअह्ह… एसे ही… हाआईयी…” और मैं पहली बार लण्ड चूत में जाने के बाद झड़ने लगी। और ना जाने कितनी देर तक झड़ती रही, और उसके बाद सुस्त पड़ गई।

लेकिन साहिल के धक्कों में कोई कमी नहीं आई थी। वो मुझे लगतार उसी रफ्तार से चोदता रहा और गालिया देता रहा- “साली छिनाल, रंडी… मजे ले रही है…” और जोर-जोर से मुझे चोदता रहा।

मैं फिर से गरम हो गई और अपने आप कमर हिलाने लगी।

To be Continued

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